रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर एक व्यापक बिल पेश करने की तैयारी कर रही है, जिसे संसद के अगले शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। क्रिप्टो करेंसी पर वित्त पर स्थायी समिति की अगली बैठक 15 नवंबर को होने जा रही है। जिसमें इसके सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पहले ही सरकार के सामने अपनी बात रख चुका है। प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo : IANS)

क्रिप्टो में भारतीयों के लग चुके 6 लाख करोड़ से ज्यादा, फ्रॉड हुआ तो नहीं मिलेगा एक भी पैसा!

बिजनेस क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है डेस्कः क्रिप्टोकरेंसी में अब तक भारतीयों के 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश हो चुके हैं। देश में कुल 4 क्रिप्टो एक्सचेंज काम कर रही हैं लेकिन ज्यादातर निवेशकों को शायद ही इस बात का अंदाजा हो कि यदि कोई हेराफेरी होती है तो वे कानूनी तौर पर कुछ भी नहीं कर पाएंगे। साइबर कानूनों के विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विराग गुप्ता कहते हैं- ‘अनरेगुलेटेड एक्सचेंज या क्रिप्टो के कारोबारी यदि फ्रॉड करके गायब हो जाएं तो निवेशकों की जमापूंजी डूबनी तय है। ऐसे में पीड़ित लोगों के पास सिर्फ दो विकल्प हाेंगे।

पहला- पुलिस में आपराधिक शिकायत दर्ज कराना।
दूसरा- कोर्ट में सिविल मुकदमा दायर करके एक्सचेंज या क्रिप्टो कारोबारी से हर्जाने की मांग करना लेकिन जिस मामले पर संसद अभी तक कोई कानून नहीं बना पाई है, उस पर एक पुलिस अफसर क्या ही कर लेगा, यह समझा जा सकता है।’

एक वित्तीय कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बैंक, म्यूचुअल फंड या जीरोधा जैसे स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफार्म खोलने के लिए कंपनियों को कई प्रकार के लाइसेंस, जांच और प्रतीक्षा अवधि से गुजरना पड़ता है। क्रिप्टो बाजार में इस तरह का कोई सरकारी सेफ्टी नेट नहीं है। अगर क्रिप्टो मार्केट में मैनीपुलेशन हुआ हो तो निवेशक का नुकसान तय है, क्योंकि उसके पास यह जानने का कोई कानूनी प्रावधान ही नहीं है कि उसके निवेश के साथ क्या हो रहा है। क्रिप्टो बाजार में इस समय फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। अगर ऐसे फर्जीवाड़े किसी विनियमित सेक्टर में हो तो कई लोग अब तक जेल पहुंच चुके होते।

रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो कारोबार को अवैध घोषित करने के लिए 2018 में सर्कुलर जारी किया था। इसे सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2020 में निरस्त कर दिया। इससे क्रिप्टो पर लगा प्रतिबंध हट गया। कई निवेशक अब इससे होने वाली कमाई से टैक्स दे रहे हैं, इसलिए यह गैरकानूनी भी नहीं है लेकिन इसे वैध बनाने के लिए केंद्र सरकार ने अभी तक कोई कानून नहीं बनाया है। यही वजह है कि इसमें होने वाली अनियमितताओं पर कार्रवाई होनी लगभग नामुमकिन हो सकती है।

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कारोबार : क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार जल्द ले सकती है बड़ा फैसला

मोदी सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कुछ योजना बना रही है। इस मुद्दे पर 13 नवंबर को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी जिस बैठक में रिजर्व बैंक, वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय के बीच एक संयुक्त परामर्श प्रक्रिया का पालन किया गया जिसमें मंत्रालयों ने विभिन्न देशों और दुनिया भर के विशेषज्ञों के साथ क्रिप्टोकुरेंसी पर चर्चा की। अब सरकार क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर बड़ा फैसला लेने के मूड में है।

रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर एक व्यापक बिल पेश करने की तैयारी कर रही है, जिसे संसद के अगले शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। क्रिप्टो करेंसी पर वित्त पर स्थायी समिति की अगली बैठक 15 नवंबर को होने जा रही है। जिसमें इसके सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पहले ही सरकार के सामने अपनी बात रख चुका है। प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo : IANS)

आपको बता दें कि आरबीआई ने शुक्रवार को डिजिटल संपत्ति पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि उसे इसके बारे में कार्यरत है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि वर्चुअल करेंसी पर आरबीआई के रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हमें क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ी चिंता है, जिसकी सूचना हमने सरकार को दी है। उन्होंने कहा कि निवेशकों को भी डिजिटल करेंसी को लेकर काफी सावधान रहने की जरूरत है। लेकिन भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चीन जैसा रुख अपनाने को तैयार नहीं है। चीन ने डिजिटल संपत्ति पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर एक नियामक के पक्ष में है। इसका मतलब यह हो सकता है कि भारत क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाता है। इस पर कड़ी निगरानी रखी क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है जाएगी। सरकार को जिस चिंता का समाधान करने की आवश्यकता है वह यह है कि ऐसी डिजिटल संपत्तियों को मुद्रा या निवेश संपत्ति के रूप में माना जाता है। सूत्रों का मानना है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा का दर्जा मिलने की संभावना नहीं है। हालांकि, अगर इसे ठीक से विनियमित किया जाता है तो बेहतर कर संग्रह की उम्मीद की जा सकती है।

आरबीआई के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी देश की व्यापक अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। केंद्रीय बैंक ने भी इनकी बाजार कीमत पर संदेह जताया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले बुधवार को क्रिप्टोकरेंसी की अनुमति के खिलाफ अपने विचार दोहराते हुए कहा कि यह किसी भी वित्तीय प्रणाली के लिए एक गंभीर खतरा है क्योंकि यह केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई के आंतरिक पैनल की एक रिपोर्ट अगले महीने आने की उम्मीद है।

13 नवंबर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि गैर-पारदर्शी विज्ञापनों के माध्यम से युवाओं को गुमराह करने और क्रिप्टोकरेंसी के बारे में झूठे वादे करने के प्रयासों को रोका जाना चाहिए। बैठक में निर्णय लिया गया कि सरकार विशेषज्ञों और शेयरधारकों के साथ क्रिप्टोकरेंसी पर चर्चा करना जारी रखेगी। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि फ्लोटिंग क्रिप्टो मार्केट को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग का हथियार नहीं बनने दिया जाना चाहिए। सरकार का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी तकनीक है जो लगातार विकसित हो रही है। इसलिए इस पर पैनी नजर रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। बैठक में इस बात पर सहमति हुई कि इस मुद्दे पर सरकार जो भी कदम उठाएगी वह प्रगतिशील और दूरंदेशी होगी। सरकार इस मामले में विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करना जारी रखेगी।

Crypto Market: तबाही के बाद कुछ संभला क्रिप्टो बाजार, अभी और उथलपुथल संभव

Cryptocurrency Market: मार्केट लीडर, बिटकॉइन 30,000 डॉलर के मूल्य स्तर पर फिर लौट आया है और पिछले 24 घंटों में 5 फीसदी तक बढ़ गया।

Neel Mani Lal

Crypto Market: तबाही के बाद कुछ संभला क्रिप्टो बाजार, अभी और उथलपुथल संभव

क्रिप्टो बाजार (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Crypto Market: क्रिप्टो बाजार में आई जबर्दस्त मंदी अब कुछ सुधरी है। अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का कारोबार होने से ऐसा प्रतीत होता है कि शॉर्ट टर्म खरीदार बाजार में लौट आए हैं, हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि बाजार में अभी उथलपुथल का दौर खत्म नहीं हुआ है।

मार्केट लीडर, बिटकॉइन 30,000 डॉलर के मूल्य स्तर पर फिर लौट आया है और पिछले 24 घंटों में 5 फीसदी तक बढ़ गया। फिर भी, पिछले एक सप्ताह में बीटीसी में 17 फीसदी की गिरावट के बाद संकेत नकारात्मक बने हुए हैं। फिलहाल, क्रिप्टो और स्टॉक एक उछाल का अनुभव कर रहे हैं, जो कुछ और दिनों तक चल सकती है। वैकल्पिक क्रिप्टो (ऑल्टकॉइन्स) ने पिछले क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है सत्र में बेहतर प्रदर्शन किया है। इससे लगता है कि ट्रेडर्स में जोखिम के लिए भूख कम।नहीं हुई है। उदाहरण के लिए, पिछले 24 घंटों में आईसीपी, माना और डॉग में 20 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है।

तबाही के लिए लूना टोकन जिम्मेदार

इस बीच, टेरा ब्लॉकचैन ने कुछ ठहराव के बाद गतिविधि फिर से शुरू कर दी है। क्रिप्टो मार्केट में नवीनतम तबाही के लिए लूना टोकन ही जिम्मेदार माना जा रहा है। जिस समय नेटवर्क रुका था उस समय लूना टोकन 1 प्रतिशत से नीचे व्यापार करना जारी रखे हुये था।

इसके अलावा, ग्रेस्केल बिटकॉइन ट्रस्ट में डिस्काउंट अब तक के सबसे निचले स्तर 30.79 फीसदी तक बढ़ गया। हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री ने भी इसमें योगदान दिया है। ग्रेस्केल कॉइनडेस्क की सिस्टर कंपनी है।

हाल ही में बाजार में बिकवाली के दौरान कम क्रिप्टो व्यापारियों ने स्टेबल कॉइन्स की शरण ली। इससे पता चलता है कि निवेशक क्रिप्टो बाजारों से बाहर निकलना शुरू कर रहे हैं। ग्लासनोड के डेटा के अनुसार, पिछले मई से यूएसडीसी स्टेबल कॉइन का कुल स्टेबल कॉइन सप्लाई डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हाल ही में, हालांकि, यूएसडीसी बिकवाली का अनुभव करने वाली प्राथमिक स्थिर मुद्रा संपत्ति रही है।

ग्लासनोड के अनुसार, स्टेबल कॉइन सप्लाई में कमी क्रिप्टोकरेंसी उद्योग से बड़े पैमाने पर शुद्ध पूंजी निकलने का संकेत देती है। कुल मिलाकर क्रिप्टो जगत में शकमजोरी के कई संकेत हैं। सबसे बड़ा संकेत ये है कि जोखिम से बचने की भावना इस समय मुख्य बाजार की स्थिति बनी हुई है।

अमेरिका के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनबेस ने इस सप्ताह अपनी क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है कीमत का लगभग एक तिहाई खो दिया है। इस प्लेटफॉर्म ने बताया कि क्रिप्टो मूल्यों में गिरावट के बीच पहली तिमाही में सक्रिय मासिक उपयोगकर्ताओं में 19 फीसदी की गिरावट आई। कॉइनबेस के 430 मिलियन डॉलर के तिमाही नुकसान की सूचना देने से पहले ही निवेशक बाहर निकलने के लिए दौड़ लगा रहे थे। शुक्रवार को इसका शेयर 67.87 डॉलर पर बंद हुआ। महज 13 महीने पहले अपने आईपीओ पेशकश के दिन इसके शेयर 429 डॉलर पर पहुंच गए थे।

क्या कर रहे नियामक

क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के बारे में बहुत सारी बातें हुई हैं, लेकिन कार्रवाई न के बराबर है। अमेरिका के ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने कहा है कि अमेरिका को क्रिप्टोकरेंसी और स्टैब्लॉक्स के आसपास के जोखिमों से बचाव के लिए एक नियामक ढांचे की आवश्यकता है। लेकिन ये काम कब होगा, किसी को कुछ नहीं पता है।

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Cryptocurrency Bill 2021: वो सभी बातें जो हरेक क्रिप्‍टोकरेंसी इंवेस्‍टर्स के लिए जानना बेहद जरूरी है

उद्योग के विशेषज्ञ और वकील क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन (Cryptocurrency Transactions) की बेहतर निगरानी और धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए दंड के दिशानिर्देशों को सुनिश्चित करने के लिए नियमों की अपेक्षा करते हैं। क्रिप्टो संपत्ति और संबंधित सेवाओं पर कैसे कर लगाया जाएगा, इस पर स्पष्टता की प्रतीक्षा है।

Cryptocurrency Bill 2021: Every Cryptocurrency Investor Needs to Know

बिजनेस डेस्‍क। भारत सरकार (Indian Government) क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर प्रतिबंध लगाएगी या नहीं, इसको लेकर इस समय काफी शोर है। वैसे क्रिप्‍टोकरेंसी को रेगुलेट करने वाला बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना है। वैसे कुछ और जानने और समझने पहले यह जान लेना काफी जरूरी है आख‍िर दो साल पहले यानी 2019 के क्रिप्‍टो बिल और 2021 के फ्रेश क्रिप्‍टो बिल में क्‍या अंतर है?

2019 में इस नाम का था क्रिप्‍टो बिल
2019 में, बिल के नाम में क्रिप्‍टो पर पूर्ण प्रतिबंध का सुझाव है। 2019 में बिल का नाम ‘बैनिंग ऑफ क्रिप्‍टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफ‍िश‍ियल डिजिटल करेंसी बिल 2019’को पढ़ें पता चलता है कि किसी को भी क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग, जेनरेट, होल्‍ड, बिक्री, डील, इश्‍यू, ट्रांसफर, डिस्‍पोज या यूज करने के लिए मना किया गया है।

दो साल में बदल गया बिल
2021 आते-आते चीजें काफी तेजी के साथ बदल गईं। बिल को अब 'क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' नाम दिया गया है, और इसे पहली बार बजट सत्र के लिए लिस्‍ट भी कर लिया गया था, लेकिन व्यापक परामर्श के लिए इसे टाल दिया गया। उसके बाद सरकार ने क्रिप्टो यूनियंस, एक्सचेंजों और अन्य विशेषज्ञों से परामर्श किया है। जिससे स्‍टेक होल्‍डर्स में क्रिप्‍टो कारोबार को लेकर काफी आशावादी दिख रहे हैं।

2021 के बिल से क्या उम्मीद करें?
पिछले कुछ महीनों में, सरकारी सूत्रों ने खुलासा किया है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने पर विचार करेगी, उन्हें असेट के रूप में मानेगी, न कि करेंसी के रूप में और इंवेस्‍टमेंट पर मिलने वाले रिटर्न पर टैक्‍स लगाने पर विचार करेगी। एक बात तय हो गई है कि देश में क्रिप्टो को करेंसी के तौर पर नहीं चलने दिया जाएगा। खेतान एंड कंपनी में इनडायरेक्ट टैक्स प्रैक्टिस ग्रुप की पार्टनर रश्मि देशपांडे कहती हैं कि 2019 के बिल में बदलाव करना होगा क्योंकि उस बिल में क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को समझने में काफी खामियां थी। मौजूदा माहौ में जहां हर कोई क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रहा है और इसके आसपास बहुत सारे व्यवसाय हैं, इसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। सीएनएन न्‍यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, जिसमें सरकारी सूत्रों का हवाला दिया गया है, कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन एक रेगुलेटरी मैनेनिज्‍म स्थापित किया जाएगा।

बि‍ल में किन किन को कि‍या जाएगा रेगुलेट?
सबसे पहले क्रिप्टो ट्रेडिंग की अनुमति केवल उन प्लेटफॉर्म और एक्सचेंजों के माध्यम से दी जाएगी जिन्हें सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त है। यहां तक कि एक नई रेगुलेट बॉडी भी बनाई जा सकती है। साथ ही क्रिप्टोकरेंसी को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दायरे में लाया जा सकता है।

क्रिप्टो में क्रॉस बॉर्डर ट्रांजेक्‍शंस भी शाम‍िल है, इसलिए ट्रेडों की निगरानी के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) जैसी संस्था की आवश्यकता होगी। जानकारों के अनुसार इंवेस्‍टर्स की सेफ्टी सबसे महत्वपूर्ण है। निवेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी के मामलों में दंड के मानदंड बनाने होंगे। निशीथ देसाई एसोसिएट्स के टेक्‍नोलॉजी लॉयर जयदीप रेड्डी कहते हैं कि उनके द्वारा पहले भी सिफारिश की गई है कि मौजूदा कानून जैसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, फेमा, आईपीसी, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, पीएसएस अधिनियम, पीएमएलए, पुरस्कार चिट अधिनियम, जमा-संबंधित कानून, प्रतिभूतियां क्रिप्टो-एसेट व्यावसायिक गतिविधि के संबंध में कानूनों और कर कानूनों को सक्रिय रूप से लागू किया जाना चाहिए।

टैक्स क्या होगा?
इंडस्‍ट्री टैक्‍सेशन को लेकर काफी सतर्क हैं। क्रिप्‍टोकरेंसी पर अगर टैक्‍स की दर ज्‍यादा होती है तो सेंटीमेंट को कम कर सकती है और पिछले दो वर्षों में भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों की भीड़ को धीमा कर सकती है। टैक्‍सेशन के लिए, क्रिप्टोकरेंसी को उनके कार्य के अनुसार अलग करना पड़ सकता है। निशीथ देसाई एसोसिएट्स के एक पेपर में तीन बकेट का सुझाव दिया गया है- पेमेंट टोकन, सिक्‍योरिटी टोकन और यूटिलिटी टोकन। जानकारों की मानें तो इस पर पूरे क्‍लैरिफ‍िकेशन की जरुरत है। सवाल यह है कि क्रिप्‍टोकरेंसी से मिलने वाले रिटर्न को इनकम टैक्‍स के तहत कैपिटल असेट माना जा सकता है। हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या इसे सामान या सेवाओं के रूप में माना जाएगा और यह भी कि यह किस टैक्स स्लैब के तहत आ सकता है।

भ्रमित कर कर रहे हैं सर्कूलर के शब्‍द
बिल पर जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया है कि यह "भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली ऑफिशि‍यल डिजिटल करेंसी के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा का निर्माण करना चाहता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात, यह कहता है कि बिल "भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करना चाहता है"। भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी को ऐसी किसी भी क्रिप्टोकरेंसी के रूप में समझा जाता है जो सरकार द्वारा स्वयं विनियमित या जारी नहीं की जाती है, जैसे कि बिटकॉइन, एथेरियम और डॉगकॉइन। लेकिन निजी क्रिप्टोकरेंसी की आधिकारिक परिभाषा पर कोई स्पष्टता नहीं है।

"निजी क्रिप्टोकरेंसी' फ्रेज के उपयोग के कारण अनावश्यक भ्रम है। सरकार 'पब्‍ल‍िक सेक्‍टर' और 'प्राइवेट सेक्‍टर' जैसे शब्‍दों का प्रयोग अपने डॉक्‍युमेंट में करती है। इसलिए क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है प्राइवेटनिजी, नॉन सॉवरेंट यूनिट द्वारा जारी किए गए किसी भी उपकरण को निजी क्रिप्टो माना जाता है। सरकारी सूत्रों के हवाले से सुबह से कई न्‍यूज रिपोर्ट ने जनता को आश्वासन दिया है कि कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं होगा। फिर निषेध जैसे शब्दों का प्रयोग क्यों छोड़े? कई लोगों का मानना है कि यह बिल ड‍िटेल को पिछली लिस्टिंग से कॉपी-पेस्ट किए जाने से हुआ है।

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