शेयर बेचने पर उसी दिन क्यों नहीं निकाल सकते पैसे? Zerodha के फाउंडर Nithin Kamath ने बताया कारण

भारत दुनिया का दूसरा ऐसा बड़ा देश होगा, जहां T+1 सिस्टम लागू होने जा रहा है

चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा ऐसा बड़ा देश होगा, जहां शेयरों के सेटलमेंट के लिए T+1 सिस्टम को लागू किया जाएगा। फिलहाल शेयरों के सेटलमेंट के लिए T+2 सिस्टम शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है लागू है। T का अर्थ ट्रेडिंग वाला दिन है। इसका मतलब है कि जब कोई इनवेस्टर किसी शेयर को बेचता है तो वह उससे मिलने वाली रकम को दो दिन बाद अपने डीमैट खाते से निकाल सकता है।

अब 25 फरवरी 2022 से दो दिन की यह अवधि घटकर एक दिन हो जाएगा। हालांकि शुरुआत में यह सिस्टम मार्केट कैप के हिसाब से सिर्फ 100 छोटी कंपनियों में ही लागू किया जाएगा। फिर चरणबद्ध तरीके से इसमें और कंपनियों को शामिल किया जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक लार्ज कैप शेयरों में T+1 सिस्टम को लागू होने में एक साल का वक्त लग जाएगा।

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ब्रोकरेज फर्म जीरोधा (Zerodha) के फाउंडर नितिन कामत (Nitin Kamath) ने बताया कि जीरोधा के कस्टमर केयर पर ग्राहकों की तरफ से सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल यही है कि वे शेयर बेचने के दो दिनों बाद तक अपने पैसे क्यों नहीं निकाल पाते हैं? कामत ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, "उम्मीद है कि T+1 सिस्टम लागू होने के बाद अब इस सवाल में कुछ कमी आएगी।"

लेकिन भारत में आखिर T+0 सिस्टम क्यों नहीं लागू हो पा रहा है। यानी कि शेयरों को बेचने पर उसी दिन निवेशक पैसे क्यों निकाल सकते हैं? जबकि यूपीआई क्रांति आने के बाद देखें तो बैंकिंग सिस्टम में रोजाना 4 अरब से अधिक ट्रांजैक्शन हो रहे हैं और सभी ट्रांजैक्शन उसी दिन सेटर हो जाते है?

इस सवाल पर नितिन कामत ने कहा कि हमें यह समझना है कि बैंक ट्रांजैक्शन में सिर्फ एक ही एसेट का लेन-देन होता है और वह है पैसा। जबकि स्टॉक मार्केट के ट्रांजैक्शन में दो चीजों का लेन-देन होता है- स्टॉक और पैसा।


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कामत ने कहा, "स्टॉक भी अब डिजिटल रूप में मौजूद हैं और उन्हें तुरंत एक स्थान से दूसरी जगह ट्रांसफर किया जा सकता है। लेकिन इन्हें इंट्राडे ट्रेडिंग की वजह से तुरंत ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। स्टॉक मार्केट में अधिकतर ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडर्स की तरफ से की जाती है, जो स्टॉक की डिलीवरी दिए या लिए बिना ही उसे खरीदते और बेचते हैं। ऐसे में अगर आप एक्सचेंज पर किसी इंट्राडे ट्रेडर से शेयर खरीदते हैं, तो हो सकता है कि उसके पास आपके डीमैट खाते में तुरंत ट्रांसफर करने के लिए कोई शेयर न हो।"

कामत ने कहा कि आमतौर पर इंट्राडे ट्रेडर दिन का कारोबार खत्म होने से पहले अपनी पोजिशन क्लीयर करते हैं। उन्होंने कहा कि आखिर में स्टॉक को डिलीवर करने की जिम्मेदारी उसी की होती है, जिसके पास स्टॉक होता है।

कामत ने बताया, "दिन का कारोबार खत्म होने पर ही बाय और सेल से जुड़ी सभी पोजिशन क्लीयर होती है। ब्रोकर्स इसके बाद ट्रांजैक्शन को सेटल करने के लिए स्टॉक और पैसे को क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन के पास ट्रांसफर करते हैं। इस प्रक्रिया में लगने वाले समय के चलते तुरंत ट्रांसफर या T+0 सिस्टम लागू होना काफी मुश्किल है।"

शेयर शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है मार्केट में सीएमपी (CMP) current market price क्या होता है?

जब Stock market खुले होते हैं, तब लाइव ट्रेडिंग के दौरान, जिस प्राइस पर शेयरों की ट्रेडिंग होती है। उसे CMP (current market price) कहा जाता है। इसे शेयर के वर्तमान मार्केट मूल्य नाम से भी जाना जाता है। CMP शेयर का वह होता है जिस पर आप stocks को खरीद और बेच सकते हो। इस आर्टिकल में शेयर मार्केट में सीएमपी (CMP) current market price क्या होता है? के बारे में विस्तार बताया गया है। चलिए जानते हैं। CMP current market price in stock market kya hota hai? के बारे में।

CMP current market price in stock market in Hindi


CMP (current market price) इसे शेयर के वर्तमान बाजार मूल्य के नाम से भी जाना जाता है। यह उस मूल्य को बताता है जिस जिस मूल्य पर वर्तमान Share market में काम हो रहा है। इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें और इससे रोज पैसे कैसे कमायें?

CMP कैसे खोजें ?

सीएमपी यानि stocks के वर्तमान बाजार मूल्य को आप अक्सर स्टॉक्स और फाइनेंसियल वेबसाइट्स, फाइनेंसियल न्यूज़ वेबसाइट और ब्रोकरेज हाउस की वेबसाइट आदि पर आप देख सकते हैं। अगर आप अपने स्टॉक के लिए, उसका वर्तमान बाजार मूल्य जानना चाहते हैं। आपको पहले यह निर्धारित करना चाहिए कि आप शेयर खरीदना चाहते हैं या बेचना।

इसके बाद आप अपने शेयर का Ticker symbol किसी फाइनेंसियल इनफार्मेशन देने वाली साइट, स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट या किसी ब्रोकरेज हाउस की वेबसाइट से खोजकर, उसका सही प्राइस जानकर उस शेयर को खरीद या बेच सकते हैं। इस तरह आप स्टॉक मार्केट में शेयर का सही प्राइस जानकर उसमे काम कर सकते हैं।

यदि आप यह निर्णय करते हैं कि आपको वर्तमान Current market price पर ही अपने stocks को बेचना है, तो आपको अपने ब्रोकर को market order लगाने का आदेश देना चाहिए। यदि आप ऑनलाइन ट्रडिंग करते हैं तो आप खुद ही मार्केट आर्डर लगा सकते हैं। Stock market में शेयर खरीदने और बेचने के लिए दो तरह के आर्डर लगाए जाते हैं। पहला है- market Order और दूसरा है- Limit Order शार्ट सेलिंग क्या है? इससे पैसे कैसे कमाए?

Market Order

मार्केट आर्डर में सिक्यूरिटी को तुरंत खरीदने और बेचने का आदेश दिया जाता है। यह आर्डर गारंटी देता है कि आदेश तुरंत पूरा किया जायेगा लेकिन execution प्राइस की गारंटी नहीं देता। Market order सामान्यतः अपनी सबसे पास वाली बिड पर एक्सीक्यूट होते हैं।मार्केट आर्डर ट्राजेक्शन बहुत ही जल्दी CMP (current market price) पर होता है।

मार्केट आर्डर मौजूदा market प्राइस CMP पर शेयर खरीदने और बेचने का आर्डर है,जब तक आप कोई विशेष निर्देश ना दें। आपका ब्रोकर आपके आर्डर को मार्केट ऑर्डर में ही दर्ज करेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब तक इच्छुक खरीदार और विक्रेता उपलब्ध है,तब तक आपका सौदा पूरा होने की गारंटी दी जाती है।

मार्केट आर्डर पर शेयर तभी खरीदने बेचने चाहिए जब आप किसी भी कीमत पर अपना सौदा पूरा करना चाहते हो। अन्यथा लिमिट आर्डर ही लगाना चाहिए इसमें आप अपनी मनचाही कीमत पर सौदा करते हैं परन्तु इसमें सौदा होने की गारंटी नहीं होती है। Penny Stocks में एक हजार रूपये इन्वेस्ट करके एक लाख कैसे कमाए?

Limit Order

लिमिट आर्डर को कम से कम और ज्यादा प्राइस पर सेट किया जाता है। जिस प्राइस पर आप शेयर खरीदने और बेचने के लिए तैयार हैं, चाहे उसमे कितना ही समय क्यूँ न लगे। Limit order के अंतर्गत शेयरों को अधिक कीमत पर बेचने और कम कीमत पर खरीदने की कोशिश की जाती है।

इस आर्डर के पूरा होने की कोई गारंटी नहीं होती है। लिमिट आर्डर शायरों को ट्रडर्स के द्वारा अपनी पसंद के पूर्वनिर्धारित प्राइस पर ख़रीदने और बेचने के लिए लगाया जाता है। उदाहरण स्वरूप जैसे किसी XYZ शेयर की CMP (current market price) 96.85 रूपये पर चल रही है और आप उसे 96.50 रूपये में ख़रीदना चाहते हैं तो आपको इसके लिए लिमिट आर्डर लगाना पड़ेगा।

डीमैट अकाउंट में CMP (Current market price) क्या है?

जब शेयरों को खरीदा-बेचा जाता है तब Stock market में सीएमपी का अर्थ, शेयर का वर्तमान बाजार भाव होता है। इसे stocks के वर्तमान बाजार भाव के रूप में भी जाना जाता है। डीमैट अकाउंट में रखे शेयरों का वैल्यूएशन उनकी वर्तमान CMP के हिसाब से ही किया जाता है।

इसमें ध्यान देने योग्य बात या है कि मार्केट प्राइस थोड़ा-बहुत बदल सकता है जब आप market आर्डर लगा रहे हो या जब trade executes हो रहा हो। यदि आपका आर्डर पर्याप्त रूप से बड़ा हो प्राइस को ऊपर या नीचे स्थानांतरित कर सकता है। यदि आप शेयर मार्केट के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आप इस बुक वारेन बफे के मैनेजमेंट सूत्र को पढ़ सकते हैं।

विशेषकर अधिक volatile market में कम volume वाले स्टॉक्स के प्राइस में अधिक उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। ऐसी पोजीशन में ट्रेडिंग के दौरान ट्रेडर्स को ज्यादा नुकसान होने की आशंका रहती है। इसलिए अधिक वोलेटाइल और कम वॉल्यूम वाले stocks में ट्रेडिंग करने से बचना चाहिए।

अब आप शेयर मार्केट में सीएमपी (CMP) current market price क्या होता है? के बारे में जान गए होंगे। उम्मीद है कि आपको यह आर्टिकल CMP current market price in stock market kya hota hai? पसंद आया होगा। यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।

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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.

  • शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
  • अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
  • राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर

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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.

कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

कैसे काम करता है शेयर बाजार

मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.

शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.

निफ्टी और सेंसेक्स शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है कैसे तय होते हैं?

इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.

इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.

राकेश झुनझुनवाला इन 3 वजहों से बेचते हैं कोई शेयर, जानें अभी कौन-कौन से शेयर हैं उनके पास

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शेयर मार्केट के ‘बिग बुल’ राकेश झुनझुनवाला (Big Bull Rakesh Jhunjhunwala) हमेशा कैसे बाजार को लेकर इतने ‘बुलिश’ रहते हैं. कैसे उनके पास मौजूद शेयरों ने उन्हें एक दिन में 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई दी है और अभी उनके पास कौन-कौन सी कंपनियों के शेयर हैं, इन सबके बारे में उन्होंने इंडिया टुडे कॉनक्लेव में खुलकर बातें की.

हाल शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है में राकेश झुनझुनवाला ने शेयर बाजार में 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की. उनके पास Tata Group की दो कंपनियों Tata Motors और Titan के शेयर थे. बीते सप्ताह इन शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है दोनों के शेयर ने जबरदस्त बढ़त हासिल की और इनके शेयरों से ‘बिग बुल’ ने एक ही दिन में 1,125 करोड़ रुपये की कमाई की. टाइटन, टाटा समूह की दूसरी ऐसी कंपनी है जिसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 2 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचा है.

रिस्क पर खरीदते हैं शेयर बिग बुल

इंडिया टुडे कॉनक्लेव में जब उनसे पूछा गया कि वो अपने पोर्टफोलियो के लिए शेयर का चुनाव कैसे करते हैं, तो उन्होंने कहा कि वो हमेशा किसी शेयर का चुनाव करने से पहले उससे जुड़े जोखिम और उस पर मिलने वाले लाभ के अनुपात को देखते हैं.

‘रिस्क है तो इश्क है’

हाल में शेयर ब्रोकर हर्षद शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है मेहता के जीवन पर आई वेब सीरीज Scam 1992 का सबसे लोकप्रिय डायलॉग ’रिस्क है तो इश्क है’ के ही अंदाज में राकेश झुनझुनवाला ने कहा कि जब आप शेयर बाजार में निवेश करने का रिस्क उठाते हैं तो आपको उसके लिए सचेत रहना चाहिए क्योंकि ‘जहां रिस्क है, वहीं अवसर भी है’. उन्होंने कहा कि चीन में भी हालात इस समय समान हैं वहां संकट है, तो अवसर भी है.

तीन कारणों से बेचते हैं शेयर झुनझुनवाला

किस कंपनी का शेयर कब बेचना है, इसका चुनाव राकेश झुनझुनवाला तीन कारणों से करते हैं. उन्होंने कहा कि जब किसी शेयर पर कमाई का स्तर सबसे ऊंचाई पर पहुंच जाता है या उस शेयर की कीमत और कमाई का अनुपात अपने चरम पर होता है या उन्हें उसके अलावा कहीं और बेहतर निवेश विकल्प मिल जाता है, तो वो शेयर बेच देते हैं. अन्यथा वो जल्दी शेयर नहीं बेचते.

हाल में खरीदे हैं केनरा बैंक के शेयर

राकेश झुनझुनवाला ने हाल में सबसे बड़ी खरीदारी सरकारी केनरा बैंक में की है. उन्होंने इस बैंक के 2,90,97,400 शेयर खरीदे हैं जो बैंक की 1.6% हिस्सेदारी के बराबर है. बाकी बड़े निवेशकों की तरह राकेश झुनझुनवाला भी सरकारी बैंकों को लेकर काफी ‘बुलिश’ बने हुए हैं.

राकेश झुनझुनवाला के पास हैं ये शेयर

अगर एक नजर राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो पर डाली जाए तो केनरा बैंक में नए निवेश और टाटा से जुड़े शेयरों के अलावा उनके पोर्टफोलियो में Aptech Limited, NCC Limited, Mandhana Retail Ventures, Nazara शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है Technologies, Ralis India, Agro Tech Foods Limited और Va Tech Wabag Limited जैसी कंपनियों के शेयर हैं.

नए निवेशकों को बिगबुल की सलाह

शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए राकेश झुनझुनवाला का कहना है कि बाजार में कल क्या होगा, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. लेकिन एक बात ध्यान रखने की है कि अच्छे शेयरों में निवेश करें और धीरज रखें. उन्होंने वारेन बफेट की एक बात याद दिलाई कि, ‘शेयर बाजार अधीरों से पैसा लेकर धैर्यवानों को देने का काम करता है’।

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Multibagger stock: शेयर बाजार (Stock market) में निवेशकों को धैर्य के साथ पैसा लगाना चाहिए। बाजार में पैसा शेयर खरीदने और बेचने में नहीं, शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है बल्कि निवेश के बाद इंतजार करने में है। 'खरीदें, पकड़ें और भूल जाएं' स्ट्रेटेजी से निवेशक समय के साथ अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) के शेयर इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। यह बैंकिंग स्टॉक (Banking stock) मूल्य ₹5.52 (1 जनवरी 1999 को एनएसई पर बंद कीमत) से बढ़कर ₹1481 (31 दिसंबर 2021 को एनएसई पर बंद कीमत) हो गया है, जो इन 23 सालों में लगभग 268 गुना बढ़ गया है।

एचडीएफसी बैंक शेयर प्राइस हिस्ट्री
बैंकिंग प्रमुख पिछले छह महीनों से बिकवाली के दबाव में है। पिछले एक महीने में, एचडीएफसी बैंक के शेयर की कीमत (HDFC Bank share price) में लगभग 1.50 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि पिछले एक साल में यह केवल 4 प्रतिशत की बढ़त दर्ज कर सका। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि एचडीएफसी बैंक एक खराब कंपनी है और किसी को इस व्यवसाय में निवेश करने से बचना चाहिए। किसी भी अन्य बैंकिंग स्टॉक की तरह, एचडीएफसी बैंक पिछले एक साल से महामारी की चपेट में है।
एचडीएफसी बैंक के शेयर भारत में मल्टीबैगर शेयरों में से एक हैं। पिछले 5 वर्षों में, एचडीएफसी बैंक के शेयर की कीमत लगभग ₹596 से बढ़कर ₹1481 हो गई है, इस अवधि में लगभग 150 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी तरह, पिछले 10 सालों में एचडीएफसी बैंक के शेयर की कीमत लगभग ₹215 से बढ़कर ₹1481 हो गई है, जो इस अवधि में 7 गुना दर्ज की गई है। इसी तरह, पिछले 20 सालों में, एचडीएफसी बैंक के शेयर की कीमत लगभग ₹22 के स्तर से बढ़कर ₹1481 हो गई है, जो पिछले दो दशकों में लगभग 67 गुना हो गई है। हालांकि, पिछले 23 वर्षों में, एचडीएफसी बैंक का शेयर ₹5.52 से बढ़कर ₹1481 हो गया है, जिससे इस अवधि के दौरान अपने शेयरधारकों को लगभग 26,725 प्रतिशत रिटर्न मिला है।

निवेशक हो गए मालामाल
अगर किसी निवेशक ने 5 साल पहले एचडीएफसी बैंक के शेयरों में निवेश शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है किया होता, तो उसका ₹1 लाख आज ₹2.5 लाख हो जाता। अगर किसी निवेशक ने 10 साल पहले इस मल्टीबैगर काउंटर में ₹1 लाख का निवेश किया होता, तो उसका ₹1 लाख आज ₹7 लाख हो जाता, जबकि ₹1 लाख 20 साल में ₹67 लाख हो जाता। इसी तरह, अगर किसी निवेशक ने 23 साल पहले एचडीएफसी बैंक के शेयरों में ₹5.52 के शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है स्तर पर एक स्टॉक खरीदने के लिए ₹1 लाख का निवेश किया था और निवेशक आज तक इस बैंकिंग स्टॉक में निवेशित रहा, तो उसका ₹1 लाख आज ₹2.68 करोड़ हो गया होता।

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