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अंदरूनी प्रतिभूति रिपोर्टिंग कॉर्पोरेट अंदरूनी सूत्रों द्वारा शेयर स्वामित्व गतिविधि की अनिवार्य रिपोर्टिंग है। इसका उद्देश्य स्वामित्व परिवर्तनों के बारे में जनता को सूचित करना है, जो उनके निवेश निर्णयों को प्रभावित कर सकता है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के लिए आवश्यक है कि सार्वजनिक रूप से आयोजित कंपनी के निदेशक, अधिकारी और बड़े शेयरधारक एसईसी के साथ व्यापार में अपनी हिस्सेदारी के बारे में रिपोर्ट दर्ज करें। एसईसी इस जानकारी को जनता के लिए उपलब्ध कराता है, और सबमिशन स्वामित्व के मुद्दों के संबंध में जांच का आधार भी बन सकता है।
एसईसी एक अधिकारी को परिभाषित करता है जिसे इस रिपोर्ट दाखिल करने में संलग्न होना चाहिए:
. अध्यक्ष, प्रमुख वित्तीय अधिकारी, प्रधान लेखा अधिकारी (या, यदि ऐसा कोई लेखा अधिकारी, नियंत्रक नहीं है), और कंपनी के उपाध्यक्ष जो एक प्रमुख व्यवसाय इकाई, विभाजन, या कार्य (जैसे बिक्री, प्रशासन या वित्त), कोई अन्य अधिकारी जो नीति-निर्माण कार्य करता है, या कोई अन्य व्यक्ति जो कंपनी के लिए समान नीति-निर्माण कार्य करता है।
एक लाभकारी स्वामी को भी रिपोर्ट दर्ज करनी चाहिए। इसे कोई भी व्यक्ति माना जाता है, जिसका व्यवसाय की इक्विटी प्रतिभूतियों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रुचि है, और जो कंपनी की पंजीकृत इक्विटी प्रतिभूतियों के एक वर्ग के 10% से अधिक का मालिक है। यह परिभाषा दलालों, बैंकों या कर्मचारी लाभ योजनाओं पर लागू नहीं होती है। लाभकारी मालिकों के उदाहरण तत्काल परिवार के सदस्य हैं यदि वे एक ही घर साझा करते हैं। 10% के आंकड़े पर पहुंचने के लिए, आपको किसी भी बकाया स्टॉक प्रशंसा अधिकार, विकल्प और वारंट को शामिल करना होगा। विकल्प और वारंट को शामिल किया जाना चाहिए, भले ही उनके व्यायाम की कीमतें वर्तमान में बाजार मूल्य से ऊपर हों (और इसलिए प्रयोग किए जाने की संभावना नहीं है)।
अंदरूनी सूत्र रिपोर्टिंग प्रपत्र
एसईसी को तीन रूपों का उपयोग करके रिपोर्ट करने के लिए अंदरूनी सूत्रों की आवश्यकता होती है। रूप हैं:
- फॉर्म 3. कंपनी की इक्विटी प्रतिभूतियों के प्रारंभिक स्वामित्व का पता चलता है। यदि प्रतिभूतियों को अभी पंजीकृत किया गया है, तो यह फॉर्म पंजीकरण विवरण की प्रभावी तिथि तक दर्ज किया जाना चाहिए। अगर फाइलर को फाइल करने की आवश्यकता के रूप में वर्गीकृत किया गया है, तो उसके पास रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 10 दिनों का समय है।
- फॉर्म 4. जारीकर्ता के किसी व्यक्ति के स्वामित्व में परिवर्तन का खुलासा करता है। एक बार स्वामित्व में परिवर्तन होने के बाद, फॉर्म को उसके बाद दूसरे कारोबारी दिन के अंत तक दाखिल किया जाना चाहिए। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्वामित्व परिवर्तन प्रपत्र की अलग-अलग पंक्तियों में रिपोर्ट किए जाते हैं। यदि व्यक्ति $१०,००० से अधिक राशि की प्रतिभूतियाँ प्राप्त करता है, तो इस फॉर्म को दाखिल करना आवश्यक नहीं है। इनमें से कई फॉर्म दाखिल किए जा सकते हैं यदि कोई व्यक्ति स्टॉक खरीद या बिक्री के चल रहे कार्यक्रम में लगा हुआ है। फाइलिंग की आवश्यकता छह महीने तक जारी रहती है जब कोई व्यक्ति जारीकर्ता का अधिकारी या निदेशक बनना बंद कर देता है।
- फॉर्म 5. वर्ष के अंत में दायर करने के लिए एक सारांश फॉर्म होने का इरादा है, जिस पर सभी अतिरिक्त लेनदेन नोट किए गए हैं जिसके लिए एक व्यक्ति को फॉर्म 4 पर दाखिल करने से छूट दी गई थी। फॉर्म को वित्तीय वर्ष के अंत के 45 दिनों के भीतर दायर किया जाना चाहिए। व्यवसाय जिस।
फॉर्म 4 तीन रूपों में सबसे अधिक बार दायर किया जाता है, क्योंकि एक वर्ष के दौरान बड़ी संख्या में व्यक्तिगत लेनदेन के लिए दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकता हो सकती है।
जारीकर्ता संस्था इन फॉर्मों को दाखिल करने के लिए जिम्मेदार नहीं है, लेकिन अगर उसे गुम या असामयिक फाइलिंग का ज्ञान है तो उसे अपने वार्षिक प्रॉक्सी स्टेटमेंट में इंगित करना होगा।
बायनेन्स फ्यूचर्स में मॉक ट्रेडिंग कैसे एक्सेस करें
आप फ्यूचर्स ट्रेडिंग इंटरफेस के शीर्ष-दाएं कोने में स्थित [प्रोफाइल] - [मॉक ट्रेडिंग] पर क्लिक कर शून्य जोखिम के साथ अपने व्यापारिक कौशल को तेज करने के लिए बायनेन्स फ्यूचर्स के टेस्टनेट वातावरण को एक्सेस कर सकते/सकती हैं।
बायनेन्स फ्यूचर्स के सिमुलेशन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में प्रवेश करने के लिए [ लॉग इन] या [रजिस्टर] पर क्लिक करें, और किसी भी पूंजी को जोखिम में डाले बिना रीयल टाइम में लाइव क्रिप्टो बाजारों में ट्रेडिंग का अभ्यास करें।
आपके टेस्टनेट खाते में 100,000 USDT का जोखिम-मुक्त प्रारंभिक बैलेंस होगा,जिससे आप उन सभी सुविधाओं का अनुभव कर पाएंगे/पाएंगी, जो बायनेन्स फ्यूचर्स प्रदान करता है। आप टेस्टनेट वातावरण में अपने वर्चुअल पोर्टफोलियो का प्रबंधन करने में सक्षम होंगे/होंगी और लेवरिज लागू करके और स्टॉप-लॉस के साथ-साथ प्रॉफिट ऑर्डर लेने के द्वारा विभिन्न जोखिम स्तरों के साथ प्रयोग कर पाएंगे/पाएंगी।
कृपया ध्यान रखें कि कैंडलस्टिक चार्ट और मूल्य सिमुलेशन ट्रेडिंग वातावरण में बाजार मूल्य से अलग हो सकते हैं।
वोकेशनल में 12वीं के बाद विकल्प नहीं, मेधावी भी कर रहे परम्परागत कोर्स
सब हेडिंगः 26 साल से लागू वोकेशनल कोर्स मरणासन्न, अब 9 नए ट्रेड पर फूंक रहे करोड़ों रुपए 0 राजीव गांधी केंद्र प्रवर्तित योजना के तहत 1990 में स्कूलों में लागू हुए थे वोकेशनल ट्रेड फैक्ट फाइल - 4200 हाई एवं हायर सेकंडरी स्कूल - 391 स्कूल में नए 9 वोकेशनल कोर्स लागू - 29 ट्रेड 300 से ज्यादा हायर सेकंडरी स्कूलों में पहले से लागू नईदुि
सब हेडिंगः 26 साल से लागू वोकेशनल कोर्स मरणासन्न, अब 9 नए ट्रेड पर फूंक रहे करोड़ों रुपए
0 राजीव गांधी केंद्र प्रवर्तित योजना के तहत 1990 में स्कूलों में लागू हुए थे वोकेशनल ट्रेड
- 4200 हाई एवं हायर सेकंडरी स्कूल
- 391 स्कूल में नए 9 वोकेशनल कोर्स लागू
- 29 ट्रेड 300 से ज्यादा हायर सेकंडरी स्कूलों में पहले से लागू
रायपुर । नईदुनिया प्रतिनिधि
बच्चों को रोजगार के काबिल बनाने के लिए सरकार ने वोकेशनल कोर्स तो शुरू किए पर बारहवीं के बाद इसमें पढ़ाई का विकल्प नहीं है। विश्वविद्यालयों-कॉलेजों में कोर्स नहीं है। नतीजतन वोकेशनल कोर्स वालों को मजबूरी में परम्परागत कोर्स बीए, बीए क्लासिक्स, बीएचएससी आदि करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार ने राजीव गांधी केंद्र प्रवर्तित योजना के तहत 1990 में 29 वोकेशनल कोर्स को राज्य के 300 से अधिक हायर सेकंडरी स्कूलों में लागू किया था। अब फंड के अभाव में ये ट्रेड या तो बंद हो रहे हैं या कागजों पर ही चल रहे हैं। छात्रों की संख्या साल दर साल घट रही है। पुराने वोकेशनल कोर्स मरणासन्न हो गए हैं। अब हाई-हायर सेकंडरी स्कूलों में 9 नए ट्रेड फिर लागू कर दिए गए हैं। हर स्कूल में एक ट्रेड के लिए 3 से 5 लाख रुपए फंड देकर लैब स्थापित किया जा रहा है। पुराने कोर्स के लिए प्रैक्टिकल कराने फंड नहीं है, लिहाजा कैरियर को लेकर भटकाव की स्थिति बन गई है।
टॉपर को करना पड़ा बीए
भुवनेश्वरी साहू ने 2016 में बैंकिंग असिस्टेंट वोकेशनल कोर्स में 93.26 फीसदी अंक के साथ दानी गर्ल्स स्कूल से बारहवीं विकल्प ट्रेडिंग और अन्य पारंपरिक ट्रेडिंग फॉर्म उत्तीर्ण की। वोकेशनल कोर्स में टॉपर रही भुवनेश्वरी ने बताया कि वे बैंकिंग में ही आगे की पढ़ाई करना चाहती थीं। इसके लिए शिक्षकों से बात की, लेकिन इसमें आगे कोई कोर्स नहीं होने से अब डिग्री गर्ल्स कॉलेज में बीए कर रही हैं।
दानी गर्ल्स स्कूल की छात्रा पूर्णिमा ने भी बैंकिंग वोकेशनल कोर्स से बारहवीं पास की। 82 प्रतिशत अंक से उत्तीर्ण यह छात्रा भी बीए कर रही हैं।
अमरनाथ सिदार शार्ट हैंड वोकेशनल कोर्स में प्रो. जेएन पाण्डेय स्कूल से बारहवीं किया। लेकिन वोकेशनल में ग्रेजुएशन करने का विकल्प नहीं मिला।
घटी विद्यार्थियों की संख्याः 1990 के दशक में जब वोकेशनल कोर्स लागू किए गए तब छात्रों की संख्या 25 हजार थी। 2017 में वोकेशनल कोर्स वाले छात्रों की संख्या घटकर 2 हजार 20 पर आ गई है। बीते 5 सालों में छात्रों की संख्या तीन हजार के ऊपर नहीं गई है।
सिलेबस हो गया आउटडेटेडः 1990 में पंडित सुंदरलाल शर्मा व्यावसायिक संस्थान भोपाल ने वोकेशनल का कोर्स डिजाइन किया था। तब से आज तक इन विकल्प ट्रेडिंग और अन्य पारंपरिक ट्रेडिंग फॉर्म विकल्प ट्रेडिंग और अन्य पारंपरिक ट्रेडिंग फॉर्म कोर्स में कोई बदलाव नहीं किया गया।
पहले से चल रहे ये कोर्सः पुराने वोकेशनल कोर्स में एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स एंड फॉर्म मैनेजमेंट, हार्टीकल्चर, पोल्ट्री फॉर्म, ऑफिस मैनेजमेंट, बुक कीपिंग एंड अकाउंटेंसी, कोऑपरेटिव मैनेजमेंट, स्टेनो टाइपिंग, फ्रूट एंड वेजिटेबल प्रिजर्वेशन, बेकरी एंड कंफेक्शनरी, गारमेंट मेकिंग, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन, रिपेयर ऑफ रेडियो एंड टीवी, मोपेड, स्कूटर, मोटरसाइकिल रिपेयर, रिपेयर ऑफ इलेक्ट्रिक डोमेस्टिक एप्लायन्सेस एंड इलेक्ट्रिक मोटर रिवाइंडिंग, डेयरी फॉर्मिंग, फॉर्म मेकेनिक्स, बैंकिंग असिस्टेंट, स्टोर कीपिंग, फोटोग्राफी, पिं्रटिंग, बाइंडिंग एंड पेपर कटिंग, कम्प्यूटर अप्लीकेशन, वेल्डिंग टेक्नोलॉजी एंड फेब्रिकेशन, हॉस्पिटल हाउस कीपिंग, लेदर टेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल डिजाइनिंग, वुड गुड्स मेकिंग एंड कार्विंग, एक्स रे टेक्नीशियन, मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी, आक्सजीलरी नर्सिंग एंड मिडवाइफयरी, फैशन डिजाइनिंग एंड गारमेंट मेकिंग व अन्य लागू हैं।
ये नए कोर्स : आरएमएसए के तहत नए 270 स्कूलों में टेलीकम्यूनिकेशन, बैंकिंग फाइनेंस, एनिमेशन और मल्टीमीडिया ट्रेड में पढ़ाई हो रही है। इनमें आईटी 121, हेल्थ केयर 76, एग्रीकल्चर 20, ऑटोमोबाइल 16 और रिटेल 9 स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है। कुल 391 स्कूलों में नए ट्रेड लागू हैं। नौवीं और दसवीं में संचालित पाठ्यक्रम में हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत में से केवल दो भाषा को चुनने की आजादी होगी। तीसरे विषय के तौर पर वोकेशनल कोर्स का कोई भी एक ट्रेड चुनना पड़ेगा।
शहर के स्कूलों में हाल ए आज
नौ साल पहले बंद हो गया स्टोर कीपिंग कोर्सः राजधानी के दानी गर्ल्स स्कूल में संचालित स्टोर कीपिंग वोकेशनल कोर्स नौ साल पहले ही बंद हो गया है। इस कोर्स के लिए नई फैकल्टी की नियुक्ति और कोर्स रिवाइज नहीं होने से विद्यार्थियों का मोहभंग हो गया।
फैशन डिजाइनिंग एंड गारमेंट मेकिंग हो गया सुस्तः मायाराम सुरजन स्कूल में संचालित फैशन डिजाइनिंग एंड गारमेंट मेकिंग कोर्स सुस्त पड़ गया है। मशीनें हैं, लेकिन 26 साल पुरानी। कोर्स भी अपडेट नहीं हुआ है और न ही नई फैकल्टी की नियुक्ति हो पाई।
प्रैक्टिकल, लैब के लिए फंड नहीं: हिन्दू हाई स्कूल में स्टेनो, इलेक्ट्रिकल और अन्य कोर्स संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन इनकी लैब के लिए फंड नहीं मिल रहा है। हालांकि शिक्षकों के पद लैप्स न हो, इसलिए इन कोर्स में विद्यार्थियों को दाखिला दिलाने के लिए स्कूल अपने स्तर पर प्रैक्टिकल करा रहा है।
यह सही है कि मंडल में चल रहे पुराने वोकेशनल कोर्स में विद्यार्थियों की संख्या लगातार घट रही है। इन कोर्स के प्रति उत्साह कम होना चिंताजनक है। इन पाठ्यक्रमों में संशोधन करने की जरूरत है। पंडित सुंदरलाल शर्मा व्यावसायिक संस्थान भोपाल से ही संशोधित हो सकता है। वोकेशनल से बारहवीं पास विद्यार्थी बीए या बीकॉम कर रहे हैं। - संजय शर्मा, उपसचिव, माशिमं
कोर्स लागू करने से पहले नहीं बनी कोई नीति
मंडल में पुराने जो भी वोकेशनल कोर्स हैं, वे जॉब ओरिएंटेड हैं या नहीं, इसके लिए कोई नीति ही नहीं बनाई गई। सिर्फ कोर्स लागू कर देने से कुछ नहीं होता है। उसकी मार्केट में कितनी वैल्यू है, इस पर भी चिंतन करने की जरूरत है। वोकेशनल कोर्स का क्रियान्वयन कराने के लिए बेहतर लैब स्थापित होने चाहिए थे, लेकिन ये सिर्फ कागजों पर ही चल रहे हैं। इसलिए विद्यार्थियों का रुझान घट रहा है। - बीकेएस रे, शिक्षाविद
सोने के गहने न खरीदकर नये ज़माने में ऐसे लगाएं पैसा, हो जाएंगे मालामाल
Digital Gold: अब पारंपरिक तरीके से हटकर भी सोने में निवेश करने के कई विकल्प मौजूद है. नये जमाने के इस विकल्प से सोने में निवेश करने के कई फायदे होते हैं. ऐसे में इसके फायदे, नुकसान और जोखिम आदि के बारे में पूरी जानकारी रखनी चाहिए.
सोने में निवेश करना हमारे भारतीय परंपरा का हिस्सा है. लेकिन अब फाइनेंशियल स्थिति सुधार के साथ ही अधिकतर लोग नये तरीके से सोने में निवेश करने का विकल्प चुन रहे हैं. पहले की परंपरा में गहने, सिक्के आदि के रूप में सोने में निवेश करने का चलन था. अब नये ज़माने का भारत नये तरीके से सोने में निवेश करना पसंद कर रहा है. ये नया तरीका डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) का है. डिजिटल तरीके से सोने में निवेश करने पर पारंपरिक रूप से सोने में निवेश से जुड़ी कई तरह की समस्याओं से बचने में मदद मिलती है. ऐसे में अगर आप भी डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो इसके विकल्पों और तरीकों के बारे में आपके पास पूरी जानकारी होनी चाहिए.
डिजिटल गोल्ड में आप बेहद कम अमाउंट के साथ भी निवेश कर सकते हैं. एक अच्छी बात यह भी है कि अब दुनिया के किसी भी कोने से किसी भी समय डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं. आज के दौर में आपके पास डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के कई तरह के विकल्प मौजूद हैं. सबसे पहले इन तरीकों के बारे में जान लेते हैं.
डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के विकल्प
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB): यह एक तरह का डेट इंस्ट्रूमेंट है जिसे भारत सरकार की ओर से RBI जारी करता है. इस विकल्प में निवेशक कम से कम एक ग्राम सोना भी खरीद सकते हैं. इसके लिए आरबीआई समय-समय में बॉन्ड जारी करता है, जिसमें आपको एक तय अवधि में इसे सब्सक्राइब करना होता है. आरबीआई की ओर से प्रति ग्राम सोने का रेट तय होता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर ब्याज मिलने के अलावा और कई तरह के फायदे होते हैं.
गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs): गोल्ड ईटीएफ की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है और यह इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की तरह ही होते हैं. गोल्ड ईटीएफ का हर यूनिट एक ग्राम सोने के बराबर होती है और इसकी शुद्धता 99.5 फीसदी होती है. ये फिजिकल गोल्ड डिपॉजिटरीज के पास जमा होते हैं और यही असली सोने के रूप में काम करता है, जिसके आधार पर ईटीएफ की वैल्यू तय होती है. फिलहाल, भारत में गोल्ड ईटीएफ निवेशकों के पास कई तरह के फंड्स का विकल्प है.
एमसीएक्स गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट्स: MCX गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट्स की ट्रेडिंग मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) के जरिए होती है. यह एक तरह का वायदा और विकल्प डेरिवेटी कॉन्ट्रैक्ट होता है. इसके तहत निवेश भविष्य में सोने के भाव का अनुमान लगाकर निवेश करते हैं. हालांकि, यह उन्हीं लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा, जिनके पास वायदा बाजार में निवेश करने का अनुभव है.
डिजिटल गोल्ड में निवेश करने विकल्प ट्रेडिंग और अन्य पारंपरिक ट्रेडिंग फॉर्म के फायदे
- शुद्धता: जब हम डिजिटल फॉर्म में सोना खरीदते हैं तो हमें उसकी शुद्धता की चिंता नहीं होती है. यह 24 कैरेट ही होती है. लेकिन फिजिकल गोल्ड में निवेश करने पर ऐसा नहीं होता है.
- सुरक्षा: डिजिटल गोल्ड को आपके डीमैट अकाउंट में रखा जाता है. ऐसे में इसके चोरी होने का खतरा बिल्कुल नहीं होता है. किसी लॉकर या अन्य वॉल्ट में रखने की तुलना में डीमैट अकाउंट का खर्च बेहद कम होता हैं.
- लिक्विडिटी: डिजिटल गोल्ड को आप महज कुछ ही सेकेंड में किसी भी समय और कहीं से भी खरीद या बेच सकते हैं. फिजिकल गोल्ड में यह सुविधा नहीं मिलती है. फिजिकल गोल्ड के लिए आपको किसी भरोसेमंद ज्वेलर के पास जाना होता है.
- टूटने या खराब होने का डर नहीं: सोने के गहने को रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में इसके टूटने, घिसने या नुकसान होने का खतरा बना रहता है. लेकिन डिजिटल गोल्ड की बात करें तो यह डिजिटल फॉर्म में होता है. उसमें इस तरह के नुकसान का खतरा नहीं होता है.
- पारदर्शिता: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स और गोल्ड ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड किया जाता है, यही कारण है कि इसमें किसी तरह के गड़बड़ की गुंजाईश बिल्कुल कम होती है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में सरकारी गारंटी मिलती है ताकि आप बिना किसी जोखिम के इसमें निवेश कर सकें. किसी कॉरपोरेट बॉन्ड या सरकारी बॉन्ड की तुलना में गोल्ड बॉन्ड पर कई अन्य तरह के फायदे होते हैं. दूसरे बॉन्ड पर आपको केवल ब्याज मिलेगा, लेकिन ब्याज के साथ-साथ आपको सोने की कीमतों में भी बढ़ोतरी का भी लाभ मिलेगा.
डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के क्या जोखिम हैं?
डिजिटल गोल्ड में निवेश करने का सबसे बड़ा जोखिम तो यह है कि इसमें इन्वेस्टमेंट की वैल्यू कम होती रहती और निगेटिव ग्रोथ रिजल्ट्स मिलने की संभावना बनी रहती है. भारत में डिजिटल गोल्ड के लेनदेन को लेकर अब तक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार नहीं हुआ है. कई जानकार इसे संभावित जोखिम के रूप में देखते हैं. इसके अलावा भी डिजिटल गोल्ड में कई तरह के छिपे हुए चार्ज होते हैं, जिसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती है. ऐसे में निवेश से पहले आपको सभी तरह के चार्जेज के बारे में पता कर लेना चाहिए. इससे आप अपने कुल रिटर्न पर होने वाले नुकसान से बच सकेंगे.
भारत में आप कहां से खरीद सकते हैं डिजिटल गोल्ड?
1. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को भारतीय रिज़र्व बैंक से खरीद सकते हैं. इसके लिए विकल्प ट्रेडिंग और अन्य पारंपरिक ट्रेडिंग फॉर्म समय-समय पर आरबीआई की ओर से पूरी जानकारी दी जाती है.
2. गोल्ड ईटीएफ को उन म्यूचुल फंड्स से खरीदा जा सकता है, जो इस प्रोडक्ट को ऑफर करते हैं.
3. एमसीएक्स गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट्स को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज से खरीदा जा सकता है.
4. इसके अलावा भी कई तरह की संस्थाएं भी अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए डिजिटल गोल्ड में निवेश करने का विकल्प ऑफर करती हैं. इसके लिए भी केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करना जरूरी होता है.
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