क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं
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क्रिप्टो मार्केट में क्या है HODL के मायने? मार्केट क्रैश के दौरान 55% इन्वेस्टर्स ने इसे क्यों चुना?
क्रिप्टो मार्केट क्रैश (Crypto market crash) हो चुका है. बिटकॉइन (Bitcoin - BTC) की कीमतों में भारी गिरावट हुई है. इस कारण रिटेल इन्वेस्टर (Retail investors) इसे खरीदने से बच रहे हैं.
क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट फंड्स और बिटकॉइन में ट्रेडिंग अपने ऑल-टाइम हाई से 60% कम है, लेकिन डेटा के कुछ सकारात्मक संकेत इस बात का इशारा हो सकते हैं कि बाजार में जल्द ही रौनक लौट सकती है.
ताजा सर्वे के आंकड़ों से पता चलता है कि क्रिप्टो में पहले से निवेश करने वालों में से 55% ने इस अस्थिरता के दौरान HODL को चुना. HODL है क्या? इसे इस लेख में समझते हैं.
क्रिप्टो इन्वेस्टर HODL
एपिनियो (Appinio) द्वारा किए गए एक हालिया सर्वे के मुताबिक़, क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में गिरावट के बावजूद, "आधे से अधिक (55%) क्रिप्टो इन्वेस्टर्स (crypto investors) ने हाल ही में क्रिप्टो-एसेट मार्केट में बिकवाली के जवाब में अपना निवेश किया. सिर्फ 8% अपना इन्वेस्टमेंट बेच रहे हैं.”
इससे पता चलता है कि अधिकांश क्रिप्टो इन्वेस्टर्स का इन्वेस्टमेंट में दृढ़ विश्वास बना हुआ है. सर्वे में यह भी पाया गया कि "33% अमेरिकी इन्वेस्टर क्रिप्टो-एसेट्स में इन्वेस्ट करते हैं," और "40% इन्वेस्टर्स का मानना है कि बिटकॉइन अगले तीन महीनों में सबसे अच्छा इन्वेस्टमेंट अवसर पेश करने वाला है."
अमेरिकी इन्वेस्टर्स ने दिखाया भरोसा
अब अगर आप सोच रहे हैं कि अमेरिका में इन्वेस्टर्स ने फाइनेंशियल मार्केट में आए इस उतार-चढ़ाव का जवाब कैसे दिया, तो एपिनियो ने पाया कि 65% उत्तरदाताओं ने अपना इन्वेस्टमेंट किया और अपनी पसंद में आश्वस्त रहे.
जब उनकी सबसे अधिक अल्पकालिक चिंताएं जाहिर करने के लिए कहा गया, तो उत्तरदाताओं में से 66% ने बढ़ती मुद्रास्फीति (inflation) का हवाला दिया, 39% ने वैश्विक अर्थव्यवस्था (global economy) के बारे में कहा और 34% ने अंतरराष्ट्रीय संघर्ष की पहचान की.
eToro में निवेश विश्लेषक (investment analyst) कैली कॉक्स (Callie Cox) के अनुसार, इन चिंताओं के साथ चल रही अनिश्चितता "और रहने और आवास की लागत में समग्र वृद्धि" ने इन्वेस्टर्स के लिए "सुनामी" का काम किया है.
कॉक्स ने कहा: "इन कारणों के बावजूद, पीढ़ी दर पीढ़ी, इन्वेस्टर मैच्योरिटी और समझ दिखा रहे हैं. वे भावुक होकर निर्णय नहीं ले रहे हैं."
क्या है HODL के मायने?
HODL - बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टोकरेंसी को खरीदने और रखने के संदर्भ में "HOLD" की गलत वर्तनी से लिया गया एक शब्द है. आमतौर पर क्रिप्टो इन्वेस्टर्स के बीच इसका मतलब है — "hold on for dear life"
HODL शब्द का जन्म 2013 में Bitcointalk फोरम में एक पोस्ट के साथ हुआ था. 2013 में बिटकॉइन की कीमत अस्थिर थी, दिसंबर 2013 की शुरुआत में 950 डॉलर से अधिक हो गई, जो उसी वर्ष अप्रैल में 130 डॉलर से अधिक थी. इस ओरिजिनल Bitcointalk पोस्ट के पीछे 16 दिसंबर, 2013 को चीन द्वारा बिटकॉइन एक्सचेंजों पर लगाए गए बैन को माना जा रहा है.
क्या आप HODL स्टॉक कर सकते हैं?
जबकि HODLing आम तौर पर क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टर्स से जुड़ा होता है, यह buy-and-hold investing स्ट्रेटेजी है. यह सिर्फ क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट तक सीमित नहीं है.
कई स्टॉक इन्वेस्टर लंबे समय तक अपने इन्वेस्टमेंट को "HODL" करते हैं. हालांकि स्टॉक की कीमतें क्रिप्टो एसेट्स की कीमतों की तुलना में लगभग हमेशा कम अस्थिर होती हैं. स्टॉक में इन्वेस्टर जो खरीदते हैं, वे लंबी अवधि के बाद मुनाफा कमा सकते हैं, जबकि क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू में अस्थिरता के चलते इन्वेस्टर्स को HODL में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
Bitcoin Investment : क्या हम सचमुच कहीं निवेश करते हैं या बस अनुमान लगाते हैं कि रिटर्न मिल जाएगा?
Cryptocurrency prices : क्रिप्टोकरेंसी निवेश को लेकर एक बड़ा ही सीधा, सहज सवाल उठता है, क्या हम सच में किसी चीज में निवेश कर रहे हैं? या हम बस यह अनुमान लगाकर चल रहे हैं कि भविष्य में हमें कुछ रिटर्न मिल जाएगा?
साल 2009 में डेवलप होने के बाद से क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Cryptocurrency Bitcoin Value) की बढ़ती पॉपुलैरिटी और दूनी-चौगुनी होती इसकी वैल्यू निवेशकों को भी हैरानी में डालती है. जैसाकि इंटरनेट के साथ हुआ था, उसी तरह क्रिप्टोकरेंसी को भी मेनस्ट्रीम में आने में कुछ साल लगे, लेकिन अब यह वर्चुअल करेंसी अप्रत्याशित तेजी से बढ़ रही है. बहुत से निवेशकों ने क्रिप्टोकरेंसी को अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो (Cryptocurrency in investment portfolio) का हिस्सा बना लिया है. लेकिन बिटकॉइन और इस जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी फिजिकल असेट नहीं हैं, यानी आप इन्हें छू नहीं सकते, हाथ से इनका लेन-देन नहीं कर सकते. ये करेंसी किसी एक संस्था या सिस्टम के तहत नहीं चलती हैं. यह पूरा नेटवर्क खुद से खुद को चलाता है. ट्रांजैक्शन कुछ डिसेंट्रलाइज्ड यानी बिना किसी एक सेंटर वाले कंप्यूटरों के नेटवर्क पर होता है.
ऐसे में एक बड़ा ही सीधा, सहज सवाल उठता है, क्या हम सच में किसी चीज में निवेश कर रहे हैं? या हम बस यह अनुमान लगाकर चल रहे हैं कि भविष्य में हमें कुछ रिटर्न मिल जाएगा? 2018 में बिजनेस टाइकून वॉरेन बफे ने सार्वजनिक तौर पर बिटकॉइन को एक निवेश के माध्यम के तौर पर खारिज किया था. इसके तीन साल हो गए हैं और क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में तबसे बहुत कुछ हो चुका है, बहुत कुछ बदल चुका है. एक ओर बड़ी-बड़ी बिजनेस कंपनियां इन डिजिटल संपत्तियों में निवेश कर रही हैं. दूसरी ओर, क्रिप्टो की दुनिया में हुई धोखाधड़ियों ने अपने पीछे बड़ा गुबार छोड़ रखा है. शायद हमें यह पूछना ही बंद कर देना चाहिए कि क्या बिटकॉइन में निवेश करना अनुमान लगाना भर है? इसकी बजाय हमें क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में ऐसे आसान नियमों पर फोकस करना चाहिए, जो कि हमें असल में लाभ दिला सकें.
1. लॉन्ग टर्म में फायदा या शॉर्ट टर्म में
स्पेक्युलेशन यानी अनुमान लगाना तब होता है, जब हम कम समय में ज्यादा लाभ कमाने की उम्मीद में जोखिम भरा निवेश करते हैं. ऐसे में स्पेक्युलेटर बनने के बजाय रियल इन्वेस्टर बनिए, जिसका फोकस लॉन्ग टर्म्स गोल्स यानी लंबे समय में ज्यादा रिटर्न बनाने पर होना चाहिए. निवेश के पहले नियमों में से क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं एक है कि जितना खोने का रिस्क उठा सकते हैं, उतना ही निवेश करना चाहिए. क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के जोखिम काफी भारी हो सकते हैं, ऐसे में हमें इसके खतरों को नाप-तौल कर ही अपने गोल का चुनाव करना चाहिए.
2. क्वालिटी पर भरोसा
हमेशा ‘too good to be true’ और रिस्की प्रोजेक्ट्स और ऑफर से बचकर रहना चाहिए. कोई आपको तुरंत प्रॉफिट नहीं दिला सकता है, ऐसे ऑफर्स के चक्कर में न पड़ें, वर्ना हो सकता है कि आप जिंदगी भर रिटर्न के इंतजार में ही रह जाएं. किसी भी कॉइन में निवेश करने से पहले उसके रेड फ्लैग्स यानी कमियां, रिस्क, हकीकत में उसकी स्थिति परख लें, फिर निवेश करें. इससे आपको तुरंत प्रॉफिट हो न हो, लॉन्ग टर्म में आप फायदे में रहेंगे. बिटकॉइन का प्राइस, इसकी शुरुआत के साथ भारत में कई गुना बढ़ चुका है.
Cryptocurrency: क्या आप भी क्रिप्टोकरेंसी में करते हैं निवेश? तो जान लीजिए टैक्स से जुड़ी ये बड़ी बात; वरना होगी परेशानी
Cryptocurrency: क्या आप भी क्रिप्टोकरेंसी में करते हैं निवेश? तो जान लीजिए टैक्स से जुड़ी ये बड़ी बात; वरना होगी परेशानी Cryptocurrency: आजकल .
Cryptocurrency: क्या आप भी क्रिप्टोकरेंसी में करते हैं निवेश? तो जान लीजिए टैक्स से जुड़ी ये बड़ी बात; वरना होगी परेशानी
Cryptocurrency: आजकल कई लोग क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते हैं. इससे कई लोगों ने खूब कमाई भी की है. अगर आप भी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. जब से सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी से बैन हटाया है तभी से ही इस पर टैक्स लगने के कयास शुरू हो गए थे.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा है. इससे बिजनेस और इनकम के कई नए अवसर खुल गए हैं. कुछ लोग कम दिनों में ज्यादा पैसे कमाने की फिराक में रहते हैं और क्रिप्टोकरेंसी में इंवेस्ट करते हैं, वहीं कुछ लोग इस]से रेस्तरां और दुकानों में पेमेंट (Payment) के रूप में इस्तेमाल करते हैं. अभी इस बात में काफी संदेह है कि सरकार इस क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स (Tax on Cryptocurrency) कैसे लगाएगी. सरकार द्वारा पहले क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाया गया उसके बाद इसे बिजनेस में इस्तेमाल करने की अनुमति देने के कदम ने संदेह को और ज्यादा बढ़ा दिया है.
2018 में, भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को बिटकॉइन, एथेरियम, डॉगकोइन और इन जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन की सुविधा को बैन कर दिया था. बाद में, 2020 की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल की अनुमति दे दी. इसके बाद भी अभी तक क्रिप्टोकरेंसी को कानूनन मुद्रा का दर्जा नहीं मिला है. आरबीआई ने कहा है कि वह क्रिप्टोकरेंसी पर काम कर रहा है और सावधानी के साथ आगे बढ़ेगा.
अब क्रिप्टोकरेंसी पर भी लगेगा टैक्स
अब आपको क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स देना होगा. सरकार क्रिप्टोकरेंसी और उनके उपयोग के आधार पर टैक्स को विभाजित करने की योजना बना रही है. ऐसा माना जा रहा है कि ये टैक्स क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और भुगतान में लगेगा. सरकार ने पहले ही वर्चुअल करेंसी से डील करने वाली कंपनियों के लिए ट्रांजैक्शन पर हुए प्रॉफिट या लॉस का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया है. इसके अलावा कंपनियों से उनकी बैलेंस शीट में क्रिप्टोकरेंसी की मात्रा का खुलासा करने के लिए भी कहा गया है. लेकिन अभी तक उनके लेनदेन को नियंत्रित करने के लिए टैक्स लगाने का कोई कानून नहीं बना.
क्रिप्टोकरेंसी से इनकम के मुख्य रूप से चार सिनेरियो हैं.
Mining क्रिप्टोक्यूरेंसी स्वनिर्मित पूंजीगत संपत्ति है. ऐसे बिटकॉइन की बाद में बिक्री से आमतौर पर पूंजीगत फायदा होता है.
2. रियल करेंसी से क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांसफर
एक निवेश के रूप में क्रिप्टोकरेंसी के प्राइज का आंकलन इस बात पर निर्भर करता है कि उसे कब तक होल्ड रखा गया है. इसके लिए कई लोग क्रिप्टोकरेंसी में अपने रियल मनी से इंवेस्ट करते हैं.
3. क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग
क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड करने से होने वाली इनकम से बिजनेस में होने वाली इनकम बढ़ेगी. इसलिए प्रॉफिट पर लागू टैक्स स्लैब के रूप में टैक्स लगाया जा सकता है.
4. माल और सेवाओं की बिक्री पर प्राप्त
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले प्रॉफिट को इनकम का का सोर्स माना जा सकता है. यानी इससे होने वाली कमाई पर टैक्स लगाया जाएगा.
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं
‘‘ये महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक देश साथ काम क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं करें और यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में ना जाए, जो हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकता है।’’
क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते गुरुवार, 18 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया की ओर से आयोजित ‘‘सिडनी संवाद’’ में ये बातें कहीं थी। पीएम मोदी ने सभी लोकतांत्रिक देशों से साथ मिलकर यह सुनिश्चित क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं करने का आह्वान किया था कि वे क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में ना जाने दें, अन्यथा युवाओं का भविष्य बर्बाद हो सकता है। उन्होंने डिजिटल क्रांति से उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए समान सोच वाले देशों के एकजुट होने की आवश्यकता पर भी बल दिया था। पीएम मोदी के इस भाषण के बाद देश में क्रिप्टोकरंसी के भविष्य को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं लेकर बहस एक बार फिर तेज़ हो गई थी।
दरअसल, देश में बीते कुछ समय से क्रिप्टोकरंसी को लेकर संशय का माहौल बना हुआ है। कई लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या भारत सरकार निजी क्रिप्टोकरंसी को बैन कर देगी। अब इसी कश्मक्श के बीच मंगलवार को लोकसभा ने संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के लिए तैयार की गई अपनी विधायी कार्य योजना की जानकारी सार्वजनिक की। जिसमें क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल मुद्रा पर क़ानून बनाने का बिल भी दर्ज है। इस बिल को क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021 नाम दिया गया है।
देश में सभी डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी पर लग सकता है प्रतिबंध?
लोकसभा की कार्य योजना के मुताबिक इस बिल को लाने का उद्देश्य भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक व्यवस्था तैयार करना और देश में सभी डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना है।
बता दें कि 2018 में आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन का समर्थन करने को लेकर बैंकों और विनियमित वित्तीय संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया था। लेकिन मार्च 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई के प्रतिबंध के ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि सरकार को 'कोई निर्णय लेते हुए इस मामले पर क़ानून बनाना चाहिए।' जिसके बाद पिछले एक साल में देश के भीतर क्रिप्टोकरंसी का बाजार बहुत ज्यादा बढ़ा है। भारत क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध का ऐलान करने वाली दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। इससे पहले सितंबर में चीन ने क्रिप्टोकरंसी में हर तरह के लेनदेन को अवैध करार दे दिया था।
क्या है पूरा मामला?
क्रिप्टोकरेंसी को अगर आसान भाषा में समझेें तो ये किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है। यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन मुद्रा है और व्यापार के रूप में बिना किसी नियमों के इसके ज़रिए व्यापार होता है। इसको कोई सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी जारी नहीं करती है। यही कारण है कि इसकी सुरक्षा हमेशा सवालों के घेरे में रही है। केंद्रीय रिज़र्व बैंक ने इस साल फिर से डिजिटल करेंसी के कारण साइबर धोखाधड़ी के मुद्दे को उठाया है।
आरबीआई जारी करेगा अपनी डिजिटल करेंसी!
मीडिया में आई खबरों की मानें तो आरबीआई काफ़ी समय से अपनी डिजिटल करेंसी जारी करने की दिशा में सोच रहा है, लेकिन यह अभी तक तय नहीं है कि इसका पायलट प्रॉजेक्ट कब तक शुरू होगा। अभी तक इस बिल की सटीक रूपरेखा सार्वजनिक नहीं की गई है और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं न ही इस पर कोई सार्वजनिक तौर पर विचार-विमर्श हुआ है।
वित्त मंत्रालय काफ़ी समय से इस बिल पर कुछ नहीं बोल रहा है और ऐसा माना जा रहा है कि यह बिल अगस्त से ही मंत्रिमंडल की अनुमति के लिए तैयार है। इस बिल को लेकर काफ़ी सवाल जुड़े हुए हैं क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी में काफ़ी लोगों का निवेश है। अगर सरकार सभी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित कर देती है, तो उन लोगों का क्या होगा जिन्होंने निवेश किया हुआ है।
'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक़ बीती 13 क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी पर नियम बनाने को लेकर एक बैठक की थी, जिसमें केंद्रीय बैंक, गृह और वित्त मंत्रालय के आला अधिकारी शामिल हुए थे। इस बैठक के दौरान यह सहमति बनी है कि 'बड़े-बड़े वादों और ग़ैर-पारदर्शी विज्ञापनों से युवाओं को गुमराह करने की कोशिशों' को रोका जाए। इसी दौरान यह भी पाया गया कि अनियंत्रित क्रिप्टो मार्केट मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फ़ंडिंग के लिए इस्तेमाल हो सकती है। इसी कारण सरकार इस क्षेत्र के लिए तेज़ी से क़दम उठाने को दृढ़ संकल्प है।
मालूम हो कि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि कितने भारतीयों के पास क्रिप्टोकरेंसी है या कितने लोग इसमें व्यापार करते हैं, लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि करोड़ों लोग डिजिटल करेंसी में निवेश कर रहे हैं और महामारी के दौरान इसमें बढ़ोतरी हुई है। चेनालिसिस नामक संस्था के मुताबिक पिछले एक साल में देश के भीतर क्रिप्टोकरंसी में निवेश करीब 600 प्रतिशत बढ़ा है।
करोड़ों निवेशकों के भविष्य खतरे में?
एक अनुमान के मुताबिक एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में क्रिप्टोकरंसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं धारकों की संख्या डेढ़ से दस करोड़ के बीच हो सकती है। इसकी कीमत अरबों डॉलर में आंकी गई है। भारत सरकार के इस आदेश ने इन लोगों के निवेश को खतरे में डाल दिया है। ससंदीय बुलेटिन के मुताबिक नए लोकसभा सत्र में लाए जाने वाले बिल में अपवाद के तौर पर कुछ विकल्प भी होंगे ताकि क्रिप्टो तकनीक को बढ़ावा दिया जाए। लेकिन इस बिल के बारे में कोई और जानकारी फिलहाल नहीं दी गई है।
गौरतलब है कि भारत में 2013 में क्रिप्टोकरंसी की शुरुआत हुई थी, लेकिन तब भी से इसे लेकर संदेह जाहिर किए जाते रहे हैं। मोदी सरकार द्वारा विवादास्पद नोटबंदी करने के बाद क्रिप्टोकरंसी के जरिए लेनदेन में धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। बीते कुछ महीनों में भारत में क्रिप्टोकरंसी के विज्ञापनों की बाढ़ आ गई थी। कॉइनस्विचकूबर, कॉइनडीसीएक् और अन्य घरेलू क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज टीवी चैनलों, वेबसाइटों और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर जमकर विज्ञापन दे रहे थे। माना जा रहा है कि सरकार ने इन सभी को ध्यान में रखते हुए इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में सदन के पटल पर रखने का फैसला लिया है। ऐसे में अब ये बिल निवेशकों को कितनी राहत देगा या उन्हें कितना नुकसान देगा ये देखना होगा।
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