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यदि आपका बच्चा देखभाल करनेवाले एक वयस्क के जवाब में 12 महीने से स्वर और व्यंजन संयोजनों में से "बा" "मा" "गु" और "दा" (बड़बड़ाना) बनने में सक्षम नहीं है, तो आपको चिंता करने की ज़रूरत है।
India VIX ने समझाया: India VIX क्या है और यह कैसे काम करता है?
शेयर बाजार को अस्थिर माना जाता है, जिसमें उच्च स्तर की अस्थिरता होती है, जिसका अर्थ है कि छोटी अवधि में शेयरों की कीमतों में भारी ऊपर और नीचे की गति हो सकती है। बाजार के निवेशकों को डर सूचकांक या अस्थिरता सूचकांक जैसे शब्दों का सामना करना पड़ सकता है। भारत VIX या भारत अस्थिरता सूचकांक के बारे में जानना महत्वपूर्ण है, जो भारत में निवेशकों और व्यापारियों को अस्थिरता-प्रेरित उतार-चढ़ाव को समझने में मदद करता है। इस लेख में, हम VIX इंडिया और इसके महत्व के बारे में चर्चा करेंगे जो आपको सूचित निवेश निर्णय लेने में मदद कर सकता है।
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भौगोलिक संकेतक
इसकी वाणिज्यिक क्षमता को देखते हुए, जीआई की कानूनी सुरक्षा का अर्थ बहुत महत्वपूर्ण है। उचित कानूनी संरक्षण के बिना, जिन प्रतियोगियों के पास जीआई पर कोई वैध अधिकार नहीं है, वे अपनी साख को सहज ही पा सकते हैं। इस तरह की अनुचित व्यापार पद्धतियों के कारण जीआई के वास्तविक अधिकार धारकों को धन की हानि होती है और उपभोक्ता भी भ्रम में पड़ जाते हैं। इसके अलावा, इस तरह की परिपाटी से अंततः जीआई से जुड़ी साख और प्रतिष्ठा पर बट्टा लगेगा।
भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री
भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री माल के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 से संबंधित कानूनों के प्रशासन के लिए जिम्मेदार है। यह संसाधन और सूचना केंद्र के रूप में कार्य करती है और देश में भौगोलिक संकेतकों से संबंधित मामलों की सुविधा प्रदायक है। उनकी प्राथमिक जिम्मेदारियां हैं:
12 – 18 महीनों के बच्चों में autism के संकेत क्या हैं?
ऑटिज़्म के मरीज़ बच्चे खिलौनों से खेलने में कोई रुचि नहीं दिखाते।
Written by Editorial Team | Published : August 24, 2017 4:55 PM IST
सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के मुताबिक भारत में ऑटिज़्म (Autism) आम तौर पर हर 500 बच्चों में से एक बच्चे में देखा जाता है। या यूं कहें कि 0.20% या 2,160,000 से ज्यादा लोगों में यह देखा जाता है। लड़कियों की तुलना में लड़कों में यह 4 गुणा अधिक देखा जाता है। कई नए अध्ययनों से पता क्या संकेतक बेहतर है चला है कि ऑटिज्म वाले बच्चों का केवल एक बार निदान होता है जब वे स्कूल जाना शुरु करते हैं, जो कि आमतौर पर 4-5 वर्ष की उम्र में होता है। ज्यादातर लोगों का मानना है क्या संकेतक बेहतर है कि 12 से 18 महीने की उम्र के बच्चों में ऑटिज़्म के गम्भीर लक्षणों का पता लगाना संभव नहीं होता, जो कि सच नहीं है। इसीलिए हमने बात की श्री विद्यासागर कांचपुर से, जो कॉर्नर स्टोन थेरपी सॉल्यूशंस के संस्थापक और निदेशक हैं। जिन्होंने कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में बताया जो संकेत देते हैं क्या संकेतक बेहतर है कि आपका बच्चा ऑटिज़्म से पीड़ित हो सकता है।
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यदि आपका बच्चा देखभाल करनेवाले एक वयस्क के जवाब में 12 महीने से स्वर और व्यंजन संयोजनों में से "बा" "मा" "गु" और "दा" (बड़बड़ाना) बनने में सक्षम नहीं है, तो आपको चिंता करने की ज़रूरत है।
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जब माता-पिता या डॉक्टर इन लक्षणों को देखते हैं, तो बच्चे को तत्काल किसी डेवलपमेंट स्पेशलिस्ट से बात करनी चाहिए। जो सही जांच की मदद से समस्या की पहचान और उचित निदान का फैसला कर सकता है।
BMI की जगह, WTH रेशो है बेहतर, जानिए क्या क्या संकेतक बेहतर है है यह तरीका, कैसे हो सकता है फायदेमंद
मल्टीमीडिया डेस्क। बॉडी मास इंडेक्स (BMI) को सही सेहत का पैमाना माना क्या संकेतक बेहतर है जाता है। मगर, अब वैज्ञानिकों का कहना है कि बीएमआई मोटापा मापने का तरीका पूरी तरह सही नहीं है। इसकी जगह वेस्ट-टू-हिप (WTH) रेशो को अधिक प्रभावी माना जा रहा है। जानते हैं दोनों के बारे में.
बीएमआई क्या है?
इससे पता लगाया जाता है कि शरीर के हिसाब से किसी व्यक्ति का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए। अधिक बीएमआई से पता चलता है कि शरीर में अतिरिक्त वसा जमा है। वहीं, कम बीएमआई से पता चलता है कि व्यक्ति को पोषण पूरी तरह नहीं मिल रहा है। अगर बीएमआई ठीक नहीं है, तो डायबिटीज, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, हार्ट डिजीज और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
ऐसे मापते हैं बीएमआई
सबसे पहले अपना वजन करें। हाइट को मीटर में नापें और उसमें दो का गुणा कर दें। इसके बाद वजन में इस संख्या का भाग दे दें, तो बीएमआई मिल जाएगा।
उदाहरण: वजन- 70 किलो, हाइट- 166 सेमी (1.66 मीटर), तो फॉर्मूले में रखने पर ऐसे मिलेगी एक संख्या (कैल्क्यूलेशन- 70/ (1.66)*2 = 21.08)
अगर संख्या 18.5 से कम है, तो व्यक्ति अंडरवेट है।
अगर बीएमआई 18.5 से 25 के बीच है, तो हेल्दी है।
25-30 से बीच बीएमआई यानि ओवरवेट है।
30-40 के बीच बीएमआई यानि मोटापे से ग्रस्त।
40 से ज्यादा बीएमआई यानि ज्यादा मोटापा।
वेस्ट-टू-हिप रेशो
इस पैमाने के तहत वेस्ट की नाप में हिप की नाप का भाग किया जाता है। पुरुषों के मामले में यदि यह अनुपात 1.0 से कम है, तो उसे स्वस्थ माना जाता है। वहीं, महिलाओं के क्या संकेतक बेहतर है मामले में यह अनुपात 0.85 से अधिक है, तो वह खतरे की स्थिति में है। उदाहरण के लिए यदि किसी पुरुष की वेस्ट की माप 33 इंच और हिप की माप 44 इंच है, तो उसका रेशो 0.75 आता है। यानी वह पुरुष स्वास्थ्य के लिहाज से खतरे की स्थिति में नहीं है। यह रेशो अधिक होने पर स्ट्रोक, मधुमेह वे दिल के दौरे के खतरे बढ़ जाता है।
यहां हुआ क्या संकेतक बेहतर है है शोध
ब्रिटेन में लॉघबारो यूनिवर्सिटी और ऑस्ट्रेलिया में सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 10 साल तक इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में रहने वाले 42,702 पुरुषों और महिलाओं के आंकड़ों का विश्लेषण किया। वे यह जानना चाहते थे कि जो लोग अपने कमर भारी होती है, क्या वे स्वास्थ्य समस्याओं के अधिक जोखिम में होते हैं बजाए उनके जो मोटे तो होते हैं, लेकिन उनका अधिक वजन कहीं और होता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सामान्य बीएमआई, लेकिन वेस्ट-टू-हिप के अधिक अनुपात वाले लोगों की मौत का जोखिम सामान्य वेस्ट-टू-हिप रेशो वाले लोगों से 22 फीसद तक अधिक था। वहीं, सामान्य वजन और सामान्य कमर वाले लोगों की तुलना में मोटापे से ग्रस्त लोगों और कमर के पास अधिक वजन वाले लोगों की जल्दी मौत होने का जोखिम अधिक था।
क्या क्या संकेतक बेहतर है करना चाहिए
यानी जिन लोगों का बीएमआई तो सामान्य था, लेकिन कमर के आस-पास अधिक मोटापा था, उनके लंबे समय तक जीने की संभावना उतनी ही कम थी। शोधकर्ताओं का कहना हे कि ऐसे लोगों को शारीरिक गतिविधियां बढ़ानी चाहिए, खान-पान में सुधार करना चाहिए, शराब पीने में कमी करके वे स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा कर सकते हैं।
Type 2 Diabetes में कभी न खाएं White Rice, ये चावल है शुगर पेशेंट के लिए बेहतर ऑप्शन
Brown Rice For Diabetes: चावल दुनिया में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला अनाज है, लेकिन एक बार किसी इंसान को डायबिटीज हो जाए तो उसे व्हाइट राइस खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें स्टार्ट और कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो ब्लड शुगर लेवल को स्पाइक कर देता है. सफेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी ज्यादा होता है जो मधुमेह के रोगियों के क्या संकेतक बेहतर है लिए जरा भी अच्छा नहीं है. यही वजह है कि टाइप 2 डायबिटीज के पेशेंट को सफेद चावल कम से कम खाना चाहिए, लेकिन फिर इसके लिए क्या विकल्प मौजूद हैं?
सफेद चावल के नुकसान?
प्राकृतिक रूप से उगने वाले चावल सेहत के लिए इतने खतरनाक नहीं होते, लेकिन धान से चावल निकालने के लिए इसे मिल में जाया जाता है और फिर इसे पॉलिश किया जाता है, जिससे ये सफेद और शाइनी नजर आने लगते हैं, लेकिन इससे इसकी न्यूट्रीशनल वैल्यू काफई कम हो जाती है. इससे विटामिन बी निकलने लगते हैं औऱ इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी बढ़ जाता है. इसके कारण ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है. आजकल बाजार में मिलावटी चावल भी काफी ज्यादा आ गए हैं जो सेहत के लिए और भी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं.
डायबिटीज में कौन सा चावल खाएं?
टाइप-2 डायबिटीज के मरीज सफेद चावल नहीं खा सकते, लेकिन उनके पास ब्राउन राइस के तौर पर एक बेहतरीन विकल्प मौजूद है. भूरे चावल को इसलिए सेहत के क्या संकेतक बेहतर है लिए फायदेमंद माना जाता है क्योंकि इसमें ज्यादा न्यूट्रिएंट, ज्यादा फाइबर, ज्यादा विटामिन और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्कोर होता है.
किस चावल में कम होता है जीआई स्कोर?
सफेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्कोर 70 के करीब होता है, जिसका मतलब ये है कि ये टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरे का सौदा है, बासमती चावल में जीआई स्कोर करीब 56 से 69 के बीच में होता है, यानी ये व्हाइट राइस से बेहतर है. वहीं ब्राउन राइस की बात करें तो इसका जीआई स्कोर 50 के करीब होता है, इसलिए ज्यादातर हेल्थ एक्सपर्ट इसे खाने की सलाह देते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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