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सोशल मीडिया का विद्यार्थियों पर प्रभाव एक प्रेरक कारक बनता जा रहा है। दुनिया छोटी होती जा रही है और सोशल मीडिया जैसी तकनीकी के इस्तेमाल से शिक्षा प्राप्त करने का तरीका बदल रहा है।

यदि प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए तो सोशल मीडिया और शिक्षा एक दूसरे के पूरक हो सकते हैं। सोशल मीडिया छात्रों के लिए लगातार नई शैक्षिक संभावनाएं विकसित कर रहा है। सोशल मीडिया का शिक्षा पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन उसी के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। यहां जानिए शिक्षा पर सोशल मीडिया के कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों के बारे में ।

सोशल मीडिया एक छात्र के सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इसे अब एक सीखने के मंच के रूप में माना जाता है जो कई स्कूलों में छात्रों की व्यस्तता और क्षमताओं को बढ़ाता है। ये मंच स्कूली बच्चों को जुड़ने, संपर्क में रहने, जानकारी तक पहुंचने और शोध करने का अवसर प्रदान करते हैं। सोशल मीडिया संचार का सबसे मजबूत माध्यम है जो लोगों को दूर-दूर से जुड़ने में प्लेटफार्म की शैक्षिक संभावनाएं मदद करता है। दैनिक जीवन में सोशल मीडिया की स्वीकृति इन निर्भर संभावनाओं के पीछे प्रेरक शक्तियों में से एक है और सोशल मीडिया शिक्षा को कैसे बदल रहा है।

सोशल मीडिया का विद्यार्थी पर सकारात्मक प्रभाव क्या है?

1. ऑनलाइन सीखने को प्रेरित करता है ।

स्कूल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के उपयोग से छात्र सीखने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित होते हैं। YouTube पर शैक्षिक वीडियो, ई-किताबों तक आसान पहुंच, ऑनलाइन नोट्स और वीडियो कॉल के प्लेटफार्म की शैक्षिक संभावनाएं माध्यम से सीखना ऐसे प्रमुख पहलू हैं जो शैक्षिक विकास में योगदान करते हैं। सोशल मीडिया ने जिस स्थान को संभव बनाया है, उस स्थान पर रहकर प्रतिष्ठित संगठनों से सीखने के लिए दूरस्थ शिक्षा सबसे अच्छे तरीकों में से एक है।

2. रचनात्मक तत्व में सुधार करता है।

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सोशल मीडिया छात्रों को सीखने की अनुमति देकर रचनात्मक कौशल को बढ़ावा देने में मदद करता है और बाद में इसे स्वयं करके निष्पादित करता है। अक्सर, एक छात्र की छिपी प्रतिभा का पता चलता है जब वह तस्वीरें लेना शुरू करता है और ऑनलाइन संपादन कौशल का उपयोग करके इसे सौंदर्यपूर्ण रूप से आकर्षक बनाता है। बहुत से छात्रों के दिलचस्प शौक हैं कि वे वीडियो और फोटोग्राफर के माध्यम से ऑनलाइन पोस्ट करते हैं, जिससे उन्हें इसे करियर बनाने की अपनी क्षमता का एहसास करने में मदद मिलती है।

3. अकादमिक प्रदर्शन को बढ़ावा देता है।

सोशल मीडिया का एक और महत्वपूर्ण प्रभाव छात्रों के अकादमिक प्रदर्शन को बढ़ावा देना और डेटा और सूचना एकत्र करने के माध्यम से उनके ज्ञान को बढ़ाना है। जब छात्रों को स्कूलों में प्रोजेक्ट सौंपे जाते हैं, तो वे अपने असाइनमेंट का समाधान खोजने के लिए जानकारी एकत्र करने के लिए कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से गुजरते हैं।

सोशल मीडिया का विद्यार्थी पर नकारात्मक प्रभाव क्या है?

1. व्याकुलता का कारण बनता है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक महत्वपूर्ण कारक है जो संकट और मन की बाधा की शुरुआत कर रहा है। इन दिनों छात्र पढ़ाई से अपना ध्यान खो देते हैं और इसके बजाय सोशल मीडिया पर ब्राउज़िंग का आनंद लेते हैं। यह सब कुछ प्राप्त किए बिना समय की बर्बादी को दर्शाता है। छात्र अक्सर निर्दिष्ट समय सीमा में अपना काम जमा करने में असमर्थ होते हैं क्योंकि वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लागू करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।

2. सीखने और अनुसंधान क्षमता को कम करता है।

सोशल मीडिया के व्यापक उपयोग के साथ, छात्र इन दिनों किताबों, पत्रिकाओं या नोट्स में इसकी तलाश करने के बजाय जानकारी और ज्ञान प्राप्त करने के लिए ऐसे प्लेटफार्मों पर अधिक भिन्न हो रहे हैं। क्योंकि ऑनलाइन डेटा प्राप्त करना सीधा है, छात्रों की पढ़ने की आदतें और उनके सीखने और शोध कौशल कम हो रहे हैं।

3. स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।

और पढ़ें : राष्ट्र के निर्माण में विद्यार्थी का योगदान क्या है?

थोड़ी सी लापरवाही के साथ सोशल मीडिया साइट्स को अपनाने से किसी के स्वास्थ्य पर मानसिक और शारीरिक प्रभाव पड़ सकता है। विद्यार्थी अपना भोजन समय पर नहीं करते हैं, उचित आराम नहीं करते हैं और लगातार फोन या लैपटॉप पर रहने से भी उनकी आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस तरह की हरकतें छात्रों को पढ़ाई में धीमा और अस्पष्ट बनाती हैं या बाहर जाकर लोगों से मिलती हैं। माता-पिता और स्कूलों को भी सलाह दी जाती है कि वे इस बात पर नज़र रखें कि उनके बच्चे इंटरनेट का उपयोग करते समय क्या कर रहे हैं। सोशल मीडिया का बहुत अधिक उपयोग छात्रों के दिमाग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, और वे खराब मुद्रा, आंखों में खिंचाव और शारीरिक और मानसिक तनाव के संपर्क में भी आ सकते हैं।

निष्कर्ष : इस प्रकार से सोशल मीडिया के कई प्रकार के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। सोशल मीडिया का प्रयोग करने वाले विद्यार्थियों पर निर्भर करता है कि वह सोशल मीडिया का उपयोग किस रूप में करता है।

ऑनलाइन शिक्षा पद्धति: चुनौती या अवसर

हाल ही में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया है, जिसके माध्यम से कोविड-19 के मद्देनज़र यू.जी.सी. ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को वृहद स्तर पर नि:शुल्क ऑनलाइन कोर्स (Massive Open Online Courses- MOOC) का उपयोग करने हेतु कहा है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • छात्रों द्वारा ऑनलाइन लर्निंग कोर्स के लिये यू.जी.सी. के वर्तमान विनियमनों के अनुरूप इन पाठ्यक्रम को पूरा करके क्रेडिट का लाभ उठा जा सकता हैं।
  • ऑनलाइन कोर्स के पाठ्यक्रमों की सूची ‘स्वयं प्लेटफार्म’ पर जुलाई 2020 के सेमेस्टर हेतु अपलोड की जाएगी। साथ ही, इन कोर्स में छात्रों व शिक्षकों के साथ-साथ जीवन पर्यंत सीखने के इच्छुक लोग, वरिष्ठ नागरिक एवं गृहणियाँ भी नामांकन करा सकते हैं।

स्वयं पोर्टल (SWAYAM Portal)

  • ‘स्वयं पोर्टल’ भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry Of Human Resource Development- MHRD) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council For Technical प्लेटफार्म की शैक्षिक संभावनाएं Education- AICTE) द्वारा माइक्रोसॉफ्ट की सहायता से तैयार किया गया एक ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्म है।
  • ‘स्वयं पोर्टल’ को शिक्षा नीति के तीन सिद्धांतों की प्राप्ति प्लेटफार्म की शैक्षिक संभावनाएं के उद्देश्य से बनाया गया है। ये सिद्धांत हैं: पहुँच (ACCESS), न्याय संगतता (EQUITY) और गुणवत्ता (QUALITY)।
  • ‘स्वयं प्लेटफार्म’ के माध्यम से कक्षा 9 से परास्नातक स्तर तक के छात्र अपनी आवश्यकतानुसार कोर्स खरीद सकते हैं। यह प्लेटफार्म छात्रों के लिये मुफ्त है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC)

बेहतरीन शहर: कोटा में शिक्षा से आती खुशहाली

कोचिंग कारोबार कोटा की ताकत है तो यहां आने वाले युवा सामाजिक-आर्थिक माहौल को बदलने वाले कारक हैं. यह शहर तरक्की की ओर अग्रसर है.

पीयूष पाचक

  • कोटा,
  • 18 फरवरी 2014,
  • (अपडेटेड 25 फरवरी 2014, 12:08 PM IST)

एक जमाने में राजस्थान का उद्योग नगर कहलाने वाला कोटा सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अब ‘‘कोचिंग सिटी कोटा’’ के नाम से पहचाना जाता है. उलटी दिशा यानी दक्षिण से उत्तर में बहने वाली चंबल यहां की लाइफ लाइन है. कोटा देश का एकमात्र ऐसा शहर है जहां पानी, परमाणु गैस और कोयला आधारित बिजली उत्पादन केंद्र है.

कोटा स्टोन और चंबल के पानी की तासीर के चलते चटपटी कचौडिय़ों के लिए प्रसिद्ध कोटा में बीते दो दशक के दौरान छाए कोचिंग कारोबार ने रियल एस्टेट कारोबार में भी उछाल ला दिया. अकेले कोटा में 10,000 से ज्यादा हॉस्टल हैं, जितने राज्य के किसी दूसरे शहर में नहीं हैं. शहरों में मल्टीस्टोरी इमारतों की भी बाढ़-सी आ गई है, जहां 20 से 90 लाख रु. की रेंज के फ्लैट्स उपलब्ध हैं.

कोटा कला संस्कृति, वास्तु, पुरातत्व, लेखन और साहित्य सभी में अग्रणी है. कोटा, दिल्ली, मुंबई रेल मार्ग का प्रमुख स्टेशन है, जिसकी वजह से यह देश के सभी बड़े और प्रमुख शहरों के संपर्क में है.

कोटा में बदलाव हर क्षेत्र में हो रहा है. कोटा के बल्लभ बीडा क्षेत्र में सेवन वंडर्स पार्क बनने से मौज-मस्ती के ठिकानों में पिछले साल इजाफा हुआ है. आठ महीने में तैयार किए गए इस पार्क में ताज महल, पीसा की मीनार, एफिल टावर, कोलोसियम समेत विश्व के सात अजूबों के मॉडल अद्भुत और दर्शनीय हैं.

किशोर सागर किनारे लगा वाटर स्क्रीन फाउंटेन, जॉय ट्रेन, घटोत्कच सर्किल, सहित शहर के छह स्थानों के सौंदर्यीकरण और नए फ्लाइओवर निर्माण, नागाजी का बाग को लेकर जबरदस्त तरीके से काम किया गया है.

कोटा में तकरीबन सवा लाख कोचिंग छात्र बाहर से आकर रहते हैं. इनमें से 50,000 से ज्यादा अकेले एलन इस्टीट्यूट के हैं. यहां 300 से ज्यादा छात्र कश्मीर से हैं. कोचिंग के कारोबार से छोटे तबके से लेकर मध्यवर्गीय मकान मालिकों, मेस संचालकों सहित बिल्डर्स जैसे बड़े तबके तक सभी ने लाभ कमाया है.

नतीजतन पूरे कोटा शहर में विकास हुआ है. हालांकि कोई सुनियोजित ढांचा न होने की बात भी सामने आती रहती है. सर्वाधिक छात्र घनत्व वाले राजीव नगर क्षेत्र में सीवरेज की माकूल व्यवस्था का अभाव है. कोटा में औद्योगिक प्लेटफार्म की शैक्षिक संभावनाएं प्लेटफार्म की शैक्षिक संभावनाएं विकास के लिए रीको के पास जमीन नहीं है.

एलन करियर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर नवीन माहेश्वरी कहते हैं, ‘‘कोटा की अर्थव्यवस्था में जान डालने वाले कोचिंग कारोबार को लेकर सरकार कभी गंभीर नहीं रही. कोचिंग शिह्ना का कोई वैधानिक ढांचा नहीं है. इसके लिए आचार संहिता तैयार होनी चाहिए, अवांछित तत्वों पर नियंत्रण होना चाहिए. सीबीएसई ने कोटा के स्कूलों के लिए देशभर से अलग मापदंड तय कर रखे हैं, जो गलत हैं.’’

शहर के राजीव नगर, झालावाड़ रोड, इंदिरा विहार, रीको इलेक्ट्रॉनिक कॉम्प्लेक्स, महावीर नगर, सुभाष नगर जैसे इलाकों में रियल एस्टेट की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हुआ है. सिटी मॉल, फन सिनेमा, बिग बाजार, न्यू क्लॉथ में लोगों की खूब आवाजाही है, तो गुमानपुरा, शॉपिंग सेंटर जैसे पुराने बाजारों में भी रौनक बढ़ी है.

कोचिंग सेंटर्स, विद्युत उत्पादन केंद्रों, रियल एस्टेट और कृषि ने रोजगार के संसाधनों में इजाफा किया है. ओम मेटलर्स इन्फ्राजेक्ट्स का कोटा में 100 करोड़ रु. से ज्यादा की लागत से 1,100 फ्लैट्स बनाने का काम चल रहा है. ज्यादातर बड़ी इन्वेस्टमेंट रियल एस्टेट में हो रही है.

कोटा के विकास और संपूर्णता में सबसे बड़ी बाधा है वायु सेवाओं का अभाव. एरोड्रोम होने के बावजूद कोटा में वायु सेवा का अभाव हर एक को खलता है.

वहीं शहर की बेशकीमती जमीन पर हो रहे अतिक्रमण को हटाने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति का अभाव है. विकास तो है लेकिन अनियोजित है. कोटा की मेयर डॉ. रत्ना जैन कहती हैं, ‘‘कोटा में सरकारी जमीन पर भारी अतिक्रमण है, लेकिन राजनैतिक परिदृश्य ऐसा है कि हम उन्हें हटा नहीं पा रहे हैं. निगम में आइएएस स्तर का अधिकारी होना चाहिए.’’ हालांकि सरकार के स्तर पर कई कोशिशों को अंजाम दिया जा रहा है.

कोटा में औद्योगिक विकास के अपार मौके मौजूद हैं. वहीं पुरातत्व और पर्यटन क्षेत्र में भी विकास की असीमित संभावनाएं हैं. कोचिंग कारोबार को भी पर्यटन से लिंक किया जा सकता है. कोटा में उद्योगों के माध्यम से युवाओं की तरक्की की कोशिशें भी जारी हैं.

शहर एक नजर
ताकतः कोचिंग कारोबार और शिक्षा की वजह से बेहतरीन ठिकाने में तब्दील हुआ है. अच्छी कनेक्टिविटी है और रोजगार की संभावनाएं भी हैं.
कमजोरीः हवाई यातायात प्लेटफार्म की शैक्षिक संभावनाएं का अभाव. अत्यधिक संख्या में अतिक्रमण. अनियोजित विकास. औद्योगिक जमीन का अभाव. बड़े शिक्षण संस्थानों का अभाव.
संभावनाएं: औद्योगिक विकास के लिए पर्याप्त मौके हैं. पुरातत्व और पर्यटन विकास संभव है. एजुकेशन हब के रूप में तो यह पहचान बना ही चुका है.

रेलवे स्टेशन में समतलीकरण शुरू, बड़ी रेललाइन प्लेटफार्म की शैक्षिक संभावनाएं के कार्य में तेजी

रेलवे स्टेशन में समतलीकरण शुरू, बड़ी रेललाइन के कार्य में तेजी

केंद्री से धमतरी तक बड़ी रेल लाइन निर्माण के लिए 550 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है। स्वीकृति मिलने के बाद रेलवे प्रशासन ने काम शुरू कर दिया है। केंद्री से होकर धमतरी की ओर रेलवे का कार्य तेजी से हो रहा है।

ओवर ब्रिज वाले जगहों पर निर्माण काफी दिनों से चल रहा है। धमतरी जिले के संबलपुर पर भी ओवरब्रिज के कार्य अधिकांश होने को है। बड़ी रेल लाइन के कार्य में तेजी लाने के लिए रेलवे प्रशासन की टीम समय-समय पर धमतरी रेलवे स्टेशन के पास कब्जा किए कब्जा को भी तेजी से हटा रहे हैं। वर्तमान में कब्जा धारियों को हटाने पिछले दिनों नोटिस दिया गया था। वर्षा के चलते फिलहाल अतिक्रण हटाने का कार्य बंद है, लेकिन वर्षा थमने के बाद पुनः कब्जा हटाने की प्रक्रिया के शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।

21 अगस्त को रेलवे स्टेशन धमतरी में जेसीबी से समतलीकरण शुरू किया गया है। आसपास जगहों को मुरूम बिछाकर समतलीकरण किया जा रहा है। इसे देखकर लोग अब बड़ी रेल लाइन निर्माण के लिए काम शुरू होने की बात कह रहे हैं। समतलीकरण के कार्य शुरू होने से अब कार्यों में तेजी आने की संभावना है।

उल्लेखनीय है कि रेलवे प्रभावित अधिकांश किसानों को रेलवे प्रशासन से मिली मुआवजा राशि को जिला प्रशासन की ओर से वितरण किया जा चुका है। कुछ ही किसान मुआवजा लेने से इंकार किया है, जबकि अधिकांश ने मुआवजा ले लिया है। कुरूद, भखारा, धमतरी क्षेत्र के किसानों के जमीन रेलवे प्रभावित है। इनमें से अधिकांश को मुआवजा का वितरण कर दिया गया है।

एडटेक

शिक्षा और प्रौद्योगिकी का एक संयोजन, एडटेक शिक्षक के नेतृत्व वाली शिक्षण प्रणाली और कक्षाओं में छात्रों की शिक्षा के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर को परिभाषित करता है।

EDtech

हालांकि अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में, एडटेक ने पहले से ही एक ऐसी पद्धति के रूप में अत्यधिक वृद्धि दिखाई है जो छात्रों की क्षमता के अनुसार पाठ्यक्रम को अनुकूलित कर सकती है।

एडटेक कैसे काम करता है?

एडटेक क्रिएटर्स सॉफ्टवेयर में सुधार की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हैं जो शिक्षक को पढ़ाने और फैसिलिटेटर बनने से मुक्त कर सकते हैं। समय की कमी के साथ, एक शिक्षक के लिए पूरे पाठ्यक्रम को पूरा करना, धीमी गति से सीखने वालों पर नज़र रखना और होशियार प्लेटफार्म की शैक्षिक संभावनाएं बच्चों को काम में लगाना कठिन होता है।

क्षमता मूल्यांकन को स्वचालित करके और कठिनाइयों को समायोजित करके, एडटेक व्यक्तिगत छात्रों और समग्र रूप से कक्षा के लिए बेहतर परिणाम दे सकता है। इनमें से कई प्रौद्योगिकियां क्लाउड-आधारित हैं। और फिर, उनमें से अधिकांश शैक्षिक अनुसंधान पर निर्भर हैं कि एक प्लेटफार्म की शैक्षिक संभावनाएं छात्र कितनी तेजी से और धीरे-धीरे सीखने के उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकता है।

एडटेक सीमाएं

प्रौद्योगिकी में वृद्धि के साथ, एडटेक के संबंध में समान रूप से बढ़ी हुई चिंताएं हैं। अधिकांश लोगों को डर है कि भविष्य में, लगभग पूरे पाठ्यक्रम का प्रबंधन सॉफ्टवेयर द्वारा किया जा सकता है। इस क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पाठ्यक्रम के विभिन्न क्षेत्रों में छात्रों की योग्यता का मूल्यांकन करने के लिए विश्लेषण का उपयोग करती है।

इस प्रकार, यह छात्रों को अन्य क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए अधिक समय लेते हुए कुछ क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ने की अनुमति देता है। प्रत्येक शिक्षक एक अनुकूलित पाठ्यक्रम पर काम कर रहा है, शिक्षक छात्रों की कमजोरियों और ताकत पर एडटेक सॉफ्टवेयर द्वारा पेश किए गए डेटा के साथ एक समस्या निवारक के रूप में कार्य करते हैं।

वर्तमान में, एडटेक को एक डिवाइस के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है, चाहे वह मोबाइल, टैबलेट या लैपटॉप हो; एक बेहतर प्रतिक्रिया और पढ़ने के अनुभव के परिणामस्वरूप। संभावित सफलता के बावजूद, इस प्रगति के लिए कई चुनौतियां हैं।

कुल मिलाकर, एक कक्षा में विभिन्न शिक्षण विधियों के लिए समायोजन करना सबसे बड़ी बाधा बन जाता है। और फिर, एक सामाजिक वातावरण बनाने के लिए शिक्षकों पर भरोसा करने और अन्य गतिशीलता के साथ समूह सीखने को मजबूत करने की प्रवृत्ति है जो अभी के लिए एडटेक के साथ काफी असंभव प्रतीत होता है।

हालांकि भविष्य की कक्षाएँ एडटेक पर बहुत अधिक निर्भर हो सकती हैं; हालाँकि, माता-पिता अभी भी एक मानव शिक्षक के साथ समूह वातावरण में मूल्य देखते हैं।

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