प्रतीकात्मक तस्वीर

वीडियो: शेयर बाजार के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट, जानें इससे पहले कब-कब धाराशायी हुआ बाजार

गुरुवार को शेयर बाजार में इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट आयी। इस बड़ी गिरावट में निवेशकों और शेयर धारकों के लाखों करोड़ों रुपए डूब गए। गुरुवार को सेंसेक्स 2,919.26 प्वाइंट की भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। वहीं निफ्टी 825.30 अंक तक लुढ़क गया।

नवजीवन डेस्क

कोरोना वायरस के कहर से शेयर बाजार नहीं बच पा रहा है। भारतीय शेयर बाजार समेत पूरी दुनिया के शेयर बाजारों में कोहराम मचा हुआ है। गुरुवार सेंसेक्स 2,919.26 प्वाइंट की भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। वहीं निफ्टी 825.30 अंक तक लुढ़क गया। एक समय तो सेंसक्स 3,124.68 अंक यानी 8.75 फीसदी की ढलान के साथ 32,572.68 के स्तर पर आ गया था। इसी प्रकार निफ्टी 946.25 अंक यानी 9.05 फीसदी की गिरावट के साथ 9,512.15 के निचले स्तर जा पहुंचा था। स्थिति ये है कि आज यानी गुरुवार को शेयर बाजार में इतिहास की सबसे इतिहास की सबसे बड़ी शेयर बाजार दुर्घटना क्या थी बड़ी गिरावट आयी। जिसके चलते निवेशकों और शेयर धारकों के लाखों करोड़ों रुपए डूब गए।

इससे पहले भी कई बार ऐसे मौके आए हैं जब शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई है।

28 फरवरी 2020

28 फरवरी 2020 को कोरोना वायरस बढ़ने की आशंका के चलते बाजार बुरी तरह से लुढ़क गया और सेंसेक्स में 1448 अंकों तक की गिरावट दर्ज की गई थी।

1 फरवरी 2020

1 फरवरी इतिहास की सबसे बड़ी शेयर बाजार दुर्घटना क्या थी 2020 को भी सेंसेक्स में एक और बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। इस गिरावट के चलते सेंसेक्स 987 अंकों तक टूटा था। इस गिरावट का कारण आम बजट का बाजार के मुताबिक न होना था।

24 अक्टूबर 2008

इससे पहले 24 अक्टूबर 2008 को बड़ी गिरावट ने निवेशकों को बड़ा झटका दिया था।अक्टूबर में वैश्विक मंदी और अमेरिकी बैंकों का दिवाला निकल जाने से गिरावट आ गई थी जिसके चलते सेंसेक्स में एक दिन में 1070 अंकों तक की गिरावट देखी गई थी।

21 जनवरी 2008

इससे पहले 21 जनवरी 2008 को बाजार के इतिहास की बड़ी गिरावट देखी गई थी इस गिरावट के चलते सेंसेक्स 1408 अंकों तक टूट गया था। तब इस गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक मंदी के कारण दुनियाभर के बाजारों में आई गिरावट को माना गया था।

24 अक्टूबर 2015

24 अक्टूबर 2015 को बाजार में बेहद बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। एक दिन में सेंसक्स 1624 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी। इस गिरावट का कारण वैश्विक बाजारों में गिरावट और डॉलर के मुकाबले रुपया का गिरना था।

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Share Market Crash:क्या बाजार 2008 की महामंदी की ओर बढ़ रहा?2022 के लिए अहम सलाह

Share Market Crash 2022: एक्सपर्ट का मानना है कि 2022 में शेयर मार्केट में हुआ क्रैश शॉर्ट टर्म है.

Share Market Crash:क्या बाजार 2008 की महामंदी की ओर बढ़ रहा?2022 के लिए अहम सलाह

भारतीय शेयर बाजार (Share Market Crash) के इतिहास में कई बार मार्केट के क्रैश होने की खबरें मिल जाएंगी लेकिन 2008 में जो शेयर मार्केट में गिरावट हुई वो इतिहास में दर्ज हो गई. 2022 में शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. 2021 में जहां Sensex के 60 हजार के अंक को पार करने की बात होती थी वो सेंसेक्स आज 52,000 के आसपास कारोबार कर रहा है. 2022 की ये कहानी 2008 में हुए मार्केट क्रैश की कहानी को याद दिलाती है.

चलिए आपको बताते हैं 2008 में शेयर मार्केट की क्या हालत थी.

21 जनवरी 2008 को BSE का सेंसेक्स 1408 अंक गिरा और 17,605 पर आकर बंद हुआ था. इसके बाद निवेशकों के लाखों रुपये डूब गए थे. यहां तक की बीएसई ने तकनीकी खराबी के कारण दोपहर 2:30 बजे ट्रेडिंग तक बंद कर दी थी.

मीडिया में "ब्लैक मंडे" के नाम से हेडलाइन छप रही थी. क्योंकि वैश्विक स्तर पर बाजार गिर रहा था. अमेरिका की अर्थव्यवस्था में मंदी होने की आशंका थी, विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे थे, इसके अलावा अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती हो रही थी, कमोडिटी बाजारों में अस्थिरता थी. इसी साल सितंबर में अमेरिका की वित्तीय फर्म 'लेमन ब्रदर्स' के दिवालिया होने की खबर भी आई थी. इसके बाद दुनियाभर की तमाम अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची थी.

साल 2008 के आखिरी तक आते-आते सेंसेक्स 20,465 के स्तर से गिरकर 9,176 के स्तर पर आकर कारोबार कर रहा था. सेंसेक्स ने 20,000 के स्तर को सितंबर, 2010 में पार किया था.

2008 में सेंसेक्स का हाल-

2008 में शेयर मार्केट,औसतन बाजार 50 फीसदी गिरा

2022 का मार्केट क्रैश 2008 की तुलना में कैसा है?

सेबी रजिस्टर्ड फाइनेंशियल एडवाइजर जितेंद्र सोलंकी ने क्विंट हिंदी से कहा कि, 2008 सबसे खराब वैश्विक आर्थिक संकटों में से एक था, जो कम आय वाले घर खरीदारों को उधार देने, ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन द्वारा ज्यादा रिस्क लेने की वजह से पैदा हुआ था.

इस घटना ने दुनिया भर में कुछ बड़े फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन और इंटरनेशनल बैंक्स को तबाह किया. अब चूंकि इक्विटी बाजार इससे अलग-थलग नहीं हैं, इसलिए इस संकट ने दुनिया भर के बाजारों को को भी प्रभावित किया.

2022 में शेयर मार्केट

लंबे समय से शेयर मार्केट में निवेश करने वाले अश्विन दसिल्वा ने क्विंट हिंदी को बताया कि, 2008 में निवेशकों के पोर्टफोलियों में 50% की गिरावट थी. तब निवेशकों ने इक्विटी बाजार से पैसा निकाल कर म्यूचल फंड में डाला और अपने रिस्क को कम किया. अश्विन ने कहा कि इतिहास की सबसे बड़ी शेयर बाजार दुर्घटना क्या थी अगर सरकार महंगाई को कंट्रोल कर लेगी तो जरूर मार्केट में सुधार देखने को मिलेगा.

जितेंद्र कहते हैं कि, 2008 में इक्विटी पोर्टफोलियो में तेजी से गिरावट आई थी. निवेशक कुछ ही दिनों में लगभग 25-30% की गिरावट के साथ भारी नुकसान में आ गए थे. निवेशकों में दहशत का माहौल था. लेकिन जो इस दौरान मार्केट में बने रहे बाद में उन्हें काफी फायदा हुआ. जितेंद्र ने कहा मार्केट रिकवरी की स्थिति में सालभर बाद आया.

चार्टेड अकाउंटेंट विशांक चौधरी ने क्विंट हिंदी को बताया कि, शेयर मार्केट को अच्छी स्थिति में आने में 3 साल लगे, 2009-10 में ये अच्छी स्थिति में आया. धीरे-धीरे कई देशों ने अपनी बैंकिंग पॉलिसी बदली (लोन देने की व्यवस्था में बदलाव किया), फाइनेंशियल पोजिशन को बदला जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था में सुधार आया और फिर मार्केट के हालात बदले.

जितेंद्र ने आगे बताया कि वे 2008 और 2022 के क्रैश को एक साथ नहीं देखते. वो कहते हैं कि 2008 में बैंकिंग क्राइसिस था जिसका असर बाजार पर पड़ा. फिलहाल बाजार पर हम कोई ऐसा बड़ा प्रभाव नहीं देखते है, हांलाकि ऐसा कुछ अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता.

विशांक चौधरी कहते हैं कि, "देखिए 2007-08 में आर्थिक संकट था इसी वजह से मार्केट का ऊपर उठना आसान नहीं था. लेकिन जैसे ही दुनिया में फाइनेंशियल पालिसी बदली तो सब ठीक होने लगा. 2022 में जो हो रहा है उसके पीछे कोरोना महामारी बड़ी वजह है. कोरोना की वजह से जो समस्याएं पैंदा हुई हैं उसके ठीक होते ही मार्केट ट्रैक पर आ जाएगा. यह केवल शॉर्ट टर्म क्रैश है."

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शेयर बाजार ने फिर रचा इतिहास, Sensex ने पहली बार 60 हजार का छुआ आंकड़ा

सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को घरेलू शेयर बाजार ने नया इतिहास रच दिया. शुक्रवार को मिले-जुले वैश्विक संकेतों के साथ सेंसेक्स इतिहास में पहली बार 60,000 के ऊपर खुला.

Asna Delhi, 24 September 2021 ( Updated 24, September, 2021 12:00 PM IST ) 2981 8 -->

शेयर बाजार ने फिर रचा इतिहास, Sensex ने पहली बार 60 हजार का छुआ आंकड़ा

प्रतीकात्मक तस्वीर

सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को घरेलू शेयर बाजार ने नया इतिहास रच दिया. शुक्रवार को मिले-जुले वैश्विक संकेतों के साथ सेंसेक्स इतिहास में पहली बार 60,000 के ऊपर खुला. वहीं इतिहास की सबसे बड़ी शेयर बाजार दुर्घटना क्या थी निफ्टी ने भी रिकॉर्ड स्तर पर शुरुआत की. कारोबार के दौरान बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 60333 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया. फिलहाल सेंसेक्स 310 अंकों की बढ़त के साथ 60196 पर कारोबार कर रहा है, जबकि निफ्टी 81 अंक चढ़कर 17900 के पार पहुंच गया है. निवेशकों की दौलत बाजार में रिकॉर्ड तेजी से 1.40 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई. इसके साथ ही बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का टोटल मार्केट कैप 263 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया.

शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स में इंफोसिस, एचसीएल टेक, टीसीएस, एशियन पेंट्स, एचडीएफसी बैंक, मारुति में बढ़त देखने को मिल रही है। हालांकि टाटा स्टील, एचयूएल, टाइटन, एचडीएफसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज में कमजोरी है.

रियल्टी-आईटी इंडेक्स में सबसे ऊंची छलांग

सेक्टोरल इंडेक्स की बात करें तो आज के कारोबार में सबसे बड़ी तेजी रियल्टी शेयरों में देखने को मिल रही है. निफ्टी रियल्टी इंडेक्स 2.59 फीसदी और निफ्टी रियल्टी इंडेक्स 2.31 फीसदी चढ़ा. इसके अलावा निफ्टी बैंक इंडेक्स 0.43 फीसदी, निफ्टी ऑटो इंडेक्स 0.24 फीसदी चढ़ा.

2008 है सेंसेक्स का सबसे बुरा दौर, 20325 अंकों से शुरू तो 9647 पर खत्म हुआ था साल; 52% की गिरावट हुई थी

बिजनेस डेस्क. कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण और दुनियाभर में इसके बढ़ते मरीजों की संख्या का असर मार्केट पर इतिहास की सबसे बड़ी शेयर बाजार दुर्घटना क्या थी लगातार हो रहा है। सेंसेक्स 1941.67 अंकों की गिरावट के साथ 35634.95 अंकों पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 538 अंक नीचे गिरकर 10451.45 अंकों पर बंद हुआ। पिछले 20 सालों में ऐसे कई मौके आए जब सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव देखा गया। 2008 में सेंसेक्स की ओपनिंग 20325 अंकों के साथ और क्लोजिंग 9647 अंकों के साथ हुई। यानी 2008 में सबसे ज्यादा 52% की गिरावट हुई थी। हालांकि, 2009 में सेंसेक्स में 44% की बढ़ोतरी हुई थी।

2008 में आई 52% गिरावट का कारण
जनवरी 2008 में सेंसेक्स अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। इसके बाद भी सेंसेक्स के लिए 2008 अब तक का सबसे बुरा दौर रहा इतिहास की सबसे बड़ी शेयर बाजार दुर्घटना क्या थी है। उसी साल 27 अक्टूबर को यह 63 फीसदी गिरकर 7697 तक चला गया था। दरअसल, उस वक्त अमेरिका के सब-प्राइम संकट से पैदा हुई मंदी ने शेयर बाजार को जमीन पर ला दिया था। लोन चुकाने में असमर्थ कर्जदारों को दिए गए कर्ज ने अमेरिका के कई बैंकों को बर्बाद कर दिया। उसी साल सितंबर में अमेरिका की वित्तीय फर्म 'लेमन ब्रदर्स' के दिवालिया होने की खबर आई। इसके बाद दुनियाभर की तमाम अर्थव्यवस्था में निराशा और बैचैनी आ गई।

शेयर मार्केट से जुड़ी ये 3 खबरें भी आ सकती हैं आपके काम

सेंसेक्स क्या है?
सेंसेक्स मुंबई स्थित शेयर बाजार एसएंडपी बीएसई का सूचकांक है। बीएसई (BSE) का मतलब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज है। वहीं, SensEx सेंसटिव इंडेक्स से मिलकर बना है। जिसका मतलब संवेदी सूचकांक से होता है। सेंसेक्स, मुंबई शेयर बाजार में रजिस्टर्ड और मार्केट कैप के हिसाब सबसे बड़ी 30 कंपनियों को ही इंडेक्स करता है। सेंसेक्स के घटने या बढ़ने से इस बात का भी बता चलता है कि देश की बड़ी कंपनियों को फायदा या नुकसान क्या हो रहा है।

सेंसेक्स की शुरुआत 1 जनवरी, 1986 में हुई थी। इसके अंदर जिन 30 कंपनियों को शामिल किया गया है, उनमें बदलाव होते रहते हैं। इन कंपनियों को चुनने के लिए एक कमेटी बनाई गई है। 30 कंपनियों को इंडेक्स करने के लिए ही इसे BSE 30 के नाम से भी जाना जाता है।

20 सालों में सेंसेक्स का उतार-चढ़ाव की कहानी

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2008 में आई 52% गिरावट का कारण
जनवरी 2008 में सेंसेक्स अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। इसके बाद भी सेंसेक्स के लिए 2008 अब तक का सबसे बुरा दौर रहा है। उसी साल 27 अक्टूबर को यह 63 फीसदी गिरकर 7697 तक चला गया था। दरअसल, उस वक्त अमेरिका के सब-प्राइम संकट से पैदा हुई मंदी ने शेयर बाजार को जमीन पर ला दिया इतिहास की सबसे बड़ी शेयर बाजार दुर्घटना क्या थी था। लोन चुकाने में असमर्थ कर्जदारों को दिए गए कर्ज ने अमेरिका के कई बैंकों को बर्बाद कर दिया। उसी साल सितंबर में अमेरिका की वित्तीय फर्म 'लेमन ब्रदर्स' के दिवालिया होने की खबर आई। इसके बाद दुनियाभर की तमाम अर्थव्यवस्था में निराशा और बैचैनी आ गई।

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सेंसेक्स की शुरुआत 1 जनवरी, 1986 में हुई थी। इसके अंदर जिन 30 कंपनियों को शामिल किया गया है, उनमें बदलाव होते रहते हैं। इन कंपनियों को चुनने के लिए एक कमेटी बनाई गई है। 30 कंपनियों को इंडेक्स करने के लिए ही इसे BSE 30 के नाम से भी जाना जाता है।

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