लगातार पैसा निकालते रहे हैं विदेशी संस्थागत निवेशक
पिछले साल की अक्टूबर से देखें तो इन निवेशकों ने अब तक 100,000 करोड़ से ज्यादा का निवेश कैश मार्केट से निकाल लिया है जबकि रोजाना के टर्नओवर में इनकी हिस्सेदारी जो कुछ महीनों पहले चरम पर थी तब से करीब 5-8 फीसदी तक गिर गई है।
यह चिंता तो लगातार बनी रही है कि सब-प्राइम संकट कई और बैंकों को भी मुश्किल में डालेगा और 514 अरब डॉलर के कर्ज के नुकसान को अभी और बढ़ाएगा और दुनियाभर में में कर्ज डूबेंगे। इनका असर यह हुआ है कि इस साल सभी उभरते शेयर बाजारों में निवेश प्रभावित हुआ है।
इमर्जिंग पोर्टफोलियो फंड रिसर्च यानी ईपीएफआर ग्लोबल के आंकड़ों के मुताबिक इस साल निवेशकों ने उभरते शेयर बाजारों के इक्विटी फंडों से करीब 29 अरब डॉलर निकाले हैं। उभरते शेयर एशियाई बाजारों विदेशी पोर्टफोलियो के आंकड़ों के मुताबिक इस साल केवल इंडोनेशिया और वियतनाम के बाजारों में खरीदार रहे हैं और बाकी में बिकवाली ही रहे हैं।
इन निवेशकों ने दक्षिण कोरिया से करीब 31.293 अरब डॉलर निकाले, ताइवान से 11.148 अरब डॉलर निकाले और थाइलैंड से 3.63 अरब डॉलर निकाले। बीएसई और एनएसई के प्रोवीजनल आंकड़ों के मुताबिक सेकेन्डरी बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशक इस साल करीब 75,700 करोड़ रुपए (17.5 अरब डॉलर) के बिकवाल रहे हैं।
भारतीय बाजार को देखें तो सबसे ज्यादा उन विदेशी निवेशकों ने पैसा निकाला है जो सब-प्राइम संकट से जूझ रहे थे। सिटीगग्रुप ग्लोबल मार्केट्स, गोल्डमैन सैक्स इन्वेस्टमेंट, एचएसबीसी, मेरिल लिंच कैपिटल मार्केट्स, मॉर्गन स्टेनली और स्विस फाइनेंस कार्पोरेशन्स ने इस दौरान करीब 35,000 करोड़ रुपए का निवेश निकाला है जो कुल निकासी का करीब 56.5 फीसदी है।
सिटीग्रुप जिसे सब-प्राइम संकट में करीब 18 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था, उसने पिछले छह महीनों में 47 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर एक फीसदी से भी कम कर दी। बियर सर््टन्स असेट मैनेजमेंट जिसने 3.2 अरब डॉलर के नुकसान की बात कही थी उसने भारतीय कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाई।
करीब पचास कंपनियों में उसकी हिस्सदारी घटकर एक फीसदी से भी नीचे हो गई। मॉर्गन स्टेनली, मेरिल लिंच कैपिटल, एचएसबीसी, गोल्डमैन सैक्स और स्विस फाइनेंस कार्पोरेशन ने भी करीब तीस कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर एक फीसदी से भी नीचे कर दी।
साल 2006 और 2007 में भारतीय शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की वजह से खासी तेजी रही जिसने ताबड़तोड़ खरीदारी से बीएसई के सेंसेक्स को 2007 में 20,000 के ऊपर पहुंचाया। इन निवेशकों ने प्राइमरी और सेकेन्डरी बाजारों से 2006 में कुल 7.94 अरब डॉलर की खरीदारी की जबकि 2007 में 17.360 अरब डॉलर की खरीदारी की।
टर्नओवर की बात करें तो कैश और डेरिवेटिव सेगमेन्ट में उनकी हिस्सेदारी 35-40 फीसदी की रही है। 2007 में एक समय -विदेशी निवेशकों की ओपन इंटरेस्ट में हिस्सेदारी 50 फीसदी से भी ज्यादा हो गई थी। लेकिन आज वायदा बाजार के टर्नओवर में उनकी हिस्सेदारी घटकर 40 फीसदी से भी कम रह गई है जबकि कैश में 30 फीसदी से भी नीचे आ गई है।
IPO: 12 आईपीओ से निवेशकों को 69 फसीदी तक घाटा, पेटीएम, पॉलिसीबाजार और जोमैटो जैसे इश्यू में हुआ ज्यादा नुकसान
सबसे ज्यादा नुकसान वाले में पेटीएम है जिसने आईपीओ के भाव की तुलना में 69 फीसदी का घाटा दिया है। आईपीओ भाव के अलावा इन शेयरों के ऊपरी स्तर के भाव से भी गिरावट आई है। यह सभी 50 फीसदी से 67 फीसदी तक टूटे हैं।
शेयर बाजार की गिरावट में अब आईपीओ लाने वाली कंपनियों के शेयर भी आ गए हैं। 12 ऐसे शेयर हैं जिनमें निवेशकों को 69 फीसदी तक का घाटा मिला है। एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा आकार वाले कुल 41 आईपीओ में से 12 आईपीओ ने निवेशकों को अधिक नुकसान दिया है। इसमें से आधे तो लिस्टिंग कीमत से कम पर जबकि 18 आईपीओ की कीमत से कम पर कारोबार कर रहे जिन्होंने स्टॉक मार्केट से अरबों जिन्होंने स्टॉक मार्केट से अरबों हैं।
सबसे ज्यादा नुकसान वाले में पेटीएम है जिसने आईपीओ के भाव की तुलना में 69 फीसदी का घाटा दिया है। आईपीओ भाव के अलावा इन शेयरों के ऊपरी स्तर के भाव से भी गिरावट आई है। यह सभी 50 फीसदी से 67 फीसदी तक टूटे हैं। ग्लेनमार्क के शेयर में आईपीओ के भाव से 46 फीसदी की जबकि केमप्लास्ट के शेयर में 25 फीसदी की गिरावट आई है।
कार ट्रेड ने दिया 61 फीसदी का घाटा
कार ट्रेड का शेयर अपने आईपीओ भाव से 61 फीसदी नीचे है जबकि पॉलिसीबाजार का शेयर 51 फीसदी नीचे कारोबार कर रहा है। जोमैटो का शेयर 24 फीसदी तो फिनो पेमेंट्स बैंक का शेयर 60 फीसदी का घाटा निवेशकों को दिया है। कृष्णा डायग्नोस्टिक के शेयर जिन्होंने स्टॉक मार्केट से अरबों ने निवेशकों को 50 फीसदी का घाटा दिया है।
8 लाख करोड़ निवेश करेगा अदाणी समूह
अदाणी समूह के मालिक गौतम अदाणी ने कहा कि वे अगले एक दशक में 8 लाख करोड़ रुपये (100 अरब डॉलर) का निवेश करेंगे। यह निवेश नई ऊर्जा और डिजिटल क्षेत्रों में किया जाएगा। इसमें डाटा केंद्र भी होंगे। इसमें से 70 फीसदी निवेश ऊर्जा परिवर्तन क्षेत्र में होगा। सिंगापुर में एक कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, आने वाला समय नई ऊर्जा क्षेत्र का है। वह हाईब्रिड नवीनीकरण ऊर्जा जनरेशन में 45 गीगावाट जोड़ेंगे।
विस्तार
शेयर बाजार की गिरावट में अब आईपीओ लाने वाली कंपनियों के शेयर भी आ गए हैं। 12 ऐसे शेयर हैं जिनमें निवेशकों को 69 फीसदी तक का घाटा मिला है। एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा आकार वाले कुल 41 आईपीओ में से 12 आईपीओ ने निवेशकों को अधिक नुकसान दिया है। इसमें से आधे तो लिस्टिंग कीमत से कम पर जबकि 18 आईपीओ की कीमत से कम पर कारोबार कर रहे हैं।
सबसे ज्यादा नुकसान वाले में पेटीएम है जिसने आईपीओ के भाव की तुलना में 69 फीसदी का घाटा दिया है। आईपीओ भाव के अलावा इन शेयरों के ऊपरी स्तर के भाव से भी गिरावट आई है। यह सभी 50 फीसदी से 67 फीसदी तक टूटे हैं। ग्लेनमार्क के शेयर में आईपीओ के भाव से 46 फीसदी की जबकि केमप्लास्ट के शेयर में 25 फीसदी की गिरावट आई है।
कार ट्रेड ने दिया 61 फीसदी का घाटा
कार ट्रेड का शेयर अपने आईपीओ भाव से 61 जिन्होंने स्टॉक मार्केट से अरबों फीसदी नीचे है जबकि पॉलिसीबाजार का शेयर 51 फीसदी नीचे कारोबार कर रहा है। जोमैटो का शेयर 24 फीसदी तो फिनो पेमेंट्स बैंक का शेयर 60 फीसदी का घाटा निवेशकों को दिया है। कृष्णा डायग्नोस्टिक के शेयर ने निवेशकों को 50 फीसदी का घाटा दिया है।
8 लाख करोड़ निवेश करेगा अदाणी समूह
अदाणी समूह के मालिक गौतम अदाणी ने कहा कि वे अगले एक दशक में 8 लाख करोड़ रुपये (100 अरब जिन्होंने स्टॉक मार्केट से अरबों डॉलर) का निवेश करेंगे। यह निवेश नई ऊर्जा और डिजिटल क्षेत्रों में किया जाएगा। इसमें डाटा केंद्र भी होंगे। इसमें से 70 फीसदी निवेश ऊर्जा परिवर्तन क्षेत्र में होगा। सिंगापुर में एक कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, आने वाला समय नई ऊर्जा क्षेत्र का है। वह हाईब्रिड नवीनीकरण ऊर्जा जनरेशन में 45 गीगावाट जोड़ेंगे।
ब्रिटेन के दौलतमंदों की सूची में हिंदुजा बंधु टॉप पर
लंदन। ब्रिटेन के दौलतमंदों की इस साल की सूची में हिंदुजा बंधु शीर्ष पर हैं। हिंदुजा बंधु की अनुमानित संपत्ति बढ़कर 16.2 अरब पौंड (लगभग 1344.6 अरब रुपये) हो गई है, जो पिछले साल की तुलना में 3.2 अरब पौंड ज्यादा है। ब्रिटेन के 1000 सबसे धनी लोगों की सूची में हिंदुजा बंधु के अलावा भारतीय मूल के 40 से ज्यादा लोग शामिल हैं।
संडे टाइम्स की यह सूची कहती है कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने को लेकर अनिश्चितता से देश के अरबपतियों की धन कमाने की क्षमता प्रभावित नहीं हुई है। उनकी कुल संपत्ति बढ़कर रिकॉर्ड 658 अरब पौंड हो गई है, जो बीते साल की तुलना में 14 फीसद की बढ़ोतरी को दिखाता है।
श्रीचंद व गोपीचंद हिंदुजा के हिंदुजा समूह ने तेल एवं गैस, ऑटोमोटिव, जिन्होंने स्टॉक मार्केट से अरबों आइटी, ऊर्जा, मीडिया, बैंकिंग व हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में निवेश किया हुआ है। सूची को कंपाइल करने वाले रॉबर्ट वॉट्स ने कहा कि यूरोपीय संघ के जनमत संग्रह के नतीजे को लेकर जहां तमाम लोगों में चिंता रही, वहीं ब्रिटेन के सबसे अमीर लोगों ने शांति बनाए रखकर अरबों की कमाई की। स्टॉक मार्केट में लौटी रफ्तार ने भी इनकी दौलत में इजाफा किया।
भारत में ही जन्मे दो भाई-डेविड व सिमोन रयूबेन सूची में तीसरे पायदान पर हैं। बीते साल की सूची में रयूबेन बंधु शीर्ष पर थे। 14 अरब पौंड (लगभग 1162 अरब रुपये) की दौलत के साथ लक्ष्मी निवास मित्तल चौथे स्थान पर हैं।
सूची में भारतीय मूल के गुजराती बंधु मोहसिन व जुबेर इसा, लॉर्ड स्वराज पॉल, मथारू बंधु (राज, टोनी व हरपाल), श्रीप्रकाश लोहिया, सुनील वासवानी, अनिल अग्रवाल और मैनचेस्टर के सिमोन, बॉबी व रॉबिन अरोड़ा भी शामिल हैं। नवीन व वर्षा इंजीनियर को 107वां व जसमिंदर सिंह एंड फैमिली को 128वां स्थान मिला है। भारतीय मूल के तमाम भारतीय जिन्होंने सूची में जगह बनाई है, उनका कारोबार विभिन्न क्षेत्रों में है। इनमें फार्मास्यूटिकल, फैशन, ट्रैवल, ट्वायलेटरीज और प्रॉपर्टी शामिल हैं। सूची में टॉप 20 अमीरों की दौलत ही 191.77 अरब पौंड है। एक साल के दौरान इसमें 35.18 अरब पौंड की बढ़ोतरी हुई है।
अर्थव्यवस्था ज़मीन के नीचे, शेयर बाज़ार आसमान पार! कैसे!
यह बात देखने-सुनने में अजीब सी लग रही है कि अर्थव्यवस्था का आईना समझा जाने वाला शेयर बाज़ार इस समय छलांगें लगा रहा है जबकि जीडीपी की दर माइनस में जा रही है। ऐसी मंदी कभी देखी नहीं गई थी और 2021 में भी इसके सुधरने के आसार कम ही हैं। फिर भी ऐसा क्या हो गया कि पूरे कोरोना काल में शेयर बाज़ार ऊपर चढ़ता ही रहा?
दो महीने तो सभी कल-कारखाने और कारोबार भी कमोबेश बंद रहे लेकिन मुंबई शेयर बाज़ार का सूचकांक जिसे सेंसेक्स भी कहते हैं, शुरू में ज़रूर गिरा लेकिन उसके बाद बुलंदियों को छूता रहा। ऐसा लगा कि शेयर बाज़ार का अर्थव्यवस्था से कोई संबंध ही नहीं था। यह सिलसिला अभी भी बेधड़क जारी है और मुंबई शेयर बाज़ार का सूचकांक हैरतअंगेज़ ढंग से 50,000 को पार कर गया है।
उस बुरे साल में जब हज़ारों कारोबार बंद हो गए और एक करोड़ से भी ज़्यादा लोग बेरोज़गार हो गए तो भी सेंसेक्स नए रिकॉर्ड बनाता हुआ 16 प्रतिशत बढ़ गया। और तो और कुछ एक्सपर्ट दावा कर रहे हैं कि यह इस साल 50,500 तक जा सकता है क्योंकि जो परिस्थितियाँ अभी बनी हुई हैं वे बनी रहेंगी।
लोग मास्क पहनें, अधिकारी टेस्टिंग बढ़ाएँ: पीएम मोदी
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कोविड- 2% अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की रैंडमली जाँच होगी: मांडविया
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कोविड सलाह: मास्क पहनें, विदेश यात्रा से बचें: आईएमए
इतिहास गवाह है.
आखिर इसकी वज़ह क्या है कि शेयर बाज़ार तमाम बुरी घटनाओं से तटस्थ रहते हुए ऊपर ही चला जा रहा है? अगर हम इतिहास के पन्ने खंगालेंगे तो पाएंगे कि शेयर बाज़ार अक्सर बुरी खबरों को थोड़े समय के बाद अनदेखा कर देता है। आप जानकर हैरान होंगे कि 1929 में जब अमेरिका में महामंदी आई थी तो वहां शेयर बाज़ारों को कोई फर्क नहीं पड़ा और वे बढ़ते रहे। भारत में भी ऐसा कई बार हुआ है और जब निवेशकों को लग रहा था कि बाज़ार धराशायी हो जाएगा तो भी उसने कुलांचे मारने में कोई कसर नहीं रखी।
अगर हम 2007-2008 की मंदी की बात करें तो उस समय ऐसा लगा कि भारतीय शेयर बाज़ार गिर जाएंगे और ऐसा हुआ भी लेकिन वे फिर उछल गए और नई बुलंदियों की ओर बढ़ गए। ऐसे और भी कई उदाहरण हैं। जिन्होंने स्टॉक मार्केट से अरबों इसका मतलब यह हुआ कि ऐसी गिरावट अस्थायी होती है और जब सेंसेक्स गिरता है तो यह निवेशकों को नए अवसर देता है कि वे निवेश करें। इससे नए ग्राहक बनते हैं और वे बेहतर रिटर्न की आशा में बड़ा निवेश करते हैं जिससे सूचकांक आगे बढ़ जाता है। लोगों के पास इतना पैसा होता है कि वे बाज़ारों के संकट को दूर कर देते हैं।
इसके अलावा विदेशी निवेशक ऐसे मौकों को ताड़कर दौड़े चले आते हैं। फिर बाजार में फंड की कोई कमी नहीं रहती। अगर आप 1979 से लेकर अब तक भारतीय शेयर बाज़ारों का प्रदर्शन देखें तो पाएंगे कि इसने कई बार झटके और हिचकोले खाए हैं लेकिन यह बढ़ता ही रहा है-औसतन 25 प्रतिशत हर साल की दर से।
3 ट्रिलियन डॉलर वाली दुनिया की पहली कंपनी बनी Apple, जानिए क्या है माइक्रोसॉफ्ट, टेस्ला और दूसरी कंपनियों की वैल्यू
आपको बता दें, माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft Corp) की मार्किट वैल्यू लगभग $2.5 ट्रिलियन है. अल्फाबेट (Alphabet Inc), अमेजॉन (Amazon.com Inc) और टेस्ला (Tesla) की मार्केट वैल्यू 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है. रेफ़िनिटिव (Refinitiv) के अनुसार, सऊदी अरब की तेल कंपनी की वैल्यू लगभग 1.9 ट्रिलियन डॉलर है.
Apple Company
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 04 जनवरी 2022,
- (Updated 04 जनवरी 2022, 8:05 AM IST)
एप्पल की मार्किट वैल्यू 2.99 ट्रिलियन डॉलर थी
माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft Corp) की मार्किट वैल्यू लगभग $2.5 ट्रिलियन है
टेक दिग्गज कंपनी एप्पल (Apple) सोमवार को 3 ट्रिलियन डॉलर मार्किट वैल्यू वाली पहली कंपनी बन गई है. ये दुनिया की पहली कंपनी है जिसने ये मुकाम हासिल किया है. इसकी वैल्यू किसी भी दूसरी कंपनी फिर चाहे वो जिन्होंने स्टॉक मार्केट से अरबों नेटफ्लिक्स हो, वॉलमार्ट, डिज्नी या आईबीएम या फोर्ड, अभी तक किसी ने भी इस वैल्यू को नहीं छुआ है.
एप्पल की मार्किट वैल्यू 2.99 ट्रिलियन डॉलर थी
2022 में ट्रेडिंग के पहले दिन, सिलिकॉन वैली कंपनी के शेयर 182.88 डॉलर के इंट्राडे रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गए, जिससे एप्पल की मार्किट वैल्यू 3 ट्रिलियन डॉलर से थोड़ा ऊपर हो गई. स्टॉक ने 2.5% की बढ़त के साथ 182.01 डॉलर पर सेशन खत्म किया. बता दें, इससे पहले एप्पल की मार्किट वैल्यू 2.99 ट्रिलियन डॉलर थी.
ओक्लाहोमा के तुलसा में लॉन्गबो एसेट मैनेजमेंट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेक डॉलरहाइड ने कहा, "यह एक शानदार उपलब्धि है और निश्चित रूप से जश्न मनाने लायक है. यह सिर्फ आपको दिखाता जिन्होंने स्टॉक मार्केट से अरबों है कि एप्पल आज कितनी दूर आ गया है, और यह कितना प्रभावशाली है.”
कितनी है दूसरी कंपनियों की वैल्यू?
आपको बता दें, माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft Corp) की मार्किट वैल्यू लगभग $2.5 ट्रिलियन है. अल्फाबेट (Alphabet Inc), अमेजॉन (Amazon.com Inc) और टेस्ला (Tesla) की मार्केट वैल्यू 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है. रेफ़िनिटिव (Refinitiv) के अनुसार, सऊदी अरब की तेल कंपनी की वैल्यू लगभग 1.9 ट्रिलियन डॉलर है.
वेल्स फारगो इन्वेस्टमेंट इंस्टीट्यूट के सीनियर मार्किट विशेषज्ञ स्कॉट व्रेन ने कहा, "बाजार उन कंपनियों को पुरस्कृत कर रहा है जिनके पास मजबूत फंडामेंटल और बैलेंस शीट हैं, और जो कंपनियां इस तरह के बड़े मार्केट कैप को मार रही हैं, उन्होंने साबित कर दिया है कि वे काफी मजबूत बिजनेस हैं.
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