विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट (प्रतीकात्मक फोटो)

इंजीनियरों के संगठन ने कहा, देश के अंदर विदेशी मुद्रा में लेनदेन रिजर्व बैंक के जरिये हो

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) कंसल्टिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीईएआई) ने सरकार से अनुरोध किया है कि देश के अंदर विदेशी मुद्रा में होने वाला लेनदेन अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली के जरिये नहीं बल्कि रिजर्व बैंक के माध्यम से किया जाए। ऐसा करने पर लेनदेन लागत कम हो जाएगी।

मौजूदा व्यवस्था के तहत देश के भीतर अमेरिकी डॉलर के लेनदेन पर शुल्क लगाया जाता है।

सीईएआई के चेयरमैन (कारोबार एवं नीति समिति) के के कपिला ने कहा, ‘‘मौजूदा व्यवस्था में एक इकाई दूसरी को अमेरिकी डॉलर में भुगतान करती है तो यह अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली के जरिये किया जाता है। यह सीधे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के जरिये होना चाहिए और अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली के जरिये विदेशी मुद्रा सिग्नल प्रणाली लेनदेन करने की कोई जरूरत नहीं पड़नी चाहिए।’’
कपिला ने कहा, ‘‘लेनदेन अमेरिकी बैंकिग प्रणाली के जरिये होने से देश को नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि लेनदेन शुल्क के तौर पर पैसा अमेरिका के पास चला जाता है।’’
उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अजीब है कि देश में होने वाले विदेशी मुद्रा के लेनदेन के लिए भारत के बैंक को देश के ही अन्य बैंक में इन्हें वापस पाने के विदेशी मुद्रा सिग्नल प्रणाली लिए पहले डॉलर अमेरिका को भेजना पड़ते हैं। भारत में अमेरिकी डॉलर के लेनदेन पर अमेरिका को हमें कोई शुल्क अदा नहीं करना चाहिए। इस व्यवस्था में तुरंत सुधार करने की जरूरत है अन्यथा हम नुकसान उठाते ही रहेंगे।

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विदेशी मुद्रा भंडार क्या है? | Foreign Exchange Reserves – UPSC Notes

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देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर से गिरावट हुई है.

विदेशी मुद्रा भंडार क्या होता है?

विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक में रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें। विदेशी मुद्रा भंडार को एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखा जाता है। अधिकांशत: डॉलर और बहुत बा यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है। कुल मिलाकर विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी बैंक नोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल और अल्पकालिक और दीर्घकालिक विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां सम्मिलित होनी चाहिए। हालांकि, सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार (विदेशी मुद्रा सिग्नल प्रणाली एसडीआर), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा राशि भी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होता हैं।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल हैं –

  1. विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA)
  2. स्वर्ण भंडार
  3. विशेष आहरण अधिकार (SDR)
  4. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच

FCA

  • FCA ऐसी संपत्तियाँ हैं जिनका मूल्यांकन देश की स्वयं की मुद्रा के अतिरिक्त किसी अन्य मुद्रा के आधार पर किया जाता है.
  • FCA विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है। इसे डॉलर के रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • FCA में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्रा की कीमतों में उतार-चढ़ाव या मूल्यह्रास का असर पड़ता है।

यह भी पढ़िए –

विदेशी मुद्रा भंडार का अर्थव्यवस्था के लिए महत्व

  • विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी सरकार और RBI को आर्थिक विकास में गिरावट के कारण पैदा हुए किसी भी बाहरी या अंदरुनी वित्तीय संकट से निपटने में सहायता करती है.
  • यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराती है।
  • वर्तमान विदेशी भंडार देश के आयात बिल को एक वर्ष तक संभालने के लिए पर्याप्त है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी से रुपए को डॉलर के मुकाबले स्थिति दृढ़ करने में सहायता मिलती है।
  • वर्तमान समय में विदेशी मुद्रा भंडार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुपात लगभग 15% है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक संकट के बाजार को यह भरोसा देता है कि देश बाहरी और घरेलू समस्याओं से निपटने में सक्षम है।

विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन कौन करता है?

  • आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार के कस्टोडियन और मैनेजर के रूप में कार्य करता है। यह कार्य सरकार से साथ मिलकर तैयार किए गए पॉलिसी फ्रेमवर्क के अनुसार होता है।
  • आरबीआई रुपए की स्थिति को सही रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का प्रयोग करता है। जब रुपया कमजोर होता है तो आरबीआई डॉलर की बिक्री करता है। जब रुपया मजबूत होता है तब डॉलर की खरीदारी की विदेशी मुद्रा सिग्नल प्रणाली जाती है। कई बार आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए बाजार से डॉलर की खरीदारी भी करता है।
  • जब आरबीआई डॉलर में बढ़ोतरी करता है तो उतनी राशि के बराबर रुपया निर्गत करता है। इस अतिरिक्त तरलता (liquidity) को आरबीआई बॉन्ड, सिक्योरिटी और एलएएफ ऑपरेशन के माध्यम से प्रबंधन करता है।

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देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.9 अरब डॉलर बढ़कर 564.06 अरब डॉलर पहुंचा

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.9 अरब डॉलर बढ़कर 564.06 अरब डॉलर पहुंच गया। यह विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें सप्ताह बढ़ोतरी है। इससे पिछले सप्ताह में भंडार 11 अरब डॉलर बढ़कर 561.16 अरब डॉलर पहुंचा था।

आरबीआई के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, आलोच्य विदेशी मुद्रा सिग्नल प्रणाली सप्ताह में विदेशी मुद्रा संपत्ति (एफसीए) 3.141 अरब डॉलर बढ़कर 500.125 अरब डॉलर पहुंच गई।

हालांकि, स्वर्ण विदेशी मुद्रा सिग्नल प्रणाली भंडार 29.6 करोड़ डॉलर घटकर 40.729 अरब डॉलर रह गया। विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 6.1 विदेशी मुद्रा सिग्नल प्रणाली करोड़ डॉलर बढ़कर 18.106 अरब डॉलर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में देश की आरक्षित स्थिति भी 20 लाख डॉलर बढ़कर 5.11 अरब डॉलर पहुंच गई। इससे पहले अक्तूबर, 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड 645 अरब डॉलर था। PLC/GT

एक साल में करीब सौ अरब डॉलर और बीते सात दिन में ही आठ अरब डॉलर घटा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने तथा अमेरिकी बांड के बढ़ने से विनिमय दर में बदलाव देखने को मिला है।

एक साल में करीब सौ अरब डॉलर और बीते सात दिन में ही आठ अरब डॉलर घटा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट (प्रतीकात्मक फोटो)

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से कमी देखी जा रही है। पिछले 8 दिनों के अंदर विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 8 अरब डॉलर की कमी आई है और यह अगस्त 2020 के बाद न्यूनतम स्तर पर है। वहीं पिछले 1 साल में विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 100 अरब डॉलर की कमी आई है। 23 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह के लिए कुल विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 537.518 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। यह आंकड़े आरबीआई ने जारी किए हैं। यह लगातार आठवां सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा भंडार में कमी देखी आई है।

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का कारण फॉरेन करेंसी एसेट (FCA) में गिरावट है। विदेशी मुद्रा सिग्नल प्रणाली 23 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में फॉरेन करेंसी एसेट में 7.688 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है और यह घटकर 477.212 बिलीयन डॉलर पर आ गया है। डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली फॉरेन करेंसी एसेट में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा डिप्रीशिएशन के प्रभावों को शामिल किया जाता है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा विदेशी मुद्रा सिग्नल प्रणाली है कि अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने तथा अमेरिकी बांड यील्ड के बढ़ने से विनिमय दर में बदलाव देखने को मिला है। वर्तमान वित्त वर्ष में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए के मूल्य में काफी गिरावट हुई है। 2 अप्रैल को विदेशी मुद्रा भंडार 606.475 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। 23 सितंबर को यह घटकर 537.5 अमेरिकी डॉलर पर आ गया।

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पिछले वर्ष 3 सितंबर 2021 को विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और अपने उच्च स्तर पर था। लेकिन 23 सितंबर 2022 को यह घटकर 537.52 बिलियन डॉलर पर आ गया है। इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि पिछले 1 वर्ष में करीब 105 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमी विदेशी मुद्रा भंडार में देखी गई है। जबसे रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है उसके बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में 94 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमी देखी गई है।

चालू वित्त वर्ष में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये में 8.6 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं चालू वित्त वर्ष में 28 सितंबर तक छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में 14.5 फीसदी की तेजी आई है। विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त 2020 के बाद अपने न्यूनतम स्तर पर है।

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