टर्मिनल में इंडिकेटर
का स्थान

Stock Market Investment: सिर्फ शेयर की तेजी देखकर न लगाएं पैसा, इन बातों पर भी दें ध्यान

सही शेयर का चुनाव आसान काम नहीं है. ऐसी कई बातें हैं जिन पर ध्यान न देने से नुकसान झेलना पड़ सकता है.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 17 Jun 2021 04:01 PM (IST)

आप अगर निवेश के लिए शेयर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो जान लें कि यह कोई आसान काम नहीं है. ऐसी कई बातें हैं जिन पर ध्यान न देने से नुकसान झेलना पड़ सकता है. बिना छानबीन और सुनी सुनाई बातों के आधार पर शेयर नहीं खरीदना चाहिए. आज हम आपको ऐसी ही कुछ बातों के बारे में बताएंगे जिन्हें ध्यान में रखकर आप सही शेयर चुन सकते हैं.

शेयर की तेजी नहीं उसके पीछे का कारण देखें
केवल यह देखकर कि शेयर ऊपर जा रहे हैं अंधाधुंध पैसा नहीं लगना चाहिए. बल्कि तेजी के पीछे के कारण को समझने की कोशिश करनी चाहिए. अगर यह तेजी कंपनी की बुनियादी बातों से मेल नहीं खा रही है तो उससे दूर रहने में ही भलाई है.

कंपनी की ये तीन चीजें देखें
शेयर चुनते वक्त कभी भी इधर-उधर की सलाह जैसे फोन और एसएमएस पर मिलने वाली हॉट टिप्स पर बिल्कुल ध्यान नहीं देना चाहिए. इसी तरह टीवी पर कोई बढ़िया चर्चा देखकर पैसा लगाने का फैसला नहीं करें. शेयर खरीदने से पहले कंपनी की अर्निंग ग्रोथ, मैनेजमेंट क्वालिटी और बैलेंसशीट पर ध्यान देना चाहिए. इन तीन बिंदुओं पर मजबूत कंपनी में नुकसान के आसार कम होंगे.

मजबूत शेयर के साथ जुड़ें
मजबूत शेयर (जिनमें ट्रेडिंग वॉल्यूम ज्यादा हो) के साथ जुड़ा रहना फायदे का सौदा है. कम ट्रेड किए जाने वाले शेयरों में नकली तेजी लाई जा सकती है. बड़े शेयरों में इसकी गुंजाइश अधिक नहीं होती है.

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ब्रोकरों के दावों को क्रॉसचेक करें
ब्रोकरों की सलाह आंख मूंदकर न मानें. इसमें उसका निजी हित जुड़ा हो सकता है. तमाम उपलब्ध संसाधनों से क्रॉस चेक जरूर करें नहीं नुकसान उठाना पड़ सकता है.

अगर गिरने लगे शेयर के दाम
एक स्टॉप लॉस जरुर रखें जैसे ही कोई शेयर इसे पार करे तो तुरंत फैसला लें. जैसे कि अगर कोई शेयर अपने खरीद मूल्य से 20 फीसदी नीचे चला जाए तो उसे बेचने में ही समझदारी है. नुकसान वाले शेयर को यह सोचकर लंबे वक्त तक रखना और यह इंतजार करना कि यह एक दिन बढ़ेगा गलत रणनीति है.

कंपनी के दावों की सच्चाई जानने की कोशिश करें
कंपनी के दावों की असलियत का पता करने के लिए खुद रिसर्च करें. यह पता करें कि कंपनी को वास्तव में प्रॉफिट हुआ है या नहीं. या फिर उसने नए ऑर्डर पाने का जो दावा किया है, वह कितना सही है.

Published at : 17 Jun 2021 04:01 PM (IST) Tags: Money Investment Stock Market shares company broker हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे

जो लोग शेयर बाजार में एक ही दिन में पैसा लगाकर मुनाफा कमाना चाहते हैं उनके लिए इंट्रा डे ट्रेडिंग बेहतर विकल्प है. इसमें पैसा लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे

लोग अक्सर कहते हैं कि शेयर बाजार से मोटा कमाया जा सकता है लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है. हालांकि अगर आप बेहतर रणनीति बनाकर लॉन्ग टर्म में सोच कर निवेश करेंगे तो यहां से कमाई की जा सकती है. वहीं इक्विटी मार्केट में इंट्रा डे के जरिए कुछ घंटों में ही अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. इंट्रा डे में डिलवरी ट्रेडिंग के मुकाबले पैसा जल्दी बनाया जा सकता है लेकिन इसके जोखि से बचने के लिए आपको बेहतर रणनीति, कंपनी के फाइनेंशियल और एक्सपर्ट की सलाह जैसी चीजों का ध्यान रखना होता है.

क्या है इंड्रा डे ट्रेडिंग

शेयर बाजार में कुछ घंटो के लिए या एक ट्रेडिंग सेशन के लिए पैसा लगाने को इंट्रा डे कहा जाता है. मान लिजिए बाजार खुलने के समय आपने एक शेयर में पैसा लगाया और देखा की आपको आपके मन मुताबिक मुनाफा मिल रहा है तो आप उसी समय उस शेयर को बेचकर निकल सकते है. इंट्रा डे में अगर आप शेयर उसी ट्रेंडिग सेशन में नही भी बेचेंगे तो वो अपने आप भी सेल ऑफ हो जाता है. इसका मतलब आपको मुनाफा हो या घाटा हिसाब उसी दिन हो जाता है. जबकि डिलवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को जबतक चाहे होल्ड करके रख सकते हैं. इंट्रा डे में एक बात यह भी है कि आपको ब्रोकरेज ज्यादा देनी पड़ती है. हां लेकिन इस ट्रेडिंग की खास बात यह है कि आप जब चाहे मुनाफा कमा कर निकल सकते है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

बाजार के जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार में इंट्रा डे में निवेश करें या डिलिवरी ट्रेडिंग करें आपको पहले इसके लिए अपने आप को तैयार करना होता कि आप किसलिए निवेश करना चाहते हैं और आपका लक्ष्य क्या है. फिर इसके बाद आप इसी हिसाब से अपनी रणनीति और क्यों एक स्टॉप लॉस रणनीति है? एक्सपर्ट के जरिए बाजार से कमाई कर सकते हैं. एंजल ब्रोकिंग के सीनियर एनालिस्ट शमित चौहान के मुताबिक इंट्रा डे में रिस्क को देखते हुए आपकी रणनीति बेहतर होनी चाहिए. इसके लिए आपको 5 अहम बाते ध्यान मं रखनी चाहिए.

1. इंट्रा डे ट्रेडिंग में सिर्फ लिक्विड स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए. जबकि वोलेटाइल स्टॉक से दूरी बनानी चाहिए.

2. इंट्रा डे में बहुत ज्यादा स्टॉक की जगह अच्छे 2-3 शेयर्स का चुनाव करना चाहिए.

3. शेयर चुनते वक्त बाजार का ट्रेंड देखना चाहिए. इसके बाद कंपनी की पोर्टफोलियो चेक करें. आप चाहे तो शेयर को लेकर एक्सपर्ट की राय भी क्यों एक स्टॉप लॉस रणनीति है? ले सकते हैं.

4. इंट्रा डे ट्रेडिंग में स्टॉक में उछाल और गिरावट तेजी से आते है, इसलिए ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और पैसा लगाने के पहले उसका लक्ष्य और स्टॉप लॉस जरूर तय कर लेना चाहिए. जिससे टारगेट पूरा होते देख स्टॉक को सही समय पर बेचा जा सके.

5.इंट्रा डे में अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों की खरीददारी करना बेहतर होता है.

डीमैट अकाउंट से कर सकते हैं ट्रेडिंग

अगर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. आप ऑनलाइन खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं या ब्रोकर को ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं. इंट्रा डे में किसी शेयर में आप जितना चाहे उतना पैसा लगा सकते हैं.

डिस्क्लेमर : आर्टिकल में इंड्रा डे ट्रेडिंग को लेकर ​बताए गए टिप्स मार्केट एक्सपर्ट्स के सुझावों पर आधारित हैं. निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

क्यों एक स्टॉप लॉस रणनीति है?

एक महत्वपूर्ण स्टॉक ट्रेडिंग टिप ये है कि भी आवेग में आकर ट्रेड नहीं करना चाहिए. कई ट्रेडर्स FOMO (Fear of missing out) या FOLO (Fear of losing out) के जाल में पड़ जाते हैं.

Written by Web Desk Team | Published :September 9, 2022 , 6:43 am IST

इंट्रोडक्शन
यदि आप एक नौसिखिये हैं जो शेयर बाजार में निवेश या ट्रेड शुरू करना चाहते हैं, तो ध्यान रखें कि स्टॉक खरीदना और बेचना मुश्किल नहीं है. सही स्टॉक का चयन करना जो क्यों एक स्टॉप लॉस रणनीति है? शेयर बाजार में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर सकता है, वह चुनौतीपूर्ण है. इसलिए, यदि आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं, तो शेयर बाजार पर अच्छी पकड़ होना जरूरी है. इसे सुविधाजनक बनाने के लिए आप ऑनलाइन ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं, जो उन निवेशकों/ट्रेडर्स के बीच लोकप्रिय हो गया है जो अपने दम पर ट्रेड करना चाहते हैं.

ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग टिप्स
आपकी सफल वित्तीय यात्रा में सहायता के लिए यहां कुछ स्टॉक ट्रेडिंग टिप्स दी गई हैं-

समझें कि आप निवेश/ट्रेड क्यों करना चाहते हैं और गोल सेट करे: बेशक, पैसा कमाना अंतिम लक्ष्य है, लेकिन इसे निवेश लक्ष्य के साथ जोड़ना सफलता सुनिश्चित करता है. लक्ष्य के बिना व्यक्ति भटका हुआ महसूस करता है. इसलिए महत्वपूर्ण स्टॉक ट्रेडिंग टिप्स में से एक लक्ष्य निर्धारण भी है. किसी फाइनेंशियल ऑब्जेक्टिव को शॉर्ट, मीडियम या लॉन्ग टर्म के रूप में वर्णित किया जा सकता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपको इसे प्राप्त करने में कितना समय लगना है. शॉर्ट टर्म गोल वे होते हैं जिन्हें आप एक साल में पूरा करना चाहते हैं, मीडियम टर्म गोल पांच सालों में और लॉन्ग टर्म गोल पांच सालों से अधिक में प्राप्त करना चाहते हैं.
जब आप अपने लक्ष्यों को लिख रहे हों, तो सुनिश्चित करें कि आपने उन्हें एक समय सीमा दी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि गोल प्रोजेक्टेड कॉस्ट की गणना के लिए आपको भविष्य में इन तारीखों की आवश्यकता होगी. ये आपको मोटिवेटेट रहने और आपको ट्रैक पर रखने में मदद कर सकता है. वित्तीय सफलता के लिए वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करना महत्वपूर्ण है.

अपनी जोखिम लेने की क्षमता (Risk Appetite) का निर्धारण करें और स्टॉप–लॉस (एक निवेशक द्वारा अपने नुकसान को सीमित करने के लिए उपयोग की जाने वाली विधि) का उपयोग करें: ट्रेडिंग करते समय यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी जोखिम उठाने की क्षमता क्यों एक स्टॉप लॉस रणनीति है? का आकलन करें. एक बार ऐसा करने के बाद सुनिश्चित करें कि आप स्टॉप-लॉस के साथ ट्रेड करते हैं. कई ट्रेडर और निवेशक अनश्योर होते हैं कि स्टॉक, वायदा और अन्य उपकरणों में अपनी ओपन होल्डिंग को कैसे सुरक्षित रखा जाए. अच्छी बात ये है कि, बुल और बियर दोनों बाजारों में, डाउनसाइड को कम करने के लिए स्टॉप-लॉस मेथड का उपयोग किया जा सकता है. स्टॉप-लॉस ऑर्डर एक पर्चेज या सेल ऑर्डर है जो स्टॉक के एक स्पेसिफाइड प्राइस पर हिट होने के बाद एग्जीक्यूट हो जाता है. इसका उपयोग ट्रेडिंग पोजीशन पर संभावित नुकसान को प्रतिबंधित करने के लिए क्यों एक स्टॉप लॉस रणनीति है? किया जाता है. इसलिए, स्टॉप-लॉस सेट करना सबसे महत्वपूर्ण ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग टिप्स में से एक है.

ट्रेडिंग/निवेश में टेम्परामेंट जरूरी, इसे ध्यान में रखें: भावनाएं ट्रेडिंग प्रोसेस का एक सामान्य अंग हैं. यहां तक कि अगर आप अपने ट्रेंड्स को सावधानीपूर्वक तैयार करते हैं, तो भी बाजार हमेशा उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है. वास्तव में, आपके लक्ष्यों के अनुसार कार्य करने की तुलना में बाजार आपकी अपेक्षाओं से कम होने की ज्यादा संभावना है. शेयर बाजार के बेतहाशा उतार-चढ़ाव के कारण आप अपने पोर्टफोलियो में एडजस्टमेंट करने के लिए ललचा सकते हैं. हालांकि, यदि आप इस सत्य को स्वीकार करते हैं और इसके समाधान के लिए आवश्यक उपाय करते हैं, तो आप इमोशन्स के प्रभाव को कम करने में सक्षम होंगे. इमोशनल ट्रेडिंग में कई तरह के नुकसान होते हैं और इसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान हो सकता है. इसलिए, अपनी इमोशन्स को कंट्रोल में रखने के लिए किसी ट्रेड में प्रवेश करने से पहले एक रणनीति विकसित करना महत्वपूर्ण है. याद रखें, एक सफल व्यापारी बनने के लिए हमेशा तार्किक रूप से सोचना होगा. अपने जोखिमों की गणना करें और अपनी भावनाओं को अपने निर्णय के रास्ते में न आने दें.

स्टॉक मार्केट नॉलेज प्राप्त करें: मार्केट में ट्रेड और निवेश के लिए बहुत सारे अभ्यास और बाजार की समझ की आवश्यकता होती है. हालांकि, यह समझें कि शेयर बाजार में निवेश/ट्रेड करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है, लेकिन इसके लिए समय और धैर्य की आवश्यकता होती है. डीमैट खाते, शेयरों की खरीद और बिक्री कैसे करें, म्यूचुअल फंड, स्टॉप लॉस, बाजार पूंजीकरण आदि जैसे कई आवश्यक विषयों के बारे में पढ़कर शुरुआत करें एक बार जब आप इन फंडामेंटल कॉन्सेप्ट को समझ लेते हैं, तो बैलेंस शीट, एनुअल रिपोर्ट आदि को पढ़ना सीखना शुरू कर दें. धीरे-धीरे आपको विषय की बेहतर समझ होगी. इससे आपको एक ठोस शुरुआत मिलनी चाहिए.

अत्यधिक ट्रेडिंग से बचें: एक महत्वपूर्ण स्टॉक ट्रेडिंग टिप ये है कि भी आवेग में आकर ट्रेड नहीं करना चाहिए. कई ट्रेडर्स FOMO (Fear of missing out) या FOLO (Fear of losing out) के जाल में पड़ जाते हैं. इसलिए यह आवश्यक है कि आप ट्रेड से पहले एक योजना बना लें. यदि आप ठोस आइडियाज के साथ ट्रेड करते हैं और आवेग में ट्रेड करने से बचते हैं तो आप अपने मुनाफे की संभावनाओं में काफी सुधार करेंगे.

डायवर्सिफाई: डायवर्सिफिकेशन विभिन्न प्रकार के एसेट क्लास में निवेश/ट्रेड की प्रैक्टिस है. डायवर्सिफिकेशन का लक्ष्य आपको एक ही प्रकार के जोखिम के संपर्क में आने से बचाना है. निवेशक और ट्रेडर लाभ को अधिकतम करने के लिए इस विधि का उपयोग करते हैं. डायवर्सिफिकेशन का मुख्य लक्ष्य रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न को बूस्ट देना है, जो उस जोखिम की मात्रा को संदर्भित करता है जिसे आपको लाभ कमाने के लिए लेना चाहिए. एक डायवर्सिफिकेशन प्लान का रहस्य यह सुनिश्चित करना है कि आपके एसेट एक दूसरे से कनेक्टेड नहीं है. यह न केवल एसेट क्लास के बीच, बल्कि एसेट क्लास के भीतर भी डायवर्सिफिकेशन लाने पर जोर देता है.

एक कॉलर रणनीति क्या है? क्यों मैं Exness में उन्हें इस्तेमाल करेंगे

एक कॉलर रणनीति क्या है? क्यों मैं Exness में उन्हें इस्तेमाल करेंगे

एक कॉलर रणनीति एक रक्षात्मक इक्विटी खेल है जिसमें एक निवेशक एक शेयर में नकारात्मक पक्ष को सीमित करने के लिए कुछ उल्टा क्षमता के लिए विदेशी मुद्रा में सीमित करना चाहता है। इस रणनीति को हेज रैपर के रूप में भी जाना जाता है।

निवेशक एक शेयर में एक लंबी स्थिति खरीदता है, जिसमें वह लाभ उठाएगा यदि कीमत बढ़ जाती है, हालांकि वास्तव में अंतर्निहित स्टॉक खरीदने के बिना भी रणनीति को पूरा किया जा सकता है। इसी समय, वह स्टॉक पर आउट-ऑफ-द-मनी पुट ऑप्शन भी खरीदता है और एक ही समाप्ति तिथि के साथ, दोनों के आउट-ऑफ-द-मनी कॉल विकल्प बेचता है। पैसे से बाहर का मतलब है कि विकल्प में कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है: स्टॉक की कीमत पुट विकल्प के स्ट्राइक मूल्य से अधिक है और कॉल विकल्प के स्ट्राइक मूल्य से कम है।

एक उदाहरण:
निवेशक एबीसी कॉर्प के 100 शेयरों को यूएस $ 50 के शेयर पर खरीदता है। इसी समय, वे यूएस $ 45 के स्ट्राइक प्राइस के साथ पुट ऑप्शन खरीदते हैं और यूएस $ 55 के स्ट्राइक प्राइस के साथ कॉल ऑप्शन बेचते हैं। यदि स्टॉक की कीमत गिरती है, तो निवेशक यूएस $ 5 से अधिक का हिस्सा नहीं खोता है क्योंकि पुट विकल्प चालू हो जाता है। लेकिन अगर शेयर की कीमत बढ़ती है, तो कॉल ऑप्शन के कारण निवेशकों का लाभ 5 डॉलर प्रति शेयर पर कैप हो जाता है। दूसरे शब्दों में, निवेशक अपने संभावित लाभ को US $ 5 तक बढ़ाता है, लेकिन संभावित नुकसान को US $ 5 से अधिक नहीं करता है।


मैं एक कॉलर रणनीति का उपयोग क्यों करूंगा?

आम तौर पर, निवेशक कॉलर रणनीतियों का उपयोग करते हैं, क्योंकि वे स्टॉक की लंबी अवधि के उलट क्षमता पर विश्वास करते हैं, लेकिन समग्र बाजार में निकट अवधि में गिरावट के बारे में चिंतित हैं, जो स्टॉक की कीमत को नीचे क्यों एक स्टॉप लॉस रणनीति है? खींच सकते हैं। इसी तरह, वे शेयरों में दीर्घकालिक संभावित लेकिन मंदी के अल्पकालिक समय में तेजी ला सकते हैं। निवेशक कुछ लाभ उठाने के लिए तैयार होने के दौरान एक लाभ में ताला लगाने के लिए कॉलर का भी उपयोग करते हैं।

एक कॉलर रणनीति का उपयोग कभी-कभी एक्टिविस्ट निवेशकों और शत्रुतापूर्ण अधिग्रहण करने वाले कलाकारों द्वारा एक लक्षित कंपनी में इक्विटी स्थिति बनाने के लिए भी किया क्यों एक स्टॉप लॉस रणनीति है? जाता है, जबकि घटना में सुरक्षा प्रदान करने में उनकी योजना विफल हो जाती है और लक्ष्य कंपनी का शेयर मूल्य गिर जाता है।


एक कॉलर रणनीति का उदाहरण

उदाहरण के लिए, एक्टिविस्ट निवेशक एडवर्ड ब्रैमसन ने बैंकों के व्यापार रणनीति को प्रभावित करने के लिए बैंकों के निदेशक मंडल में एक सीट जीतने की उम्मीद में बार्कलेज पीएलसी में 5.5% हिस्सेदारी का निर्माण किया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ब्रैमोंस फर्म, शर्बॉर्न इनवेस्टर्स ने बैंक ऑफ अमेरिका से 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण की मदद से अपनी हिस्सेदारी का निर्माण किया, जिसमें "पुट और कॉल ऑप्शंस की एक श्रृंखला शामिल है जो शेयरों को एक निश्चित स्तर से नीचे गिरने पर नुकसान से बचाते हैं। जबकि उसका उल्टा भी सीमित है। ”

फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, '' वित्त पोषित इक्विटी कॉलर सॉफ्टबैंक जैसे अत्यधिक अधिग्रहण समूहों के साथ हाल के वर्षों में लोकप्रिय हो गया है क्योंकि यह उन्हें पारंपरिक ऋण की तुलना में बहुत अधिक लाभ उठाने के साथ सार्वजनिक रूप से कारोबार वाले शेयरों में बड़े पदों को हासिल करने की अनुमति देता है।

एक कॉलर रणनीति एक रक्षात्मक इक्विटी खेल है जिसमें एक निवेशक एक शेयर में नकारात्मक पक्ष को सीमित करना चाहता है लेकिन अगर कीमत बढ़ती है तो लाभ हासिल करता है। रणनीति, जिसे हेज रैपर के रूप में भी जाना जाता है, में नकारात्मक जोखिम से बचाने के लिए एक आउट-ऑफ-द-मनी पुट विकल्प खरीदने और एक साथ आउट-ऑफ-द-मनी कॉल विकल्प बेचना शामिल है जो लाभ को सीमित करता है। रणनीति का उपयोग सक्रिय निवेशकों द्वारा शत्रुतापूर्ण अधिग्रहण में खुद को बचाने के लिए भी किया गया है।

Hypothetical / Simized Performance: ये परिणाम नकली या काल्पनिक प्रदर्शन परिणामों पर आधारित होते हैं जिनकी कुछ अंतर्निहित सीमाएँ होती हैं। वास्तविक प्रदर्शन रिकॉर्ड में दिखाए गए परिणामों के विपरीत, ये परिणाम वास्तविक ट्रेडिंग का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। कोई प्रतिनिधित्व नहीं किया जा रहा है कि किसी भी खाते को दिखाए जाने के समान लाभ या हानि प्राप्त करने की संभावना है या नहीं। नकली या काल्पनिक व्यापारिक कार्यक्रम आम तौर पर लाभ के लाभ के साथ डिज़ाइन किए जाते हैं, इसमें वित्तीय जोखिम शामिल नहीं होते हैं, और अन्य कारक होते हैं जो वास्तविक व्यापारिक परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

पेंडिंग ऑर्डर स्ट्रैटजी (लंबित आदेश रणनीति)

पेंडिंग ऑर्डर स्ट्रैटजी (लंबित आदेश रणनीति) विदेशी मुद्रा ट्रेडर्स के बीच काफ़ी लोकप्रिय है। ऐसा इसलिए है क्योंकि काम की यह रणनीति काफ़ी कारगर है, और इसकी मदद से बाज़ार में हिस्सा लेने वाले पर मनोवैज्ञानिक दबाव कम होता है और वह कीमत में तेज़ बदलाव की स्थिति में लाभदायक पोज़िशन खोल पाता है। इस रणनीति की मदद से, फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग से मुनाफ़ा कई गुना बढ़ सकता है। ट्रेडिंग दक्षता बेहतर करने के लिए इसका उपयोग, नए और पेशेवर, दोनों ट्रेडर्स कर सकते हैं।

location of the indicator in the terminal

टर्मिनल में इंडिकेटर
का स्थान

पेंडिंग ऑर्डर रणनीति का इस्तेमाल कारगर तरीक़े से कैसे करें

अपने काम में इस रणनीति का सही ढंग से उपयोग करने के लिए, आपको वह मूल्य तय करना होगा, जिससे ऑर्डर निष्पादन, स्टॉप लॉस और टेक प्रॉफ़िट ऑर्डर और ऑर्डर की मौजूदगी की अवधि निर्धारित होगी।

types of pending orders

पेंडिंग ऑर्डर के प्रकार

प्रवेश बिंदुओं का निर्धारण। उन्हें निर्धारित करने के कई तरीक़े हैं। एक तरीक़ा प्राथमिक प्रवेश बिंदुओं को निर्धारित करना है। इसके लिए, ट्रेडर को आवश्यक न्यूनतम मूल्य और अधिकतम मूल्य सीमा निर्धारित करनी होती है, जहाँ पहुंचने पर, रुझान अपनी गति जारी रखेगा।

अगर कीमत कुछ समय तक एक ही प्राइस चैनल में चलती है, तो ट्रेडर किसी एक दिशा में ब्रेकडाउन की उम्मीद के साथ ऑर्डर के पैरामीटर सेट कर सकता है। कभी-कभी पेंडिंग ऑर्डर को इस उम्मीद के साथ दिया जाता है कि समर्थन या प्रतिरोध रेखा टूट जाएगी।

इसके अलावा, ख़रीदारी (बाय लिमिट) और बिक्री (सेल लिमिट) की क्यों एक स्टॉप लॉस रणनीति है? सीमा तय करने के ऑर्डर देना भी मुमकिन है। उन्हें इस उम्मीद के साथ दिया जाता है कि मूल्य उस ख़ास बिंदु तक पहुँच जाएगी। यहाँ, बाय लिमिट के लिए मूल्य वर्तमान कीमत की तुलना में कम होगी, और सेल लिमिट की मूल्य वर्तमान से ज़्यादा होगी और मूल्य वर्तमान रुझान की दिशा में मुड़ेगी। पेंडिंग ऑर्डर बाय स्टॉप के लिए, यह उम्मीद की जाती है कि मूल्य बढ़ोतरी (बुल) रुझान की तरफ़ आगे बढ़ना जारी रखेगी, जिसका अर्थ है कि क़ीमत बढ़ेगी। सेल स्टॉप के लिए सब कुछ इसके विपरीत रहता है, कीमत गिरावट (बियर) की रुझान की तरफ़ आगे बढ़ती रहनी चाहिए और उसे गिरकर उस स्तर की तरफ़ जाना चाहिए, जिस पर ऑर्डर दिया गया था।

अगला तरीक़ा है ख़बरों का उपयोग करना। एक ट्रेडर को पहले से पता होना चाहिए कि प्रमुख ख़बरें कब जारी होने वाली हैं और वर्तमान मूल्य की तुलना में ज़्यादा या कम पर ऑर्डर प्लेस करना चाहिए। समाचार की पुष्टि होने पर, रुझान अपनी दिशा जारी रखेगा; अन्यथा, रिवर्सल होगा। किसी भी मामले में, ऑर्डर निष्पादित होंगे।

स्टॉप लॉस ऑर्डर देना। यह ऑर्डर ट्रेडर की ट्रेडिंग रणनीति और धन प्रबंधन के आधार पर दिया जाता है।

टेक प्रॉफ़िट ऑर्डर देना। यह पैरामीटर इस पर निर्भर करता है कि ट्रेडर की महत्वाकांक्षाएं क्या हैं और बाज़ार की वर्तमान स्थिति का विशेष मुद्रा जोड़ी पर क्या असर है। आपको संभावित मुनाफ़े के आकार और ट्रेंड रिवर्सल की संभावना का अंदाज़ा लगाना चाहिए।

ऑर्डर के अस्तित्व की शर्तें। इस रणनीति का यह पहलू ज़रूरी है। ट्रेडर द्वारा निर्धारित मापदंडों पर पेंडिंग ऑर्डर निष्पादित करने के लिए इसके समाप्ति समय को सेट करना पड़ता है। अन्यथा, ऑर्डर ट्रेडर की ट्रेडिंग रणनीति पर निष्पादित नहीं किया जा सकता है।

इसी तरह की बारीकियों को ध्यान में रखते हुए, पेंडिंग ऑर्डर रणनीति के कारगर उपयोग और फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग के नतीजों को बढ़ाने का तरीक़ा सीखना मुमकिन है।

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