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Share Market Guide शेयर बाजार

शेयर मार्केट गाइड स्टॉक मार्केट कोर्स एक ऐप है जिसे स्टॉक मार्केट की मूल बातें और शेयर मार्केट टिप्स के बारे में सामान्य जानकारी देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक ऑनलाइन/ऑफलाइन ऐप है जो आपको भारतीय शेयर बाजार और हिंदी में शेयर बाजार पाठ्यक्रम 2023 के बारे में संक्षिप्त विवरण देता है। सलाह।
इस एप में आपको शेयर बाजार से संबंधित जानकारी जैसे - शेयर बाजार क्या है शेयर बाजार में निवेश कैसे करें शेयर बाजार में निवेश के तरीके और शेयर बाजार में करियर एस आईपी म्यूचुअल फंड सेविंग टिप्स के फायदे शेयर बाजार टिप्स शेयर बाजार गाइड शेयर बाजार पाठ्यक्रम बीमा या आश्वासन की सूचना दी गई है।

डेटा की सुरक्षा

आपके डेटा की सुरक्षा, इस बात पर निर्भर करती है कि डेवलपर, डेटा को कैसे इकट्ठा और शेयर करते हैं. डेटा को निजी और सुरक्षित रखने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं. ये आपकी जगह, उम्र, और ऐप्लिकेशन के इस्तेमाल के हिसाब से तय किए जाते हैं. यह जानकारी डेवलपर उपलब्ध कराता है और समय-समय पर इस जानकारी को अपडेट भी किया जा सकता है.

Investment Tips: अमीर बनने के लिए यहां करना होता है निवेश, बेहतरीन रिटर्न के साथ टैक्स में मिलती है छूट!

अगर आप भी अपनी मेहनत की कमाई को निवेश कर बेहतर रिटर्न पाने के लिए प्लानिंग कर रहे हैं तो ये खबर आप ही के लिए है. आज हम आपको 7 ऐसे तरीके बताएंगे जहां आप लॉन्ग या शॉर्ट टर्म के लिए इनवेस्ट कर सकते हैं.

  • आम आदमी भी यहां इन्वेस्ट कर बेहतर रिटर्न पा सकते हैं
  • गोल्ड और पोस्ट ऑफिस में निवेश है रिस्क फ्री
  • म्यूचुअल फंड या शेयर में निवेश से रातोंरात बन सकते हैं लखपति

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Investment Tips: अमीर बनने के लिए यहां करना होता है निवेश, बेहतरीन रिटर्न के साथ टैक्स में मिलती है छूट!

नई दिल्ली: अगर आप भी अपने पैसों को अलग-अलग जगह इन्वेस्ट कर जल्दी अमीर बनने का सपना देख रहे हैं तो ये खबर आप ही के लिए है. आज हम आपको उन तरीकों के बारे में बताएंगे जहां निवेश करने से आपका अमीर बनने का सपना पूरा हो जाएगा. इससे न सिर्फ आपको बेहतर रिटर्न मिलेगा बल्कि टैक्स भी छूट मिलेगी. चलिए जानते हैं क्या हैं वो तरीके.

म्यूचुअल फंड में निवेश

SBI Mutual Fund देश की सबसे बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनी है. ये करीब 100 से ज्यादा म्चूचुअल फंड स्कीमें चलाती है. इन दिनों लोग बड़ी तादाद में म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में एंट्री कर रहे हैं. इसके जरिए आप सिर्फ शेयर बाजार में ही नहीं, बल्कि डेट, गोल्ड और कमोडिटी में भी पैसे लगाए जा सकते हैं. अगर आपको पांच, सात या दस साल या इससे भी ज्यादा समय के लिए निवेश करना है, तो उसके लिए दूसरे म्यूचुअल फंड होंगे. अगर आप छोटी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आप डेट फंड या लिक्विड फंड चुन सकते हैं. लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड सही रहेंगे.

Gold में भी करें इन्वेस्टमेंट

भारत में निवेश के लिए सोना (Gold) एक भरोसेमंद विकल्प होता है. सालों से लोग अपनी बचत को सोने में निवेश करते हैं. सोने में निवेश करने वाले पेपर गोल्ड, गोल्ड ETF, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड और डिजिटल गोल्ड को बेहतर विकल्प के तौर पर चुन रहे हैं. इन माध्यमों से सोने में निवेश करने पर सोने को खरीदना और बेचना आसान होता है. वहीं आपको सोने की निवेश के लिए कैसे करें सही शेयर का चुनाव सुरक्षा की भी चिंता नहीं होती है. आपको निवेश पर बेहतर रिटर्न भी मिलता है.

पोस्ट आफिस मंथली इनकम स्कीम

पोस्ट आफिस मंथली इनकम स्कीम (POMIS) आम आदमी के लिए निवेश का बेहतर विकल्प है. इससे मंथली कमाई का मौका मिलता है. साथ ही रिटर्न की गारंटी होती है, और तय ब्याज के हिसाब से आपका पैसा बढ़ता है. जानकारी के अनुसार, इसमें 6.6 फीसदी सालाना के हिसाब से ब्याज मिल रहा है. अगर आप इस योजना में निवेश करना चाहते हैं तो 1500 से 4.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं. वहीं अगर आप ज्वॉइंट अकाउंट के तहत निवेश की योजना बना रहे हैं तो इसकी लिमिट 9 लाख रुपये है.

नेशनल पेंशन सिस्टम

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) मैनेज करती है. यह रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए बेहतर विकल्प है, जिसमें निवेश के जरिए आप अपनी मंथली पेंशन का इंतजाम कर सकते हैं. इसके साथ ही एकमुश्त फंड भी मिलता है. यहां आपके निवेश को एफडी, इक्विटी, कॉरपोरेट बांड, गवर्नमेंट फंड और लिक्विड फंड में लगाया जाता है. इसमें किए गए निवेश से इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स छूट का लाभ भी ले सकते हैं.

पब्लिक प्रोविडेंट फंड

पब्लिक प्रोविडें फंड (PPF) एक लंबी अवधि का निवेश है. भारत में इसे इन्वेस्टमेंट का सबसे लोकप्रिय साधन माना जाता है. आप अपने नजदीकी बैंक या डाकघर में जाकर PPF अकाउंट खुलवा सकते हैं. इसमें मेच्योरिटी पीरियड 15 साल का होता है. यह अकाउंट 500 रुपये से खोला जा सकता है और इसमें एक फाइनेंशियल ईयर में अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा किया जा सकता है. इसे आगे भी 5-5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. PPF अकाउंट पर अभी 7.9 फीसदी सालाना के हिसाब से ब्याज मिल रहा है. खास बात है कि PPF 100 परसेंट डेट इंस्ट्रमेंट है, यानी इसका पूरा पैसा बॉन्ड्स वगैरह में लगता है. इसलिए ये पूरी तरह से सेफ है.

फिक्सड डिपॉजिट

बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) भारत में निवेश का बेहद लोकप्रिय माध्यम है. क्योंकि इसमें आपको अच्छा रिटर्न तो मिलता ही है साथ ही टैक्स की बचत भी होती है. एफडी अकाउंट किसी निवेश के लिए कैसे करें सही शेयर का चुनाव भी बैंक या डाकघर में खुलवाया जा सकता है. इसमें 7 दिन से 10 साल तक निवेश का विकल्प होता है. इसमें एक तय ब्याज पर आपका पैसा जमा हो जाता है. इसे लो रिस्क इन्वेस्टमेंट कटेगिरी में रखा गया है, जहां रिस्क बेहद कम होता है. ज्यादातर बैंक 5 साल की एफडी पर 6-8 प्रतिशत के बीच ब्याज दे रहे हैं. इतना ही नहीं, PPF खाते में पैसा कब जमा करना है इसकी कोई तय तारीख नहीं है. आप मासिक, तिमाही, छमाही और सालाना तौर पर PPF में पैसा जमा कर सकते हैं.

शेयरों में करें इन्वेस्ट

शेयर बाजार इन दिनों गुलजार है. मार्केट की मदमस्त चाल से निवेशक मालामाल हो रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो यह आपके लिए एंट्री का अच्छा मौका है. हालांकि शेयरों में सीधे निवेश करना आसान नहीं है. सिर्फ ऑनलाइन निवेशक खुद ट्रेडिंग कर सकते हैं. जबकि, ऑफलाइन में ब्रोकर की सेवाएं लेनी पड़ेंगी. डिस्काउंट ब्रोकर आपके आदेशानुसार सिर्फ शेयरों की खरीद-फरोख्त करते हैं. इसमें रिटर्न की कोई गारंटी भी नहीं है. सही शेयरों का चुनाव मुश्किल काम है. इसके साथ ही शेयर की सही समय पर खरीदारी और सटीक वक्त पर निकलना महत्वपूर्ण है.

कैसे करें फ्यूचर की तैयारी?

आप mutualfundssahihai.com/en पर उपलब्ध SIP कैलकुलेटरऔर लक्ष्य SIP कैलकुलेटर का उपयोग कर सकतें हैं

Published: December 24, 2022 11:50 AM IST


अपने फ्यूचर की तैयारी के लिए, म्यूचुअल फंड मेंनिवेश करना एक अच्छा विकल्प है! Systematic Investment Plan यानी SIP के जरिए Mutual Funds में इन्वेस्ट करने से आप चक्रवृद्धि ब्याज़ का लाभ उठा सकते हैं.

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नेताओं का दल-बदल और लगातार होती हार, पूर्वोत्तर में कैसे होगी कांग्रेस की नैया पार

हिन्दुस्तान लोगो

हिन्दुस्तान 2 घंटे पहले लाइव हिन्दुस्तान

कभी पूर्वोत्तर की सबसे बड़ी ताकत रही कांग्रेस अब राजनीतिक तस्वीर में बने रहने के लिए भी संघर्ष करती नजर आ रही है। खास बात है कि साल 2023 में मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में भी चुनाव होने हैं। इन तीनों ही राज्यों में लगातार चुनावी हार और नेताओं के दल बदल से कांग्रेस की हालत नाजुक है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी एक राज्य में सरकार चला रही है। जबकि, दो अन्य जगहों पर सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है।

हाल ही में कांग्रेस को गुजरात में भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश से पार्टी के लिए अच्छी खबर आई। एक ओर जहां गुजरात में कांग्रेस की सीटों की संख्या 77 से गिरकर 17 पर आ गई थी। जबकि, हिमाचल में पार्टी ने 40 सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी।

मेघालय

साल 2018 में 60 में से 21 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस सरकार बनाने में असफल रही थी। पार्टी के हालात इतने बिगड़े की बीते पांच सालों में अधिकांश नेता साथ छोड़कर तृणमूल कांग्रेस या नेशनल पीपुल्स पार्टी में शामिल हो गए हैं। दल बदल की शुरुआत मार्टिन एम दांगू से हुई थी। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल सांगमा 11 और विधायकों के साथ टीएमसी में शामिल हो गए। इसके अलावा तीन विधायकों क्लीमेंट मारक, डेविड नोंगरम और आजाद जमन के निधन से भी पार्टी को झक्का लगा। इसी बीच कांग्रेस ने एम अमपरीन लिंगडोह और उनके चार साथियों को एनपीपी का समर्थन करने के चलते बाहर का रास्ता दिखा दिया।

नगालैंड

60 सीटों वाली नगालैंड विधानसभा में कांग्रेस का कोई विधायक नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख के थीरी कह रहे हैं कि पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन जानकार दल की संभावनाओं पर आशंकाएं जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है, 'पार्टी में प्रभावशाली नेताओं की कमी है।' साल 2018 में कांग्रेस ने 18 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई भी नहीं जीता। प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि निष्पक्ष चुनाव में हार और शर्मिंदगी से ज्यादा बुरा पार्टी के टिकट पर जीतने के बाद विधायकों का छोड़कर जाना है।

त्रिपुरा

साल 2018 में यहां कांग्रेस 59 में से एक भी सीट जीतने में असफल रही थी। इस साल फरवरी में पार्टी को भाजपा के दो विधायक सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा के आने से बल मिला है। कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं की पार्टी में वापसी से कांग्रेस के युवा नेताओं में उत्साह है, लेकिन जानकारों का मानना है कि फिलहाल पार्टी मौजूदा सरकार अपने बल पर उखाड़ फेंक नहीं सकती। साल 2013 में 45.75 फीसदी वोट हासिल करने वाली कांग्रेस 2018 में 1.86 प्रतिशत पर आ गई थी। इतना ही नहीं 2019 में भी पार्टी एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी थी।

रवीश कुमार को प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने ही बुरी तरह से एक्सपोज कर दिया

इस्तीफा देने के बाद रवीश कुमार निरंतर यह कहते घूम रहे हैं कि उन्हें चुप कराने के लिए गौतम अडानी ने NDTV को खरीदा। अब NDTV के पूर्व मालिक प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने ही रवीश को एक्सपोज कर दिया।

रवीश कुमार

“मुझे बेरोजगार करने के लिए हजारों करोड़ खर्च किए गए, इतने में हजारों लोगों को नौकरियां मिल सकती थीं। जितना पैसा लगाकर मुझे बेरोजगार किया गया है। मेरे पेट पर लात मारी है आपने, ये बड़ी अग्रेंजी फर्जी, दो नंबरी बिजनेस दुनिया का, तीन नंबरी बिजनेस ये भाषा मेरे सामने मत लगाइये आपने ये ठीक नहीं किया है।”- ये कथन सबसे ईमानदार, निष्पक्ष और जीरो टीआरपी एंकर रवीश कुमार के हैं। NDTV से इस्तीफा देने के बाद रवीश निवेश के लिए कैसे करें सही शेयर का चुनाव जगह-जगह जाकर इन बातों का प्रचार करने में लगे हैं जैसे दुनिया के तीसरे सबसे बड़े अरबपति गौतम अडानी ने केवल इसीलिए NDTV को खरीदा जिससे उनको बेरोजगार कर सकें। रवीश स्वयं भी इस भ्रम में हैं और उन्हें देखने वाले तीन दर्शकों को भी भ्रम में डाले हुए हैं। निवेश के लिए कैसे करें सही शेयर का चुनाव लेकिन अब ये भ्रम पूरी तरह दूर हो गया है और रवीश कुमार एक्सपोज भी हो चुके हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे रवीश कुमार के पूर्व मालिक रॉय दंपत्ति ने ही उनके झूठे प्रचार की पोल खोलकर रख दी।

यह एक व्यापारिक सौदा था

दरअसल, असल बात तो ये है कि NDTV के बिकने में रवीश का कोई रोल था ही नहीं। रवीश तो बिना बात के NDTV की व्यापारिक डील को खुद पर लिए जा रहे थे और अपने आप को पीड़ित दिखाकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहे हैं। जी हां, सही सुना आपने ये पूरी की पूरी व्यापारिक सौदेबाजी थी। नफा और नुकसान वाला खेल था, जिसके खिलाड़ी रॉय दंपत्ति और व्यापारी गौतम अडानी थे। अब ये खेल समाप्ति की ओर है क्योंकि अब रॉय दंपत्ति अडानी को NDTV का सबसे बड़ा शेयर होल्डर बनाने जा रहे हैं, जिसके लिए अडानी ने मोटी रकम खर्च की है लेकिन ये रकम रवीश कुमार के लिए नहीं की गई, बल्कि ये एक व्यापारिक निवेश है।

रॉय दंपत्ति अब अपने शेयर भी बेचेंगे

दरअसल, NDTV के संस्थापकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने कंपनी में अपने अधिकांश शेयर गौतम अडानी को ट्रांसफर करने का फैसला किया है। जिसके बाद NDTV में अडानी ग्रुप की हिस्सेदारी बढ़कर 64.72% हो जाएगी जो अभी 37.45% है और गौतम अडानी NDTV के सबसे बड़े मालिक बन जाएंगे।

NDTV को बेचने को लेकर रॉय दंपत्ति ने कहा है कि आपसी समझौते से हमने NDTV में अपने अधिकांश शेयरों को AMG मीडिया नेटवर्क को बेचने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि ओपन ऑफर लॉन्च होने के बाद से गौतम अडानी के साथ उनकी चर्चा सकारात्मक रही है। लेकिन नकारात्मकता फैलाने में निवेश के लिए कैसे करें सही शेयर का चुनाव प्रचलित रवीश कहां बाज आने वाले हैं उन्होंने तो इस व्यापारिक सौदे में नकारात्मकता फैलाने में कोई कसर ही नहीं छोड़ी।वहीं पूर्व पत्रकार और अभी मोजो नामक एक डिजिटल प्लेफॉर्म चलाने वाली बरख्ता दत्त ने भी कहा है कि ये NDTV अडानी सौदा पारस्परिक, मित्रवत था। ये सौदा बैरपूर्ण नहीं था।

इधर रवीश कुमार और उसके तीन दर्शकों ने रवीश को विक्टिम दिखाने की कोशिश में पूरा सोशल मीडिया भर दिया। उधर एनडीटीवी के मालिक रॉय दंपत्ति ने अडानी के साथ सौदेबाजी करके करोड़ों कमा लिए। दर-दर जाकर गोदी सेठ और गोदी मीडिया कहकर लोगों को रवीश कुमार कोसते रहे, लेकिन रवीश को असल में कोसना रॉय दंपत्ति को चाहिए था, जिन्होंने एनडीटीवी को बेचकर मोटी रकम लेने का निर्णय किया।

NDTV में अडानी की होगी 65 प्रतिशत हिस्सेदारी

अगर NDTV के बिकने की कहानी की बात करें तो ये कथा साल 2009-2010 से शुरू होती है जब प्रणय रॉय के स्वामित्व वाली RRPR होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड को VCPL नामक कंपनी ने 403.85 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज दिया था। जिसके बदले में VCPL को रॉय दंपत्ति ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को 99.9 फीसदी बदल देने का अधिकार दिया था। इसके बाद इस पूरे खेल में गौतम अडानी की एंट्री होती है और अडानी समूह की सहायक कंपनी AMG मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड VCPL को 113.75 करोड़ रुपये में खरीद लेती है। अडानी की कंपनी ने अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए RRPR पर 99.50 फीसदी की हिस्सेदारी हासिल कर ली। अब NDTV में रॉय दंपत्ति की 32.36% हिस्सेदारी बच गई थीं, जिसमें से भी लगभग 27.26% अडानी ग्रुप को बेचने जा रहे हैं। जहां अब NDTV में रॉय दंपत्ति की हिस्सेदारी केवल 5 प्रतिशत बचेगी और अडानी ग्रुप की हिस्सेदारी 37.45% बढ़कर 64.72% हो जाएगी।

इस पूरी सौदेबाजी से साबित होता है कि ये अडानी और रॉय दंपत्ति के बीच का व्यापारिक मामला था। जिसको लेकर रवीश कुमार ने खूब नकारत्मकता फैलाई। लेकिन अंत ने उनके पूर्व मालिक ने ही उन्हें झूठा साबित कर दिया है। अडानी ने हजारों करोड़ का खर्चा रवीश को निकालने के लिए नहीं बल्कि एक सफल व्यापार करने लिए किया है।

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