ट्रेंड के खिलाफ ट्रेडिंग

Iq Option पर खराब ट्रेडिंग गलतियाँ जो आप शायद शीर्ष ट्रेडिंग गलतियाँ करते हैं

ट्रेडिंग में हम सभी गलतियाँ कर सकते हैं। ज्यादातर जब हम ट्रेडिंग शुरू करते हैं तो हम कुछ गलतियाँ करते हैं क्योंकि हम बहुत सी चीजें सीखते हैं और उनका सही तरीके से उपयोग करने का प्रयास करते हैं। यहां तक ​​​​कि सबसे पेशेवर व्यापारी भी गलतियाँ कर सकते हैं। हालांकि, उन्हें न करना बेहतर है। यहां हमने 5 सबसे आम व्यापारिक गलतियों की एक सूची एकत्र की है जो शुरुआती करते हैं। इस लेख को पढ़ें और भविष्य में इन गलतियों से बचने की कोशिश करें।

ट्रेडिंग प्लान न होना

ट्रेडिंग में, समय पर तैयारी एक बड़ी भूमिका निभाती है। कई व्यापारी एक अच्छी योजना नहीं बना सकते हैं, जिसका वे अनुभव की कमी के कारण पालन करेंगे या क्योंकि वे भावनात्मक रूप से व्यापार में शामिल हैं। यदि आपके पास सुव्यवस्थित योजना नहीं है, तो आपका नुकसान बहुत बढ़ सकता है। इससे पहले कि आप एक ट्रेड खोलें, आपको यह जानना होगा कि आप कितनी राशि का निवेश करेंगे, शीर्ष ट्रेडिंग गलतियाँ निकास बिंदु और अधिकतम नुकसान जो आपकी भविष्यवाणी गलत होने की स्थिति में उत्पन्न हो सकता है। ध्यान रखें, यदि आपके पास एक अच्छी ट्रेडिंग योजना है, लेकिन आप इसका पालन नहीं कर सकते हैं तो यह आपकी कमाई के लिए बुरा है।

F&O Stocks: HAL समेत 10 स्टॉक्स की फ्यूचर एंड ऑप्शंस सेग्मेंट में होगी एंट्री, 27 अगस्त से ट्रेडिंग की शुरुआत

F&O Stocks: HAL समेत 10 स्टॉक्स की फ्यूचर एंड ऑप्शंस सेग्मेंट में होगी एंट्री, 27 अगस्त से ट्रेडिंग की शुरुआत

स्टॉक्स को बाजार नियामक सेबी द्वारा तय मानकों के आधार पर ही सेग्मेंट में शामिल करने का फैसला लिया गया है.

F&O Stocks: अगर आप शीर्ष ट्रेडिंग गलतियाँ Futures and Options (F&O) segment में ट्रेडिंग करते हैं तो 27 अगस्त से 10 और विकल्प उपलब्ध हो जाएंगे. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के मुताबिक 27 अगस्त से इस सेग्मेंट में 10 और स्टॉक्स की ट्रेडिंग शुरू हो जाएगी. इसमें डिक्सॉन टेक्नोलॉजीज, कैन फाइनेंस होम्स, इंडियामार्ट, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), पॉलीकैब इंडिया, इप्का लैब, ओरेकल फाइनेंशियल, सिंजीन इंटरनेशनल, इंडियन एनर्जी एक्सचेंज और एमसीएक्स शामिल हैं. एनएसई के मुताबिक मार्केट लॉट की जानकारी इन स्टॉक्स की F&O segment में एंट्री के एक दिन पहले उपलब्ध होगी. इन स्टॉक्स को बाजार नियामक सेबी द्वारा तय मानकों के आधार पर ही सेग्मेंट में शामिल करने का फैसला लिया गया है.

F&O में शामिल होने के लिए ये हैं मानक

  • रोलिंग कैलकुलेशन के आधार पर पिछले छह महीनों में डेली बैसिस पर औसतन मार्केट कैप और औसतन डेली ट्रेडेड वैल्यू के आधार पर टॉप 500 स्टॉक्स में शामिल होना चाहिए.
  • पिछले छह महीनों में स्टॉक का मीडियन क्वार्टर सिग्मा ऑर्डर साइज 25 लाख रुपये से अधिक होना चाहिए. मीडियन क्वार्टर सिग्मा का मतलब है कि ऑर्डर साइज शीर्ष ट्रेडिंग गलतियाँ शीर्ष ट्रेडिंग गलतियाँ कम से कम इतना होना चाहिए कि इससे स्टॉक के प्राइस पर असर पड़ सके. इस क्राइटेरिया को लेकर सेबी की मंजूरी लेनी होती है.
  • रोलिंग बेसिस पर स्टॉक की मार्केट वाइड पोजिशन लिमिट 500 करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए. इसके तहत ये देखा जाता है कि स्टॉक सक्रिय रूप से ट्रेड हो रहा है या सिर्फ कुछ ही लोगों के पास सीमित है.
  • सेबी के मुताबिक अगर लगातार तीन महीनों तक एलिजिबिलिटी शर्तें नहीं पूरी होती हैं तो उस सिक्योरिटी के नए मासिक कांट्रैक्ट नहीं जारी होंगे. हालांकि जो वर्तमान कांट्रैक्ट हैं और एक्सपायर नही हुए हैं, उन्हें एक्सपायरी तक ट्रेडिंग की मंजूरी रहेगी. इसके अलावा चालू कांट्रैक्ट महीने में फ्रेश स्ट्राइक्स को इंट्रोड्यूस किया जा सकता है.

फ्चूयर और ऑप्शंस कांट्रैक्टस क्या हैं?

  • फ्यूचर कांट्रैक्ट में दो पार्टियों के बीच एक फ्यूचर डेट पर एक प्राइस में सिक्योरिटीज को बेचने या खरीदने के लिए कांट्रैक्ट होता है. इस प्राइस का निर्धारण कांट्रैक्ट के समय ही हो जाता है. यह कांट्रैक्ट बीएसई या एनएसई के जरिए होता है. वहीं दूसरी तरफ ऑप्शंस कांट्रैक्ट में एक अंडरलाइंग एसेट को किसी खास दिन या प्राइस पर बिक्री या खरीदने के राइट्स मिलते हैं और इसमें कोई ऑब्लिगेशन नहीं होता है.
  • फ्यूचर कांट्रैक्ट्स का अधिकतम तीन महीनों का ट्रेडिंग साइकिल होता है, जिसमें नियर (Near), नेक्स्ट (Next) और फार (Far) मंथ हैं. नए कांट्रैक्ट नियर मंथ कांट्रैक्ट्स के एक्सपायरी के बाद आते हैं. किसी भी कारोबारी दिन तीनों कांट्रैक्ट उपलब्ध रहते हैं. ऑप्शंस कांट्रैक्ट्स का भी तीन महीनों का साइकिल होता है.
  • F&O contracts तीसरे महीने के अंतिम गुरुवार को समाप्त होते हैं और अगर इस दिन छुट्टी पड़ती है तो उसके एक कारोबारी दिन पहले यह कांट्रैक्ट एक्सपायर होगा.
  • निफ्टी50 कांट्रैक्ट्स के लिए लॉट साइज 50 है. इसके अलावा अन्य स्टॉक्स का लॉट साइज 40 है.
    (सोर्स: ब्रोकरेज एंड रिसर्च फर्म एंजेल वन)

ट्रेडिंग में इन बड़ी गलतियों से बचेंगे तो नुकसान होने की आशंका कम होगी

यूटिलिटी डेस्क. स्टॉक मार्केट में ट्रेड या निवेश करने वाले बाजार में उतार-चढ़ाव और निवेश के जोखिम को अच्छी तरह समझते हैं। कई बार छोटी गलतियों की वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन यदि वे कुछ सावधानियां बरतें और गलतियों से बचें तो इस तरह के नुकसान बच सकते हैं। हम यहां ऐसी ही पांच गलतियों का जिक्र कर रहे हैं जिन्हें शेयर बाजार में सौदे करते समय निवेशकों को हमेेशा ध्यान में रखनी चाहिए..

F&O Stocks: HAL समेत 10 स्टॉक्स की फ्यूचर एंड ऑप्शंस सेग्मेंट में होगी एंट्री, 27 अगस्त से ट्रेडिंग की शुरुआत

F&O Stocks: HAL समेत 10 स्टॉक्स की फ्यूचर एंड ऑप्शंस सेग्मेंट में होगी एंट्री, 27 अगस्त से ट्रेडिंग की शुरुआत

स्टॉक्स को बाजार नियामक सेबी द्वारा तय मानकों के आधार पर ही सेग्मेंट में शामिल करने का फैसला लिया गया है.

F&O Stocks: अगर आप Futures and Options (F&O) segment में ट्रेडिंग करते हैं तो 27 अगस्त से 10 और विकल्प उपलब्ध हो जाएंगे. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के मुताबिक 27 अगस्त से इस सेग्मेंट में 10 और स्टॉक्स की ट्रेडिंग शुरू हो जाएगी. इसमें डिक्सॉन टेक्नोलॉजीज, कैन फाइनेंस होम्स, इंडियामार्ट, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), पॉलीकैब इंडिया, इप्का लैब, ओरेकल फाइनेंशियल, सिंजीन इंटरनेशनल, इंडियन एनर्जी एक्सचेंज और एमसीएक्स शामिल हैं. एनएसई के मुताबिक मार्केट लॉट की जानकारी इन स्टॉक्स की F&O segment में एंट्री के एक दिन पहले उपलब्ध होगी. इन स्टॉक्स को बाजार नियामक सेबी द्वारा तय मानकों के आधार पर ही सेग्मेंट में शामिल करने का फैसला लिया गया है.

F&O में शामिल होने के लिए ये हैं मानक

  • रोलिंग कैलकुलेशन के आधार पर पिछले छह महीनों में डेली बैसिस पर औसतन मार्केट कैप और औसतन डेली ट्रेडेड वैल्यू के आधार पर टॉप 500 स्टॉक्स में शामिल होना चाहिए.
  • पिछले छह महीनों में स्टॉक का मीडियन क्वार्टर सिग्मा ऑर्डर साइज 25 लाख रुपये से अधिक होना चाहिए. मीडियन क्वार्टर सिग्मा का मतलब है कि ऑर्डर साइज कम से कम इतना होना चाहिए कि इससे स्टॉक के प्राइस पर असर पड़ सके. इस क्राइटेरिया को लेकर सेबी की मंजूरी लेनी होती है.
  • रोलिंग बेसिस पर स्टॉक की मार्केट शीर्ष ट्रेडिंग गलतियाँ वाइड पोजिशन लिमिट 500 करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए. इसके तहत ये देखा जाता है कि स्टॉक सक्रिय रूप से ट्रेड हो रहा है या सिर्फ कुछ ही लोगों के पास सीमित है.
  • सेबी के मुताबिक अगर लगातार तीन महीनों तक एलिजिबिलिटी शर्तें नहीं पूरी होती हैं तो उस सिक्योरिटी के नए मासिक कांट्रैक्ट नहीं जारी शीर्ष ट्रेडिंग गलतियाँ होंगे. हालांकि जो वर्तमान कांट्रैक्ट हैं और एक्सपायर नही हुए हैं, उन्हें एक्सपायरी तक ट्रेडिंग की मंजूरी रहेगी. इसके अलावा चालू कांट्रैक्ट महीने में फ्रेश स्ट्राइक्स को इंट्रोड्यूस किया जा सकता है.

फ्चूयर और ऑप्शंस कांट्रैक्टस क्या हैं?

  • फ्यूचर कांट्रैक्ट में दो पार्टियों के बीच एक फ्यूचर डेट पर एक प्राइस में सिक्योरिटीज को बेचने या खरीदने के लिए कांट्रैक्ट होता है. इस प्राइस का निर्धारण कांट्रैक्ट के समय ही हो जाता है. यह कांट्रैक्ट बीएसई या एनएसई के जरिए होता है. वहीं दूसरी तरफ ऑप्शंस कांट्रैक्ट में एक अंडरलाइंग एसेट को किसी खास दिन या प्राइस पर बिक्री या खरीदने के राइट्स मिलते हैं और इसमें कोई ऑब्लिगेशन नहीं होता है.
  • फ्यूचर कांट्रैक्ट्स का अधिकतम तीन महीनों का ट्रेडिंग साइकिल होता है, जिसमें नियर (Near), नेक्स्ट (Next) और फार (Far) मंथ हैं. नए कांट्रैक्ट नियर मंथ कांट्रैक्ट्स के एक्सपायरी के बाद आते हैं. किसी भी कारोबारी दिन तीनों कांट्रैक्ट उपलब्ध रहते हैं. ऑप्शंस कांट्रैक्ट्स का भी तीन महीनों का साइकिल होता है.
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