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आपकी बिल्ली को जल्दी से स्प्रे या न्यूरर करने के शीर्ष स्प्रेड और फीस की तुलना कैसे करें? 5 कारण

इस तथ्य के बावजूद कि बाल चिकित्सा स्पैयिंग और न्यूटियरिंग का दशकों से अभ्यास किया गया है, फिर भी पशु चिकित्सक हैं जो मानते हैं कि पांच महीने की उम्र से पहले इस शल्य चिकित्सा का प्रदर्शन स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का कारण बन सकता है, जो स्टंट किए गए विकास से मूत्र पथ की समस्याओं तक हो सकता है। कई दीर्घकालिक अध्ययनों से पता चला है कि इनमें से कोई भी चिंता उचित नहीं है। वास्तव में, बिल्लियों जो कम उम्र में निपुण होते हैं स्प्रेड और फीस की तुलना कैसे करें? कम से कम स्वस्थ होते हैं क्योंकि उनके साथियों ने बाद की उम्र में निपुण किया। यहां मेरे पसंदीदा कारण हैं कि क्यों जल्दी स्पैइंग और न्यूटियरिंग एक बहुत अच्छा विचार है।

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1. स्थापित प्रोटोकॉल बिल्ली के बच्चे स्वस्थ रखें

चूंकि बाल चिकित्सा स्पैयिंग और न्यूटियरिंग इतनी देर तक की जा रही है, पशु चिकित्सकों के पास एनेस्थेटिक्स और sedatives के लिए एक बहुत ही सुरक्षित "नुस्खा" है जो बिल्ली के बच्चे को दर्द मुक्त रखेंगे और जटिलताओं के लिए न्यूनतम जोखिम होगा। विशेष उपवास दिशानिर्देश और सर्जरी के बाद हीटिंग प्रक्रियाएं नकारात्मक साइड इफेक्ट्स से बिल्ली के बच्चे को सुरक्षित रखती हैं।

2. बिल्ली के बच्चे जल्दी से ठीक हो जाते हैं

बिल्ली के बच्चे में स्पैइंग और न्यूटियरिंग कम जटिल होती है क्योंकि वयस्क बिल्लियों की तुलना में बिल्ली के बच्चे के शरीर में वसा कम होती है। रक्तस्राव बहुत हल्का होता है, और वयस्कों की तुलना में सर्जरी के बाद बिल्ली के बच्चे बहुत जल्दी जागते हैं।

शटरस्टॉक द्वारा सर्जरी से ठीक होने वाले बिल्ली का बच्चा "/>

3. आप जानते हैं कि बिल्ली वास्तव में निपुण हो जाएगी

पशु आश्रयों ने मुक्त स्पै / न्यूरेटर और यहां तक ​​कि अनुबंधों के लिए वाउचर जैसे कार्यक्रमों की कोशिश की है - अधिकांश समय खराब परिणामों के साथ। यहां तक ​​कि जब गोद लेने वाले प्री-पे सर्जरी फीस भी लेते हैं, कभी-कभी वे उस पैसे को जब्त कर लेते हैं और बिल्ली को ठीक नहीं किया जाता है। एक आश्रय का एकमात्र तरीका यह सुनिश्चित स्प्रेड और फीस की तुलना कैसे करें? कर सकता है कि जानवरों को उनकी देखभाल में छोड़ा जाएगा या न्यूरर्ड किया जाएगा, बिल्ली को अपनाया जाने से पहले इसे स्वयं करना है। कई प्रजनकों में पालतू-गुणवत्ता वाले बिल्ली के बच्चे भी उन्हें बेचने से पहले फेंकते या न्यूरर्ड होते हैं।

गया के तिलकुट का अलहदा है स्वाद,देश क्या विदेशों में बढ़ रही मांग,जानें इतिहास

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रिपोर्ट-कुंदन कुमार

गया. गया का जिक्र करते ही हमारे मन में बहुत से ख्याल आते हैं. पर सर्दियों से पहले यहां गलियों से आपको तिलकुट की महक मिलने लगती है. मकर संक्रांति के दिन आम तौर पर लोगों के भोजन में चूड़ा-दही और तिलकुट शामिल होता है. इस दिन तिलकुट खाने की परम्परा है. तिलकुट को गया के प्रमुख मिष्ठान के रूप में देश-विदेश में जाना जाता है. गया का तिलकुट बिहार और झारखंड में ही नहीं पूरे देश में प्रसिद्ध है. मकर संक्रांति के एक महीने पहले से ही गया की गलियों में तिलकुट की सोंधी महक और तिल कूटने की धम-धम की आवाज लोगों के जेहन में मकर संक्रांति की याद दिलाने लगती है.

तिलकुट बनाने की शुरुआत गया की धरती से

यहां तिलकुट के निर्माण का यह व्यवसाय काफी प्राचीन समय से चला आ रहा है. कहा जाता है तिलकुट बनाने की शुरुआत गया की धरती से ही हुई है. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन तिल की वस्तु दान देना और खाने से पुण्य की प्राप्ति होती है. मकर संक्रांति के एक से डेढ़ महीने पूर्व से ही गया की गलियों और मोहल्लों में तिलकुट बनने लगते हैं. गया में हाथ से कूटे जाने वाले तिलकुट ना केवल खास्ता होते हैं, बल्कि खाने में भी इसका स्वाद दूसरे जगहों की तुलना में स्वादिष्ट और सोंधा होता है.

देश के कई राज्यों में गया के तिलकुट की है डिमांड

गया का रमना रोड तिलकुट निर्माण के लिए प्रारंभ से प्रसिद्ध है. अब टेकारी रोड, कोयरी बारी, स्टेशन रोड, डेल्हा सहित कई इलाकों में कारीगर भी हाथ से कूटकर तिलकुट का निर्माण करते हैं. गया में कम से कम 200 से 250 घरों में तिलकुट कूटने का व्यवसाय चल रहा है. खस्ता तिलकुट के लिए प्रसिद्ध गया का तिलकुट झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में भेजा जाता है. इतना ही नहीं अब गया के तिलकुट की डिमांड विदेशों में भी होने लगी है. क्योंकि विदेशों से बोधगया आने वाले पर्यटक अपने साथ तिलकुट जरूर लेकर जाते हैं.

रोजाना 20-25 किलो तिलकुट प्रति कारीगर कूटते हैं

जौहरी जी तिलकुट भंडार में काम कर रहे लोग बताते हैं कि यहां सालों से तिलकुट कूटने का काम चलते आ रहा है. अब इसकी डिमांड विदेशों में भी होने लगी है. डिमांड को देखते हुए अब गया में सालों भर तिलकुट कूटने का काम चलता है. 200 से अधिक दुकानों में यह काम हो रहा है. स्थानीय कारीगर इसकी कुटाई में लगे रहते हैं. रोजाना 20-25 किलो तिलकुट प्रति कारीगरों के द्वारा कूटा जाता है.

तिलकुट कैसे होता है तैयार

सबसे पहले चीनी और पानी को कढ़ाई में रखकर गर्म किया जाता है. फिर इसका घानी तैयार किया जाता है. घानी तैयार होने के बाद चीनी के घोल को चिकने पत्थर पर रखा जाता है. ठंडा होने के बाद इसे पट्टी पर चढ़ाया जाता है. पट्टी पर चढ़ाने के बाद इसे तिल के साथ गरम कड़ाही में भूना जाता है, भुनाने के बाद छोटे छोटे लोई बनाकर इसे हाथों से कूटा जाता है. तिलकुट कूटने के बाद उसे सूखने के लिए रखा जाता है ताकि वह खास्ता बन सके.

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