पहल के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सरकार ने स्टार्ट-अप इंडिया के लिए एक एक्शन प्लान को स्थापित किया जिसने देश में एक जीवंत स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए सरकारी सहायता, योजनाओं और प्रोत्साहनों की नींव रखी। एक्शन प्लान में 'सिंपलीफिकेशन और हैंडहोल्डिंग', 'वित्त पोषण समर्थन और प्रोत्साहन' और 'उद्योग-शिक्षा साझेदारी और ऊष्मायन' जैसे क्षेत्रों में फैले कई आइटम शामिल हैं। स्टार्ट-अप इंडिया पहल के तहत, स्टार्ट-अप के व्यापार चक्र के विभिन्न चरणों में पूंजी प्रदान करने के लिए सरकार ने स्टार्ट-अप्स (एफएफएस) और स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) के लिए फंड ऑफ फंड्स को लागू किया है। दोनों योजनाओं को पैन-इंडिया बेसिस पर लागू किया गया है।
जॉर्ज लेन (तकनीकी विश्लेषक)
जॉर्ज लेन (1921 - 7 जुलाई 2004) एक प्रतिभूति व्यापारी, लेखक, शिक्षक, वक्ता और तकनीकी विश्लेषक थे । वह शिकागो में वायदा व्यापारियों के एक समूह का हिस्सा थे, जिन्होंने स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर (जिसे "लेन के स्टोकेस्टिक्स" के रूप में भी जाना जाता है) विकसित किया था , जो आज तकनीकी विश्लेषकों के बीच उपयोग किए जाने वाले मुख्य संकेतकों में से एक है। [१] [२] [३] लेन वत्सेका, इलिनॉय में इन्वेस्टमेंट एजुकेटर्स इंक. के अध्यक्ष भी थे , जहां उन्होंने निवेशकों और वित्तीय पेशेवरों को बुनियादी और उन्नत तकनीकी विश्लेषण विधियां सिखाईं। [४] उन्होंने स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर को लोकप्रिय बनाया।
लेन ने 1950 के दशक में ईएफ हटन एंड कंपनी ब्रोकरेज के साथ वित्तीय बाजारों में अपने 50 साल के करियर की शुरुआत की । उनके दलाल के प्रशिक्षण में जोसेफ ग्रानविले के संरक्षण में बिताया गया समय शामिल था । [४] बाद में, जॉर्ज लेन इन्वेस्टमेंट एजुकेटर्स के अनुसंधान समूह में शामिल हो गए, जिस फर्म के वे अंततः मालिक होंगे। [४]
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तकनीकी विश्लेषण अतीत में बाजार के व्यवहार का अध्ययन करके बाजार मनोविज्ञान को समझने के लिए प्रयास करता है। एक सार, लाभ और तकनीकी विश्लेषण की सीमाओं को समझता है, तो यह उसके लिए एक बेहतर व्यापारी बनने के लिए नए कौशल दे सकते हैं। जॉन मर्फी राज्यों के रूप में, "तकनीकी विश्लेषण अनुभव और अध्ययन के साथ बेहतर बनाता है .”
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अग्निपथ की तर्ज पर शुरू हो उद्यमपथ योजना
सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं में कमीशंड अधिकारियों के पद से नीचे के पदों पर युवा सैनिकों की भर्ती के लिए प्रारम्भ की गई अग्निपथ योजना चर्चा में है। नीति निर्धारकों को राज्य के स्वामित्व वाले निगमों में इस देश के तकनीकी रूप से शिक्षित युवाओं के लिए भी इसी तरह की रोजगारपरक संभावनाओं पर विचार करना चाहिए।
मिलिंद कुमार शर्मा
प्रोफेसर, एमबीएम विश्वविद्यालय, जोधपुर
सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं में कमीशंड अधिकारियों के पद से नीचे के पदों पर युवा सैनिकों की भर्ती के लिए प्रारम्भ की गई अग्निपथ योजना चर्चा में है। नीति निर्धारकों को राज्य के स्वामित्व वाले निगमों में इस देश के तकनीकी रूप से शिक्षित युवाओं के लिए भी इसी तरह की रोजगारपरक संभावनाओं पर विचार करना चाहिए। शीर्ष सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों के वार्षिक प्रतिवेदनों (वित्तीय वर्ष 2021-22 सहित) के विश्लेषण से सार्वजनिक क्षेत्र के कमोबेश अधिकांश उपक्रम विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों की कम संख्या की गंभीर समस्या से जूझते दिखाई देतेे हैं।
अखिल भारतीय उच्च जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण शिक्षा सर्वेक्षण 2019-20 के प्रतिवेदन के अनुसार वर्तमान में भारत में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली द्वारा मान्यता प्राप्त 3805 डिप्लोमा स्तर के तकनीकी संस्थान चल रहे हैं। गुजरात और छत्तीसगढ़ को जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण अपवादस्वरूप छोड़कर, सामान्यत: ये संस्थान राज्य तकनीकी शिक्षा निदेशालय द्वारा संचालित किए जाते हंै। गुजरात और छत्तीसगढ़ राज्यों में पॉलिटेक्निक संस्थान विश्वविद्यालयों से संबद्ध एवं संचालित होते हैं। इस प्रकार के स्टैंड-अलोन संस्थान मुख्य रूप से निजी क्षेत्र द्वारा चलाए जाते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित होते हैं। इसके अतिरिक्त, कौशल विकास मंत्रालय के प्रशिक्षण महानिदेशालय के माध्यम से 1 जनवरी, 2021 तक देश में कुल 14779 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं। साथ ही कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने राज्यों को सामान्य शिक्षा के साथ एकीकृत और समग्र रूप से कौशल शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कौशल विश्वविद्यालय खोलने के लिए भी प्रोत्साहित किया है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2022 जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण तक भारत में 30 करोड़ से अधिक लोगों को विभिन्न प्रकार के कौशल में प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने वर्ष 2015 में कौशल भारत अभियान भी शुरू किया था।
सरकार की ओर से किए गए विभिन्न प्रयासों के उपरांत भी, दिसंबर 2021 में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की ओर से जारी प्रतिवेदन के अनुसार भारत में रोजगार की तस्वीर निराशाजनक दिखाई पड़ती है। इसके अनुसार, बेरोजगारी की दर 7.91 प्रतिशत है। लगभग 5 करोड़ 30 लाख भारतीयों के बेरोजगार होने की सूचना है, जिसमें महिलाओं का भी बड़ा हिस्सा शामिल है। जनवरी 2022 के आंकड़े रोजगार योग्यता में 1.34 प्रतिशत का मामूली सुधार दर्शाते हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के आंकड़े भी देश में रोजगार की निराशाजनक ही तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। इसने वर्ष 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत बताई है, जो चार दशकों में सबसे अधिक है और वह भी वैश्विक महामारी के दौर से पहले। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कोविड महामारी ने देश भर में इस स्थिति को और भी भयावह कर दिया है। साथ ही यह चिंताजनक है कि श्रम बल सर्वेक्षण वर्ष 2019-20 के अनुसार शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में औपचारिक प्रशिक्षण में श्रम बल की भागीदारी में लगातार कमी बताई गई है। यहां यह कहना अनुचित नहीं होगा कि तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों एवं उद्योगों में वर्तमान बाजार मांग की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए परस्पर समुचित सामंजस्य का अभाव भी काफी सीमा तक इसके लिए जिम्मेदार है।
अत: यह आवश्यक एवं श्रेयस्कर होगा कि सरकार के स्वामित्व वाले निगमों में आज के तकनीकी रूप से प्रशिक्षित युवा शक्ति के लिए, अब सरकार उद्यमपथ योजना शुरू करे, जो अग्निपथ योजना के समकक्ष ही भारत में एक अल्पकालिक रोजगार योजना हो। यहां यह उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जो वर्तमान में कार्यबल की कमी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं, वे इस जनसांख्यिकीय लाभांश से तत्काल ही लाभान्वित होकर उच्च विकास पथ और आर्थिक समावेशन प्राप्त कर सकते हैं। अग्निपथ योजना के समान अपना अल्प कार्यकाल पूर्ण होने पर, विभिन्न धाराओं एवं विषयों में अनुभवी और प्रशिक्षित जनशक्ति उद्यमवीर के रूप में निश्चित रूप से या तो निजी उद्यमों में (विशेषत: सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों) समाहित होने या अपने स्वयं के स्वतंत्र व्यवसाय चलाने में सक्षम होगी। स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टैंडअप इंडिया आदि योजनाएं भी इस प्रकार से प्रशिक्षित उद्यमवीर युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण में सहायक होगी। इसके अतिरिक्त सरकार भी विभिन्न ग्रामीण और महिला केंद्रित अभियानों और अन्य कदमों के माध्यम से ग्रामीण भारत में युवाओं को स्वरोजगार की दिशा में संलग्न करने के लिए सक्रिय रूप से प्रतिबद्ध है। अत: देश भर में विशेषत: औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) और डिप्लोमा स्तर के तकनीकी संस्थानों से निकले अनेकोनेक छात्र-छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए यह योजना मील का पत्थर सिद्ध हो सकती है। इसलिए इस तरह की योजना पर गंभीरता से विचार जरूर किया जाना चाहिए।
58 फीसदी स्टार्ट-अप देश के सिर्फ पांच राज्यों तक ही सीमित, महाराष्ट्र टॉप पर
नई दिल्ली। सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त करीब 58 फीसदी स्टार्ट-अप देश के सिर्फ पांच राज्यों तक ही सीमित हैं। सरकार ने 30 नवंबर 2022 तक कुल 84,012 स्टार्ट-अप को मान्यता दी है। हालांकि, लेटेस्ट सरकारी आंकड़ों से मालूम हुआ है कि कुल सरकारी मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप में से लगभग 60 प्रतिशत महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात और उत्तर प्रदेश में हैं। महाराष्ट्र 15,571 सरकारी मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप के साथ टॉप पर है। वहीं कर्नाटक में 9,904, दिल्ली में 9,588, उत्तर प्रदेश में 7,719 और गुजरात में 5,877 मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप हैं। सरकार ने देश में इनोवेशन और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के मकसद से 16 जनवरी 2016 को स्टार्ट-अप इंडिया पहल शुरू की थी।
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