लिक्विडिटी क्या है?
अस्वीकरण :
इस वेबसाइट पर दी की गई जानकारी, प्रोडक्ट और सर्विसेज़ बिना किसी वारंटी या प्रतिनिधित्व, व्यक्त या निहित के "जैसा है" और "लिक्विडिटी क्या है? जैसा उपलब्ध है" के आधार पर दी जाती हैं। Khatabook ब्लॉग विशुद्ध रूप से वित्तीय प्रोडक्ट और सर्विसेज़ की शैक्षिक चर्चा के लिए हैं। Khatabook यह गारंटी नहीं देता है कि सर्विस आपकी आवश्यकताओं को पूरा करेगी, या यह निर्बाध, समय पर और सुरक्षित होगी, और यह कि त्रुटियां, यदि कोई हों, को ठीक किया जाएगा। यहां उपलब्ध सभी सामग्री और जानकारी केवल सामान्य सूचना उद्देश्यों के लिए है। कोई भी कानूनी, वित्तीय या व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए जानकारी पर भरोसा करने से पहले किसी पेशेवर से सलाह लें। इस जानकारी का सख्ती से अपने जोखिम पर उपयोग करें। वेबसाइट पर मौजूद किसी भी गलत, गलत या अधूरी जानकारी के लिए Khatabook जिम्मेदार नहीं होगा। यह सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों के बावजूद कि इस वेबसाइट पर निहित जानकारी अद्यतन और मान्य है, Khatabook किसी भी उद्देश्य के लिए वेबसाइट की जानकारी, प्रोडक्ट, सर्विसेज़ या संबंधित ग्राफिक्स की पूर्णता, विश्वसनीयता, सटीकता, संगतता या उपलब्धता की गारंटी नहीं देता है।यदि वेबसाइट अस्थायी रूप से अनुपलब्ध है, तो Khatabook किसी भी तकनीकी समस्या या इसके नियंत्रण से परे क्षति और इस वेबसाइट तक आपके उपयोग या पहुंच के परिणामस्वरूप होने वाली किसी भी हानि या क्षति के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।
We'd love to hear from you
We are always available to address the needs of our users.
+91-9606800800
तरलता क्या है? | Liquidity meaning in Hindi
निवेश के संदर्भ में, एक वर्ग के रूप में इक्विटी सबसे अधिक तरल संपत्ति में से हैं। लेकिन जब तरलता की बात आती है तो सभी समान नहीं बनाए जाते हैं। कुछ शेयर स्टॉक एक्सचेंजों पर दूसरों की तुलना में अधिक सक्रिय रूप से व्यापार करते हैं, जिसका अर्थ है कि उनके लिए बाजार में अधिक है। दूसरे शब्दों में, वे व्यापारियों और निवेशकों से अधिक, अधिक सुसंगत रुचि को आकर्षित करते हैं। ये तरल स्टॉक आमतौर पर उनकी दैनिक मात्रा से पहचाने जाते हैं, जो लाखों में हो सकता है, या यहां तक कि करोड़ों शेयरों में से भी हो सकता है।
उदाहरण के लिए, 26 अप्रैल, 2019 को Amazon.com (AMZN) के 8.2 मिलियन शेयरों ने NASDAQ पर कारोबार किया। लगता है कि तरल, यह इंटेल (INTC) की तुलना में बाल्टी में एक बूंद नहीं है, जिसने उस दिन NASDAQ का नेतृत्व किया, जिसमें 71.5 मिलियन शेयरों की मात्रा थी - या फोर्ड मोटर (F) के लिए, जिसने न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज का नेतृत्व किया ( NYSE) 154.8 मिलियन शेयरों की मात्रा के साथ, यह उस दिन अमेरिका में सबसे अधिक तरल स्टॉक बना।
तरलता क्या है? | Liquidity meaning in Hindi Reviewed by Thakur Lal on मई 20, 2020 Rating: 5
क्या है ‘लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो’?
लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो ’ ( एलसीआर) को हिन्दी में नकदी कवरेज अनुपात कह सकते हैं। एलसीआर मानकों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब भी कोई संकट आए तो बैंक के पास पर्याप्त मात्र में एचक्यूएलए यानी ‘ हाई क्वालिटी लिक्विडिटी असेट्स ’ हों ताकि उसे नकदी में तब्दील कर कम से कम 30 दिनों तक की जरूरत को पूरा किया जा सके। संकट के समय जिन परिसंपत्तियों को आसानी से बेचकर या गिरवी रखकर नकदी जुटाई जा सके , उन्हें ‘ हाई क्वालिटी लिक्विडिटी असेट्स ’ कहते हैं। उदाहरण के लिए सीआरआर के अतिरिक्त उपलब्ध नकदी और एसएलआर की सीमा से अतिरिक्त सरकारी सिक्योरिटी को एचक्यूएलए की श्रेणी में रखा जा सकता है। इसके अलावा एक निश्चित श्रेणी के कॉरपोरेट बांड्स और कुछ अन्य परिसंपत्तियां भी एचक्यूएलए की श्रेणी में आती हैं। असल में एचक्यूएलए को भुनाते समय उनके मूल्य में कमी नहीं आती। वे वैधानिक व नियामक बाध्यताओं और व्यवहारिक बाधाओं से रहित होती हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि उन्हें भुनाने में किसी भी तरह से कोई दिक्कत नहीं आती।दरअसल एलसीआर का विचार पिछले दशक में आया। वर्ष 2007 के वैश्विक वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में बासेल कमिटी ऑन बैंकिंग सुपरविजन (बीसीबीएस) ने बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए पूंजी व नकदी (लिक्विडटी) नियमों में निश्चित सुधारों का प्रस्ताव रखा था। इसके तहत दिसंबर , 2010 में नकदी पर बासेल- 3 नियम जारी किए गए। इसमें दो न्यूनतम मानक रखे गए थे। पहला था - लिक्विडटी कवरेज रेश्यो (एलसीआर) और दूसरा , नेट स्टेबल फंडिंग रेश्यो ताकि बैंकों को कभी नकदी संकट का सामना न करना पड़े। इसके बाद बीसीबीएस ने 2013 में एलसीआर से संबंधित नियमों में बदलाव भी किया। आरबीआइ ने जनवरी , 2015 से चरणबद्ध ढंग से बैंकों के लिए एलसीआर संबंधी नियम लागू किए। 2015 में बैंकों को न्यूनतम 60 फीसद और इस वर्ष की शुरुआत से बढ़ाकर 100 फीसद एलसीआर रखने का नियम बनाया गया। इसका मतलब यह हुआ कि इस साल बैंकों को एचक्यूएलए के रूप में उतनी नकदी का इंतजाम रखना होगा जितनी उसे 30 दिन में खर्च करने के लिये जरूरत पड़ती है। संकट के समय बैंक अपने एचक्यूएलए का इस्तेमाल कर सकते हैं और ऐसा होने पर यह 100 फीसद से नीचे भी आ सकता है। लेकिन कोई बैंक यदि एचक्यूएलए का उपयोग करता है तो फौरन इसकी जानकारी आरबीआइ को देनी होगी। बैंक को यह बताना होगा कि उसने किन परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल किया और अब हालात सुधारने के लिये क्या कदम उठाए गए हैं।आरबीआइ ने 24 मार्च को एनबीएफसी के लिये एलसीआर लागू करने को एक ड्राफ्ट सकरुलर जारी किया है। एनबीएफसी को अगले वर्ष अप्रैल से लेकर 2024 तक चरणबद्ध ढंग एलसीआर के नियमों का पूरी तरह पालन करना है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक परिसंपत्ति वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए ‘ लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो ’ का नियम लागू करने का प्रस्ताव किया है। एलसीआर क्या है ? बैंकों और एनबीएफसी के लिए इसका क्या मतलब है ?
(GSHindi के मोबाइल ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और गूगल प्लस पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
क्या है ‘लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो’?
लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो ’ ( एलसीआर) को हिन्दी में नकदी कवरेज अनुपात कह सकते हैं। एलसीआर मानकों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब भी कोई संकट आए तो बैंक के पास पर्याप्त मात्र में एचक्यूएलए यानी ‘ हाई क्वालिटी लिक्विडिटी असेट्स ’ हों ताकि उसे नकदी में तब्दील कर कम से कम 30 दिनों तक की जरूरत को पूरा किया जा सके। संकट के समय जिन परिसंपत्तियों को आसानी से बेचकर या गिरवी रखकर नकदी जुटाई जा सके , उन्हें ‘ हाई क्वालिटी लिक्विडिटी असेट्स ’ कहते हैं। उदाहरण के लिए सीआरआर के अतिरिक्त उपलब्ध नकदी और एसएलआर की सीमा से अतिरिक्त सरकारी सिक्योरिटी को एचक्यूएलए की श्रेणी में रखा जा सकता है। इसके अलावा एक निश्चित श्रेणी के कॉरपोरेट बांड्स और कुछ अन्य परिसंपत्तियां भी एचक्यूएलए की श्रेणी में आती हैं। असल में एचक्यूएलए को भुनाते समय उनके मूल्य में कमी नहीं आती। वे वैधानिक व नियामक बाध्यताओं और व्यवहारिक बाधाओं से रहित होती हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि उन्हें भुनाने में किसी भी तरह से कोई दिक्कत नहीं आती।दरअसल एलसीआर का विचार पिछले दशक में आया। वर्ष लिक्विडिटी क्या है? 2007 लिक्विडिटी क्या है? के वैश्विक वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में बासेल कमिटी ऑन बैंकिंग सुपरविजन (बीसीबीएस) ने बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए पूंजी व नकदी (लिक्विडटी) नियमों में निश्चित सुधारों का प्रस्ताव रखा था। इसके तहत दिसंबर , 2010 में नकदी पर बासेल- 3 नियम जारी किए गए। इसमें दो न्यूनतम मानक रखे गए थे। पहला था - लिक्विडटी कवरेज रेश्यो (एलसीआर) और दूसरा , नेट स्टेबल फंडिंग रेश्यो ताकि बैंकों को कभी नकदी संकट का सामना न करना पड़े। इसके बाद बीसीबीएस ने 2013 में एलसीआर से संबंधित नियमों में बदलाव भी किया। आरबीआइ ने जनवरी , 2015 से चरणबद्ध ढंग से बैंकों के लिए एलसीआर संबंधी नियम लागू किए। 2015 में बैंकों को न्यूनतम 60 फीसद और इस वर्ष की शुरुआत से बढ़ाकर 100 फीसद एलसीआर रखने का नियम बनाया गया। इसका मतलब यह हुआ कि इस साल बैंकों को एचक्यूएलए के रूप में उतनी नकदी का इंतजाम रखना होगा जितनी उसे 30 दिन में खर्च करने के लिये जरूरत पड़ती है। संकट के समय बैंक अपने एचक्यूएलए का इस्तेमाल कर सकते हैं और ऐसा होने पर यह 100 फीसद से नीचे भी आ सकता है। लेकिन कोई बैंक यदि एचक्यूएलए का उपयोग करता है तो फौरन इसकी जानकारी आरबीआइ को देनी होगी। बैंक को यह बताना होगा कि उसने किन परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल किया और अब हालात सुधारने के लिये क्या कदम उठाए गए हैं।आरबीआइ ने 24 मार्च को एनबीएफसी के लिये एलसीआर लागू करने को एक ड्राफ्ट सकरुलर जारी किया है। एनबीएफसी को अगले वर्ष अप्रैल से लेकर 2024 तक चरणबद्ध ढंग एलसीआर के नियमों का पूरी तरह पालन करना है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक परिसंपत्ति वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए ‘ लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो ’ का नियम लागू करने का प्रस्ताव किया है। एलसीआर क्या है ? बैंकों और एनबीएफसी के लिए इसका क्या मतलब है ?
(GSHindi के मोबाइल ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और गूगल प्लस पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
बैंक एफडी या लिक्विडिटी फंड? सुरक्षित निवेश के लिए बेहतर विकल्प कौन, जानिए
आरबीआई मई से अभी तक रेपो रेट में 190 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर चुका है और अभी रिजर्व बैंक का रेपो रेट 5.9 प्रतिशत लिक्विडिटी क्या है? है।
जानिए आपके लिए निवेशे के कौन से हैं बेहतर विकल्प (फोटो-Freepik)
रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी के बाद कई बैंकों की ओर से एफडी पर ब्याज दर में बढ़ोतरी कर दी है। आरबीआई मई से अभी तक 190 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर चुका है और अभी रिजर्व बैंक का रेपो रेट 5.9 प्रतिशत है। वहीं अभी हाल ही में एसबीआई बैंक, एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक ने टर्म डिपॉजिट पर 2 करोड़ से कम जमा पर ब्याज में बढ़ोतरी की है।
इन बैंकों के ब्याज में बढ़ोतरी के कारण एफडी के इंटरेस्ट रेट हाई हो चुके हैं। ऐसे में निवेशकों के लिए निवेश का एक बेहतर विकल्प हो चुका है। कई एक्सपर्ट के अनुसार, मुद्रास्फिति को मात देने के लिए एफडी पर वर्तमान ब्याज अच्छा है। हालांकि कई एक्सपर्ट का मानान है कि निवेशकों को लिक्विड फंड में निवेश करना चाहिए। आइए जानते हैं आपके लिए कौन सा स्कीम बेहतर हो सकता है।
लिक्विडी फंड क्या है?
लिक्विड फंड 91 दिनों या 3 महीने तक की मैच्योरिटी वाली फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज जैसे कि ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर, सरकारी सिक्योरिटीज, बॉन्ड और डिबेंचर में निवेश किया जा सकता है। एक्सपर्ट मनोज डालमिया ने कहा कि लिक्विड फंड में कोई भी व्यक्ति जब चाहे तब रिडीम कर सकता है, क्योंकि इसमें कोई लॉक इन पीरियड नहीं है। लिक्विड फंड शॉर्ट और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स दोनों विकल्प के साथ आता है और इसमें इंडेक्सेशन लाभ भी हैं।
Gujarat: AAP सिर्फ वोट कटवा बनकर रह गई- आप विधायक ने BJP को दिया समर्थन तो सोशल मीडिया पर केजरीवाल पर ऐसे कसे गए तंज
Himachal Pradesh Result: किसी से नहीं डरती…, हिमाचल की अकेली महिला विधायक रीना कश्यप बोलीं- कोई दबा नहीं सकता आवाज
फिक्स डिपॉजिट (FD) क्या हैं?
फिक्स डिपॉजिट में कोई 7 दिनों से लेकर 10 साल तक निवेश कर सकता है, लेकिन रिटर्न केवल लंबी अवधि में अधिक होता है और कम समय में बचत खातों में समान रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है। मनोज डालमिया के अनुसार, बैंक सावधि जमा में लॉक इन पीरियड होता है और जल्दी निकासी करना केवल दंड के साथ ही संभव लिक्विडिटी क्या है? है। यह ब्याज आय को कम करता है।
लिक्विड फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट के बीच अंतर
मनोज डालमिया के मुताबिक, लिक्विड फंड और बैंक एफडी दोनों का इस्तेमाल शॉर्ट टर्म सरप्लस को कम करने और कम जोखिम के साथ मध्यम रिटर्न गेन करने के लिए किया जा सकता है। वहीं आप लिक्विड फंड में कभी भी पैसे की निकासी कर सकते हैं।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 835