अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार
अस्वीकरण :
इस वेबसाइट पर दी की गई जानकारी, प्रोडक्ट और सर्विसेज़ बिना किसी वारंटी या प्रतिनिधित्व, व्यक्त या निहित के "जैसा है" और "जैसा उपलब्ध है" के आधार पर दी जाती हैं। Khatabook ब्लॉग विशुद्ध रूप से वित्तीय प्रोडक्ट और सर्विसेज़ की शैक्षिक चर्चा के लिए हैं। Khatabook यह गारंटी नहीं देता है कि सर्विस आपकी आवश्यकताओं को पूरा करेगी, या यह निर्बाध, समय पर और सुरक्षित होगी, और यह कि त्रुटियां, यदि कोई अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार हों, को ठीक किया जाएगा। यहां उपलब्ध सभी सामग्री और जानकारी केवल सामान्य सूचना उद्देश्यों के लिए है। कोई भी कानूनी, वित्तीय या व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए जानकारी पर भरोसा करने से पहले किसी पेशेवर से सलाह लें। इस जानकारी का सख्ती से अपने जोखिम पर उपयोग करें। वेबसाइट पर मौजूद किसी भी गलत, गलत या अधूरी जानकारी के लिए Khatabook अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार जिम्मेदार नहीं होगा। यह सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों के बावजूद कि इस वेबसाइट पर निहित जानकारी अद्यतन और मान्य है, Khatabook किसी भी उद्देश्य के लिए वेबसाइट की जानकारी, प्रोडक्ट, सर्विसेज़ या संबंधित ग्राफिक्स की पूर्णता, विश्वसनीयता, सटीकता, संगतता या उपलब्धता की गारंटी नहीं देता है।यदि वेबसाइट अस्थायी रूप से अनुपलब्ध है, तो Khatabook किसी भी तकनीकी समस्या या इसके नियंत्रण से परे क्षति और इस वेबसाइट तक आपके उपयोग या पहुंच के परिणामस्वरूप होने वाली किसी भी हानि या क्षति के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।
We'd love to hear from you
We are always available to address the needs of our users.
+91-9606800800
अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार
-व्यापारी वर्ग डिजिटल बनने को उत्सुक लेकिन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां बड़ी बाधा
-ई-कॉमर्स व्यापार के लिए जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्यता बन रही है बड़ी रुकावट
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (हि.स)। भारत के बाजार में ई-कॉमर्स का तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। बड़े से बड़े इंटरनेशनल ब्रांड की चीजें आसानी से ऑनलाइन मिल रही हैं लेकिन भारत में तैयार और दुकानों पर मिलने वाला लोकल समान ऑनलाइन मिलने में अभी मुश्किलें आ रही है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की रिसर्च शाखा ने रविवार को अपने सर्वे रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।
कैट के रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देशभर के व्यापारियों ने ई-कॉमर्स को व्यापार के एक अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार अतिरिक्त विकल्प के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन ज्यादातर व्यापारियों को लगता है कि ऑनलाइन माल बेचने के लिए विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की जारी कुप्रथाओं और नियमों के घोर उल्लंघन तथा ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण का होना एक बड़ी रुकावट है। दरअसल, वर्ष 2021 में भारत में 55 बिलियन डॉलर का ई-कॉमर्स व्यापार हुआ, जिसका वर्ष 2026 तक 120 बिलियन डॉलर तथा वर्ष 2030 तक 350 बिलियन डॉलर होने की संभावना है।
कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों के टियर-2 और टियर-3 जैसे 40 शहरों में एक ऑनलाइन सर्वे किया है। इस सर्वे में करीब 5 हजार व्यापारियों को शामिल किया गया, जिसमें यह बात निकल कर सामने आई है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि ऑनलाइन सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 78 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में व्यापारियों के लिए अपने मौजूदा कारोबार के अलावा ई-कॉमर्स को भी व्यापार का एक अतिरिक्त तरीका बनाना जरूरी है, जबकि 80 फीसदी व्यापारियों का कहना है कि ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्यता छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ी बाधा है। वहीं, 92 फीसदी छोटे व्यापारियों ने कहा कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां ऑनलाइन कारोबार के जरिए देश के रिटेल व्यापार पर नियमों एवं कानूनों की खुली धज्जियां उड़ाते हुए ग्राहकों को भरमा रही हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 92 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि देश में ई- कॉमर्स व्यापार को निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाने के लिए ई-कॉमर्स नीति एवं ई-कॉमर्स से संबंधित उपभोक्ता क़ानून को संशोधित कर तुरंत लागू करना जरूरी है, जबकि 94 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय को जिम्मेदार बनाने के लिए एक मजबूत मॉनिटरिंग अथॉरिटी का गठन अत्यंत जरूरी है। वहीं, 72 फीसदी व्यापारियों ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि खुदरा क्षेत्र में वर्तमान एफडीआई नीति में आवश्यक संशोधन करना जरूरी है, ताकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के मनमानी पर तुरंत रोक लग सके। उन्होंने कह कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां व्यापारियों के कारोबार को बड़ी क्षति पहुंचा कर एकतरफा प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाये हुए है।
कैट महामंत्री ने कहा कि यह बेहद ही अफसोस की बात है कि जहां रिटेल ट्रेड पर अनेक प्रकार के क़ानून लागू हैं। वहीँ, ई-कॉमर्स व्यापार सभी प्रकार के प्रतिबंधों से पूरी तरह मुक्त है, जिससे किसी भी कानून की परवाह किए बिना कोई भी ई-कॉमर्स कंपनी कोई भी व्यापार करने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि एक बेहद सोची समझी साजिश के तहत विदेश धन प्राप्त कंपनियां न केवल सामान, बल्कि सेवाओं के क्षेत्र जिनमें ट्रेवल, टूरिज्म, पैक्ड खाद्य सामान, किराना, मोबाइल, कंप्यूटर, गिफ्ट आइटम्स, रेडीमेड गारमेंट्स, कैब सर्विस, लॉजिस्टिक्स आदि सेक्टर में अपना वर्चस्व बनाकर भारतीय व्यापारियों के कारोबार पर कब्जा कर उसको नष्ट करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि वास्तव में उनका कोई व्यापार का मॉडल नहीं है, बल्कि पूर्ण रूप से वैल्यूएशन मॉडल है, जो देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए बेहद घातक है। खंडेलवाल ने कि कहा कि बहुत ही आश्चर्य की बात है कि प्रति वर्ष हजारों करोड़ रुपये का नुकसान देने के बाद भी विदेश धन पोषित कंपनियां अपना व्यापार कर रही हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में अंतिम व्यक्ति को भी डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने और स्वीकार करने पर जोर दिया है, लेकिन ई-कॉमर्स पर सामान बेचने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण की शर्त छोटे व्यापारियों के लिए ई-कॉमर्स व्यापार करने के लिए एक बहुत बड़ी बाधा है। छोटे व्यापारियों के लिए अपने व्यवसाय को व्यापक बनाने में ई-कॉमर्स का लाभ उठाने की सुविधा के लिए इस शर्त को समाप्त करने की जरूरत है। इस संबंध में कैट शीघ्र ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, जो स्वयं छोटे व्यापारियों के बड़े पैरोकार हैं और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मिलेगा और दोनों विषयों को समाधान शीघ्र निकालने का आग्रह करेगा। क्योंकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों का व्यापार का यह कौन सा मॉडल है, यह समझना बहुत जरूरी है।
अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार
अस्वीकरण :
इस वेबसाइट पर दी की गई जानकारी, प्रोडक्ट और सर्विसेज़ बिना किसी वारंटी या प्रतिनिधित्व, व्यक्त या निहित के "जैसा है" और "जैसा उपलब्ध है" के आधार पर दी जाती हैं। Khatabook ब्लॉग विशुद्ध रूप से वित्तीय प्रोडक्ट और सर्विसेज़ की शैक्षिक चर्चा के लिए हैं। Khatabook यह गारंटी नहीं देता है कि सर्विस आपकी आवश्यकताओं को पूरा करेगी, या यह निर्बाध, समय पर और सुरक्षित होगी, और यह कि त्रुटियां, यदि कोई हों, को ठीक किया जाएगा। यहां उपलब्ध सभी सामग्री और जानकारी केवल अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार सामान्य सूचना उद्देश्यों के लिए है। कोई भी कानूनी, वित्तीय या व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए जानकारी पर भरोसा करने अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार से पहले किसी पेशेवर से सलाह लें। इस जानकारी का सख्ती से अपने जोखिम पर उपयोग करें। वेबसाइट पर मौजूद किसी भी गलत, गलत या अधूरी जानकारी के लिए Khatabook जिम्मेदार नहीं होगा। यह सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों के बावजूद अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार कि इस वेबसाइट पर निहित जानकारी अद्यतन और मान्य है, Khatabook किसी भी उद्देश्य के लिए वेबसाइट की जानकारी, प्रोडक्ट, सर्विसेज़ या संबंधित ग्राफिक्स की पूर्णता, विश्वसनीयता, सटीकता, संगतता या उपलब्धता की गारंटी नहीं देता है।यदि वेबसाइट अस्थायी रूप से अनुपलब्ध है, अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार तो Khatabook किसी भी तकनीकी समस्या या इसके नियंत्रण से परे क्षति और इस वेबसाइट तक आपके उपयोग या पहुंच के परिणामस्वरूप होने वाली किसी भी हानि या क्षति के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।
We'd love to hear from you
We are always available to address the needs of our users.
+91-9606800800
रूसी आयातकों पर प्रतिबंध का ख़तरा भारतीय फर्में करेंगी मदद
रूस और भारत दोनों ही मामलों के जानकारों का कहना है कि रूसी आयातक ताज़ा उपज, ऑटो पार्ट्स, चिकित्सा उपकरणों और अन्य ज़रुरी सामानों को सुरक्षित रखने के लिए छोटे भारतीय व्यवसायों तक पहुंचने लगे हैं, जिनकी माँग अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते बढ़ गई है।
सूत्रों के मुताबिक़ रूस में निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों ने भारत के बड़े शहरों में संभावित आपूर्तिकर्ताओं से मुलाक़ात की है और दोनों सरकारों की रज़ामंदी से रूबल से रुपये के लेनदेन के लिए यहां विशेष बैंक खाते खोल रहे हैं।
जिस तरह से यूक्रेन संघर्ष बढ़ता जा रहा है और रूस की अर्थव्यवस्था के चारों ओर प्रतिबंध कड़े होते जा रहे हैं, वहीं विदेशी सामानों से जुड़े व्यवसायों की इच्छुक बड़ी वैश्विक कंपनियों के लिए मुश्किलें भी बढ़ती दिख रही हैं।
भारत में, रूस के साथ व्यापार जारी रखने के लिए सबसे प्रमुख विश्व अर्थव्यवस्थाओं में से एक मध्यम उद्यमों यानि एसएमई पर रोशनी डाली है, जो सीमित होकर भी प्रतिबंधों के दायरे में है।
नई दिल्ली में स्थित भारतीय विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह बिल्कुल साफ है कि पश्चिम के संपर्क में आने वाले बड़े भारतीय समूह रूसी कंपनियों के साथ व्यापार नहीं करेंगे।"
"लेकिन एसएमई उन बैंकों के माध्यम से भुगतान का निर्यात और निपटान कर सकते हैं जो पश्चिमी अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार प्रतिबंधों के तहत नहीं हैं।"
अधिकारी, जिसने नाम न छापने का अनुरोध किया कहा कि रूसी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि नई दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु की यात्रा पर थे उनकी यात्रा का मक़सद था उन कंपनियों की पहचान की जा सके जो रूस को माल निर्यात करने के लिए नई सहायक या संयुक्त उद्यम स्थापित करने के इच्छुक हों। .
अधिकारी ने यह भी कहा कि वे विशेष रूप से कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, परिवहन क्षेत्र के लिए स्पेयर पार्ट्स, चिकित्सा उपकरणों, बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए निर्माण सामग्री और सर्दियों के मौसम से पहले फ्रोज़न फूड्स की मांग कर रहे हैं। उनमें से अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार एक रूसी व्यापारी इस सप्ताह मुंबई में सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र के लिए सब्ज़ियों और स्पेयर पार्ट्स के निर्यातकों से मिलने वाला था।
व्यापारी ने आगे कहा, "हमें अभी भोजन की समस्या नहीं हो रही है, लेकिन अगले 60 दिनों में स्थिर आपूर्ति को सुरक्षित करना ज़रुरी है।"
नई दिल्ली, मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में स्थित तीन अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और एक बैंकिंग अधिकारी ने कहा कि रूसी कंपनियां कमर्शियल-इंडो बैंक एलएलसी में सक्रिय रूप से खाते खोल रही हैं, जो मॉस्को में मुख्यालय वाले दो भारतीय बैंकों के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
रूबल-से-रुपये
सोवियत काल में मुख्य रूप से घरेलू मुद्रा को विदेशी मुद्रा में बदलने के लिए और अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन का निपटान करने के लिए उपयोग किए जाने वाले इन तथाकथित नोस्ट्रो खातों ने दोनों देशों के बीच व्यापार के लिए प्रत्यक्ष रूबल-टू-रुपये भुगतान तंत्र प्रदान किया। उस समय वाशिंगटन और मॉस्को के बीच अधिक तनाव था। आपको बता दें नोस्ट्रो खाता वह है जिसे एक बैंक दूसरे बैंक में विदेशी मुद्रा में रखता है।
मॉस्को में भारतीय दूतावास और रूस के उद्योग और व्यापार मंत्रालय ने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। वहीं भारत के व्यापार और विदेश मंत्रालय ने भी कोई टिप्पणी नहीं की।
नई दिल्ली में मामले की क़रीबी जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि रूस बीमा और पुनर्बीमा के साथ कार्गो के लिए समर्पित जहाज़ों की पेशकश कर रहा था, क्योंकि यह कोई भी यूरोपीय बैंक इसे प्रदान नहीं करेगा, हालांकि भारत के वित्त और विदेश मंत्रालयों के सूत्रों ने मुताबिक़ कई शर्तें रखी गईं थीं चर्चा के तहत।
नई दिल्ली रूस की व्यापक निंदा में किसी भी तरह शामिल नहीं है, जो रक्षा उपकरणों का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता और तेल आयात का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, साथ ही साथ एक संभावित निर्यात बाज़ार भी है।
निजी क्षेत्र के ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में यूरेशियन स्टडीज़ के प्रमुख नंदन उन्नीकृष्णन ने कहा, "लेकिन यह सुनिश्चित करना ज़रुरी है कि पश्चिम भारत की बढ़ती आर्थिक भागीदारी से परेशान न हो, क्योंकि नई दिल्ली पश्चिम के साथ अपने संबंधों को ख़तरे में नहीं डालेगा ।
रूस के साथ भारत का कुल व्यापारिक व्यापार अपेक्षाकृत मामूली है, 2021 में लगभग 8.1 बिलियन डॉलर या फिर भारत के कुल व्यापार का लगभग 1.2% रहा, हालांकि दो भारतीय अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि व्यापार चैनलों के रूप में रूस को निर्यात अगले तीन महीनों में 500 मिलियन डॉलर से अधिक बढ़ जाएगा क्योंकि छोटे भारतीय व्यवसायों के लिए रास्ता साफ होता दिख रहा है।
कोलकाता में एक भारतीय निर्यातक, जिसने अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार मामले की संवेदनशीलता के कारण नाम न छापने का अनुरोध किया, कहा कि युद्ध छिड़ने के बाद कई व्यापारियों ने अभाव के डर से रूसी ख़रीदारों के साथ सौदा करना बंद कर दिया ।
"लोगों ने रूस को फिर से सामान बेचना शुरू कर दिया है, और पिछले कुछ हफ्तों में रूस ने चाय और कॉफी की ख़रीद तेज़ कर दी है।"
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 774