(1) संश्लिष्ट विभक्ति - वे विभक्तियाँ जो सर्वनाम शब्दों के साथ मिलाकर लिखी जाती है , उन्हें संश्लिष्ट विभक्ति कहते हैं ;
MDU B.Com Question Papers
MDU ( maharshi Dayanand university , Rohtak – Haryana ) B.Com (bachelor of commerce) second year and 3 st and 4 nd semester 2015, 2016, 2017, 2018 and 2019 previous year old Question papers of all subjects of bcom in Hindi and English Medium for all regular and distance ( dde – directorate of distance education) B Com students of MDU, Rohtak. These are बाजार विभक्तिकरण क्या है? the last year bcom examination questions papers of mdu rohtak which can be used as sample or model test B-Com 2nd year and third and fourth semester question papers for mdu university of Haryana.
Note: Question No. 1 is compulsory Which consists of 12 short answer type questions, each of 2 marks out of which candidate is required to attempt ten questions. In addition to question no. 1 candidate is required to attempt, four more question from the remaining eight questions each carrying 20 marks.
Principles of marketing ( व्यापर के सिद्धान्त )
Note – Attempt five question in all . Q. No. 1 is compulsory. All questions carry equal marks. नोट - कुल पांच प्रश्नो के उत्तर दीजिये । प्रश्न संख्या 1 अनिवार्य है। सभी प्रश्नों पर समान अंक हैं।
2. Define marketing. Explain various functions of marketing. विपणन परिभाषित करें। विपणन के विभिन्न कार्यों की व्याख्या करें
4. What is consumer behavior? Explain the different determinants of consumer behaviors. उपभोक्ता व्यवहार क्या है ? उपभोक्ता व्यवहार के विभिन्न निर्धारक घटको की व्याख्या करें। 5,15
5. What is market segmentation? Discuss various bases for segmenting the market of a product. बाजार विभक्तिकरण क्या है ? किसी उत्पाद के बाजार को विभक्त करने के लिए विभिन्न आधारों की व्याख्या करें 5,15
MDU B.Com Question Papers
MDU ( maharshi Dayanand university , Rohtak – Haryana ) B.Com (bachelor of commerce) second year and 3 st and 4 nd semester 2015, 2016, 2017, बाजार विभक्तिकरण क्या है? 2018 and 2019 previous year old Question papers of all subjects of bcom in Hindi and English Medium for all regular and distance ( dde – directorate of distance education) B Com students of MDU, Rohtak. These are the last year bcom examination questions papers of mdu rohtak which can be used as sample or model test B-Com 2nd year and third and fourth semester question papers for mdu university of Haryana.
Note: Question No. 1 is compulsory Which consists of 12 short answer type questions, each of 2 marks out of which candidate is required to attempt ten questions. In addition to question no. 1 candidate is required to attempt, four more question from the remaining eight questions each carrying 20 marks.
Principles of marketing ( व्यापर के सिद्धान्त )
Note – Attempt five question in all . Q. No. 1 is compulsory. All questions carry equal marks. नोट - कुल पांच प्रश्नो के उत्तर दीजिये । प्रश्न संख्या 1 अनिवार्य है। सभी प्रश्नों पर समान अंक हैं।
2. Define marketing. Explain various functions of marketing. विपणन परिभाषित करें। विपणन के विभिन्न कार्यों की व्याख्या करें
4. What is consumer behavior? Explain the different determinants of consumer behaviors. उपभोक्ता व्यवहार क्या है ? उपभोक्ता व्यवहार के विभिन्न निर्धारक घटको की व्याख्या करें। 5,15
5. What is market segmentation? Discuss various bases for segmenting the market of a product. बाजार विभक्तिकरण क्या है ? किसी उत्पाद के बाजार को विभक्त बाजार विभक्तिकरण क्या है? करने के लिए विभिन्न आधारों की व्याख्या करें 5,15
उत्पाद के जीवन चक्र का अर्थ | उत्पाद के जीवन चक्र की परिभाषा | उत्पाद जीवन-चक्र की विभिन्न अवस्थायें या चरण
उत्पाद के जीवन चक्र का अर्थ | उत्पाद के जीवन चक्र की परिभाषा | उत्पाद जीवन-चक्र की विभिन्न अवस्थायें या चरण | Meaning of product life cycle in Hindi | Definition of product life cycle in Hindi | different stages of the product life cycle in Hindi
Table of Contents
उत्पाद (वस्तु) के जीवन चक्र का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Life Cycle of a Product)
जिस प्रकार मानव जीवन को विभिन्न अवस्थाओं (शैशव, बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था तथा वृद्धावस्था) में बाँटा गया है, उसी प्रकार प्रत्येक वस्तु के जीवन काल को विभिन्न अवस्थाओं में विभक्त किया जा सकता है तथा प्रत्येक वस्तु को उन विभिन्न अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है। ये विभिन्न अवस्थायें ही ‘वस्तु के जीवन चक्र’ के नाम से जानी जाती है।
फिलिप कोटलर के अनुसार- “उत्पाद जीवन-चक्र किसी उत्पाद के विक्रय इतिहास की विभिन्न स्थितियों को जानने का प्रयास है।”
आर्क पैटन के शब्दों में- “एक उत्पादन का जीवन-चक्र अनेक बातों में मानवीय जीवन-चक्र के साथ समानता बताता है, उत्पाद का जन्म होता है, आवेगपूर्ण विकास होता है, प्रबल परिपक्वता पर पहुंचता है और फिर पतन की अवस्था को प्राप्त होता है।”
उत्पाद जीवन-चक्र की विभिन्न अवस्थायें या चरण
(Various Stages of the Produce Life-Cycle)
उत्पाद जीवन-चक्र की विभिन्न अवस्थाओं को मूल रूप से छः शीर्षकों में अग्रांकित रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है –
उत्पाद (वस्तु) जीवन-चक्र की विभिन्न अवस्थाओं का संक्षिप्त विवेचन निम्न प्रकार हैं
- प्रस्तुतीकरण (Introduction ) – यह वस्तु के जीवन-चक्र की प्रथम अवस्था होती है। इस अवस्था में वस्तु को बाजार में प्रविष्ट कराया जाता है, ग्राहकों को वस्तु के सम्बन्ध में जानकारी दी जाती है। इस अवस्था में प्रतिस्पर्धा नहीं होती तथा संवर्धनात्मक कार्यवाही अधिक मात्रा में की जाती है। इस अवस्था में उपभोक्ता वस्तु को खरीदने में हिचकते हैं अतः बिक्री की मात्रा काफी कम रहती है और लाभों की मात्रा बहुत कम या नगण्य होती है। इस कारण जोखिम की मात्रा अधिक होती है। विभिन्न उत्पाद इसी अवस्था में असफल हो जाते हैं और उन्हें अपने जीवन-चक्र के अन्य चरण देखने का अवसर ही नहीं मिल पाता।
- विकास (Growth)- प्रथम अवस्था को पार करके वस्तु विकास की अवस्था में प्रवेश बाजार विभक्तिकरण क्या है? करती है। इस अवस्था में वस्तु को उपभोक्ता से मान्यता मिल जाती है। अन्य बाजार भागों में प्रवेश करने के लिए प्रयास किये जाते हैं। इस अवस्था में वस्तु का ब्राण्ड लोकप्रिय होने लगता है और वस्तु को वितरण व्यवस्था मजबूत बनायी जाती है। इस अवस्था में वस्तु के उत्पादन में वृद्धि होने के कारण मितव्ययिता प्राप्त होने लगती है। विपणन की दृष्टि से इस अवस्था में संवर्धन व्यय ऊंचे ही रहते हैं लेकिन बाजार विभक्तिकरण क्या है? बिक्री में वृद्धि के कारण ये व्यय प्रति इकाई कम हो जाते हैं। इस अवस्था में बिक्री तथा लाभों में तेजी से वृद्धि होती है। अधिक लाभों से प्रभावित होकर अन्य उत्पादक भी इस प्रकार की वस्तु उत्पादित करने के लिए प्रेरित होते हैं। विकास की अवस्था में बिक्री में वृद्धि प्रस्तुतीकरण की अवस्था में किये गये प्रयासों का ही परिणाम होता है।
- परिपक्वता (Maturity) – इस अवस्था में भी विक्रय वृद्धि लगातार होती है परन्तु उसकी दर में कमी आ जाती है। विक्रय वृद्धि की दर में कमी आने का प्रमुख कारण अनेक प्रतिस्पर्धियों का बाजार में प्रवेश कर जाना होता है। इस अवस्था में वस्तु बाजार में अपना स्थान काफी व्यापक बना लेती है और ग्राहक उसे काफी पसन्द करते हैं। इस अवस्था में वस्तु के मूल्य गिरने लगते हैं, संवर्धन व्ययों में वृद्धि होती है और लाभ की मात्रा कम हो जाती है। विपणन की दृष्टि से इस अवस्था में वस्तु के ब्राण्ड की लोकप्रियता को बनाये रखने के लिए प्रयास किये जाते हैं।
- संतृप्ति (Saturation) – इस अवस्था में वस्तु का विक्रय अपनी उच्चतम सीमा पर पहुँच जाता है और फिर विक्रय में स्थिरता आ जाती है अर्थात् वह अपनी सफलता की चरम सीमा को छू लेती है। यह स्थिति उस समय तक बनी रहती है जब तक कि बाजार में वस्तु के नये स्थानापपन्न नहीं आ जाते। इस अवस्था में कड़ी प्रतियोगिता होती है। संवर्धन पर अधिक व्यय किये जाते हैं। वस्तु की लागतें बढ़ने लगती हैं, मूल्य गिर जाते हैं और लाभ की मात्रा बहुत कम हो जाती है। विपणन की दृष्टि से इस अवस्था में उत्पाद के नये-नये प्रयोग खोजे जाते हैं तथा बाजार विभक्तिकरण के द्वारा बाजार के विस्तार के लिए हर सम्भव प्रयास किये जाते हैं।
- अवनति (Decline) – इस अवस्था में वस्तु की बिक्री कम होने लगती है क्योंकि अनेक स्थानापन्न वस्तुयें बाजार में अपना स्थान ग्रहण कर लेती हैं। ये स्थानापन्न वस्तुयें वर्तमान उत्पाद से अधिक अच्छी होती है और यहीं कारण है कि ग्राहक अपेक्षाकृत इन स्थानापनों को ही अधिक पसन्द करने लगते हैं तथा वर्तमान वस्तु की बिक्री लगातार कम होती चली जाती है और लाभों की मात्रा लगभग समाप्त हो जाती है। इस अवस्था में प्रायः अनेक कम्पनियाँ वस्तु के उत्पादन को बन्द करने का निर्णय ले लेती हैं जिससे साधनों का किसी नयी वस्तु के उत्पादन के लिए उपयोग किया जा सके।
- अप्रचलन (Obsolescence) – यह ऐसी अवस्था होती है जबकि उत्पाद की बिक्री लगभग समाप्त हो जाती है और लाभ की वस्तुयें नहीं के बराबर रह जाती हैं। यह वह अवस्था होती है जबकि अन्य अच्छे स्थानापन्नों के कारण वर्तमान वस्तु का बाजार बाजार विभक्तिकरण क्या है? में कोई स्थान नहीं रह पाता और संवर्धन क्रियाओं का उपभोक्ताओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। ऐसी स्थिति में उत्पाद को उस वस्तु का उत्पादन बन्द कर देना पड़ता है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 351