डॉलर इंडेक्स में भले ही 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है. (File Photo)

Dollar Index Explained : डॉलर इंडेक्स का क्या है मतलब, इस पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया?

डॉलर इंडेक्स पर सारी दुनिया की नज़र रहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण करेंसी है.

Dollar Index Explained : डॉलर इंडेक्स का क्या है मतलब, इस पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया?

डॉलर इंडेक्स में भले ही 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है. (File Photo)

What is US Dollar Index and Why it is Important : रुपये में मजबूती की खबर हो या गिरावट की, ब्रिटिश पौंड अचानक कमजोर पड़ने लगे या रूस और चीन की करेंसी में उथल-पुथल मची हो, करेंसी मार्केट से जुड़ी तमाम खबरों में डॉलर इंडेक्स का जिक्र जरूर होता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार की हलचल से जुड़ी खबरों में तो रेफरेंस के लिए डॉलर इंडेक्स का नाम हमेशा ही होता है. ऐसे में मन में यह सवाल उठना लाज़मी है कि करेंसी मार्केट से जुड़ी खबरों में इस इंडेक्स को इतनी अहमियत क्यों दी जाती है? इस सवाल का जवाब जानने सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि डॉलर इंडेक्स आखिर है क्या?

डॉलर इंडेक्स क्या है?

डॉलर इंडेक्स दुनिया की 6 प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती या कमजोरी का संकेत देने वाला इंडेक्स है. इस इंडेक्स में उन देशों की मुद्राओं को शामिल किया गया है, जो अमेरिका के सबसे प्रमुख ट्रे़डिंग पार्टनर हैं. इस इंडेक्स शामिल 6 मुद्राएं हैं – यूरो, जापानी येन, कनाडाई डॉलर, ब्रिटिश पाउंड, स्वीडिश क्रोना और स्विस फ्रैंक. इन सभी करेंसी को उनकी अहमियत के हिसाब से अलग-अलग वेटेज दिया गया है. डॉलर इंडेक्स जितना ऊपर जाता है, डॉलर को उतना मजबूत माना जाता है, जबकि इसमें गिरावट का मतलब ये है कि अमेरिकी करेंसी दूसरों के मुकाबले कमजोर पड़ रही है.

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डॉलर इंडेक्स में किस करेंसी का कितना वेटेज?

डॉलर इंडेक्स पर हर करेंसी के एक्सचेंज रेट का असर अलग-अलग अनुपात में पड़ता है. इसमें सबसे ज्यादा वेटेज यूरो का है और सबसे कम स्विस फ्रैंक का.

  • यूरो : 57.6%
  • जापानी येन : 13.6%
  • कैनेडियन डॉलर : 9.1%
  • ब्रिटिश पाउंड : 11.9%
  • स्वीडिश क्रोना : 4.2%
  • स्विस फ्रैंक : 3.6%

हर करेंसी के अलग-अलग वेटेज का मतलब ये है कि इंडेक्स में जिस करेंसी का वज़न जितना अधिक होगा, उसमें बदलाव का इंडेक्स पर उतना ही ज्यादा असर पड़ेगा. जाहिर है कि यूरो में उतार-चढ़ाव आने पर डॉलर इंडेक्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है.

डॉलर इंडेक्स का इतिहास

डॉलर इंडेक्स की शुरुआत अमेरिका के सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने 1973 में की थी और सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं तब इसका बेस 100 था. तब से अब तक इस इंडेक्स में सिर्फ एक बार बदलाव हुआ है, जब जर्मन मार्क, फ्रेंच फ्रैंक, इटालियन लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियन फ्रैंक को हटाकर इन सबकी की जगह यूरो को शामिल किया गया था. अपने इतने वर्षों के इतिहास में डॉलर इंडेक्स आमतौर पर ज्यादातर समय 90 से 110 के बीच रहा है, लेकिन 1984 में यह बढ़कर 165 तक चला गया था, जो डॉलर इंडेक्स का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. वहीं इसका सबसे निचला स्तर 70 है, जो 2007 में देखने को मिला था.

डॉलर इंडेक्स इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

डॉलर इंडेक्स में भले ही सिर्फ 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इस पर दुनिया के सभी देशों में नज़र रखी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं की सबसे महत्वपूर्ण करेंसी है. न सिर्फ दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल ट्रेड डॉलर में होता है, बल्कि तमाम देशों की सरकारों के विदेशी मुद्रा भंडार में भी डॉलर सबसे प्रमुख करेंसी है. यूएस फेड के आंकड़ों के मुताबिक 1999 से 2019 के दौरान अमेरिकी महाद्वीप का 96 फीसदी ट्रेड डॉलर में हुआ, जबकि एशिया-पैसिफिक रीजन में यह शेयर 74 फीसदी और बाकी दुनिया में 79 फीसदी रहा. सिर्फ यूरोप ही ऐसा ज़ोन है, जहां सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय व्यापार यूरो में होता है. यूएस फेड की वेबसाइट के मुताबिक 2021 में दुनिया के तमाम देशों में घोषित विदेशी मुद्रा भंडार का 60 फीसदी हिस्सा अकेले अमेरिकी डॉलर का था. जाहिर है, इतनी महत्वपूर्ण करेंसी में होने वाला हर उतार-चढ़ाव दुनिया भर के सभी देशों पर असर डालता है और इसीलिए इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है.

पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही 'औद्योगिक उत्पादन' की रफ्तार

Industrial Production Index

राज एक्सप्रेस। भारत में एक तरफ कोरोना के आंकड़ों सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं का स्तर लगातार बढ़ रहा है। वहीं, दूसरी तरफ बीते महीनों से भारत लागू रहे लॉकडाउन का असर भारत के विभिन्न सेक्टरों पर नजर आ रहा है। देश के औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार अभी भी पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही है। इस बात का अंदाजा सरकार द्वारा जारी किए गए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) से लगाया जा सकता है। हालांकि, अभी सरकार द्वारा मई में लगातार दूसरे महीने औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के पूरे आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक :

दरअसल, देश में लॉकडाउन के कारण आई आर्थिक मंदी के चलते मार्च-अप्रेल की अवधि में औद्योगिक उत्पादन बिलकुल ठप्प रहा। वहीं, अप्रैल से तुलना की जाए तो फिर भी मई में औद्योगिक उत्पादन में 64.92% की बढ़ोतरी हुई है। परंतु यदि यही आंकड़ा पिछले साल की इसी अवधि से तुलना करके देखा जाये तो, ये आंकड़ा 34.71 फीसदी घट गया है। बता दें, शुक्रवार को सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, मई का IIP ( Industrial Production Index) का आंकड़ा 88.4 पर था। जबकि, अप्रैल में यह 53.6 पर था। बता दें, सरकार ने यह आंकड़े तुलनात्मक आधार पर जारी नहीं किए हैं।

मई 2020 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक :

जारी किए गए ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो उनके अनुसार, मई 2020 में,

माइनिंग का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 87.0 रहा।

मैन्यूफैक्चरिंग का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 82.4 रहा।

बिजली सेक्टर का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 149.6 रहा।

प्राइमरी गुड्स का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 105.5 रहा।

पूंजीगत सामान का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 37.1 रहा।

इंटरमीडियरी सामानों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 77.6 अंक रहा।

इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण सामानों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 84.1 रहा।

कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 42.2 रहा।

कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 132.3 रहा।

सरकार का कहना :

दरअसल, सरकार ने एक बयान जारी कर कहा है कि, लॉकडाउन के चलते औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के आंकड़ों में पिछले साल की तुलना में काफी अंतर आया है। इसके अलावा जारी किए गए आंकड़े की तुलना पिछले महीने के साथ की ही नहीं जा सकती है। क्योंकि, लॉकडाउन के दौरान मार्च 2020 के आखिरी सप्ताह से लेकर अप्रेल तक लगभग अधिकतर औद्योगिक प्रतिष्ठान बंद ही थे। यही कारण है कि, सभी उत्पादन प्रभावित हुए हैं।

देश अनलॉक होने पर मिली राहत :

बताते चलें, मई में कई शर्तों के साथ देश को अनलॉक किया गया और कुछ छूट मिली। जिसके चलते मैन्यूफैक्चरिंग, कैपिटल गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स सेक्टर, सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं इन्फ्रास्ट्रक्चर, कंस्ट्रक्शन गुड्स के उत्पादन में सुधार देखा गया। बता दें, अप्रैल माह में इन सभी के उत्पादन में 84.7% की गिरावट दर्ज की गई थी, जबकि मई में यही आंकड़ा और अधिक घट कर 42% हो गया।

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तीन दिन की गिरावट में निवेशकों को 7.42 लाख करोड़ रुपये की चपत

नई दिल्ली। कोरोना महामारी (corona pandemic) का एक और दौर शुरू होने की सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं आशंका की वजह से शेयर बाजार (Share Market) में आज लगातार तीसरे दिन गिरावट (fall on the third day) का रुख बना रहा। सेंसेक्स और निफ्टी (Sensex and Nifty) दोनों सूचकांक 0.39 प्रतिशत की गिरावट (0.39 percent decline) के साथ बंद हुए। शेयर बाजार में इस गिरावट की वजह से निवेशकों को एक दिन में ही 2.47 लाख करोड़ रुपये का घाटा हो गया। आज के नुकसान को मिलाकर पिछले 3 दिनों के दौरान निवेशकों को अभी तक 7.42 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।

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स्टॉक एक्सचेंज के मुताबिक आज आईटी सेक्टर को छोड़ कर ज्यादातर सेक्टर बिकवाली के दबाव की वजह से लाल निशान में बंद हुए। बाजार में गिरावट आने की वजह से बीएसई में लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में भी आज जबरदस्त गिरावट आई। आज दिनभर का कारोबार खत्म होने के बाद बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन घटकर 280.48 लाख करोड़ रुपये हो गया। जबकि कल यानी बुधवार के कारोबार के बाद बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं कैपीटलाइजेशन 282.95 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह आज की गिरावट की वजह से मार्केट में निवेशकों के 2.47 लाख करोड़ रुपये डूब गए।

पिछले 3 दिनों के दौरान सेंसेक्स में अभी तक करीब एक हजार अंकों की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। सोमवार को सेंसेक्स 61,806.19 अंक के स्तर पर बंद हुआ था। जो पिछले तीन कारोबारी दिनों में आई गिरावट के कारण आज गिरते हुए 60,826.22 अंक तक पहुंच गया। इन 3 दिनों की इस गिरावट की वजह से बीएसई में लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में भी जोरदार गिरावट आई है। इसके कारण इन 3 दिनों में निवेशकों के अभी तक करीब 7.42 लाख करोड़ रुपये डूब चुके हैं।

बाजार में आई गिरावट के बावजूद बीएसई में लिस्टेड कंपनियों में से 123 के शेयरों ने आज खरीदारी के सपोर्ट से अपर सर्किट की सीमा तक पहुंचने में सफलता पाई। हालांकि बिकवाली के दबाव के कारण लोअर सर्किट तक पहुंचने वाले शेयरों सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं की संख्या आज तुलनात्मक तौर पर काफी अधिक रही। आज 403 शेयरों ने गिरावट का रुख दिखाते हुए लोअर सर्किट की सीमा को छू लिया। आज दिनभर के कारोबार के दौरान खरीदारी के समर्थन से जिन शेयरों में अपर सर्किट लगा, उनमें जिम लेबोरेट्रीज, वीर कृपा ज्वेलर्स, पीएनजीएस गार्गी फैशन ज्वेलरी, नेविगेट कॉरपोरेट एडवरटाइजर्स, यूनीटेल्स लीजिंग एंड इंडस्ट्रीज, भाटिया कम्युनिकेशंस एंड रिटेल तथा इंडियन लिंक चेन मैन्युफैक्चरर्स प्रमुख हैं।

आज के कारोबार में बिकवाली के दबाव के बावजूद 77 शेयरों ने साल के सबसे ऊंचे स्तर तक पहुंचने में सफलता पाई। इन शेयरों में एबॉट इंडिया, अबांस इंटरप्राइजेज, इंडियन लिंक चैन मैन्युफैक्चरर्स, ज्योति लेबोरेट्रीज, विन्नी ओवरसीज, भगवती ऑटोकॉस्ट, जिंदल वर्ल्डवाइड, एसजी फिनसर्व और रेटान पीएमटी शामिल हैं। दूसरी ओर बीएसई में लिस्टेड कंपनियों में से 146 कंपनियों के शेयर आज बिकवाली के दबाव की वजह से 1 साल के सबसे निचले स्तर तक लुढ़क गए। (एजेंसी, हि.स.)

क्रेडिट कार्ड से लेकर बैंक लॉकर तक, नए साल में बदल सकते हैं ये खास नियम

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। हमेशा से यह देखा जाता है कि नए साल के आते ही सरकार के द्वारा जरुरी नियमों में बदलाव किए जाते हैं। जिनके बारे में भारत के हर नागरिक को जानना जरुरी है। क्योंकि इन नियमों का सीधा असर कहीं ना कहीं आम आदमी की जेब पर भी पड़ता है। ऐसे में साल 2023 की शुरुआत के साथ ही सरकार एक बार फिर कई अहम नियमों में बदलाव करने जा रही है। इस बार इन नियमों में बैंक लॉकर से लेकर क्रेडिट कार्ड और रसोई गैस के दम तक शामिल हैं। चलिए आपको बताते हैं इनके बारे में।

बैंक लॉकर :

1 जनवरी 2023 से RBI के नए नियम के अंतर्गत यदि बैंक लॉकर में रखे हुए सामान में कोई नुकसान होता है, तो बैंक इसके लिए जिम्मेदार होगा। इसके लिए आपको बैंक जाकर 31 दिसंबर तक नए एग्रीमेंट पर साइन करना होगा।

क्रेडिट कार्ड :

शॉपिंग या किसी पेमेंट के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने पर मिलने वाले रिवॉर्ड पॉइंट को लेकर बैंकों की तरफ से कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। यदि आपके पास रिवॉर्ड पॉइंट्स हैं तो 31 दिसंबर से पहले उनका इस्तेमाल कर लें।

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट :

भारत के कई इलाकों में वाहन पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने के लिए 31 दिसंबर 2022 को अंतिम तारीख घोषित किया गया है। इसके बाद आपका चालान बनाया जा सकता है।

रसोई गैस :

सरकार के द्वारा हर महीने की 1 तारीख को एलपीजी के दामों में बदलाव किए जाते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार नए साल के मौके पर भी इसके दम में बदलाव कर सकती है।

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आठवां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव भोपाल में होगा आयोजित

भारत देश की वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी प्रगति और उपलब्धियां किसी से छुपी नहीं है। आज इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कार्य हो रहा है और यह विश्व स्तर पर भी दिख रहा है। भारत की इसी वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी प्रगति की उपलब्धियों का उत्सव राजा भोज की नगरी भोपाल में 21 से 24 जनवरी 2023 को आयोजित इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में मनाया जाएगा।

विज्ञान का महाकुंभ

इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल को विज्ञान का महाकुंभ कहा जाता है। 2023 में इस महाकुंभ का आठवां संस्करण आयोजित हो रहा है जिसमें देश-विदेश के वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी के जानकार, नीति निर्माता, शिल्पकार, स्टार्टअप, किसान, शोधार्थी, छात्र और नए अन्मेषक हिस्सा लेंगे। उत्सव और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह भारत द्वारा जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता के साथ साथ आयोजित हो रहा है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि 4 दिवसीय इस महोत्सव में 14 अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं जिसमें देश भर से 8000 से अधिक प्रतिनिधियों के शामिल होने की आशा की जा रही है। इस उत्सव के साक्षी के रूप में एक लाख से अधिक स्थानीय लोगों के आने की उम्मीद है।

विज्ञान की भूमिका का उत्सव

आईआईएसएफ (इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल) के इस संस्करण की विषय वस्तु “विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के साथ अमृत काल की ओर अग्रसर” है। इसका आयोजन देश और विदेश में लोगों और वैज्ञानिक समुदाय को एक साथ आने, एक साथ काम करने और भारत तथा मानवता की भलाई के लिए विज्ञान की भूमिका का उत्सव मनाने का एक मौका है। केंद्रीय मंत्री डॉ सिंह ने कृषि प्रौद्योगिकी एवं डीप-टेक स्टार्टअप्स सहित नए विचार और नवाचार को इस आयोजन में आमंत्रित करते हैं। इस आवाहन के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री ने फेस्टिवल में एक मेंटर(संरक्षक) डेस्क रखने का भी सुझाव दिया है जिससे छात्र और अभिभावकों को संभावित नई पहलों के बारे में मार्गदर्शन मिल सके।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी होगा शामिल

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी नई उपलब्धियाँ छूने के लिए आईआईएसएफ-2022 का एक हिस्सा सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं बनेगा। युवा छात्र, नवोदित वैज्ञानिक, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए एकत्रित होंगे। ये सभी प्रोटोटाइप मॉडल की एक साथ असेंबली के लिए तैयार होंगे और ऐसे व्यावहारिक मॉडल प्रदर्शित करेंगे, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ का संदेश देते हैं।
पहला और दूसरा आईआईएसएफ नई दिल्ली में, तीसरा चेन्नई में, चौथा लखनऊ में, पाँचवां कोलकाता सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार संकेतक क्या हैं में, छठा वर्चुअल मोड के माध्यम से और आखिरी आईआईएसएफ गोवा में आयोजित किया गया था।

आयोजन का मुख्य आकर्षण

स्कूली विद्यार्थियों के लिए ‘छात्र विज्ञान ग्राम’ एक प्रमुख आकर्षण होगा जहाँ पूरे देश से 2500 से अधिक स्कूली छात्र शामिल हो रहे हैं। ‘छात्र विज्ञान ग्राम’ कार्यक्रम आठवीं से ग्यारहवीं कक्षा तक के छात्रों और संसद सदस्यों द्वारा नामित ऐसे गाँवों के समन्वयक शिक्षकों के लिए है, जिन्हें “प्रधानमंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना” के तहत गोद लिया गया है ।आयोजन का एक अन्य आकर्षण ‘युवा वैज्ञानिकों का सम्मेलन’ होगा, जिसमें लगभग 1500 युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विभिन्न विषय विशेषज्ञों के साथ परस्पर विचार-विमर्श किया जाएगा। मेगा-साइंस एक्स्पो, स्टार्टअप कॉन्क्लेव ऐसे ही अन्य आकर्षण है। विज्ञान साहित्य के महोत्सव “विज्ञानिका” का आयोजन भी इस अवसर पर किया जा रहा है। आईआईएसएफ-2022 में दो दिवसीय छात्र नवाचार उत्सव (स्टूडेंट इनोवेशन फेस्टिवल–एसआईएफ-022) भी जोड़ा गया है। भारत का अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव (आईएसएफएफआई) भी इस महोत्सव का एक अन्य आकर्षण होगा।

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