गर्ग फरनेस: 70 का शेयर 27 में क्यों!
समझ में नहीं आता कि जिस कंपनी के शेयर की बुक वैल्यू 65.78 रुपए हो, जिसने पिछले साल अक्टूबर में शिव नारायण इनवेस्टमेंट्स प्रा. लिमिटेड नाम की फर्म को जारी किए गए 5.60 लाख वारंट इसी 30 मार्च 2010 को 70 रुपए के मूल्य (10 रुपए अंकित मूल्य + 60 रुपए प्रीमियम) पर इतने ही शेयरों में बदले हों, उसके शेयर का भाव 25-30 रुपए कैसे हो सकता है। लेकिन लुधियाना की कंपनी गर्ग फरनेस का सच यही है। कंपनी के शेयर केवल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में लिस्टेड हैं और कल मंगलवार को इनका बंद भाव 27.50 रुपए रहा है। इसका 52 हफ्ते का उच्चतम भाव 29 रुपए (22 अप्रैल 2010) और न्यूनतम भाव 15.50 रुपए (22 जुलाई 2009) रहा है।
गर्ग फरनेस 1973 में स्थापित कंपनी है। यह एलॉय व नॉन एलॉय स्टील इंगट बनाती है। वह अपना माल रेलवे, डिफेंस, थर्मव व हाइड्रो पावर प्लांट, शुगर मिल, सीमेट व फर्टिलाइजर प्लांट, खनन और लाइट इंजीनियरिंग उद्योग को सप्लाई करती है। ज्यादातर ग्राहकों के साथ उसका रिश्ता दो दशकों के चला आ रहा है। कंपनी ने अब निर्यात कारोबार में भी कदम रखा है। वह फिलहाल मध्य-पूर्व के देशों को निर्यात कर रही है। आगे उसका इरादा निर्यात पर जोर बढ़ाने का है। वित्त वर्ष 2009-10 में उसने 155.31 करोड़ रुपए के कारोबार पर 1.23 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। इससे पहले 2008-09 में उसका कारोबार 160.78 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 86.01 लाख रुपए था। इस तरह कारोबार मे मामूली कमी आने के बावजूद साल भर में उसका शुद्ध लाभ 43 फीसदी बढ़ा है।
कंपनी के प्रवर्तक गर्ग परिवार का इस उद्योग में काफी लंबा अनुभव है। प्रबंध निदेशक का काम संजीव गर्ग देखते हैं। वारंट के बदले 5.60 लाख नए शेयरों को जारी करने के बाद कंपनी की इक्विटी 4.01 करोड़ रुपए की हो गई है। इसमें प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 63.51 फीसदी है, जबकि शिव नारायण इनवेस्टमेंट्स के पास कंपनी के 13.97 फीसदी शेयर आ गए हैं। बाकी 22.52 फीसदी शेयर आम निवेशकों के पास हैं। इसके शेयर बीएसई के एस ग्रुप में शामिल हैं। नकारात्मक पहलू यह है कि इसमें ज्यादा सौदे नहीं होते हैं। पिछले दो हफ्तों में प्रतिदिन औसत कारोबार 2717 शेयरों का रहा है, जबकि कल इसमें 2944 शेयरों के सौदे हुए हैं। इसकी मौजूदा सर्किट लिमिट 20 फीसदी की है।
बाजार की कुछ और खास चर्चाएं: इस समय सभी रीयल्टी कंपनियों के शेयरों में अच्छी-खासी खरीद चल रही है। चाहे वह इंडिया बुल्स रीयल्टी हो, एचडीआईएल हो या यूनिटेक और डीएलएफ। डीएलएफ में किसी एक शख्स ने 20 लाख शेयर कल खरीदे हैं। रिलायंस पावर, आरआईएल और रिलायंस इंफ्रा में काफी धमाकेदार बढ़त की संभावना है। आईएफसीआई के सीएफओ ने हाल ही में बयान दिया है कि स्टॉक का अंतर्निहित मूल्य 120 रुपए का है। मिड कैप व स्मॉल कैप शेयरों में तेजी आने का अनुमान है। इसमें गिलैंडर्स, विमप्लास्ट, शिवालिक, एसएनएल बियरिंग्स और नीलकमल पर नजर रखने की जरूरत है।
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ऋषि सुनक बढ़ाएंगे भारत-यूके के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की रफ्तार? क्या कहते हैं जानकार
सुनक ने एफटीए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है. उन्होंने वित्तीय सेवाओं को द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में विशेष र . अधिक पढ़ें
- भाषा
- Last Updated : October 25, 2022, 18:53 IST
हाइलाइट्स
ब्रिटेन के पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन ने इस समझौते की समयसीमा अक्टूबर तक तय की थी.
इंग्लैंड में मची सियासी उठापठक के बीच यह समझौता अब तक आगे नहीं बढ़ पाया.
इस मामले में ऋषि सुनक क्या रुख अपनाएंगे इस पर जानकारों के विचार बंटे हुए हैं.
नई दिल्ली. भारतीय मूल के ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना दोनों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की वार्ता को जरूरी रफ्तार देने में मदद करेगा. इससे पहले भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए समझौते के लिए समयसीमा दीपावली तक रखी गई थी. लेकिन ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता के बीच यह समयसीमा पार हो चुकी है. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस साल अप्रैल में भारत की यात्रा के दौरान अक्टूबर तक इस समझौते टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू के पूरा करने की डेडलाइन तय की थी.
वहीं, सुनक ने एफटीए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है. उन्होंने वित्तीय सेवाओं को द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में विशेष रूप टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू से ‘रोमांचक’ पहलू बताया है. उन्होंने वित्तीय प्रौद्योगिकी तथा बीमा क्षेत्र में दोनों देशों के लिए भारी अवसरों की ओर इशारा किया है. सुनक ने इससे पहले जुलाई में कहा था, “मैं इस क्षेत्र और दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की बढ़ती प्रभावशाली भूमिका का समर्थन करता हूं. इस दिशा में एफटीए एक बड़ा कदम साबित होगा.”
एफटीए को सही दिशा में ले जाएंगे सुनक
ब्रिटेन की राजधानी के वित्तीय केंद्र सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन ने उम्मीद जताई कि सुनक का वित्तीय सेवाओं पर ध्यान एफटीए को सही दिशा में ले जाएगा. सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन के पॉलिसी चेयरमैन क्रिस हेवर्ड ने कहा, ‘‘भारत के साथ व्यापार करार ब्रिटेन के लिए सबसे महत्वाकांक्षी और व्यावसायिक रूप से सार्थक समझौतों में से एक हो सकता है.’’ विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रिटेन में राजनीतिक स्थिरता अब समझौते के लिए बातचीत को तेज करने में मदद करेगी. इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा. भारतीय निर्यातकों के प्रमुख संगठन फियो के वाइस चेयरमैन खालिद खान ने कहा, ‘‘यह भारत के लिए एक बहुत ही सकारात्मक खबर है. यह घटनाक्रम निश्चित रूप से एफटीए को लेकर बातचीत को जरूरी गति देने में मदद करेगा.’’
पहले अपना घर देखेंगे सुनक
हालांकि, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने कहा कि ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री पहले घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे और अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘संकट की स्थिति में व्यापार करार नहीं होते. ये तब होते हैं जब अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही होती है.’’ इससे पहले वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने 20 अक्टूबर को कहा था कि भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते के लिए बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है और दोनों पक्षों के जल्द ही एक समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है.
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टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू
क्या लिव इन रिलेशनशिप हैं सही .
आज कल युवाओं में जितना क्रेज प्रेम विवाह का हैं उतना ही क्रेज लिव इन रिलेशनशिप का भी है, मानो ये सब उनके लिए आम बात हो।
लिव इन रिलेशनशिप यानी बिना शादी किए लडक़े और लडक़ी का एक साथ रहना। ऐसे रिश्ते सालों से हमारे समाज में हैं। पश्चिमी देशों के असर की वजह से अब इंडिया में लोग काफी ओपन माइंडेड हो गये है। साथ ही युवा, छोटी उम्र में ही पढऩे और काम करने के लिए घरों से बाहर अकेले रहने लगे हैं। जिस वजह से लिव इन रिलेशनशिप का चलन बढ़ रहा है।
लेकिन क्या ऐसे रिलेशनशिप सही हैं?
इस तरह के रिश्तों में कई पॉजिटिव बातें भी होती हैं। जैसे कि शादी की तरह लिव इन रिलेशनशिप में कोई कॉम्प्लिकेशन या उलझन नहीं होती। इंसान का जब तक मन करे वो इस रिश्ते में रह सकता है, ऐसे में रिश्ता हमेशा फ्रेश रहता है और खुशियां बनी रहती हैं। अगर पार्टनर को एक दूसरे का साथ पंसद नही आता हैं तो वो इच्छानुसार अलग हों सकते हैं। जिंदगी भर एक दूसरे का साथ निभाने का बोझ आपके दिल में नहीं होता।
लेकिन इसके नकारात्मक पहलू सकारात्मक पहलू से ज्यादा होते हैं। भारत के अधिकतर हिस्से में लिव इन रिलेशनशिप को सामाजिक मान्यता प्राप्त नहीं है। अगर इसका पता चल जाए कि आप शादी के बिना, लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं, खासतौर पर लड़कियां, तो आपको सामाजिक तौर पर पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया जाता। तथा कई बार तो यह भी देखा जाता हैं कि ऐसा करने वाले बच्चों से टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू माता पिता रिश्ता ही खत्म कर देते हैं।
ये एक बेहद निजी पहलू है जो सभी के लिए एक समान नहीं हो सकता। यह किसी के लिए सही हो सकता है लेकिन दूसरे के लिए नहीं। खास तौर पर चूंकि इस तरह के रिश्ते में सामाजिक सुरक्षा नहीं होती ऐसे में महिलाओं को कई बार उत्पीडऩ का सामना भी करना पड़ता है। लिहाजा हर रिश्ते की तरह लिव इन रिलेशनशिप में भी सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं। लेकिन ये निर्भर उन दो लोगों पर करता है जो इस रिश्ते को निभा रहें हैं।
यह आकलन करना कि क्या LEO व्यापक बाजार में बिकवाली को टालना जारी रख सकता है
क्रिप्टो बाजार हर बार एक रक्त स्नान की तरह दिखता है और इस तरह यह इस सप्ताह शुरू हुआ है। LEO, UNUS SED LEO की मूल क्रिप्टोक्यूरेंसी प्रेस समय में, हरे रंग में एकमात्र क्रिप्टोकरेंसी के रूप में बाहर खड़ी थी।
प्रेस समय के अनुसार LEO का कारोबार $5.35 पर हुआ, यह पिछले सात दिनों में 2.76% बढ़ा, भले ही 24 घंटों में इसमें 1.94% की गिरावट आई हो। यह इसे एकमात्र शीर्ष क्रिप्टोक्यूरेंसी बनाता है जो अपने साप्ताहिक लाभ पर कायम है। जून के पहले सप्ताह में इसका कारोबार $4.86 जितना कम था और तब से यह ऊपर की ओर चल रहा है; 10 जून को 5.60 डॉलर के शिखर पर पहुंच गया।
LEO के मूल्य व्यवहार से पता चलता है कि यह बाकी क्रिप्टोक्यूरेंसी बाजार से संबंधित नहीं है। यह अवलोकन न केवल इसके साप्ताहिक प्रदर्शन में है, बल्कि इसकी साल-दर-साल की कीमत कार्रवाई में भी है। इसने जनवरी में अपना न्यूनतम 2022 मूल्य और फरवरी में 9.30 डॉलर का एटीएच हासिल किया। इसकी मौजूदा कीमत से पता चलता है कि इसके एटीएच से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।
स्रोत: ट्रेडिंग व्यू
दैनिक चार्ट पर, LEO अभी भी पिछले 24 घंटों में एक महत्वपूर्ण गिरावट का अनुभव करने के बावजूद अपने 50% RSI स्तर से ऊपर कारोबार कर रहा था। सप्ताहांत के दौरान मंदी की स्थिति के बावजूद यह अपने 50-दिवसीय और 200-दिवसीय चलती औसत से ऊपर रहने में सफल रहा। हालांकि, LEO के मामूली नकारात्मक पहलू से पता चलता है कि कुछ समय के लिए ओवरबॉट ज़ोन में प्रवेश करने के बाद थोड़ी बिकवाली हुई थी।
क्या LEO बुल और अधिक गिरावट का रास्ता देंगे?
जून के पहले सप्ताह से LEO का मार्केट कैप बढ़ रहा है। यह 11 जून को चरम पर था और तब से इसमें कुछ गिरावट आई है। पिछले दो हफ्तों में व्हेल द्वारा रखी गई इसकी आपूर्ति में काफी गिरावट आई है, जिससे कीमत के साथ विचलन हुआ है। इससे पता चलता है कि कीमत कुछ और नीचे की ओर सुधार के कारण हो सकती है।
पतों के संतुलन द्वारा LEO का आपूर्ति वितरण एक अलग तस्वीर पेश करता है। यह यह भी बताता है कि LEO को बाकी क्रिप्टो बाजार के साथ क्यों नहीं जोड़ा गया है। मई के मध्य से 100,000 और 10 मिलियन सिक्कों के बीच पतों ने अपनी शेष राशि को काफी कम कर दिया है। हालाँकि, 10 मिलियन से अधिक सिक्कों वाले पतों में बहुत कम गतिविधि दिखाई दी और थोड़ी वृद्धि हुई।
आपूर्ति वितरण से पता चलता है कि अधिकांश LEO सिक्के शीर्ष पते पर केंद्रीकृत हैं। यह बताता है कि इसने बाजार के बाकी हिस्सों के प्रभाव से क्यों बचा है।
ETF में निवेश करने से पहले जान लें ये 5 बातें, मिलेगा टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू फायदा
ETF Investment Tips: थीमैटिक ETF या सेक्टोरल ETF का चयन करते वक्त बुद्धिमानी से पैसे को आवंटित करें. अपना सारा पैसा एक ही ETF की इकाइयों में न लगाएं
- Sarbajeet K Sen
- Publish Date - October 15, 2021 / 11:29 AM IST
यदि यूनिट 12 महीने से अधिक समय तक रखने के बाद बेची जाती हैं, तो उस पर मिले प्रॉफिट पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है
इन दिनों कई म्यूचुअल फंड (mutual fund – MF) नए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (exchange traded fund – ETF) लॉन्च कर रहे हैं. कुछ ETF व्यापक रूप से डायवर्सिफाइड सूचकांकों को ट्रैक करते हैं, जबकि अन्य किसी सेक्टर या थीम पर ध्यान केंद्रित करते हैं. बुल मार्केट में इनमें से कुछ बाजार में अच्छे रिटर्न देने के लिए आकर्षक लग सकते हैं. यहां पांच कारक दिए गए हैं, जिन्हें आपको निवेश करते समय याद रखने चाहिए.
लिक्विडिटी की कमी
भारत टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू में ETF अक्सर लिक्विडिटी की कमी के कारण काफी हद तक प्रभावित होते हैं. निफ्टी 50 और बैंक निफ्टी जैसे लोकप्रिय सूचकांकों पर नजर रखने वाले ETF को छोड़कर निवेशकों को नेट एसेट वैल्यू के पास ट्रेड करना मुश्किल हो सकता है. यदि आप एक हाई नेट वर्थ वाले व्यक्ति हैं या आपने बड़ी संख्या में इकाइयाँ जमा कर रखी है, तो लिक्विडिटी की कमी के कारण इन इकाइयों को बेचने में समस्या हो सकती है.
यदि आप ETF खरीद रहे हैं तो योजना के प्रबंधन के तहत संपत्ति और स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग वॉल्यूम की जांच जरूर कर ले और यदि अगर आप दोनों को कम पाते हैं, तो ऐसे में आप फंड ऑफ फंड रूट के जरिए निवेश करने पर विचार कर सकते हैं. कई बड़ी एएमसी ने ETF में फीड करने के लिए फंड ऑफ फंड स्कीम भी लॉन्च की है. ये एफओएफ योजनाएं दिन के अंत में लिक्विडिटी सुनिश्चित करती हैं, हालांकि इसके लिए अतिरिक्त चार्ज वसूला जाता है.
कंसंट्रेशन रिस्क
ETF के अंतर्निहित पोर्टफोलियो की जांच करें. इसके द्वारा ट्रैक किए गए इंडेक्स और इंडेक्स के घटकों की जांच करें. यदि इंडेक्स में बहुत कम स्टॉक हैं या एक या दो स्टॉक बड़े आवंटन किये गए हैं, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए. यह अक्सर सेक्टोरल इंडेक्स ETF में होता है.
निफ्टी IT TRI पर नजर रखने वाले ETF का उदाहरण लेते हैं- इस इंडेक्स में केवल 10 स्टॉक हैं और इंफोसिस और TCS ने मिलकर इंडेक्स का 50% से अधिक हिस्सा लिया हुआ है. निवेश की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि सेक्टर कैसा परफॉर्म करता है और किसी एक स्टॉक में एक प्रतिकूल विकास जहां आवंटन बड़ा है, निवेश पर रिटर्न को कम कर सकता है और साथ ही साथ रिस्क को भी बढ़ा सकता है.
पास्ट रिटर्न
कई बार निवेशक पिछले रिटर्न को देखते हुए ETF का चयन करते हैं. यदि ETF ने हाल के दिनों में अच्छा प्रदर्शन किया है, तो यह माना जाता है कि यह अच्छा प्रदर्शन करता रहेगा. लेकिन, ऐसा करने से आप कभी-कभी एक ऐसे सेक्टर पर नज़र रखने वाले ETF में प्रवेश कर सकते हैं जो अपने पीक पर हो सकता है.
ऐसा ETF पिछले कुछ वर्षों या दिनों में बहुत अच्छे रिटर्न दिखा सकता है. लेकिन यह उस समय का सबसे अच्छा दांव नहीं हो सकता है. इसीलिए निवेश से पहले आपको यह पता लगाना होगा कि भविष्य में इस ETF से किस प्रकार का रिटर्न मिलने की सम्भावना है और उसके अनुसार अपनी रणनीति बनानी होगी. ऐसे में आप जरूरत पड़ने पर किसी एडवाइजर से सलाह भी ले सकते हैं.
डायवर्सिफिकेशन की जरूरत
अपने नकारात्मक पहलू को सीमित करने के लिए आपके पास एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो होना चाहिए. जब आप थीमैटिक ETF या सेक्टोरल ETF का चयन कर रहे हों, तो बुद्धिमानी से अपने पैसे को आवंटित करें. अपना सारा पैसा टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू एक ही ETF की इकाइयों में न लगाएं. यदि आप केवल ETF पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, तो आदर्श रूप से ETF का बुके खरीदें.
साथ ही वैकल्पिक रूप से, एक या दो ETF को सक्रिय रूप से प्रबंधित फ्लेक्सीकैप फंड के पोर्टफोलियो में जोड़ा जा सकता है. एसेट क्लास में डायवर्सिफिकेशन प्राप्त करने के लिए आप टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू बॉन्ड या सोने में निवेश करने वाले ETF को भी चुन सकते हैं.
टैक्स इंप्लिकेशन्स
ETF की इकाइयों की बिक्री पर लाभ, टैक्स के अधीन आता हैं. भारतीय शेयरों में ETF निवेश को इक्विटी फंड के रूप में माना जाता है. बॉन्ड, गोल्ड या विदेशों में लिस्टेड शेयरों में निवेश करने वाले ETF को डेट फंड की तरह माना जाता है.
एक वर्ष से अधिक के लिए रखे गए इक्विटी ETF की इकाइयों की बिक्री पर प्राप्त लाभ को लॉन्ग टर्म गेन टैक्स के रूप में माना जाता है. यदि किसी फाइनेंशियल ईयर में आपका लाभ 1 लाख रुपये से अधिक है, तो उन पर 10% टैक्स लगाया जाता है. अन्य मामलों में, लाभ को शार्ट-टर्म कैपिटल गेन्स के रूप में माना जाता है और इस पर 15% की दर से टैक्स लगाया जाता है.
नॉन-इक्विटी ETF के मामले में तीन साल से अधिक के लिए रखे गए इक्विटी ETF की इकाइयों की बिक्री पर प्राप्त लाभ को लॉन्ग टर्म गेन टैक्स के रूप में माना जाता है और इन पर इंडेक्सेशन के बाद 20% का टैक्स लगता है. अन्य मामलों में, लाभ को शार्ट-टर्म कैपिटल गेन्स के रूप में माना जाता है और इस पर निवेशक की स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगाया जाता है.
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