भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) द्वारा गठित कार्यकारी समूह ने गैर-लाभकारी संगठनों (Non-Profit Organisations) को बॉण्ड जारी करके सीधे सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social Stock Exchanges-SSE) पर सीधे सूचीबद्ध होने की अनुमति देने की सिफारिश की है।
Social Stock Exchange: BSE को मिली सोशल स्टॉक एक्सचेंज शुरू करने की इजाजत, नॉन प्रॉफिट आर्गनाइजेशन की होगी लिस्टिंग
By: ABP Live | Updated at : 07 Oct 2022 01:26 PM (IST)सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है
Edited By: manishkumar
प्रतिकात्मक फोटो ( Image Source : Getty )
Social Stock Exchange: देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज BSE को सोशल स्टॉक एक्सचेंज ( Social Stock Exchange) शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है. शेयर बाजार ( Stock Market) के रेग्युलेटर सेबी ( SEBI) ने बीएसई ( BSE) को अलग से सोशन स्टॉक एक्सचेंज शुरू करने की इजाजत दी है.
बीएसई ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ( National Stock Exchange) पर रेग्युलेटरी फाइलिंग में सूचित किया है कि सेबी ने BSE को अलग से सोशल स्टॉक एक्सचेंज शुरू करने की सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है. इस वर्ष जुलाई महीने में सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज शुरू करने के लिए नियमों को नोटिफाई किया था. सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए सोशल इंटरप्राइजेज फंड जुटा सकेंगे. सोशल इंटरप्राइजेज के तहत आने वाले लाभकारी इंटरप्राइजेज, गैर-लाभकारी आर्गनाइजेशन सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो सकेंगी. सोशल स्टॉक एक्सचेंज मौजूदा शेयर ट्रेडिंग के स्टॉक एक्सचेंज से बिलकुल अलग होगा.
सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) क्या है? परिभाषा और लाभ | Social Stock Exchange in Hindi
भारत में एसएसई के लिए काफी संभावनाएं हैं क्योंकि स्कूलों की संख्या से 31 लाख एनपीओ अधिक हैं और सरकारी अस्पतालों की संख्या से 250 गुना अधिक है। इसका मतलब है कि 400 भारतीयों के लिए एक एनपीओ है। इस तरह एक मजबूत कल्याणकारी राज्य की नींव सहायक हो सकती है
सेबी की रिपोर्ट के मसौदे के अनुसार, एक सोशल स्टॉक एक्सचेंज COVID-19 महामारी के दौरान प्रभावित लोगों की आजीविका के पुनर्निर्माण में मददगार हो सकता है।
निर्यात के अनुसार SSEs का लक्ष्य सामाजिक पूंजी के बड़े पूल को खोलना और मिश्रित वित्तीय संरचना को प्रोत्साहित करना होगा, ताकि पारंपरिक पूंजी सामाजिक पूंजी के साथ मिलकर COVID-19 की गंभीर चुनौतियों का सामना कर सके।
एसएसई में फंड जुटाने के लिए प्रस्तावित तंत्र
सामाजिक स्टॉक एक्सचेंजों का उद्देश्य विशिष्ट दिशानिर्देशों के तहत उपलब्ध धन उगाहने वाले उपकरणों और संरचना को प्रभावी ढंग से तैनात करना है। ये उपकरण धन की मांग करने वाले सामाजिक उद्यम की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। एनपीओ और लाभकारी उद्यमों के लिए उपकरण अलग हैं
गैर-लाभकारी सामाजिक उद्यमों के लिए उपकरण इस प्रकार हैं:
- जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल बॉन्ड: एनपीओ को जीरो कूपन या जीरो प्रिंसिपल बॉन्ड के रूप में बॉन्ड जारी करके एसएसई पर सीधे सूचीबद्ध होने की अनुमति देना। यह दाताओं, परोपकारी फाउंडेशनों और सीएसआर खर्च करने वालों से धन अनलॉक करने का एक व्यवहार्य विकल्प है। इन बांडों का कार्यकाल उस परियोजना की अवधि के बराबर होगा जिसे वित्त पोषित किया जा रहा है, और कार्यकाल के दौरान, उन्हें निवेशक की बहीखातों से बट्टे खाते में डाल दिया जाएगा।
सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? आम निवेशकों को कैसे होगा फायदा
Social Stock Exchange: SEBI ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज को मंजूरी दे दी है. लेकिन पहले से जानना जरूरी है कि इससे आम निवेशक को कैसे और क्या फायदा मिलेगा.
SEBI ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज को दी मंजूरी, जानिए कैसे करता है ये काम
Social Stock Exchange: मार्केट रेग्युलेटर सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने हाल ही में देश में सोशल स्टॉक एक्सचेंज शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यह एक्सचेंज कब शुरू होगा, अभी इसकी कोई समय सीमा नहीं तय की गई है. बावजूद इसके यह माना जा रहा है कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social Stock Exchange) खुलने से सोशल इंटरप्राइेजज के लिए बाजार से फंड जुटाना आसान होगा, वहीं आम निवेशकों को भी निवेश का एक नया ऑप्शन मिल सकेगा.
क्या है सोशल स्टॉक एक्सचेंज (What is Social Stock Exchange)
सोशल स्टॉक एक्सचेंज को आसान भाषा में समझें, तो यह एक तरह से सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों (NGO) को बाजार से फंड जुटाने में मदद करेगा. इसका मतलब कि, अब प्राइवेट कंपनियों की तरह सोशल इंटरप्राइजेज (NGO व ऐसे अन्य संस्थान) भी खुद को शेयर बाजार (Share Market) में लिस्टेड करा सकेंगे और पैसे जुटा सकेंगे.
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आम निवेशकों को कैसे होगा फायदा
मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट में जानकारी दी थी कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज से देश के सभी नागरिकों को फायदा मिलेगा. एक इलेक्ट्रॉनिक फंड रेजिंग प्लेटफॉर्म बनाने की योजना है, जिससे समाज की भलाई के लिए काम करने वाले संगठनों को लिस्टेड करने और फंड जुटाने में मदद की जाएगी. इसका मतलब ये हुआ कि अब NGO के शेयरों को आम आदमी/ निवेशक में खरीद-बिक्रकी सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है कर सकेगा. ये एक तरह से शेयर बाजार की तरह ही काम करेगा.
दुनिया में इस समय यूरोप और उत्तर-दक्षिण अमेरिकी देशों में सोशल स्टॉक एक्सचेंज चल रहे सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है हैं. सोशल स्टॉक एक्सचेंज NGO को शेयर, डेट और म्यूचुअल फंड के जरिए फंड जुटाने की मंजूरी देगा. इस सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है तरह के स्टॉक एक्सचेंज यूके, कनाडा, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, जमैका और केन्या में पहले से हैं.
सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social Stock Exchange) के लिए नया फ्रेमवर्क पेश किया गया
सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) का विचार सबसे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-20 के बजट भाषण के दौरान पेश किया था। यह स्टॉक एक्सचेंजों पर नॉट फॉर प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NPO) की सार्वजनिक सूची है। एनपीओ समाज या समुदाय के कल्याण में शामिल प्रतिष्ठान हैं। वे धर्मार्थ संगठनों के रूप में स्थापित हैं। SSE का उद्देश्य उन्हें वैकल्पिक धन उगाहने वाले साधन प्रदान करना है। निवेशक एसएसई के माध्यम से योगदान करने के लिए कर लाभ का दावा कर सकते हैं। इसी तरह का तंत्र यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों में उपलब्ध है।
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