वैचारिक जड़ता का शिकार विपक्ष, सांकेतिक विरोध करने में भी नहीं दिखता सक्षम
विपक्ष ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए जो उम्मीदवार उतारे उनका केंद्रीय संदेश यही है कि भारत का समूचा विपक्ष वैचारिक जड़ता की गिरफ्त में है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में हमेशा सत्तारूढ़ दल का ही उम्मीदवार जीतता है।
प्रदीप सिंह: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव को भाजपा ने सामाजिक संदेश देने का माध्यम बना दिया। दोनों पदों पर उसने अपने प्रत्याशियों के जरिये सामान्य रूप से सर्व समाज और विशेष जाति समूह को संदेश दिया। कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष को अब तक समझ में नहीं आया कि हुआ क्या? कांग्रेस और अन्य दल इस अवसर का विपक्षी एकता के लिए भी लाभ उठाने में विफल रहे। एकता की बजाय ये चुनाव विपक्ष के बिखराव की कहानी कहते हुए नजर आए। इन दोनों चुनावों से देश की राजनीति में सकारात्मक बदलाव आने वाला है। द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना सामाजिक न्याय के क्षेत्र में बड़ा कदम है। वह एक ऐसी आदिवासी महिला हैं, जो अपनी क्षमता से इस सर्वोच्च पद पर पहुंच रही हैं। उन्होंने अपने समाज के बीच रह कर काम किया है।
किसी व्यक्ति के चरित्र की परीक्षा बड़ा पद के पाने के बाद अपने समाज के लोगों से उसके व्यवहार से होती है। झारखंड का राज्यपाल रहते उन्होंने आदिवासियों के हितों के विरुद्ध अपनी ही सरकार का हाथ रोक दिया था। पद से हटने के बाद मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठाकर सुखमय जीवन यापन करने के बजाय उन्होंने लौटकर अपने लोगों के बीच काम करने को प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली जितनी समझ में आती है, उससे लगता है कि द्रौपदी मुर्मू के इस कदम ने उनके चयन में निर्णायक भूमिका निभाई होगी।
द्रौपदी मुर्मू ने इस उक्ति को गलत साबित कर दिया- नहिं कोउ अस जनमा जग माहीं, प्रभुता पाय जाहि मद नाहीं। राजभवन से निकल कर वह गांव इस तरह पहुंच गईं, जैसे इस बीच कुछ हुआ ही न हो। राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के जरिये प्रधानमंत्री ने देश में काफी समय से चल रही एक साजिश को नाकाम करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। हिंदू समाज को तोड़ने का एजेंडा नया नहीं है। सैकड़ों साल से इसकी कोशिश हो रही है। अब तो यह हिंदू फोबिया का रूप ले चुका है। इसमें देश के अंदर की ही नहीं, बाहर की भी ताकतें शामिल हैं। इस मामले में दो स्तर काम चल रहा है। जनजातियों के मतांतरण का अभियान ईसाई मिशनरियां आजादी के पहले से चला रही हैं। संप्रग के दस साल के शासन में इसमें तेजी आई। इन मिशनरियों के विदेशी चंदे की कड़ाई से जांच करके मोदी सरकार ने इसे धीमा करने की कोशिश की है।
जैसे-जैसे मतांतरण पर शिकंजा कसता जा रहा है, वैसे-वैसे हिंदू विरोधी दूसरी रणनीति पर काम तेज किया जा रहा है। कोशिश की जा रही है कि जनजातियों को हिंदू समाज से अलग किया जाए। इसके लिए बड़े जोर-शोर से तर्क दिया जा रहा है कि जनजातियों के लोग हिंदू नहीं हैं। वे सरना धर्म के अनुयायी हैं। सरना धर्म को मानने वाले प्रकृति की पूजा करते हैं। सनातन धर्म में प्रृकृति की पूजा एक स्थापित सत्य है, पर उन्हें हिंदू समाज से अलग करने के लिए सरना आदिवासी धर्म कोड लागू करने की मांग हो रही है। कहा जा रहा है कि इस बार की जनगणना में मजहब के कालम में इसका भी उल्लेख हो।
द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किए जाने पर सबसे पहले भगवान शंकर के मंदिर में जाकर सफाई की और दर्शन किए। इस स्पष्ट संकेत के बाद भी उनसे उनका धर्म पूछा गया। उन्होंने कहा वह हिंदू हैं। इस पर हिंदू विरोधी इसकी आलोचना करने लगे। ऐसे तत्वों से निपटने के लिए भाजपा ने तय किया है कि 21 जुलाई को राष्ट्रपति पद के चुनाव का परिणाम घोषित होने और 25 जुलाई के शपथ ग्रहण तक देश के एक लाख तीस हजार जनजाति बहुल गांवों में समारोह होंगे। यह लड़ाई आसान नहीं है। इसके लिए जनजातीय समाज के लोगों में जागरूकता का अभियान चलाने की जरूरत है। द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति भवन में होने से इसमें आसानी होगी, क्योंकि अपने समाज में उनकी जो प्रतिष्ठा है, वह उन्होंने अर्जित की है। इसलिए किसी बाहरी की तुलना में अपने लोगों के बीच उनकी विश्वसनीयता बहुत ज्यादा है।
राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाकर भी भाजपा ने एक बड़ी किसान जाति को संदेश दिया है कि उसकी नजर में उनका बहुत महत्व है। चौधरी चरण सिंह और देवी लाल के बाद जगदीप धनखड़ जाट समाज के तीसरे व्यक्ति होंगे, जो इतने बड़े संवैधानिक पद पर पहुंचेगें। धनखड़ के चयन में भी मोदी और उनकी पार्टी ने योग्यता से कोई समझौता नहीं किया। उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी योग्यता पर कोई उंगली नहीं उठा सकता। बात राजनीतिक सूझबूझ की हो या संविधान और कानून की विशेषज्ञता की, जगदीप धनखड़ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अलावा अपने सभी पूर्वर्तियों से 20 ही बैठेंगे, 19 नहीं।
वास्तव में मोदी के ये फैसले दीर्घकालीन योजना के तहत लिए जा रहे हैं। एक मुद्दे वाली भाजपा को मोदी ने तीन बड़े मुद्दों वाली पार्टी बना दिया है। पहला, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद। दूसरा, सामाजिक न्याय एवं उन्नयन और तीसरा, सुशासन। मुद्दों की यह त्रिवेणी ऐसी है, जिससे अब भाजपा कांग्रेस ही नहीं, क्षेत्रीय दलों से भी निपटने में सक्षम हो गई है। क्षेत्रीय दलों के शिकंजे वाले उत्तर प्रदेश में भाजपा को दो-दो बार दो तिहाई बहुमत मिलना इसका प्रमाण है। भाजपा की यह बहुत बड़ी कमजोरी थी। इसके कारण वह क्षेत्रीय दलों से मुकाबले में मात खा जाती थी। अब उसने इसका भी तोड़ खोज लिया है।
विपक्ष ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए जो उम्मीदवार उतारे, उनका केंद्रीय संदेश यही है कि भारत का समूचा विपक्ष वैचारिक जड़ता की गिरफ्त में है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में हमेशा सत्तारूढ़ दल का ही उम्मीदवार जीतता है। विपक्ष अपना उम्मीदवार वैचारिक पक्ष को देश के सामने रखने और एक सांकेतिक विरोध के लिए करता है, लेकिन आखिर विपक्ष यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाकर भाजपा से वैचारिक लड़ाई कैसे लड़ सकता है? भाजपा के रिजेक्टेड नेता के अलावा विपक्ष को पूरे देश में कोई मिला ही नहीं। इतना ही नहीं, इस मुद्दे पर विपक्ष अपनी एकता बनाए रखने में भी विफल रहा। हालत यहां तक पहुंच गई कि उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार चुनने के लिए विपक्षी दलों की बैठक में ममता बनर्जी न केवल आईं नहीं, बल्कि शरद पवार का फोन उठाने से भी मना कर दिया। इस चुनावी प्रक्रिया से भाजपा ने संगठन के भौगोलिक और सामाजिक विस्तार का रास्ता प्रशस्त किया। विपक्ष के हाथ में जो था, वह भी रेत की तरह फिसल गया।
अर्थ जगत की खबरें: क्रिप्टो उद्योग ने ऋषि सुनक का किया स्वागत और व्हाट्सऐप ने मांगी माफी
भारतीय मूल के ऋषि सुनक, जो ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के लिए तैयार हैं। मेटा के स्वामित्व वाले व्हाट्सऐप, जिसे भारत सहित दो घंटे से अधिक समय तक वैश्विक आउटेज का सामना करना पड़ा।
मार्क जुकरबर्ग को मेटावर्स पर खर्च कम करना चाहिए: प्रमुख निवेशक
मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग की तीखी आलोचना में, कंपनी में एक प्रमुख दीर्घकालिक निवेशक ने कहा है कि सोशल नेटवर्क को अपने मोजो बैक को पाने के लिए मेटावर्स पर अधिक खर्च करने से रोकने की आवश्यकता है।
जुकरबर्ग को संबोधित करते हुए एक पत्र में, अल्टीमीटर कैपिटल के अध्यक्ष और सीईओ ब्रैड गेस्र्टनर ने कहा कि मेटा को दुनिया के लोगों को आकर्षित करने के लिए निवेशकों, कर्मचारियों और तकनीकी समुदाय के साथ विश्वास को फिर से बनाने की जरूरत है। ब्रैड गेस्र्टनर ने कहा, सीधे तौर पर मेटा को फिट और ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। मेटावर्स पर उन्होंने कहा कि लोग इस बात से भ्रमित हैं कि मेटावर्स का मतलब क्या है।
दो घंटे बाद व्हाट्सऐप की सेवाएं बहाल, कंपनी ने मांगी माफी
मेटा के स्वामित्व वाले व्हाट्सऐप, जिसे भारत सहित दो घंटे से अधिक समय तक वैश्विक आउटेज का सामना करना पड़ा, जिसपर कंपनी ने मंगलवार को कहा कि उसने मुद्दे को ठीक कर दिया है और सेवाएं अपने उपयोगकर्ताओं के लिए वापस आ गई हैं। दिवाली का जश्न मनाने के बाद लाखों भारतीय वीडियो और तस्वीरें साझा करने में असमर्थ थे क्योंकि लोकप्रिय मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को एक बड़ा नुकसान हुआ था।
मेटा के प्रवक्ता ने आईएएनएस को बताया, "हम जानते हैं कि लोगों को आज व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजने में परेशानी हुई। हमने इस मुद्दे को ठीक कर लिया है और किसी भी असुविधा के लिए क्षमा चाहते हैं।"
कई उपयोगकर्ताओं ने टेलीग्राम जैसे अन्य मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का सहारा लिया और यहां तक कि एसएमएस का रास्ता भी अपनाया क्योंकि वे व्हाट्सएप (त्योहारों के मौसम में लाखों व्यवसायों के लिए एक लोकप्रिय प्लेटफॉर्म) तक पहुंचने में असमर्थ थे और प्लेटफॉर्म पर वीडियो, इमेज और टेक्स्ट भेजने में विफल रहे।
अगस्त में ईपीएफओ, ईएसआईसी, एनपीएस के तहत नए ग्राहकों में गिरावट दर्ज
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के नए ग्राहकों में जुलाई की तुलना में अगस्त में गिरावट देखी गई। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2022 में कुल 9,86,850 नए ग्राहक ईपीएफओ के तहत नामांकित हुए, जो 11,19,698 ग्राहकों से 11.86 प्रतिशत कम थे, जिन्होंने जुलाई 2022 में योजना के तहत नामांकन किया था।
जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है, सितंबर 2017 से अगस्त 2022 तक, कुल 5,81,56,630 नए ग्राहक ईपीएफ योजना में शामिल हुए। इसी तरह, ईएसआईसी के तहत, अगस्त में नए ग्राहकों की संख्या 14,62,145 थी, जो जुलाई में नामांकन करने वाले 15,89,364 ग्राहकों की तुलना में 8 प्रतिशत कम थी।
बैंक कर्मचारियों की हड़ताल 19 नवंबर को
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने 19 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। यह जानकारी देते हुए संघ के एक अधिकारी ने कहा कि बैंकरों को निशाना बनाए जाने के विरोध में हड़ताल की जा रही है।
एआईबीईए के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने कहा हाल के दिनों में हमले बढ़े हैं और इन हमलों में एकरूपता भी है। वेंकटचलम ने सदस्यों से कहा कि इन हमलों के पीछे एक साजिश है। इसलिए हमें विरोध और जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा कि एआईबीईए के यूनियन लीडर्स को सोनाली बैंक, एमयूएफजी बैंक, फेडरल बैंक और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की सेवा से बर्खास्त किया गया है और छंटनी की गई है।
क्रिप्टो उद्योग ने ऋषि सुनक का किया स्वागत, उन्हें 'फिनटेक का चैंपियन' कहा
भारतीय मूल के ऋषि सुनक, जो ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के लिए तैयार हैं, उन्होंने चांसलर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान यूके की नई क्रिप्टो महत्वाकांक्षाओं को पूरा किया है। कॉइनडेस्क की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के तहत, वह देश को एक क्रिप्टो हब में बदलना चाहते थे।
उन्होंने वित्तीय सेवा और बाजार विधेयक तैयार करने में मदद की, जो अगर कानून में पारित हो जाता है, तो स्थानीय नियामकों को क्रिप्टो उद्योग पर व्यापक शक्ति प्रदान कर सकता है।
यह भुगतान नियमों के दायरे में परिसंपत्ति-संचालित क्रिप्टो, जैसे कि स्थिर कॉइन्स को लाने के साथ शुरू होने की संभावना है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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महिंद्रा एंड महिंद्रा की केयूवी100 और टीयूवी300 के नए मॉडल पेश करने की योजना
कंपनी इन दो ब्रांडों को "दीर्घकालिक और रणनीतिक" रूप से अहम मान रही है और इसके चलते नयी प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रही है.
दिग्गज चौपहिया वाहन निर्माता कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) की अपने दो शुरुआती वाहनों केयूवी100 और टीयूवी300 के कई नये मॉडल पेश करने की योजना है. कंपनी विभिन्न श्रेणियों के ग्राहकों को ध्यान में रखते हुये यह कदम उठा रही है. कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. कंपनी इन दो ब्रांडों को "दीर्घकालिक और रणनीतिक" रूप से अहम मान रही है और इसके चलते नयी प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रही है.
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इसमें बीएस-4 उत्सर्जन नियमों का अनुपालन करने वाले उत्पाद भी शामिल हैं. महिंद्रा अगले साल टीयूवी 300 का उन्नत संस्करण पेश करने के साथ-साथ केयूवी100 का इलेक्ट्रिक संस्करण पेश करने पर भी काम कर रही है. कंपनी की योजना केयूवी100 का डीजल संस्करण पेश करने की भी है. महिंद्रा एंड महिंद्रा के ऑटोमोटिव विभाग के विपणन और बिक्री प्रमुख विजय राम नकरा ने कहा, "हमने हमेशा से कहा कि हम एसयूवी क्षेत्र के खिलाड़ी बनना चाहते हैं और ये दोनों उत्पाद (टीयूवी300 और केयूवी100) हमारे लिये महत्वपूर्ण हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बड़ी समस्याओं के बीच आया बजट
यह वह बजट था, जिससे हमने बहुत उम्मीदें बांधी थीं। मुझे लगता था कि बजट अर्थव्यवस्था खासकर मैक्रोइकोनॉमी की हालत को अच्छी तरह समझेगा और उसके दीर्घकालिक निवेशक हमेशा जीतता है लिए जरूरी समाधान देगा। आज हम उस जगह पर हैं, जहां हमारे पास.
यह वह बजट था, जिससे हमने बहुत उम्मीदें बांधी थीं। मुझे लगता था कि बजट अर्थव्यवस्था खासकर मैक्रोइकोनॉमी की हालत को अच्छी तरह समझेगा और उसके लिए जरूरी समाधान देगा। आज हम उस जगह पर हैं, जहां हमारे पास पिछले एक दशक की सबसे कम विकास दर है।
महीनों बाद औद्योगिक विकास दर सकारात्मक दिशा में आई है, हालांकि यह अभी भी 2.8 फीसदी के शोचनीय स्तर पर है। इस सबको जोड़कर हमारी विकास दर इस समय 4.5 फीसदी ही है। इसके साथ ही कीमतें बढ़ रही हैं, निवेश की दर घट रही है, और अगर हम नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट के उन आंकड़ों को भी इसके साथ जोड़ लें, जो लीक होकर हम तक पहुंचे हैं, तो महिला बेरोजगारी की दर बढ़ रही है और गरीबी कम होने का सिलसिला उलटी दिशा दीर्घकालिक निवेशक हमेशा जीतता है में जा रहा है।
हालांकि शुक्रवार को संसद में पेश हुए 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में इन उपलब्ध तथ्यों और आंकड़ों की बजाय केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन के पांच फीसदी विकास दर के आंकड़े को ही स्वीकार किया गया है। इन हालात को देखते हुए मुझे उम्मीद थी कि कठिन रास्तों पर कुछ गंभीर कदम उठाए जाएंगे। लेकिन 2020-21 का आम बजट इन समस्याओं को ताक पर रखकर लोकलुभावन रास्ते पर बढ़ता दिखाई दिया।
राजनीतिक रूप से भी उम्मीद बांधने का यह सही समय था, क्योंकि भारी जनादेश पाने के बाद इस सरकार का यह पहला पूर्ण बजट था। सरकार ने इस बार कई योजनाओं की घोषणा की है। लेकिन पूर्व में घोषित योजनाओं के खर्च के बारे में कुछ नहीं बताया गया है, इसलिए तुलना करना संभव नहीं है। यह उम्मीद की जानी चाहिए कि खर्चों के विस्तार में शायद मूल समस्या के समाधान की दिशा में बढ़ने की कोशिश भी हुई होगी।
अब कुछ दिलचस्प चीजों को देखते हैं। सभी पुरानी योजनाएं दोहराई गई हैं। चाहे वह भूजल स्तर के मामले में 150 संकटग्रस्त जिलों की योजना हो, या सामूहिक रूप से भंडारण व्यवस्थाएं बनाने दीर्घकालिक निवेशक हमेशा जीतता है की योजना, या फिर मत्स्य उद्योग की योजनाएं हों, ये अच्छी योजनाएं थीं और इनका जारी रहना भी जरूरी था। इसी तरह संस्कृति, पर्यटन, खाद्य और नेटवर्किंग पर बजट में जो जोर दिया गया, वह भी काफी महत्वपूर्ण है। आधुनिक सांख्यिकीय व्यवस्था का उल्लेख भी काफी अच्छी बात है। लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश को जिस तरह बढ़ाने की जरूरत थी, वह नहीं दिखाई दिया। अगर यह किया जाता, तो इस साल के अंत तक निजी निवेश में उछाल आने की संभावना बनती। इसके बाद यह भी उम्मीद बनती कि इसके चलते छह महीने तक मैन्युफैक्र्चंरग में बढ़त दिखने लगेगी।
रिजर्व बैंक यह कह चुका है कि उसकी ब्याज दर की नीति तभी प्रभावी होगी, जब वित्तीय फासले को पाटा जा सकेगा। लेकिन बजट में सिर्फ सतही काम दिखा है।
बजट अुनमानों की तुलना संशोधित अनुमान से की जाती है। पिछले कुछ साल का अनुभव है कि वर्ष के अंत में संसाधनों की कमी के चलते खर्च कम कर दिया जाता है। अगर सिर्फ बजट अनुमान के हिसाब से देखें, तो यह अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने वाला बजट नहीं दिखाई देता। पिछले बजट अनुमान से तुलना करें, तो इन्फ्रास्ट्रक्चर पर किए जाने वाले खर्च से इसका संकेत मिलता है। और जब विस्तृत जानकारी आएगी, तो हो सकता है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर पर होने वाला खर्च नकारात्मक ही दिखाई दे।
इन सब चीजों से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में जो बजट पेश किया, उसे कम से कम मंदी से निजात पाने वाला बजट तो नहीं कहा जा सकता। यह बजट उस रास्ते पर चल रहा है, जहां दूसरों से कहा जा रहा है कि वे निवेश करें। बजट और कुछ नहीं एक अल्पकालिक सालाना दस्तावेज होता है। अब क्योंकि सरकार ने (दीर्घकालिक) योजना-निर्माण को पहले ही खत्म कर दिया है, इसलिए वह आर्थिक और सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च नहीं करती। गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से भी उम्मीद बांधने का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि वे अपने निदेशक मंडल के प्रति जवाबदेह होती हैं और ज्यादा सक्रियता उनके गले का फंदा बन जाती है। ऐसे में, हम मंदी से निजात पाने की उम्मीद कहां से कर सकते हैं?
बजट की रणनीति जब निवेश के लिए दूसरों से उम्मीद बांधती है, तो होता यह है कि वह इसके लिए कई तरह के सुधारों की घोषणा करती है। लेकिन इसके साथ ही हमें यह बात भी समझनी होगी कि आर्थिक और वित्तीय सुधारों की भले ही बहुत ज्यादा जरूरत है, लेकिन अंत तक उनका असर पहुंचने में काफी वक्त लगता है। वित्तीय वर्ष के अल्पकाल में सीधे आर्थिक निवेश का कोई विकल्प नहीं होता। पर यह भी जरूरी है कि इसके साथ ही चरणबद्ध सुधारों की रणनीति भी जारी रहनी चाहिए।
केंद्र सरकार का यह बजट उस समय हमारे सामने है, जब हम देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कर रहे हैं। दरअसल, विकास की रणनीति को हमें गंभीरता से लेना होगा। रणनीतिक रूप से दीर्घकालिक योजनाएं बनाने का काम हम पहले ही त्याग चुके हैं। निवेश में वृद्धि की दर औंधे मुंह गिर चुकी है। इसके बावजूद हम शेख चिल्ली की तरह निवेश को बहुत तेजी से बढ़ाने की बात कर रहे हैं। अगर हम अर्थव्यवस्था में फिर से नई जान फूंकने के लिए कुछ गंभीर कदम उठाना चाहते हैं, तो हमें योजना भवन की ओर लौटना होगा। नीति आयोग के अध्यक्ष राजीव कुमार और इसके रमेश चंद्र जैसे सदस्यों को फिर से लंबे समय की योजनाएं
बनाने और उन पर अमल करने के काम पर लगाना होगा। हमें उनसे यह उम्मीद करनी होगी कि वे हमारी दीर्घकालिक महत्वाकांक्षाओं के हिसाब से एक कोई यथार्थवादी लक्ष्य तैयार करेंगे। अतीत में यही लक्ष्य अंतरराज्यीय परिषद के जरिए राजनीतिक सर्वसम्मित हासिल करता रहा है।
मैं यह मानकर चलता हूं कि हमारे लक्ष्य हमेशा ही तार्किक होने चाहिए, हालांकि इस दौर का सच यही है कि अब हम सब योजनाकार हो चुके हैं। 2014 में नई सरकार से करीबी माने जाने वाले एक उद्योगपति से जब मेरी मुलाकात हुई थी, तो वह इस बात पर बहुत खुश दिखाई दे रहे थे कि योजना-प्रक्रिया को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। उम्मीद है कि अब जो हो रहा है, उसे देखकर उन्हें अब काफी दुख हो रहा होगा, क्योंकि अब तो हम सब ही योजनाकार हो गए हैं। लेकिन अब समय आ गया है कि हम सच को स्वीकार करें और उस दिशा में बढ़ें, जब हमें हर साल एक अच्छा सालाना बजट मिले।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
येस सिक्योरिटीज ने राजस्थान में डीमैट खातों में दर्ज की लगभग 5 गुना वृद्धि
जयपुर। देश की अग्रणी वेल्थ ब्रोकिंग और वित्तीय सलाहकार फर्मों में से एक येस सिक्योरिटीज लिमिटेड (वाईएसएल) ने पिछले वित्तीय वर्ष में राजस्थान में नए डीमैट और ट्रेडिंग खाते खोलने में सालाना आधार पर लगभग 5 गुना वृद्धि दर्ज की है। बढ़ती वित्तीय जागरूकता, टियर- टू और टियर- थ्री शहरों में इंटरनेट सेवाओं की तेजी से पैठ, वित्तीय जोखिम की बेहतर समझ, और डिजिटल तरीके से नए उपयोगकर्ताओं को अपने साथ जोड़ने की सुविधा के कारण शेयर बाजार में लोगों की भागीदारी में वृद्धि हुई है। येस सिक्योरिटीज लिमिटेड का अगला लक्ष्य निकट भविष्य में राजस्थान के अंतिम छोर तक समस्त निवेशकों तक पहुंचने के लिए फिनटेक और डिजिटल परिवर्तन का लाभ उठाना है।
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सीडीएसएल और एनएसडीएल के अनुसार, राजस्थान की निवेशक आबादी पिछले दो वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई है। नवीनतम आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि राजस्थान में नवंबर 2021 से अब तक 21 लाख से अधिक नए निवेशक जुड़े हैं, जो कि सालाना आधार पर 45 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि राज्य में निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है, फिर भी अभी इस सेगमेंट में राजस्थान की कुल 6.89 करोड़ की आबादी का मात्र 10 प्रतिशत हिस्सा (कुल 67.7 लाख डीमैट खाते) ही शामिल है, जो निवेश और धन सृजन की अपार संभावना को दर्शाता है।
येस सिक्योरिटीज के बिज़नेस में राजस्थान भारत के शीर्ष पांच बाजारों में से एक बना हुआ है। येस सिक्योरिटीज में राजस्थान में महिला निवेशकों की भागीदारी लगभग 25 प्रतिशत है। यह डेटा विशेष रूप से राजस्थान में शेयर बाजारों में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डालता है।
अभी तक, येस सिक्योरिटीज के लिए शीर्ष छह शहर जयपुर, जोधपुर, अलवर, उदयपुर, कोटा और दौसा हैं। वर्तमान में, येस सिक्योरिटीज ने राजस्थान में ग्राहक अधिग्रहण में 80 से अधिक शहरों को छुआ है। आगे बढ़ते हुए, येस सिक्योरिटीज ने वित्त वर्ष 24 तक राजस्थान के दीर्घकालिक निवेशक हमेशा जीतता है सभी शहरों में अपनी पेशकशों और सेवाओं को और मजबूत करने की योजना बनाई है।
येस सिक्योरिटीज की इस विकास यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कंपनी के ज्वाइंट एमडी और सीईओ अंशुल अर्जारे ने कहा, ‘‘आर्थिक परिदृश्य में अपने खास स्थान और शेयर बाजार में बढ़ती भागीदारी के कारण राजस्थान हमेशा से हमारे लिए महत्वपूर्ण बाजारों में से एक रहा है। हमने इस समृद्धि को राजस्थान में अपने कारोबार में शानदार विकास में तब्दील होते देखा है, और हम मौजूदा और अन्य नए शहरों में अपने परिचालन का विस्तार करके इसे और अधिक तेजी से आगे बढ़ाने का इरादा रखते हैं। हमारे ग्राहकों के दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम की क्षमता के आधार पर, हम सभी वित्तीय साधनों में अनेक सॉल्यूशंस प्रदान करते हैं, जैसे इक्विटी, करेंसी, कमोडिटीज, एफ एंड ओ, निश्चित आय, ऑफशोर इनवेस्टमेंट्स आदि। प्रोडक्ट नहीं, बल्कि सॉल्यूशंस उपलब्ध कराने के हमारे इस रणनीतिक विजन के कारण हमें राजस्थान और बाकी राज्यों में भी यह उपलब्धि हासिल करने में मदद मिली है। हमारी रिसर्च - बैक्ड एडवाइजरी के कारण आज येस सिक्योरिटीज अन्य कंपनियों से अलग है। हमारी रिसर्च टीम इस उद्योग में सबसे बड़ी रिसर्च टीमों में से एक है जो हमें न केवल सलाहकार बनने में सक्षम बनाती है, बल्कि वेल्थ क्रिएशन की लोगों की यात्रा में हमें उनका भागीदार बनने में मदत करती है ।’’
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