नई दिल्ली: अधिकतर लोग यह मानते हैं कि पढ़ाई के बिना कोई इनोवेशन नहीं कर सकता, लेकिन अगर बात हरियाणा के रहने वाले धर्मवीर कांबोज की करें तो सिर्फ दसवीं की पढ़ाई करने वाले धर्मवीर कांबोज आज बहुत बड़े साइंटिस्ट बन चुके हैं. उन्होंने ऐसी ऐसी मशीनें तैयार शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी कर दी हैं जिनसे खेत में ही किसान टमाटर से केचप, एलोवेरा की पत्तियों से एलोवेरा जूस, पल्प और साबुन-शैंपू आदि बना सकते हैं.

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धर्मवीर कंबोज बचपन से ही अपने रोजाना के कामकाज में आने वाली समस्याओं को सुलझाने के लिए मशीन बनाने की कवायद में जुटे थे. धर्मवीर जब स्कूल में पढ़ते थे तो खेतों में चरने वाली गाय का दूध निकाल कर उससे मिठाई बनाकर खाते थे. यह शरारत वह बाजरे के खेत के बीच में बैठकर करते थे. दिलचस्प तथ्य यह है कि बाजरे के खेत से धुआं निकलते देख लोगों को शक हो जाता था और वे उन्हें पकड़ लेते थे.

Warren Buffett: कहानी एक ऐसे अरबपति की जिसने 11 साल की उम्र से शुरू किया निवेश, ट्विटर पर किसी को नहीं करते फॉलो

Warren buffett Happy Birthday: दुनिया के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट का आज जन्मदिन है. 30 अगस्त 1930 को अमेरिका के नेब्रास्का में एक साधारण परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ. उसके माता-पिता ने बच्चे का नाम वॉरेन बफेट रखा. उस वक्त उनके घरवालों को यह अंदाजा भी नहीं था कि उनका बेटा आगे चलकर इतना नाम कमाएगा. वह बच्चा बड़ा होकर मशहूर बर्कशायर हैथवे कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सबसे बड़े शेयर धारक बना. उन्हें शेयर बाजार की दुनिया के सबसे महान निवेशकों में से एक माना जाता है. साल 2007 में उन्हें टाइम मैग्जीन द्वारा दुनिया के 100 सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में शामिल किया गया था.

11 साल की उम्र शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी से शुरू किया निवेश

वॉरेन बफेट को लेकर यह कहा जाता है कि उन्होंने सिर्फ 11 साल की उम्र से शेयर में निवेश की शुरुआत कर दी थी. साल 1942 में, जब वॉरेन बफेट 11 साल के थे, उन्होंने पहली बार शेयर खरीदा. उन्होंने सिटी सर्विस प्रीपेर्ड (CITGO) के 6 शेयर खरीदे थे. उस वक्त उन्होंने एक शेयर 38 डॉलर में लिये थे.

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में नहीं मिला था एडमिशन

वॉरेन बफेट चाहते थे कि उनकी पढ़ाई हार्वर्ड बिजनेस स्‍कूल में हो, लेकिन उन्हें किसी कारण एडमिशन नहीं मिला. नेब्रास्का यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट करने के बाद बफेट ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के लिए अप्लाई किया था, लेकिन उन्हें एडमिशन नहीं मिला था. बाद में उन्होंने कोलंबिया बिजनेस स्‍कूल में एडमिशन लिया.

वॉरेन बफे को पढ़ने का शौक

वॉरेन बफेट को पढ़ने का काफी शौक है, यही वजह है कि उनका ज्यादातर समय पढ़ने में गुजरता है. उनको लेकर यह भी कहा जाता है कि उनके दिन का 80 प्रतिशत वक्त पढ़ाई में जाता है.

ट्विटर पर किसी को नहीं करते फॉलो

वॉरेन बफेट को लेकर एक बात काफी अनोखी है. वह यह है कि वे ट्विटर पर किसी को फॉलो नहीं करते हैं. लेकिन उनको 1.7 मिलियन लोग फॉलो करते हैं.

गिरते बाजार में गुनगुनाते हैं कविता

साल 2017 में शेयरधारकों को लिखे लेटर में वॉरेन बफेट में कहा था, जब भी मार्केट में बड़ी गिरावट आती है, वो रुपयार्ड किपलिंग की कविता "If" की लाइनें गुनगुनाते हैं. 1895 में किपलिंग में यह कविता लिखी थी.

अरबपति को नहीं है महंगे चीजों का शौक

वॉरेन बफेट आज अरबों-खरबों के मालिक हैं. उनके पास करीब 6,860 करोड़ डॉलर यानी करीब पांच लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है. लेकिन उन्हें महंगी चीजों का कभी शौक नहीं रहा. पैसा कमाने के साथ-साथ वे काफी पैसे डोनेट भी करते हैं. एक शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने 14 साल में करीब 2.6 लाख करोड़ रुपये दान किए हैं.

Warren Buffett: इस शेयर से शुरू हुई थी अमीर बनने की कहानी, दिग्‍गज निवेशक के बारे में 5 रोचक बातें

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Warren Buffett Birthday: दुनिया के दिग्‍गज निवेशक वॉरेन बफेट का आज जन्‍मदिन है. महज 11 साल की उम्र से शेयर में निवेश की शुरुआत करने वाले बफेट का निवेश को लेकर स्‍ट्रैटजी काफी अलग है. यही वजह है कि आज वो रबों डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं. दुनियाभर के अधिकांश निवेशक वॉरेट बफेट को आ‍इडियल मानते हैं और उनके इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स को फॉलो करते हैं. 91 साल के हो चुके वॉरेन बफेट आज भी सक्रिय हैं और बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन एंड सीईओ हैं. आइए जानते हैं वॉरेन बफेट की लाइफ से जुड़े 5 इंटरेस्टिंग फैक्‍ट्स.

क्या आप जानते हैं एक मधुमक्खी अपनी पूरी जिंदगी में कितना सा शहद बना पाती है?

Honey Bee: क्या आप जानते हैं, जितना शहद आप कुछ ही सेकेंड में खा जाते हैं, उतना शहद बनाने के लिए मधुमक्खी का पूरा जीवन लगता है और उसके लिए भी कई मधुमक्खी एक साथ काम करती हैं.

ये तो आप जानते हैं कि शहद शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है, लेकिन क्या आप शहद बनने की कहानी जानते हैं. दरअसल, शहद बनने की कहानी काफी मुश्किल भरी होती है और मधुमक्खियों के जीवनभर की मेहनत इसमें लगी होती है. एक चम्मच शहद बनाने के लिए मधुमक्खियों को कई हजार किलोमीटर उड़ना पड़ता है और पूरे जीवन में एक मक्खी सिर्फ एक चम्मच शहद भी नहीं बना पाती हैं.

ये तो आप जानते हैं कि शहद शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है, लेकिन क्या आप शहद बनने की कहानी जानते हैं. दरअसल, शहद बनने की कहानी काफी मुश्किल भरी होती है और मधुमक्खियों के जीवनभर की मेहनत इसमें लगी होती है. एक चम्मच शहद बनाने के लिए मधुमक्खियों को कई हजार किलोमीटर उड़ना पड़ता है और पूरे जीवन में एक मक्खी सिर्फ एक चम्मच शहद भी नहीं बना पाती हैं.

सबसे पहले तो आपको बता दें कि शहद का निर्माण सिर्फ मादा मधुमक्खी ही करती है. वहीं, मधुमक्खियों में जो नर मधुमक्खी होते हैं, वो कोई काम नहीं करते हैं और पूरा काम नर मक्खियों को ही करना पड़ता है. जहां काफी सारी मादा मधुमक्खियां होती हैं, वहां सिर्फ 1-2 ही नर मधुमक्खी ही होते हैं.

सबसे पहले तो आपको बता दें कि शहद का निर्माण सिर्फ मादा मधुमक्खी ही करती है. वहीं, मधुमक्खियों में जो नर मधुमक्खी होते हैं, वो कोई काम नहीं करते हैं और पूरा काम नर मक्खियों को ही करना पड़ता है. जहां काफी सारी मादा मधुमक्खियां होती हैं, वहां सिर्फ 1-2 ही नर मधुमक्खी ही होते हैं.

अब बात करते हैं एक मधुमक्खी पूरे जीवन में कितना शहद बनाती है. रिपोर्ट्स के अनुसार, एक मधुमक्खी पूरी जिंदगी में एक पूरी चम्मच शहद भी नहीं बना पाती है. वो अपने जीवन काल में एक चम्मच के बारहवें हिस्से तक का शहद बनाती हैं.

अब बात करते हैं एक मधुमक्खी पूरे शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी जीवन में कितना शहद बनाती है. रिपोर्ट्स के अनुसार, एक मधुमक्खी पूरी जिंदगी में एक पूरी चम्मच शहद भी नहीं बना पाती है. वो अपने जीवन काल में एक चम्मच के बारहवें हिस्से तक का शहद बनाती हैं.

यानी एक चम्मच शहद 12 मधुमक्खियों के जीवन भर की मेहनत होती है और इतना शहद बनाने के लिए भी काफी मेहनत लगती है. वैसे मधुमक्खी का जीवन काल सिर्फ 45 दिन ही होता है.

यानी एक चम्मच शहद 12 मधुमक्खियों के जीवन भर की मेहनत होती है और इतना शहद बनाने के लिए भी काफी मेहनत लगती है. वैसे मधुमक्खी का जीवन काल सिर्फ 45 दिन ही होता है.

बता दें कि 1 किलो शहद बनाने के लिए पूरे छत्ते को लगभग 40 लाख फूलों का रस चूसना पड़ता है और 90,000 मील उड़ना पड़ता है. जो उदाहरण से समझें तो पृथ्वी के तीन चक्कर लगाने बराबर है.

बता दें कि 1 किलो शहद बनाने के लिए पूरे छत्ते को लगभग 40 लाख फूलों का रस चूसना पड़ता है और 90,000 मील उड़ना पड़ता है. जो उदाहरण से समझें तो पृथ्वी के तीन चक्कर लगाने बराबर है.

अंगूर से बनती है शराब, क्या Sula IPO में पैसे लगाने का है ख्वाब, तो ये बातें जान लें जनाब

भारत की वाइन कैपिटल यानी नासिक की Sula Vineyards का IPO अगले हफ्ते शेयर बाजार में दस्तक शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी देने जा रहा है. यहां जानिए IPO से जुड़ी हर छोटी-बड़ी डिटेल, सुला वाइनयार्ड्स के बनने की कहानी और Wine से जुड़े मजेदार फैक्ट्स

अंगूर से बनती है शराब, क्या Sula IPO में पैसे लगाने का है ख्वाब, तो ये बातें जान लें जनाब

अंगूर से बनती है शराब…जी हां, हम बात कर रहे हैं भारतीय अंगूरों से बनने वाली सुला वाइन Sula Wine की जिसका आईपीओ (Sula Vineyards IPO) अगले सप्ताह खुलने जा रहा है. कंपनी ने इस आईपीओ से करीब 960 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. तो क्या आपका भी इस आईपीओ में पैसा इन्वेस्ट करने का ख्वाब है? तो आपको यहां इससे जुड़ी हर छोटी-बड़ी डिटेल तो मिलेगी ही, साथ ही सुला के बनने की कहानी और Wine से जुडे़ कुछ मजेदार फैक्ट्स भी आप जान सकेंगे…

सबसे पहले हम आपको बता दें, कि सुला वाइनयार्ड्स महाराष्ट्र के शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी नासिक की कंपनी है. ये भारत की सबसे बड़ी वाइन मेकर और सेलर कंपनी है. इसका अपना बहुत बड़ा अंगूरों का फार्म है, जिस पर कंपनी एक रिसॉर्ट भी चलाती है. इसका आईपीओ 12 दिसंबर (Sula Vineyards IPO Open Date) को खुलने वाला है.

Sula IPO से जुड़ी जरूरी बातें

सुला वाइनयार्ड्स के आईपीओ में कंपनी 2 रुपये अंकित मूल्य के 26,900,530 शेयर (Sula IPO Size) जारी करने वाली है. इसके लिए शेयर प्राइस (Sula IPO Share Price) 340 रुपये से 357 रुपये रखा गया है. आईपीओ में निवेश के लिए एक लॉट में 42 शेयर (Sula IPO Lot Size) रखे गए हैं.

कब बंद होगा सुला का आईपीओ ?

सुला वाइनयार्ड्स का आईपीओ 14 दिसंबर को बंद (Sula IPO Close Date) होगा. वहीं डीमैट अकाउंट में शेयर 21 दिसंबर को क्रेडिट होने की संभावना है. वहीं कंपनी के शेयर बीएसई और एनएसई पर 22 दिसंबर को लिस्ट (Sula IPO Share Listing) हो सकते हैं.

ये तो हुई आईपीओ से जुड़ी जरूरी बातें, अब हम आपको बताते हैं सुला वाइनयार्ड्स के बनने की कहानी…

जहां आज ‘सुला’, वहां कभी घूमते थे तेंदुए

सुला वाइनयार्ड्स की शुरुआत होती है 1996 से. न्यूज एजेंसी एएफपी को दिए इंटरव्यू में इसके फाउंडर और सीईओ राजीव सामंत (Rajeev Samant) ने बताया कि जहां आज सुला का वाइनयार्ड है. एक समय में ये महज एक घास का मैदान होता था. इस पर सांप और तेंदुओं का राज होता था. तब यहां ना तो कोई टेलीफोन लाइन थी और ना ही बिजली का कनेक्शन.

ऐसे आया ‘देसी वाइन’ बनाने का आइडिया

राजीव सामंत, कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट (Stanford University Graduate) हैं. जब वो भारत लौटे तो उन्होंने नासिक के पास अपनी पुश्तैनी जमीन पर गुलाब और आम की खेती शुरू की.

भारत दुनिया के सबसे बड़े अंगूर उत्पादकों में से एक है. और नासिक इसमें भी नंबर वन पर आता है. पर यहां अधिकतर खेती खाने के लिए या किशमिश बनाने के लिए होती है. कैलिफोर्निया में रहते हुए राजीव सामंत ने नापा वैली (Napa Valley) देखी थी, इसलिए उन्हें लगा कि क्यों ना भारत में ही ‘देसी वाइन’ (Desi Wine) तैयार की जाए. इस तरह सुला वाइनयार्ड्स आज बनकर तैयार हुई.

चलिए अब आपको बताते हैं वाइन से जुड़े कुछ इंटरेस्टिंग फैक्ट्स (Interesting Facts Related to Wine)

Wine से जुड़े मजेदार फैक्ट्स

  1. ‘सुला वाइन’ का नाम राजीव सामंत की मां सुलभा के नाम पर रखा गया है.
  2. भारत की 140 करोड़ की आबादी में वाइन पसंद करने वालों की संख्या 1 प्रतिशत से भी कम है.
  3. इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ वाइन के मुताबिक पिछले साल भारत में 2 करोड़ लीटर वाइन बिकी थी.
  4. कम अल्कोहल होने के बावजूद भारत के अधिकतर राज्यों में वाइन पर शराब की तरह ही टैक्स लगता है.
  5. भारत में एक वाइन बॉटल की कीमत लगभग रम की एक फुल बोतल के बराबर होती है.
  6. कर्ज और नकदी की दिक्कतों के चलते 2011 में वाइन कंपनी Indage Vintners डीलिस्ट हुई थी.

क्या फायदे का सौदा है सुला आईपीओ ?

अब बात आपके फायदे की, सुला आईपीओ को लेकर ग्रे मार्केट में जो ट्रेंड देखा जा रहा है. वह थोड़ा चौंकाने वाला है. कंपनी के शेयर का ग्रे मार्केट प्रीमियम यानी जीएमपी (Sula IPO GMP) इसके आईपीओ प्राइस से 34 रुपये ऊपर चल रहा है. मतलब कि इसके शेयर बाजार में 391 रुपये पर लिस्ट होने शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी की उम्मीद है, यानी लिस्टिंग वाले दिन शेयर होल्डर्स को 9.52 प्रतिशत का मुनाफा हो सकता है.

हालांकि ये अनुमान जीएमपी ट्रेंड के अनुसार है. टीवी9 समूह का इससे कोई लेना-देना नहीं है. हमारी सलाह है कि शेयर बाजारों में निवेश आप अपने विवेक से करें और किसी विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें.

Success Story: दिल्ली में चलाया रिक्शा, एक्सीडेंट के बाद हरियाणा लौटकर बनाई ऐसी मशीन कि आज दुनिया भर में है मांग

​​हरियाणा के रहने वाले धर्मवीर कांबोज दसवीं की पढ़ाई के बाद अपनी आर्थिक स्थिति से तंग आकर हरियाणा से दिल्ली कामकाज की तलाश में आए थे. दिल्ली में धर्मवीर कांबोज ने काफी दिनों तक हाथ रिक्शा चलाया.

धर्मवीर कांबोज

नई दिल्ली: अधिकतर लोग यह मानते हैं कि पढ़ाई के बिना कोई इनोवेशन नहीं कर सकता, लेकिन अगर बात हरियाणा के रहने वाले धर्मवीर कांबोज की करें तो सिर्फ दसवीं की पढ़ाई करने वाले धर्मवीर कांबोज आज शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी बहुत बड़े साइंटिस्ट बन चुके हैं. उन्होंने ऐसी ऐसी मशीनें तैयार कर दी हैं जिनसे खेत में ही किसान टमाटर से केचप, एलोवेरा की पत्तियों से एलोवेरा जूस, पल्प और साबुन-शैंपू आदि बना सकते हैं.

Success Story: यूपी रोडवेज की बस में रोजाना मेरठ से पुरकाजी का सफर, शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी MR से 60,000 करोड़ की मैनकाइंड फार्मा के रमेश जुनेजा की जानिए कहानी
धर्मवीर कंबोज बचपन से ही अपने रोजाना के कामकाज में आने वाली समस्याओं को सुलझाने के लिए मशीन बनाने की कवायद में जुटे थे. धर्मवीर जब स्कूल में पढ़ते थे तो खेतों में चरने वाली गाय का दूध निकाल कर उससे मिठाई बनाकर खाते थे. यह शरारत वह बाजरे के खेत के बीच में बैठकर करते थे. दिलचस्प तथ्य यह है कि बाजरे के खेत से धुआं निकलते देख लोगों को शक हो जाता था और वे उन्हें पकड़ लेते थे.

एक बार धर्मवीर ने यह सोचा कि अगर कोई ऐसा चूल्हा बनाया जाए जिसमें आग जलाने पर धुआं ना हो, तो उन की शरारत के बारे में कोई किसी को पता नहीं लगेगा. बस इसके बाद धर्मवीर ने एक ऐसा चूल्हा बनाया जिसमें आग जलाने पर धुआं नहीं होता था.

हरियाणा के रहने वाले धर्मवीर कांबोज दसवीं की पढ़ाई के बाद अपनी आर्थिक स्थिति से तंग आकर हरियाणा से दिल्ली कामकाज की तलाश में आए थे. दिल्ली में धर्मवीर कांबोज ने काफी दिनों तक हाथ रिक्शा चलाया. रात को रैन बसेरे में सोए और अपने पैसे बचाकर परिवार को चलाने की कोशिश की. एक बार जब उनका एक्सीडेंट हो गया तो उस घटना ने उनका दिमाग बदल दिया और उन्होंने दिल्ली छोड़ने का फैसला कर लिया.

धर्मवीर कंबोज ने दिल्ली में चार-पांच साल तक रिक्शा चलाया. रिक्शा लेकर वे अपने ग्राहकों को जड़ी बूटी की मार्केट और मंडी में जाते थे. वहां उन्होंने धीरे-धीरे जड़ी बूटियों का काम देखा और समझा. इसके साथ ही वह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास मौजूद एक पब्लिक लाइब्रेरी जाते थे, जहां वे किताबें पढ़ते थे.

एक्सीडेंट होने के बाद जब धर्मवीर कांबोज ने वापस हरियाणा जाने का फैसला किया तो उन्होंने आंवला, एलोवेरा और इस तरह की अन्य जड़ी बूटियों से प्रोडक्ट बनाने वाली मशीन का आविष्कार किया. उन्होंने एक मशीन बनाने के लिए फैब्रिकेटर के पास जाकर उसे डिजाइन बताया और उसका आर्डर दिया. पहली मशीन उन्होंने ₹35000 में तैयार कराई. इसके बाद तो जैसे धर्मवीर कांबोज की लॉटरी लग गई. धर्मवीर कांबोज शेयर मार्केट के 12 रोचक फैक्ट्स कहानी की मशीन आज दुनिया के 25 से अधिक देशों में जाती हैं.

दामला हरियाणा के रहने वाले धर्मवीर कंबोज ने रोजाना के कामकाज में आने वाली दिक्कत को देख कर उससे बिजनेस आइडिया निकाला. उन्होंने देखा कि गुलाब की पत्तियों से गुलाब जल बनाने या आंवले का मुरब्बा और हलवा बनाने जैसे काम में लोगों को काफी दिक्कत आती है. उन्होंने इसके लिए एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है.

मल्टीपर्पज फूड प्रोसेसिंग मशीन बनाकर धर्मवीर कांबोज ने देश ही नहीं दुनिया के लाखों लोगों का जीवन आसान कर दिया है. 60 साल के धर्मवीर कांबोज अपनी कड़ी मेहनत से कई आविष्कार कर चुके हैं और जीवन में कभी उन्होंने किसी काम को ना नहीं कहा है.
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