Swing Trading क्या है ? और कैसे करे स्विंग ट्रेडिंग यहाँ जाने पूरी जानकारी

Swing Trading शेयर बाजार मे मुनाफा कमाने का एक और बढ़िया विकल्प है। लेकिन स्विंग ट्रेडिंग को बुनियादी तौर पर समझे बिना इसका प्रयोग करने से आपको कभी लाभ नहीं मिल सकता। अगर आप शेयर बाजार मे नए है और निवेश की शुरवात कर रहे है तो आपको इसे अपनाने के पहले ठीक से जानना जरुरी है।

स्विंग ट्रेडिंग क्या है ?(What Is Swing Trading)

  • स्विंग ट्रेडिंग को आप इंट्राडे ट्रेडिंग भी नहीं कह सकते और डिलीवरी ट्रेडिंग भी नहीं कहा जा सकता।
  • स्विंग ट्रेडिंग मे ख़रीदे हुए शेयर 1 दिन से ज्यादा और उसके बाद 2 से 3 दिन या फिर 1 सप्ताह कर होल्ड किये जाते है।
  • इंट्राडे मे होल्ड की गयी शेयर पोजीशन उसी दिन सेल की जाती है और डिलीवरी ट्रेडिंग शेयर खरीदने के बाद उन्हें लम्बे समय तक होल्ड किया जाता है।
  • स्विंग ट्रेडिंग के जरिये छोटे समय मे मुनाफा कामबे का उद्देश्य होता है।
  • ऐसे समय शेयर के छोटे से कीमत के बदलाव पर मुनाफा कमाया जाता है।
  • स्वाँग ट्रेडिंग मे लाभ कमाने के लिए रणनीति के आधार पर ट्रेड किया जाता है।
  • इसे आप डिलीवरी ट्रेडिंग का एक उप प्रकार भी कह सकते है।
  • स्विंग ट्रेडिंग करने वाले निवेशक शेयर की कीमतों का अंदाज़ा लगाने के लिए तकनिकी विश्लेषण करते है
  • इसी समय निवेशक उस शेयर के बारे मे बारीकी से अभ्यास करते है जैसे की कंपनी का प्रोडक्ट और छोटे समय मे कंपनी मे होने वाले बदलाव जो शेयर पर असर डालते है।
  • बिना विश्लेषण किये स्विंग ट्रेडिंग करना काफी जोखिम भरा है विश्लेषण के जरिये स्टॉप लॉस लगाकर जोखिम को कम किया जा सकता है।

कैसे करे स्विंग ट्रेडिंग :(How To Start Swing Trading)

  • सबसे पहले ट्रेडिंग या निवेश करने के लिए आपके पास डीमैट और ट्रेडिंग खाता होना चाहिए जिसे आप किसी भी ब्रोकर के जरिये खोल सकते है।
  • स्विंग ट्रेडिंग करना काफी जोखिम भरा साबित हो सकता है स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए आपको सबसे पहले सही शेयर को चुनना चाहिए। (जिसेक लिए स्विंग ट्रेडिंग के रणनीतियों को इस्तेमाल कर सकते है )
  • स्विंग ट्रेडिंग करते समय जब शेयर बाजार मे उतार चढाव होता है ऐसे समय ट्रेड करना चाहिए।
  • स्विंग ट्रेडिंग मे कम समय मे कीमत बढ़ने पर लाभ होता है इसलिए ज्यादा लिक्विडिटी वाले शेयर चुनने चाहिए।
  • शेयर को चुनने के बाद उस शेयर का तकनिकी और कंपनी का अंतर्गत विश्लेषण काफी ज्यादा मायने रखता है।
  • स्विंग ट्रेडिंग के लिए सही शेयर चुना है या नहीं ये जानने के लिए आप स्विंग ट्रेडिंग के लोकप्रिय राणिनीतिया अपना सकते है जो की तकनिकी संकेतो के जरिये शेयर के कीमत के बारे मे अंदाज़ा लगाने मे मदत करते है।
  • आप चार्टिंग के जरिये विश्लेषण के लिए इंट्राडे टूल्स का इस्तेमाल कर सकते है इसी समय सामन्य चार्टिंग से भी 1 सप्ताह के संकेतो का विश्लेषण किया जा सकता है।
  • स्विंग ट्रेडिंग शेयर निवेश करने के बाद आपको आपके विश्लेषण के अनुसार स्टॉप लॉस रखना चाहिए इससे रिस्क कम होती है।
  • स्विंग ट्रेडिंग निवेश समय आपके होल्डिंग पोजीशन को हर समय नजर रखनी चाहिए और हर बदलाव का असर समझाना चाहिए।
  • आखिर मे आपके स्विंग ट्रेड रणनीति के अनुसार मुनाफा आने पर होल्डिंग बेचनी चाहिए।
  • स्टॉप लॉस हिट होने के बाद होल्डिंग स्क्वायर ऑफ कर लेनी चाहिए।

कब करनी चाहिए स्विंग ट्रेडिंग :(When Is Best Time To Do Swing Trading)

  • स्विंग ट्रेडिंग निवेश के लिए कोई तय समय नहीं है ये आपके ऊपर निर्भर करता है की आपने शेयर को कितनी अच्छी तरह से जांचा है।
  • जब आप शेयर का तकनिकी विश्लेषण करते है तब आपको शेयर के ट्रेंड का पता लग जाता है।
  • इसका मतलब शेयर करेक्शन करते समय अपना ट्रेडन बदल देता है ऐसे समय स्विंग ट्रेडिंग अच्छा रिजल्ट दे सकती है और लॉस होने की जोखिम भी कम होती है।
  • इस ट्रेंड और करेक्शन को जानना स्विंग ट्रेडिंग मे काफी जरुरी होता है जिसके लिए अलग अलग प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है।
  • निवेशक अलग अलग संकेतो का इस्तेमाल करके स्विंग हाई लौ ,मूविंग एवरेज ,ओवरबॉट ओवरसोल्ड की रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है जानकारी को देखकर निर्णय लेते है।

स्विंग ट्रेडिंग के लाभ :(Benifits Of Swing Trading)

  • स्विंग ट्रेडिंग एक छोटे समय याने 1 हफ्ते से लेकर 1 महीने तक की जाती है इसमे छोटे समय मे आप ट्रेडिंग मुनाफा कमा सकते है।
  • शेयर के लम्बे समय तक का रिसर्च करने की जरुरत नहीं पड़ती है क्यों की आपको इसमे सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही निवेश करना होता है।
  • स्विंग ट्रेडिंग मे जोखिम है लेकिन इंट्राडे के मामले मे यह जोखिम काफी कम है।
  • अच्छी शेयर मे स्विंग ट्रेडिंग करने पर ज्यादा लॉस होने की संभावना कम होती है क्यों की इसे आप रणनीति बदलकर होल्ड भी कर सकते है।
  • स्विंग ट्रेडिंग मे आपको 1 से 2 दिन मे अच्छा मुनाफा भी मिल जाता है जो की इंट्राडे ट्रेडिंग आपको नहीं देती है।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए लोकप्रिय रणनीति :(Best Strategies For Swing Trading)

स्विंग ट्रेडिंग के लिए रणनीति बनाकर कम समय मे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.रणनीति मे मुनाफा कमाने की कीमत तय की जाती है इसी समय स्टॉप लॉस पर भी ध्यान दिया जाता है जिससे जोखिम नियंत्रित होती है।

रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है

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मास 1000 किलोग्राम की एक बस मे .

Updated On: 27-06-2022

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सी आर पी टेस्ट क्या होता है और इसे कब, क्यों व किसे करवानी चाहिए?

डायबिटीज की स्थिति में कई तरह के टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है, जिनमें से एक सीआरपी टेस्ट भी है। अब आप सोच रहे होंगे कि सीआरपी (सी रिएक्टिव प्रोटीन) टेस्ट क्या होता है और यह डायबिटीज से कैसे संबंधित है। तो ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब मौजूद है इस ब्लॉग में। आइये जानते हैं, सीआरपी टेस्ट से जुड़ी हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी जानकारियां।

  • सीआरपी टेस्ट क्या होता है और क्यों किया जाता है?
  • सीआरपी टेस्ट की प्रक्रिया
  • सीआरपी टेस्ट और डायबिटीज के बीच में संबंध
  • डायबिटिक को कितनी बार सीआरपी स्तर की जांच करवानी चाहिए?
  • सीआरपी लेवल कितना होना चाहिए?
  • सीआरपी लेवल टेस्ट किसे करवाना चाहिए?
  • डायबिटीज में सीआरपी का स्तर अधिक होने पर क्या करें?
  • सारांश पढ़ें
  • अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सीआरपी टेस्ट क्या होता है और क्यों किया जाता है?

सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) टेस्ट, एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है, जिससे रक्त में सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) के स्तर को मापा जा सकता है। सीआरपी एक प्रोटीन है, जिसे आपका लीवर बनाता है। आमतौर पर रक्त में सी-रिएक्टिव प्रोटीन का स्तर कम रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है होता है। यदि आपके शरीर में सूजन है, तो आपका लिवर आपके रक्तप्रवाह (bloodstream) में अधिक सीआरपी रिलीज़ करता है, जिससे सीआरपी लेवल बढ़ने लगता है। सीआरपी का स्तर अधिक है तो आपको किसी तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है, जो सूजन का कारण बन रहा हो।

इस टेस्ट को इंफेक्शन, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज, ऑटोइम्यून डिजीज, लंग डिजीज आदि का पता लगाने के लिए किया जाता है। डायबिटीज में प्रो-इंफ्लेमेटरी डिजीज (इंफ्लेमेशन रिएक्शन यानी सूजन के जोखिम को बढ़ाने वाली समस्या) के लिए भी इस टेस्ट को कराने की सलाह दी जा सकती है।

सीआरपी टेस्ट की प्रक्रिया

जो लोग सोच रहे हैं कि सीआरपी टेस्ट कैसे किया जाता है, तो उन्हें बता दें कि:

  • डॉक्टर सबसे पहले इंजेक्शन की मदद से आपकी बांह की नस से रक्त का सैंपल लेते हैं।
  • इसके बाद रक्त को टेस्ट ट्यूब या शीशी में कलेक्ट करते हैं।
  • फिर रक्त के सैंपल को लैब में टेस्ट के लिए भेजते हैं।
  • जिससे कि रक्त में सीआरपी का पता लगाया जा सके।
  • आमतौर पर यह प्रक्रिया पांच मिनट में हो जाती है।
  • हालांकि, टेस्ट का परिणाम आने में एक से दो दिन लग सकते हैं।

सीआरपी टेस्ट और डायबिटीज के बीच में संबंध

टाइप 2 डायबिटीज़ के लिए सीआरपी टेस्ट किया जा सकता है। रिसर्च की मानें, तो हाई सीआरपी लेवल के कारण मधुमेह का जोखिम बढ़ जाता है। वहीं, अगर आपको डायबिटीज है और आपका सीआरपी लेवल बढ़ा हुआ है, तो इससे डायबिटीज की समस्या गंभीर हो सकती है। इसके अलावा, डायबिटीज में अन्य तरह की जटिलताएं बढ़ सकती है।

डायबिटिक को कितनी बार सीआरपी स्तर की जांच करवानी चाहिए?

डायबिटीज में सी रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट को साल में दो बार करवाना चाहिए। इस टेस्ट को 2 हफ्तों में पूरा किया जाता है। पहले हफ्ते के टेस्ट में इंफ्लेमेशन का पता चलने पर अगले हफ्ते भी टेस्ट के लिए बुलाया जाता है। जिससे अगले हफ्ते के टेस्ट से पता चल सके की समस्या एक्यूट है या क्रोनिक।

डायबिटीज के अलावा, जो लोग उम्र में 45 वर्ष से ज्यादा हैं, वे साल में दो बार और जिन लोगों की उम्र 30 से 45 वर्ष है, वे साल में 1 बार इस टेस्ट को जरूर करवाएं। आप इस बारे में अपने डॉक्टर से भी सलाह ले सकते रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है हैं।

सीआरपी लेवल कितना होना चाहिए?

सीआरपी लेवल को मिलीग्राम प्रति लीटर (mg/L) में मापा जाता है। इसके लेवल से जुड़ी जानकारी कुछ इस प्रकार है:

  • अगर सीआरपी लेवल 10 mg/L से कम है, तो इसे सामान्य माना जाता है।
  • सीआरपी का स्तर 10 mg/L के बराबर या उससे अधिक है, तो इसे हाई सीआरपी लेवल माना जाता है।

सीआरपी लेवल टेस्ट किसे करवाना चाहिए?

सीआरपी लेवल की जांच कुछ स्थितियों के लिए अनिवार्य हो सकती है।

  • बार-बार उल्टी और मतली (nausea) होने पर सीआरपी की जांच करवाएं।
  • बार-बार बुखार होने पर या बिना किसी कारण ठंड का एहसास होने पर यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जा सकती है।
  • रुमेटीइड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis - गठिया का एक प्रकार, जिसमें जोड़ों व हड्डियों में दर्द की समस्या होती है) या ल्यूपस (lupus) जैसी क्रोनिक इंफ्लेमेटरी डिजीज होने पर सीआरपी स्तर का जांच करवानी चाहिए।
  • अगर आपको इन्फेक्शन के कारण सूजन है, तो इस टेस्ट को करवाना चाहिए।
  • ह्रदय गति में बदलाव महसूस होने पर।
  • हृदय रोग की समस्या से जूझ रहे लोगों को सीआरपी टेस्ट करवाना चाहिए।
  • अस्थमा होने पर इस टेस्ट को करवाएं।

डायबिटीज में सीआरपी का स्तर अधिक होने पर क्या करें?

जरूरी नहीं कि सीआरपी लेवल को कम करने के लिए सिर्फ दवाइयों की ही जरूरत हो। डायबिटीज में सीआरपी का स्तर अधिक होने पर कई सामान्य तरीकों को अपनाकर इसे कम किया जा सकता है। सीआरपी कम करने के उपाय कुछ इस तरह से हो सकते हैं :

  • सीआरपी लेवल को संतुलित करने में व्यायाम मदद कर सकता है। इसलिए, हफ्ते में कम से कम 3 से 4 दिन 30 मिनट तक व्यायाम कर सकते हैं।
  • सीआरपी स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए हेल्दी आहार भी मदद कर सकता है। इसलिए, जिन लोगों का सीआरपी स्तर बढ़ा हुआ है, वे सब्जियां (पालक, ब्रोकली, लौकी आदि), फल (सेब, संतरा, बेरीज आदि) को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
  • अगर सोच रहे हैं कि सीआरपी स्तर को कैसे कम करें, तो इसके लिए वजन कम करना मददगार हो सकता है। इसलिए, डायबिटीज में सीआरपी को कम करने के लिए वेट मैनेजमेंट के तरीकों को अपनाया जाता है।
  • सीआरपी लेवल को कम करने के लिए इसे बढ़ाने वाले कारकों का पता लगाकर उसका इलाज रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है किया जा सकता है।
  • इन उपायों के बाद भी अगर डायबिटीज में सीआरपी का स्तर बढ़ा हो, तो आप डॉक्टर से इस बारे में बात कर सकते हैं।
  • फिर डॉक्टर द्वारा बताए गए दवाइयों और ट्रीटमेंट को फॉलो कर सकते हैं।

डायबिटीज में सीआरपी टेस्ट करवाना बेहतर होता है। इससे डायबिटीज के अलावा लिवर से जुड़ी समस्याओं का भी पता चल सकता है। साथ ही रक्त में सीआरपी लेवल में वृद्धि नजर आती है, तो इसे कम करने के उपायों को अपनाया जा सकता है, जिससे कि समस्या को गंभीर होने से रोका जा सके। इसके अलावा, डायबिटीज को मैनेज करने के लिए Phable ऐप की भी मदद ले सकते हैं।

एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) पर तीसरा वैश्विक उच्च-स्तरीय सम्मेलन 2022

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने ओमान के मस्कट में आयोजित तीसरे एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध पर आयोजित सम्मेलन (Global High-Level Conference on Anti-Microbial Resistance) में भाग लिया।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि “रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस – AMR ) एक ऐसी अप्रकट और अदृश्य महामारी है जिसे अन्य प्रतिस्पर्धी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं से कम नहीं किया जा सकता है। इस कार्यक्रम में चतुष्पक्षीय (क्वाडरीपार्टाइट) संगठनों द्वारा AMR पर मल्टी-स्टेकहोल्डर पार्टनरशिप प्लेटफॉर्म का शुभारंभ किया गया।

एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध (Anti-Microbial Resistance – AMR)

एंटी-माइक्रोबियल (Anti-Microbial ) – एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीपैरासिटिक्स सहित – मनुष्यों, जानवरों और पौधों में संक्रमण को रोकने और उनका इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं हैं।

एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध (Anti-Microbial Resistance – AMR) तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवी समय के साथ बदलते रहते हैं और दवाओं का उन पर कोई असर नहीं होता जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है और बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। दवा प्रतिरोध के परिणामस्वरूप, एंटीबायोटिक्स और अन्य रोगाणुरोधी दवाएं अप्रभावी हो जाती हैं और संक्रमण का इलाज करना मुश्किल या असंभव हो जाता है।

AMR एक वैश्विक स्वास्थ्य और विकास खतरा है। सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए तत्काल बहुक्षेत्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है। WHO ने AMR को मानवता के समक्ष शीर्ष 10 वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक माना है।

दवा प्रतिरोधी रोगजनकों के लिए एंटी-माइक्रोबियल दवाओं का दुरुपयोग और अधिक सेवन मुख्य करक हैं।

साफ पानी और स्वच्छता की कमी और अपर्याप्त संक्रमण रोकथाम और नियंत्रण माइक्रोब्स के प्रसार को बढ़ावा देता है, जिनमें से कुछ एंटी-माइक्रोबियल उपचार के लिए प्रतिरोधी हो सकते हैं।

अर्थव्यवस्था पर AMR का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मृत्यु और विकलांगता के अलावा, लंबे समय तक बीमारी के परिणामस्वरूप लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है, प्रभावित लोगों के लिए अधिक महंगी दवाओं को खरीदना पड़ता है। इसे व्यक्ति और परिवार के साथ समग्र रूप से देश की अर्थव्यस्था प्रभवित होती है। ऐसा इसलिए भी कि कामकाजी आबादी का हिस्सा उत्पादक कार्यों में लगने के बजाय अस्पताल के बिस्तर पर रहने को मजबूर होता है और उसके साथ उसका परिवार भी उस चक्र का शिकार होता है।

क्या होता है दवा प्रतिरोधी टीबी (Drug-Resistant TB)?

दवा प्रतिरोधी TB तब विकसित होती है जब टीबी की लंबी, जटिल, दशकों पुरानी दवा को अनुचित तरीके से लिया जाता है, या जब लोग ऐसे अन्य लोगों से टीबी संक्रमित हो जाते हैं, जो दवा प्रतिरोधी TB का मरीज है। दवा प्रतिरोधी TB के निम्नलिखित रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है प्रकार हैं:

मोनो-रेसिस्टेन्स (Mono-resistance) : केवल प्रथम-पंक्ति की एक एंटी-टीबी दवा के खिलाफ प्रतिरोध देखा जाता है।

पॉली-रेसिस्टेन्स (Poly-resistance): आइसोनियाज़िड और रिफैम्पिसिन को छोड़कर प्रथम-पंक्ति की एक से अधिक एंटी-टीबी दवा का प्रतिरोध देखा जाता है।

मल्टी-ड्रग रेसिस्टेन्स (MDR): कम से कम आइसोनियाजिड और रिफैम्पिसिन दोनों के खिलाफ प्रतिरोध देखा जाता है।

एक्सटेंसिव ड्रग रेसिस्टेन्स (XDR): किसी भी फ्लोरोक्विनोलोन के खिलाफ प्रतिरोध और मल्टीड्रग प्रतिरोध (MDR) के अलावा कम से कम तीन सेकेंड-लाइन इंजेक्शन योग्य दवाओं (कैप्रोमाइसिन, केनामाइसिन और एमिकासिन) में से एक के खिलाफ प्रतिरोध देखा जाता है।।

रिफैम्पिसिन रेसिस्टेन्स (RR): इसमें मोनो-प्रतिरोध, पॉली-प्रतिरोध, MDR या XDR के रूप में रिफैम्पिसिन का कोई भी प्रतिरोध शामिल है।

शेयर मार्केटिंग क्या है, और कैसे काम करता है? ! What is Share marketing !

तो आज हम पोस्ट के माध्यम से जानेंगे की स्टॉक मार्केट क्या है और कैसे काम करता है?

शेयर बाजार क्या है?

Share Marketing

share market और Stock Market एक ऐसा market है जहाँ बहुत से companies के shares ख़रीदे और बेचे जाते हैं, ये एक ऐसी जगह है जहां कुछ लोग बहुत से पैसे कमा लेते है और बहुत से लोग पेसे गवा देते है किसी कंपनी का share खरीदने का मतलब है उस कंपनी में हिस्सेदार बन जाना |

आप जितने पैसे लगायेंगे उसी के हिसाब से उस कंपनी के मालिक आप हो जाते हैं. जिसका मतलब ये है की अगर उस कंपनी को भविष्य में मुनाफा होगा तो आपके लगाये हुए पैसे से दुगना पैसा आपको मिलेगा और अगर घाटा हुआ तो आपको एक भी पैसे नहीं मिलेंगे यानि की आपको पूरी तरह से नुकसान होगा.

जिस तरह Share market में पैसे बनाना आसान है ठीक उसी तरह यहाँ पैसे गवाना भी उतना ही आसान है क्यूंकि stock market में उतार चढ़ाव होते रहते हैं|

शेयर बाजार में शेयर कब ख़रीदे?

आपको थोडा बहुत idea मिल गया होगा की शेयर मार्केट क्या है? आइये जान लेते है How to invest in share market? Stock Market में share खरीदने से पहले आप इस लाइन में पहले experience gain कर लें की यहाँ कैसे और कब invest करना चाहिये? और कैसी कंपनी में आप अपने पैसे लगायेंगे तब जा कर आपको मुनाफा होगा |

इन सब चीजों का पता लगायें ज्ञान बटोरे उसके बाद ही जा कर share market में invest करें. Share market में कौन सी कंपनी का share बढ़ा या गिरा इसका पता लगाने के लिए आपको हमारे साथ लास्ट तक जुड़े रहने होगा |

ये जगह बहुत ही risk से भरी हुयी होती है, इसलिए यहाँ तभी निवेश करना चाहिये जब आपकी आर्थिक स्तिथि ठीक हो ताकी जब आपको घाटा हो तो आपको उस घाटे से ज्यादा फर्क ना पड़े. या तो फिर आप ऐसा भी कर सकते हैं की शुरुआत में आप थोड़े से पैसे से invest करें ताकि आगे जाकर आपको ज्यादा नुकसान न हो जैसे जैसे आपका इस क्षेत्र रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है में knowledge और experience बढेगा वैसे वैसे आप धीरे धीरे अपने invest को बढ़ा सकते हैं |

शेयर मार्किट में पैसे कब लगाये?

शेयर मार्किट में share खरीदने के लिए आपको एक Demat account होना जरुरी होता हैं | इसके भी दो तरीके होते हैं, पहला तरीका तो आप एक broker यानि की दलाल के पास जाकर एक Demat account खोल सकते हैं |

Demat account में हमारे share रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है के पैसे जमा रखे जाते हैं, जिस तरह की हम किसी bank के खाते में अपना पैसा रखते हैं ठीक उसी तरह अगर आप share market में invest कर रहे हैं, तो आपका demat account होना अतिआवश्यक है |

क्यूंकि कंपनी को मुनाफा होने के बाद आपको जितने भी पैसे मिलेंगे वो सारे पैसे आपके demat account में जमा हो जायेंगे ना की आपके bank account में और demat account आपके savings account के साथ लिंक हो कर जुड़ा रहता है, अगर आप चाहे तो उस demat account से अपने bank account में बाद में धन राशी ट्रासफ़ार कर सकते हैं |

Demat account बनाने के लिए आपका किसी भी bank में एक savings account होना बहुत ही जरुरी है, और proof के लिए pan card की copy और address proof चाहिये होती है |

दूसरा तरीका है, की आप किसी भी bank में जाकर अपना demat account खुलवा सकते हैं |

लेकिन आप अगर एक broker के पास से अपना account खुलवाते हैं, तो आपको उससे ज्यादा benifit होगा, क्यूंकि एक तो आपको अच्छा support मिलेगा और दूसरा आपके invest के हिसाब से ही वो आपको अच्छी कंपनी suggest करते हैं, जहाँ आप अपने पैसे invest कर सकते हैं, ऐसा करने के लिए वो आपसे पैसे भी लेते हैं |

Support Level क्या होता है?

support level, उस price level को refer करता है जिसके नीचे asset की price का गिरना सबसे कम होता है, उस समय में किसी भी asset का support level create किया जाता है, खरीदार के द्वारा जो की market में enter कर रहे होते हैं, जब भी asset एक lower price में चला जाता है |

कैसे बनाया जाता Support level है?

Technical analysis की बात करें तब, सबसे simple support level को chart करने के लिए एक line draw किया जाता है, asset के सभी lowest lows को ध्यान में रखकर उस time period के दौरान ये support line या तो flat होती है या फिर slanted up या down भी हो सकती है | overall price trend के हिसाब से वहीँ दुसरे technical indicators और charting techniques का इस्तमाल भी किया जाता है | ज्यादा advanced versions के Support Level को identify करने के लिए |

Resistance Level होता क्या है?

Resistance या resistance level, एक ऐसा price point होता है, जहाँ की asset की price rise में रुकावट दिखाई देती है क्यूंकि एकदम से बहुत सारे sellers अपने asset को उसी price में बेचना चाहते हैं.रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है

Price Action पर निर्भर करता है की, resistance की line, flat हो या slanted हो, वहीँ ऐसे बहुत से advanced techniques हैं, resistance incorporating bands, trendlines और moving averages को identify करने के लिए |

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