कैसे नीचे लायें क्रिएटिनिन का बढ़ा हुआ लेवल (High Creatinine Level)

क्रिएटिनिन (creatinine) हर किसी के ब्लड में और यूरिन में पाये लीवरेज खतरनाक क्यों है जाने वाला वेस्ट, खराब प्रोडक्ट होता है। क्रिएटिन और क्रिएटिनिन के टेस्ट से ये मालूम पड़ता है, कि आपकी किडनी कितनी अच्छी तरह से काम कर रही हैं। नॉर्मल परिस्थितियों में, आपकी किडनी खुद ही इन सब्सटेन्स को फिल्टर करने के और आपके शरीर से निकाल बाहर करने के काबिल होती है। लेकिन हैल्थ प्रॉब्लम्स इस फंक्शन के बीच में रुकावट पैदा करती हैं, जो कि क्रिएटिनिन की खतरनाक मात्रा में वृद्धि करने लग जाती है। ऐसे काफी सारे तरीके मौजूद हैं, जिनकी मदद से आप क्रिएटिनिन के लेवल को कम कर सकते हैं, जिसमें आपकी डाइट को बदलना, लाइफ़स्टाइल में कुछ बदलाव करना, मेडिकेशन लेना और मेडिकल थेरेपी में शामिल होना भी शामिल है।

स्वाइन फ्लू कोरोना के खतरनाक वैरिएंट ओमिक्रॉन से ज्यादा घातक: बुखार आने पर ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें; प्रेग्नेंट लेडी और बच्चे हैं सॉफ्ट टारगेट

यूपी में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के बीच मेडिकल एक्सपर्ट्स स्वाइन फ्लू को लेकर भी आगाह कर रहे हैं। सबसे डराने वाली बात यह है कि विशेषज्ञ स्वाइन फ्लू को कोरोना के डेल्टा वैरिएंट जैसा खतरनाक बता रहे हैं। लखनऊ में 2 सप्ताह पहले स्वाइन फ्लू से पीड़ित KGMU के पूर्व प्रोफेसर को इलाज के लिए भर्ती किया गया था।

इस बीच दिल्ली और महाराष्ट्र समेत देश के तमाम राज्यों में स्वाइन लीवरेज खतरनाक क्यों है फ्लू के मरीज मिलने का सिलसिला जारी हैं। अकेले मुंबई में 2 सप्ताह के भीतर 138 स्वाइन फ्लू के मरीज सामने आए हैं। ऐसे में यूपी में भी अलर्ट जारी किया गया हैं।

रेस्पिरेटरी ट्रेक इंफेक्शन पर स्वाइन फ्लू का खतरा

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल बोस्टन, अमेरिका के वैज्ञानिक प्रो.राम उपाध्याय ने बताया कि इस मौसम में फ्लू जैसी संक्रामक बीमारियां खतरनाक रुख ले सकती हैं। खास तौर पर स्वाइन फ्लू को लेकर बेहद सतर्क रहने की जरूरत हैं।

ये तस्वीर अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के सीनियर साइंटिस्ट प्रो.राम एस. उपाध्याय की है।

ऑक्सीजन लेवल की करें मॉनिटरिंग
प्रो.राम उपाध्याय ने बताया कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक स्वाइन फ्लू हैं। ये डेल्टा वैरिएंट जैसा घातक हो सकता हैं। बुखार पीड़ित किसी मरीज में यदि तेजी से ऑक्सीजन लेवल डाउन हो रहा है तो स्वाइन फ्लू की जांच कराकर अस्पताल में भर्ती करना आवश्यक हैं। कही ऐसा न हो कि उसका उपचार भी कोरोना के जैसे होम आइसोलेशन मोड़ में रहकर किया जा रहा हो।

पहले समझते है कि कोरोना और स्वाइन फ्लू में फर्क क्या है?
स्वाइन फ्लू एक प्रकार इन्फ्लूएंजा वायरस हैं। कोरोना से पहले इसे H1N1 पंडेमिक के नाम से जाना जाता हैं। इसके RNA में 2 टर्मिनल होते हैं। लीवरेज खतरनाक क्यों है इन्हें H और N टर्मिनल नाम दिया गया। यह नोवेल इन्फ्लूएंजा वायरस हैं। पहली बार यह पंडेमिक के 2009 में सामने आया था। चौकानें वाली बात यह है कि इससे आज भी देश दुनिया में हर साल कई मौत होती हैं।

दोनों अलग प्रकार के वायरस
स्वाइन फ्लू संक्रमण स्वाइन यानी सुअर फैला हैं। वही कोरोना बैट यानी चमगादड़ से मानव में आया हैं। इसके अलावा दोनों के ट्रीटमेंट और लक्षण में भी फर्क हैं।स्वाइन फ्लू का इन्क्यूबेशन पीरियड 5 से 7 दिन का हैं। वही बीमारी 10 दस दिनों तक चपेट में ले सकती हैं। वही कोरोना में 14 दिन का आइसोलेशन पीरियड पहले से ही निर्धारित हैं।

स्वाइन फ्लू के लक्षण

  • हाई फीवर, जो पेरासिटामोल से भी न उतरे
  • सीने में भारीपन और दबाव महसूस होना
  • सांस लेने में तकलीफ
  • कफ, गले में दर्द
  • बदन दर्द
  • सिर दर्द
  • ठंड लगकर बुखार आना
  • थकान, उल्टी होना

कोरोना के लक्षण

  • फीवर
  • कफ
  • सांस लेने के दिक्कत,
  • शरीर में थकावट
  • मसल पैन
  • लॉस ऑफ टेस्ट एंड स्मेल
  • सीने में कंजेसन
  • वॉमिटिंग

क्यों स्वाइन फ्लू से सतर्क रहने की जरूरत

अमेरिका की CDC के आकंड़ों के मुताबिक इस वायरस के आउट ब्रेक के सालभर के भीतर 1.50 लाख से लेकर 5.75 लाख लोग की जान चली गई।

स्वाइन फ्लू के सॉफ्ट टारगेट

  • जिन्हें पहले से ही गंभीर रोग हैं
  • डायबिटीज और अस्थमा के 65 साल की उम्र से ज्यादा के बुजुर्ग
  • प्रेग्नेंट लेडी
  • 5 साल से कम उम्र के बच्चे
  • ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मरीज

स्वाइन फ्लू का उपचार

स्वाइन फ्लू की अभी तक वैक्सीन नही हैं। हालांकि इन्फ्लूएंजा की वैक्सीन है, पर ज्यादा कारगर नहीं मानी जा सकती है।

  • होम आइसोलेशन के दौरान पूरी तरह से आराम करें
  • पानी ज्यादा से ज्यादा पिए
  • लिक्विड डाइट को प्रीफर करें
  • सूप, जूस, वेजिटेबल जूस जरूर लें

स्वाइन फ्लू के मरीज को एन्टी वायरल ट्रीटमेंट दिया जाता है। इन दवाइयों के जरिए मरीज का उपचार होता लीवरेज खतरनाक क्यों है हैं। मगर डॉक्टरों की सलाह के बगैर यह दवाई न लें।

जानिए किस उम्र से करवाना चाहिए कोलेस्ट्रॉल चैकअप, क्यों जरूरी है ध्यान रखना

जीवनशैली,डेस्क रिपोर्ट। हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल (High cholesterol level) एक ऐसी गंभीर समस्या है जिसका सामना खराब जीवन शैली होने के कारण आज के दौर में सभी वर्ग के लोगों को करना पड़ रहा है। बेड कोलेस्ट्रॉल लेवल आमतौर पर अनहेल्दी चीजें खाने, रोजाना वर्कआउट न करने अधिक लीवरेज खतरनाक क्यों है वजन बढ़ जाने स्मोकिंग और ड्रिंक करने की वजह से बढ़ता है मानव शरीर में दो प्रकार का कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है गुड लीवरेज खतरनाक क्यों है और बेड कोलेस्ट्रॉल। बेड कोलेस्ट्रॉल लेवल हमारे शरीर में कई घातक बीमारियों को जन्म देता है और हमें बात का अंदाजा भी नहीं हो पाता है। तो आइए जानते हैं कोलेस्ट्रॉल लेवल चैक करने की सही उम्र क्या है।

कोलेस्ट्रॉल क्या होता है?

कोलेस्ट्रॉल हमारे खून में पाया जाने वाला एक मोम जैसा गाढ़ा पदार्थ होता है, जिसकी जरुरत शरीर में नई कोशिकाओं के निर्माण और उनके पोषण के लिए होती है लेकिन जब कोलेस्ट्रॉल लेवल आवश्यकता से अधिक बढ़ जाता है तो रक्त कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं जिससे रक्त का प्रवाह रुकने लगता लीवरेज खतरनाक क्यों है है जिस वजह से हृदय रोग से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।

कोलेस्ट्रॉल लेवल चैक कराने की सही उम्र
>> अमेरिकन हार्ट एसोशिएशन का मानना है, कि किसी भी व्यक्ति को लगभग 20 साल की उम्र से ही अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल चैक कराना शुरु कर लीवरेज खतरनाक क्यों है देना चाहिए ।

>> अमेरिका के सेंटर फॉल डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि बच्चों के कोलेस्ट्रॉल लेवल को उनकी शुरुआती उम्र से ही चैक करना शुरु कर देना चाहिए ।

>> गलत खान पान के कारण बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के केसो को देखते हुए यह काफी जरुरी हो गया है कि आप नियमित रुप से अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच करवाएं। भारत में ब्लड कोलेस्ट्रॉल की अगर बात करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम 15 से 20 फिसदी और शहरों में 25 से 30 फिसदी लोग बढ़ते कोलेस्ट्रॉल की समस्या का सामना कर रहे हैं।

>> 2017 की एक रिर्पोट के अनुसार 20 साल की अवधि में गांव की अपेक्षा शहरी आबादी के बीच कुल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के लेवल में वृद्धि हुई है।

>> इस रिपोर्ट के बाद से कई विशेषज्ञ सलाह देते हैं, कि हमें 20 की उम्र से ही कम से कम 5 साल में एक कोलेस्ट्रॉल लेवल चैकअप कराते रहना चाहिए।

बॉडी में कितना होना चाहिए कोलेस्ट्रॉल लेवल-

बॉडी में टोटल कोलेस्ट्रॉल लेवल 200 mg/dl से कम होना ठीक रहता है। एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल 100 mg/dl से कम, एचडीएल यानि गुड कोलेस्ट्रॉल 60 mg/dl से ज्यादा और ट्राइग्लिसराइड 150 mg/dl से कम होना बेहतर है।

फैमिली हिस्ट्री भी एक मुख्य कारण बढ़ते कोलेस्ट्रॉल का –

अगर आपके परिवार के किसी भी व्यक्ति को हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या रही होती है तो आपमें भी इस समस्या के होने के ज्यादा चासेंस बढ़ जाते है इसे पारिवारिक हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया के नाम से भी जाना जाता है जिसके कारण आपकों बढ़ते कोलेस्ट्रॉल से होने वाली कई घातक बिमारियों का सामना बहुत कम उम्र से ही करना पड़ता है।

कोलेस्ट्रॉल टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझें

कोलेस्ट्रॉल दो तरह के होता है( HDL) गुड और (LDL)बेड कोलेस्ट्रॉल। गुड कोलेस्ट्रॉल को शरीर के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है जबकि उसी के विपरीत बेड कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए काफी घातक होता है जो कई गंभीर बिमारियों को जन्म देता है ।

शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को मिलीग्राम/ डेसीलीटर और mg/dL के रूप में मापा जाता है। जब कुल ब्लड कोलेस्ट्रॉल का लेवल 200 से नीचे होता है, तो इसे सामान्य माना जाता है जब रीडिंग 200 और 239 के बीच होती है 240 से ऊपर कोलेस्ट्रॉल लेवल का बढ़ना काफी खतरनाक माना जाता है।

*Disclaimer :- यहाँ दी गई जानकारी अलग अलग जगह से जुटाई गई एक सामान्य जानकारी है। MPBreakingnews इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Coronavirus BF 7 Variant in India Updates: कोरोना ने बढ़ाई चिंता, पीएम मोदी आज करेंगे उच्च स्तरीय बैठक

कोरोना महामारी को लेकर फिर अलर्ट जारी कर दिया गया है. आज इसको लेकर पीएम मोदी उच्‍च स्‍तरीय समीक्षा बैठक करेंगे. इसके अलावा यूपी और दिल्‍ली में भी समीक्षा होगी.

कोरोना ने बढ़ाई चिंता, पीएम मोदी आज करेंगे उच्च स्तरीय बैठक

कोरोना ने एक बार फिर से दुनियाभर में हाहाकार मचा दिया है. ओमिक्रोन का सब वेरिएंट बीएफ.7 चीन में तेजी से पैर पसार रहा है. अब इस वेरिएंट ने भारत में भी दस्‍तक दे दी है. इसके बाद से भारत सरकार भी एक्टिव मोड में आ गई है. कोरोना महामारी को लेकर फिर अलर्ट जारी कर दिया गया है. आज इसको लेकर पीएम मोदी उच्‍च स्‍तरीय समीक्षा बैठक करेंगे.

कोरोना के मामलों को कंट्रोल करने के लिए भारत सरकार के साथ तमाम राज्‍यों की सरकारें भी सक्रिय हो गई हैं. इस मामले में यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने आज उच्चस्तरीय टीम-09 के साथ समीक्षा बैठक की है. महाराष्ट्र में 3 बजे मुख्यमंत्री समीक्षा करेंगे. वहीं दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. उड़ीसा ने कोरोना को लेकर गाइडलाइंस जारी कर दी है और उत्तराखंड में आज शाम Guidelines जारी हो सकती हैं.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

यूपी के मुख्‍यमंत्री ने दिए ये दिशा निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने उच्चस्तरीय टीम-09 के साथ समीक्षा बैठक की और कहा कि उत्तर प्रदेश में स्थिति सामान्य, विगत 24 घंटे में एक भी नया मरीज नहीं है. ये समय घबराने का नहीं, सतर्कता-सावधानी की जरूरत का है. इसके साथ ही मुख्‍यमंत्री ने कोविड को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं.

जा‍री किए ये जरूरी दिशा-निर्देश

  • भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क के लिए आमजन को जागरुक करें.
  • नए वैरिएंट पर नजर रखें, हर पॉजिटिव केस की जीनोम सिक्वेंसिंग कराएं.
  • कोविड टेस्टिंग और टीके की प्रीकॉशन डोज को बढ़ाएं

क्यों खतरनाक है ये नया BF7 वेरिएंट

एक्सपर्ट्स की मानें, तो Covid 19 का यह नया BF7 ओमिक्रोन का ही एक सब वेरिएंट है. चीन में हालिया कोरोना कोरोना विस्फोट में सबसे अधिक BF7 के मामले शामिल हैं. अभी तक कोरोना के जितने भी वेरिएंट मौजूद हैं, BF7 उनमे लीवरेज खतरनाक क्यों है सबसे अधिक तेजी से फैलता है. बताया जा रहा है कि इसका इन्क्यूबिशन समय बाकी वेरिएंट के मुकाबले काफी कम है, इसलिए ये अधिक तेजी से फैलता है. चीन में आने वाले दिनों में इसके चलते 15 लाख से अधिक मौतों की आशंका जताई जा रही है. कोरोना का ये सब वेरिएंट (Coronavirus BF 7 Variant in India) अब भारत में भी दाखिल हो चुका है. गुजरात के वडोदरा में एक NRI महिला में Covid 19 के BF7 वेरिएंट की पुष्टि हो गई है. गुजरात में कोरोना के दो और मामले सामने आए है, जिनमें इसी वेरिएंट (Coronavirus BF 7 Variant in India) की आशंका जताई जा रही है. हालांकि इसे लेकर अभी कोई आधिकारिक खबर नहीं आई है. इसके बाद से भारत सरकार के साथ तमाम राज्‍यों की सरकारें एक्टिव मोड में आ गई हैं.

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  • कोविड टेस्टिंग और टीके की प्रीकॉशन डोज को बढ़ाएं

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