Gold Hallmarking : हॉलमार्क क्या है? हॉलमार्क वाले सोने की पहचान कैसे करें।
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Gold Hallmarking – आपने हॉलमार्क (hallmarking) शब्द को गहनों के संबंध में तो सुना ही होगा। भारत सरकार ने भी गहनों पर हॉलमार्क लगाना पूरी तरह से अनिवार्य कर दिया है। तो आज हम इस पोस्ट (post) के माध्यम से जानेंगे कि हॉलमार्क क्या है।
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Gold Hallmarking – हॉलमार्क सोना क्या है?
फ्रेंड्स हॉलमार्क (friends hallmarking) धातु की गुणवत्ता के रूप में प्रमाणित सोने, चांदी, प्लेटिनम आदि जैसी कीमती धातुओं की गुणवत्ता को प्रमाणित करने के लिए लगाया जाने वाला आधिकारिक चिह्न है।
हॉलमार्किंग (hallmarking) एक सरकारी प्रणाली है। या यह सरकार द्वारा जारी प्रमाण है। जो गहनों की शुद्धता की गारंटी देता है।
Gold Hallmarking – हॉलमार्क कितने प्रकार के होते हैं? हॉलमार्क क्या है?
यह सिस्टम बीआईएस (system bis) यानी भारतीय मानक ब्यूरो के तहत लागू किया गया है जो केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।
इस प्रावधान के तहत, बीआईएस (BIS) ने आभूषणों की शुद्धता की जांच के लिए पूरे भारत में ए एंड एच केंद्र स्थापित किए हैं। A&H का मतलब है परख और हॉलमार्किंग सुनार और जौहरी इन केंद्रों से हॉलमार्क वाले आभूषण प्राप्त कर सकते हैं।
इस हॉलमार्किंग(hallmarking) में 22 कैरेट, 18 कैरेट और 14 कैरेट का है। ये तीन श्रेणियां सोने के गहनों की शुद्धता निर्धारित करती हैं।
Gold Hallmarking – हॉलमार्क वाले सोने की पहचान कैसे करें
हॉलमार्क वाले गहनों में पांच तरह के निशान होते हैं। यह आभूषणों में मिलावट को रोकने और उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी से बचाने के लिए बीआईएस मानक चिह्न, सोने की मात्रा, कस्टम परीक्षण केंद्र चिह्न, वर्ष कोड और जौहरी चिह्न की हॉलमार्किंग प्रणाली को लागू करता है।
हम आपको यह भी बताते हैं कि हॉलमार्क (hallmarking) वाले गहनों की शुद्धता अंकों से अंकित होती है। उदाहरण के लिए, यदि गहनों पर संख्या 999 है, तो इसका अर्थ है आभूषण 24 कैरेट के 99.9% शुद्ध सोने से बना है।
और अगर गहनों पर यह संख्या 91.6 है तो इसका मतलब है कि गहने 91% शुद्ध सोने से बने हैं। जो 22 कैरेट का है।
अगर गहनों पर यह संख्या 750 है तो इसका मतलब है। गहने 75% शुद्ध सोने से बने होते हैं। जो 18 कैरेट का है। साथ ही अगर ज्वैलरी पर 583 या नंबर है
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तो इसका मतलब है। 58 3% आभूषण, शुद्ध सोना यानी 14 कैरेट। हॉलमार्क से सोने की पहचान करने का एक बहुत ही आसान तरीका है। किसी भी ज्वैलरी शॉप से ज्वैलरी खरीदें।
तो गहनों में कितना प्रतिशत सोना होता है? तदनुसार, उस पर एक हॉलमार्क चिन्ह लगाया जाता है। शुद्ध सोने से बने किसी भी आभूषण (gold) की तरह। इसलिए यह 99.5 की एक बानगी है।
यानी गहनों में 24 कैरेट सोना होता है। यदि किसी आभूषण पर 916 अंकित है। तो यह 22 कैरेट केटेगरी में आता है। अगर किसी भी ज्वैलरी पर 83.3 मार्किंग है।
तो यह 20 कैरेट केटेगरी (carat category) में आता है। यदि किसी आभूषण के टुकड़े पर 750 अंक हैं। तो यह 18 कैरेट की श्रेणी में आता है। अगर किसी आभूषण पर 583 का निशान है। तो यह 14 कैरेट कैटेगरी में आता है।
Gold Hallmarking – हॉलमार्क क्या है? हॉलमार्क ज्वेलरी
आज हम बात करने जा रहे हैं। गोल्ड हॉलमार्क 24 कैरेट गोल्ड, गोल्ड का व्यापार कैसे करें 22 कैरेट गोल्ड, 18 कैरेट गोल्ड में क्या अंतर है। और कैरेट सोना किससे खरीदना चाहिए?
दोस्तों जब भी हम सोने के गहने खरीदने जाते हैं तो सबसे पहले हम सोने की कीमत पूछते हैं। उसके बाद ज्वैलरी मेकिंग चार्ज (gold making charge) क्या होगा। आइए जानते हैं इसके बारे में।
भारत में सबसे ज्यादा सोना शादियों और त्योहारों के दौरान खरीदा जाता है। लेकिन उस समय सोने की कीमत भी ज्यादा थी। ऐसे में अगर आप कम कीमत में सोना खरीदना चाहते हैं
तो आपके पास और भी विकल्प हैं। 24 या 22 कैरेट सोने के गहनों के अलावा अगर आप 18 कैरेट सोने के गहने खरीदते हैं, तो उनकी कीमतें काफी भिन्न होंगी।
पोस्ट के माध्यम से अगर आपको गोल्ड या हॉलमार्क (gold hallmarking) पर हॉलमार्क के बारे में कोई जानकारी मिली है तो इस पोस्ट को पहले से शेयर जरूर करें। हॉलमार्किंग के बारे में विस्तार से बताया गया है।
हॉलमार्क चिन्ह की विशेषताएं क्या हैं? हॉलमार्क कितने प्रकार के होते हैं? गोल्ड हॉलमार्किंग (gold hallmarking) को आप e.t.c. द्वारा आसानी से समझ सकते हैं।
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सोने की खरीदारी से पहले जान लें कैसा होता है असली बिल, रसीद में चेक करें ये बातें लिखी हैं या नहीं
अस्थाई बिल वह होता है जो एक व्यापारी द्वारा किसी ग्राहक को ऐसी वस्तु की खरीद पर जारी किया जाता है जो व्यापारी के ऑडिट या लेजर में नहीं दिखाई जाती है. इस प्रकार, वह टैक्स देने से बच सकता है.
अभी सोने की खरीदारी का असली सीजन चल रहा है. आप भी खरीदने का मन बना रहे हैं तो कुछ जरूरी बातों पर जरूर गौर कर लें. पहली बात तो जो आभूषण या सोने का प्रोडक्ट खरीद रहे हैं, उस पर हॉलमार्किंग जरूर देख लें. यह पहला पायदान है जो सुनिश्चित करता है कि आपकी खरीदारी सही है और सही जगह पर पैसा दे रहे हैं. दूसरी बात बिल को लेकर है. बिना बिन के कोई खरीदारी न करें क्योंकि बाद में वही दुकानदार मुकर सकता है कि आपने उसी से सामान लिया है. बिल लेने का फायदा यह होता है कि जब उसे बेचने जाएंगे तो कई तरह के झंझटों से बच जाएंगे.
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) के मुताबिक, रिटेलर या ज्वेलर से अगर हॉरमार्क्ड जेवर खरीदते हैं तो जरूरी है कि उससे प्रमाणित बिल या इनवॉयस जरूर लें. यह किसी भी प्रकार के विवाद, दुरुपयोग या शिकायत निपटारे के लिए जरूरी है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि हॉलमार्क्ड ज्वेलरी का बिल कैसा होना चाहिए और उसमें किन-किन बातों का जिक्र जरूरी है.
क्या है BIS का निर्देश
BIS की वेबसाइट बताती है कि जौहरी या खुदरा विक्रेता से मिले बिल/चालान में हॉलमार्क वाली वस्तुओं की डिटेल होना जरूरी है. हॉलमार्क वाले कीमती मेटल की वस्तुओं की बिक्री के बिल या चालान में हर वस्तु का विवरण, कीमती मेटल का शुद्ध वजन, कैरेट, शुद्धता और हॉलमार्किंग चार्ज का जिक्र किया जाना चाहिए. यह भी लिखा जाना चाहिए कि “उपभोक्ता हॉलमार्क वाले आभूषणों या कलाकृतियों की शुद्धता को बीआईएस से मान्यता प्राप्त किसी भी एएंडएच केंद्र से सत्यापित करवा सकते हैं.”
इस उदाहण से समझें
मान लें आप किसी जौहरी की दुकान से सोने का आभूषण खरीद रहे हैं. आपने 8 ग्राम और 22 कैरेट सोने की चेन खरीदी है. ऐसे में आपके बिल, इनवॉयस या चालान पर आपका जौहरी कुछ इस प्रकार लिखेगा-
- आइटम का नाम और डिटेल: सोने की चेन
- मात्रा: 1
- वजन (ग्राम): 8 ग्राम
- शुद्धता: 22KT
- वर्तमान सोने की दर और मेकिंग चार्ज
- हॉलमार्किंग शुल्क: 35 रुपये + जीएसटी
- खरीदार द्वारा देय कुल राशि
इससे बचना जरूरी
कई दुकानदार ग्राहकों को कच्चा बिल या अस्थायी बिल भी देते हैं. इस बिल में सभी बातें दर्ज नहीं होतीं. अस्थाई बिल वह होता है जो एक व्यापारी द्वारा किसी ग्राहक को ऐसी वस्तु की खरीद पर जारी किया जाता है जो व्यापारी के ऑडिट या लेजर में नहीं दिखाई जाती है. इस प्रकार, वह टैक्स देने से बच सकता है. इधर ग्राहक भी अलग-अलग तरह के टैक्स (अब जीएसटी) का भुगतान करने से बचता है. एक अस्थायी बिल केवल ज्वेलरी स्टोर (जिससे ज्वेलरी पीस खरीदा गया है) और आपके द्वारा खरीदे गए ज्वैलरी आइटम का नाम दिखाता है. यह अक्सर गोल्ड का व्यापार कैसे करें कागज के एक खाली टुकड़े पर बनाया जाता है. इस तरह के लेन-देन से काला धन पैदा होता है.
दूसरी ओर, एक स्थायी बिल या चालान पूरी तरह से वैध लेनदेन पर आधारित होता है और कई डिटेल देता है-
घर बैठे जानें कितना शुद्ध है आपका सोना और गोल्ड का व्यापार कैसे करें कितनी होगी इसकी कीमत
धनतेरस और दिवाली पर सोने की खरीददारी अच्छी होती है. हर कोई शुद्ध सोने की तलाश में घूमता है और रेट गोल्ड का व्यापार कैसे करें को लेकर कई ज्वैलर्स के यहां पता करते हैं.
धनतेरस और दिवाली पर सोने की खरीददारी अच्छी होती है. हर कोई शुद्ध सोने की तलाश गोल्ड का व्यापार कैसे करें में घूमता है और रेट को लेकर कई ज्वैलर्स के यहां पता करते हैं. इस दिवाली आप यदि सोना खरीदने जा रहे हैं तो पहले कुछ जरूरी बातें जान लें. क्योंकि महंगाई के इस दौर में अगर दुकानदार छल करे तो शायद ही कोई बर्दाश्त करे. असली सोने की पहचान करना आसान नही होता, खासतौर से आम आदमी के लिए. सोने की पहचान में पूरी तरह पारंगत होना तो आसान नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियां बरत कर आप गलत चीज खरीदने से बच सकते हैं.
आज हम आपको बताएंगे कि सोना खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें. हम आपको बताएंगे कि आपका सोना कितना शुद्ध है. सोना खरीदते वक्त उसकी क्वॉलिटी पर जरूर गौर करें. सबसे अच्छा है कि हॉलमार्क देखकर सोना खरीदें. हॉलमार्क सरकारी गारंटी है. हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) करती है.
24 कैरेट गोल्ड की नहीं बनती ज्वैलरी
हॉलमार्किंग योजना भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के तहत संचालन, नियम और विनियम का काम करती है. सबसे पहली बात यह कि असली सोना 24 कैरेट का ही होता है, लेकिन इसके अभूषण नहीं बनते, क्योंकि वो बेहद मुलायम होता है. आम तौर पर आभूषणों के लिए 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें 91.66 फीसदी सोना होता है. हॉलमार्क पर पांच अंक होते हैं. सभी कैरेट का हॉलमार्क अलग होता. मसलन 22 कैरेट पर 916, 21 कैरेट पर 875 और 18 पर 750 लिखा होता है. इससे शुद्धता में शक नहीं रहता.
ऐसे समझिए कैसे तय कर सकते हैं अपने गोल्ड की कीमत
1. कैरेट गोल्ड का मतलब होता हे 1/24 पर्सेंट गोल्ड, यदि गोल्ड का व्यापार कैसे करें आपके आभूषण 22 कैरेट के हैं तो 22 को 24 से भाग देकर उसे 100 से गुणा करें.
(22/24)x100= 91.66 यानी आपके आभूषण में इस्तेमाल सोने की शुद्धता 91.66 फीसदी.
मसलन 24 कैरेट सोने का रेट टीवी पर 32000 है और बाजार में इसे खरीदने जाते हैं तो 22 कैरेट सोने का दाम (32000/24)x22=29333 रुपए होगा. जबकि ज्वैलर आपको 22 कैरेट सोना 32000 में ही देगा. यानी आप 22 कैरेट सोना 24 कैरेट सोने के दाम पर खरीद रहे हैं.
2. ऐसे ही 18 कैरेट गोल्ड की कीमत भी तय होगी. (32000/24)x18=24000 जबकि ये ही सोना ऑफर के साथ देकर ज्वैलर आपको छलते हैं.
शुद्धता के हिसाब से दिए जाने वाले अंक
24 कैरेट- 99.गोल्ड का व्यापार कैसे करें 9
23 कैरेट--95.8
22 कैरेट--91.6
21 कैरेट--87.5
18 कैरेट--75.0
17 कैरेट--70.8
14 कैरेट--58.5
9 कैरेट--37.5
ऐसे पहचानें असली हॉलमार्क
हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है. भारत में बीआईएस वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है. यदि सोना-चांदी हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है. लेकिन कई ज्वैलर्स बिना जांच प्रकिया पूरी किए ही हॉलमार्क लगा रहे हैं. ऐसे में यह देखना जरूरी है कि हॉलमार्क ओरिजनल है या नहीं? असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है. उस पर हॉलमार्किंग सेंटर के लोगो के साथ सोने की शुद्धता भी लिखी होती है. उसी गोल्ड का व्यापार कैसे करें में ज्वैलरी निर्माण का वर्ष और उत्पादक का लोगो भी होता है.
शुद्धता का ख्याल रखें
गोल्ड ज्वैलरी खरीदते वक्त सबसे पहले उसकी शुद्धता का पता लगाएं. 24 कैरेट गोल्ड सबसे शुद्ध होता है पर इससे ज्वैलरी नहीं बनती. गोल्ड ज्वैलरी 22 या 18 कैरेट के सोने से बनती है. यानी 22 कैरेट गोल्ड के साथ 2 कैरेट कोई और मेटल मिक्स किया जाता है. ज्वैलरी खरीदने से पहले हमेशा ज्वैलर्स से सोने की शुद्धता की जांच करा लें. सोने की शुद्धता जानने के लिए सोने को पिघाला भी जाता है.
एसिड टेस्ट
कुछ केमिकल और एसिड होते हैं जिनके इस्तेमाल से सोने की गुणवत्ता परखी जा सकती है. सोने के संपर्क में आने के बाद इन पर कोई असर नहीं होता लेकिन अशुद्ध सोने के संपर्क में आने पर ये रियेक्ट करते हैं.
Gold: सोने में निवेश करने के 5 बेस्ट ऑप्शन, हर स्कीम में है खास बात
कोरोना वायरस के समय में सोना खरीदने या निवेश करने के लिए 5 बेस्ट ऑप्शन कौन-से हैं.
Imports of the yellow metal stood at USD 8.75 billion in the corresponding period of 2019-20.
Gold Investment: ग्लोबल आउटपुट में गिरावट के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था आकलन के मुताबिक ज्यादा गहरी मंदी में हैं और दूसरे कई एसेट क्लास में अच्छा रिटर्न नहीं मिल रहा है. ऐसे में सोना दुनिया भर में निवेशकों के लिए सुरक्षित विकल्प के तौर पर उभरा है. हालांकि, वर्तमान में प्रतिबंधों और लॉकडाउन के कारण फिजिकल गोल्ड की डिमांड में गिरावट हुई है, लेकिन लोग सोने में डिजिटल तौर पर निवेश कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कि कोरोना वायरस के समय में सोना खरीदने या निवेश करने के लिए 5 बेस्ट ऑप्शन कौन-से हैं.
लोकल ज्वैलर से फिजिकल गोल्ड खरीदना
फिजिकल गोल्ड खरीदने का एक विकल्प अपने पड़ोस का ज्वैलर है जिस पर आप विश्वास भी करें. आपको कैश में भुगतान करना है और अपने लोकल ज्वैलर से ज्वैलरी खरीदनी है. हाालंकि, अगर आपके क्षेत्र में ज्वैलरी की दुकानें बंद हैं या बाहर जाना आपको सुरक्षित नहीं लग रहा है, तो आप दूसरे विकल्पों पर ध्यान दे सकते हैं.
गोल्ड ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स) में निवेश करना
आप गोल्ड ETF में भी निवेश कर सकते हैं. हालांकि, भारत में ये ज्यादा लोकप्रिय नहीं हैं. लेकिन अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के बीच इनकी लोकप्रियता बहुत अधिक है.
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गोल्ड एकम्यूलेशन प्लान (GAP)
व्यक्ति सोना ऑनलाइन मोबाइल वॉलेट जैसे पेटीएम, फोन पे और स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के गोल्ड रश प्लान के तहत खरीद सकता है. ये सोने को खरीदने के विकल्प MMTC-PAMP के साथ SafeGold या दोनों के साथ मिलकर पेश किए जाते हैं.
फ्यूचर/ ऑप्शंस प्लेटफॉर्म पर सोने को खरीदना या बेचना
यह पूरे तौर पर व्यापार की दृष्टि से है. जहां व्यक्ति सोने में ट्रेड अपने अकाउंट में मार्जिन रखकर और कीमतों में उतार-चढ़ाव से फायदा लेने के लिए करना चाहता है.
भारत सरकार द्वारा जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश
भारत में सोने को एक उत्पादक एसेट में बदलने के लिए सरकार ने 5 नवंबर 2015 को गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम (GMS) को पेश किया था जिसकी मदद से बैंक लोकर में रखे सोने पर ब्याज कमाने में मदद मिलती है.
क्योंकि सोना भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश और विदेशी निवेश के आउटफ्लो का बड़ा भाग है, इसलिए गोल्ड बॉन्ड स्कीम ऐसे निवेशकों के लिए अहम है जो सोने में अपने पोर्टफोलियो को विभाजित करना चाहते हैं.
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