वित्तीय विवरणों के विश्लेषण और निर्वचन का आशय - Meaning of Analysis and Interpretation of Financial Statements
वित्तीय विवरणों के विश्लेषण और निर्वचन का आशय - Meaning of वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र Analysis and Interpretation of Financial Statements
वित्तीय विवरण अपने में लक्ष्य नहीं होते, वे तो साधन मात्र है। यदि निरपेक्ष रूप से देखा जाये तो ये विवरण अंकों के समूह मात्र होते हैं। ये अपने आप कोई महत्वपूर्ण निष्कर्ष नहीं प्रकट करते। लेकिन इनके विश्लेषण की क्रिया में अनुभवी व्यक्ति इनसे बहुत महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाल सकते हैं। वस्तुतः इन विवरणों की महत्ता इनकी रचना में नहीं वरन इनके विश्लेषण और निर्वचन में होती है।
वित्तीय विवरणों के विश्लेषण का आशय इन विवरणों में दिये गये तथ्यों को किसी वैज्ञानिक रीति से सुविधाजनक भागों में वर्गीकृत और विन्यास (Classify and arranger) करना है
जिससे इनसे अर्थपूर्ण निष्कर्ष निकाले जा सकें। फिने और मिलर के शब्दों में, वित्तीय विश्लेषण में कुछ निश्चित योजनाओं के आधार पर तथ्यों का विभाजन करना, निश्चित परिस्थितियों के अनुसार उनकी वर्ग में रचना करना और सुविधाजनक एवं आसान पाठ्य तथा समझने योग्य रूप में उन्हें प्रस्तुत करना शामिल है।"
निर्वाचन विश्लेषण की अगली सीढ़ी होती वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र है। इसका आशय एक नियत अवधि के अन्तर्गत के विश्लेषित वित्तीय व्यवहारों के आलोचनात्मक परीक्षण और निष्कर्ष निकालने से होता है। इस प्रकार विश्लेषण और निर्वचन दो पृथक क्रियायें हैं। विश्लेषण तथ्य ज्ञात करने और जटिल अंकों को सरल भागों में विभाजित करने की प्रक्रिया है जबकि निर्वचन इन सरलीकृत भागों की वास्तविक महत्ता के विवेचन की एक कला है।
दोनों की क्रियायें एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बद्ध (closely connected) है क्योंकि विश्लेषण के बिना निर्वाचन असम्भव है तथा निर्वचन के बिना विश्लेषण व्यर्थ है।
व्यवहार में सामान्यतया इन दोनों को एक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता है। अतः वित्तीय विवरणों के विश्लेषण और निवर्चन के अन्तर्गत तथ्यों का विश्लेषण, अनुविन्यसन, सम्बन्ध स्थापना व उनके आधार पर निष्कर्ष निकालना आदि शामिल किया जाता है। जॉन मायर के शब्दों में, वित्तीय विवरण विश्लेषण वृहत् रूप से किसी व्यवसाय में विवरणों के एक अकेले समूह द्वारा प्रकट किये, विभिन्न वित्तीय कारकों के बीच सम्बन्धों और विववरणों की एक श्रृंखला में दिखलायी गयी इन कारकों की प्रवृत्तियों का अध्ययन हैं। " कैनेडी और मूलर वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र के षब्दों में, वित्तीय विवरणों का विश्लेषण एवं निर्वचन एक ऐसा प्रयत्न है जिसके द्वारा वित्तीय विवरणों के समको की महत्ता और आशय निर्धारित किया जाता है ताकि भावी अर्जनों देय तिथियों पर ऋण (वर्तमान और दीर्घकालीन दोनों) और ब्याज के भुगतान की क्षमता और एक सुदृढ लाभांश नीति की लाभप्रदता की सम्भावनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सके। "
वित्तीय विश्लेषण का अर्थ, क्षेत्र, उद्देश्य
वित्तीय विश्लेषण का अर्थ (vittiya vishleshan kya hai)
vittiya vishleshan arth kshera uddeshya;किसी भी व्यवसाय द्वारा जो वित्तीय लेखे, विवरण तथा प्रतिवेदन प्रकाशित किये जाते है, उनका विश्लेषण ही वित्तीय विश्लेषण कहलाता है। प्रकाशित किये जाने वाले प्रलेखों मे स्थिति विवरण, लाभ-हानि खाता, संचालकों का प्रतिवेदन, अध्यक्ष का भाषण एवं अंकेक्षण के प्रतिवेदन को उसी रूप मे रहने दिया जाए जिस रूप मे वह तैयार किये गये थे तो उनसे कोई निष्कर्ष नही निकलेगा। इन लेखों तथा प्रतिवेदनों का विश्लेषण और निर्वाचन करके महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले जा सकते है एवं यही वित्तीय विश्लेषण कहलाता है।
फिरे एवं मिलन के अनुसार," वित्तीय विश्लेषण मे निश्चित योजनाओं वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र के आधार पर तथ्यों को विभाजित करने, परिस्थितियों के अनुसार उसकी वर्ग रचना करने एवं सुविधाजनक, सरल, पठनीय तथा समझने लायक रूप मे उन्हे प्रस्तुत करने की क्रियाएं होती है।
आर. डी. कैनेडी एवं मेकमूलर के अनुसार," वित्तीय विवरणों का विश्लेषण एवं निर्वाचन वित्तीय विवरणों मे समंको की महत्ता एवं अर्थ को निर्धारित करने का एक प्रयत्न है ताकि भावी अर्जन, देय ऋणों और ब्याज की भुगतान क्षमता तथा एक सुदृढ़ लाभांश नीति की लाभप्रदता की सम्भावनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सके।"
वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र (vittiya vishleshan ka kshera)
इस बात की जानकारी प्राप्त करना कि व्यवसाय मे जितनी पूँजी लगी है, उस हिसाब से लाभ पर्याप्त मात्रा मे हो रहे है या नही। क्या पूंजी को अन्य स्थान मे पर लगाकर ज्यादा लाभ प्राप्त किये जा सकते है?
2. सुरक्षा तथा शीधन क्षमता
इस बात की जानकारी प्राप्त करना कि पूंजी तथा ऋण किस सीमा तक सुरक्षित है, कंपनी लेनदरों के ऋण चुकाने की स्थिति मे है या नही।
3. वित्तीय दृढ़ता
इस बात की जानकारी प्राप्त करना कि कंपनी वित्तीय दृष्टि से सुदृढ़ है, क्या संस्था वित्तीय स्थिति को मजबूत करने हेतु आंतरिक वित्त प्रबंध का सहारा लेगी, क्या कंपनी की भविष्य मे कोई विस्तार योजना है तथा इसके लिए वित्य प्रबंध का सहारा लेगी।
इस बात की जानकारी प्राप्त करना कि व्यवसाय के लाभ तथा विक्रय मे नीचे जाने की प्रवृत्ति है या ऊपर जाने की।
5. स्वामित्व अथवा प्रबंध क्षमता
इस बात की जानकारी प्राप्त करना कि व्यवसाय वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र का प्रबंध किनके हाथ मे है, प्रबंधकों के हाथों मे व्यवसाय का भविष्य सुरक्षित है, संपत्तियों का प्रबंध किस तरह की पूंजी से किया जा रहा है, पूंजी की मात्रा आवश्यकता से कम है या ज्यादा।
वित्तीय विश्लेषण के उद्देश्य (vittiya vishleshan ke uddeshya)
भिन्न-भिन्न वर्गों की दृष्टि से विश्लेषण के उद्देश्य भिन्न-भिन्न हो सकते है। वित्तीय विश्लेषण के उद्देश्य इस प्रकार हैं--
1. प्रबंधक वर्ग
व्यवसाय का संचालन तथा नियंत्रण करने वाले प्रबंधक कहलाते है। प्रबंधक वर्ग वित्तीय विवरणों का विश्लेषण इस उद्देश्य से करते है ताकि ऐसी सूचनाएं प्राप्त की जा सकें जिससे व्यवसाय की कुशलता तथा लाभार्जन शक्ति का माप किया जा सके, विभिन्न विभागों की सफलता या असफलता का मूल्यांकन किया जा सके एवं इसी तरह के व्यवसायों अथवा उद्योगों से अपने व्यवसाय की तुलना की जा सके।
विनियोजक की श्रेणी मे कंपनी के अंशधारी तथा दीर्घकालीन ऋणदाता आते है। अंशधारियों का कंपनी मे स्थायी हित होता है। इसका प्रमख उद्देश्य मूलधन की सुरक्षा वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र एवं उस पर पर्याप्त आय प्राप्त करना है। ऋणपत्रधारी संस्था की दीर्घकालीन शोधन क्षमता के बारे मे पूर्ण जानकारी चाहते है। वित्तीय विवरणों के विश्लेषण का उद्देश्य अंशधारियों द्वारा संस्था की लाभ अर्जन क्षमता की जानकारी प्राप्त करना, विनियोजक की आय तथा सुरक्षा की जानकारी प्राप्त करना एवं प्रबंधकों की कुशलता का माप करना होता है। ऋणपत्रधारी मूलधन एवं ब्याज देने की क्षमता की जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से विश्लेषण करते है।
वित्तीय विवरणों के विश्लेषण मे कर्मचारी इसलिए रूचि रखते है, ताकि संस्था की वित्तीय स्थिति तथा लाभअर्जन क्षमता की जानकारी प्राप्त कर सकें क्योंकि वेतन वृद्धि, बोनस पदोन्नति आदि प्रश्न इससे जुड़े रहते है।
4. बैंक तथा वित्तीय संस्थाएं
बैंक तथा वित्तीय संस्थाओं द्वारा विश्लेषण का उद्देश्य संस्था की वित्तीय सुदृढ़ता की जानकारी प्राप्त करना होता है, क्योंकि ये संस्थाएं बहुत कम ब्याज पर ऋण देती है तथा अपने ऋणों की सुरक्षा के प्रति काफी चिंतित रहती है।
सरकार वित्तीय विवरणों के विश्लेषणों से व्यावसायिक संस्थाओं की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करती है।
6. अन्य वर्ग
ग्राहक, व्यावसायिक प्रतिद्वंदी, विक्रेता, वितरक, जनसाधारण, शोधकर्ता, पत्रकार, राजनीतिज्ञ आदि भी अपने-अपने उद्देश्यों हेतु वित्तीय विवरणों का विश्लेषण करते है।
वित्तीय विश्लेषण के प्रकार - Types of Financial Analysis
वित्तीय विश्लेषण के प्रकार - Types of Financial Analysis
वित्तीय विश्लेषण के दो प्रमुख तरीके हैं -
(1) क्षैतिज विश्लेषण (Horizontal Analysis) – जब कई वर्षों के वित्तीय विवरणों का विश्लेषण किया जाता है तो यह क्षैतिज विश्लेषण कहलाता है। इसमें प्रत्येक मद के वर्ष प्रति वर्ष के परिवर्तनों को दिखलाया जाता है। चूंकि यह विश्लेषण किसी एक वर्ष अथवा किसी एक लेखा - अवधि के समको पर आधारित न होकर कई वर्षों या अवधियों के समकों पर आधारित होता है, इसलिये इसे प्रावैकिंग विश्लेषण (Dynamic Analysis) भी कहते हैं। वित्तीय विवरण विश्लेषण की अनुपात विधि, कोष-प्रवाह विश्लेषण विधि, प्रवृत्ति विश्लेषण, तुलनात्मक विवरण आदि तकनीकें क्षैतिज विश्लेषण के ही उदाहरण हैं।
(2) लम्बवत् विश्लेषण (Vertical Analysis) – यह किसी एक तिथि के अथवा किसी एक लेखा - अवधि के विभिन्न मदों के आपसी संख्यात्मक सम्बन्ध का अध्ययन है। वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की औसत विश्लेषण तकनीक ऐसे ही विश्लेषण का उदाहरण है।
इसमें एक तिथि अथवा एक अवधि के विवरण के योग को 100 माना जाता है तथा उस विवरण की प्रत्येक पद का उसके योग से प्रतिशत सम्बन्ध स्थापित किया जाता है। यह सम्बन्ध अनुपात विश्लेषण विधि से भी स्थापित किया जा सकता है। लम्बवत् विश्लेषण को स्थैतिक विश्लेषण (Static Analysis) भी कहते है।
यद्यपि विश्लेषण के लिये उपरोक्त दोनों विधियों का प्रयोग किया जा सकता है, प्रत्येक विधि एक विशिष्ट प्रकार की सूचना प्रदान करती है किन्तु इनमें से पहली विधि अधिक अच्छी है, क्योंकि लम्बवत् विश्लेषण के आधार व प्रयोग किये गये मद किसी में भी परिवर्तन आ जाने पर पूर्व निकाले गये प्रतिशत में परिवर्तन आ सकता है। इसके अतिरिक्त इसमें भूतकाल के सन्दर्भ में स्थिति का विवेचन नहीं किया जा सकता है। कई वर्षों के लगातार अध्ययन के पश्चात् ही आगणित समंक तुल्य हो सकते हैं। क्षैतिज विश्लेषण इन दोनों दोषों से मुक्त है। अतः यह विश्लेषण के लिये अधिक उपयुक्त है।
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