न्यू फंड ऑफर यानी NFO में निवेश से पहले इन्हेें ठीक से परख लें.

International Funds Taxation: इंटरनेशनल फंड में कैसे कर सकते है निवेश, देखें क्या है फायदे और नुकसान

International Funds ऐसे म्यूचुअल फंड हैं. जिससे एक देश में रहने वाले निवेशक दूसरे देशों की कंपनियों में पैसे लगा सकते हैं.

By: ABP Live | Updated at : 09 Sep 2022 08:55 PM (IST)

Edited By: Sandeep

Why Invest in International Funds : देश में निवेशकों का ध्यान अब इंटरनेशनल फंड (International Funds) की ओर जा रहा है. क्या इंटरेशनल फंड अपने निवेशकों को बढ़िया रिटर्न दे रहा हैं. क्या इनमें निवेश घरेलू फंड जितना ही आसान है या नहीं? आखिर इन फंड्स में निवेश के क्या फायदे हैं. क्या आपको इस फंड में निवेश करना चाहिए या नहीं?

क्या है इंटरनेशनल फंड
आपको बता दे कि इंटरनेशनल फंड (International Funds) ऐसे म्यूचुअल फंड हैं. जिससे एक देश में रहने वाले निवेशक दूसरे देशों की कंपनियों में पैसे लगा सकते हैं. भारत में रहने वाला एक निवेशक इंटरनेशनल फंड के जरिए अमेरिका या ब्रिटेन की किसी कंपनी के शेयर्स में निवेश कर सकता है. डॉलर के मुकाबले रुपये में होने वाली गिरावट का इंटरनेशनल फंड पर असर नहीं होता है.

ये है अच्छा विकल्प
अगर आप इन्वेस्टर्स के तौर पर अपने पोर्टफोलियो को बढ़ाना चाहते हैं. तो इंटरनेशनल फंड आप के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है. इससे आपको न सिर्फ इंटनेशनल मार्किट में एक्सपोजर का मौका मिलेगा, बल्कि इससे आपको अच्छा रिटर्न भी मिलेगा.

बढ़े निवेशक
बताया जा रहा है कि पिछले कुछ सालों में कम निवेश जोखिम और अच्छे रिटर्न के चलते इंटरनेशनल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों की संख्या में खासा मुनाफा देखने को मिला है. टॉन्ग टर्म अवधि में निवेश करना हमेशा से ही अच्छा विकल्प माना जाता रहा है. लंबी अवधि के लिए किये निवेश में शॉर्ट टर्म निवेश के मुकाबले काफी कम जोखिम होता है.

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क्या है राय
बैंक बाजार.कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि, निवेशकों को निवेश से पहले थोड़ा बड़ा सोचना चाहिए. डोमेस्टिक मार्केट के अलावा इंटरनेशनल फंड्स में निवेश के विकल्प पर भी विचार किया जा सकता है. हालांकि अधिकतर भारतीय निवेश के लिए डोमेस्टिक मार्केट में इंवेस्टमेंट करना ही ज्यादा पसंद करते हैं.

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Published at : 09 Sep 2022 08:55 PM (IST) Tags: Mutual Funds SIP Investments investment tips Debt funds International funds Investment Portfolio Investment Goals हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

इन 7 वजहों से आपको शेयरों में जरूर निवेश करना चाहिए

एक साल से दो साल की अवधि में आपके सालाना 15 फीसदी या ज्यादा रिटर्न हासिल करने की संभावना सिर्फ 50 फीसदी रहती है। सात साल के लिए निवेश करने पर यह संभावना बढ़कर 66 फीसदी हो जाती है। 15 साल की अवधि में यह बढ़कर 70 फीसदी हो जाती है

आप स्टॉक मार्केट के रिटर्न का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इंडियन इक्विटी मार्केट ने शुरुआत से अब तक सालाना करीब 16 फीसदी का कंपाउंडेड एवरेज रिटर्न दिया है।

कहा जाता है कि शेयरों का रिटर्न लंबी अवधि में दूसरे एसेट्स के मुकाबले ज्यादा होता है। लेकिन, हममें से कई लोग एक बड़ा सवाल पूछना भूल जाते हैं। यह सवाल है-पिछले सालों में शेयरों का जैसा रिटर्न रहा है क्या भविष्य में भी वैसा ही रहेगा?

इस सवाल का जवाब बहुत इंटरेस्टिंग है। इसकी वजह यह है कि यह जवाब आपको एक बेहतर इनवेस्टर बनने में मदद करेगा। फिर आप लंबी अवधि में शेयरों में निवेश से अच्छी संपत्ति बना सकेंगे। जब हम शेयर बाजार की बात करते हैं तो हम ऐसे बाजार की बात करते हैं, जिसमें छोटे-बड़े हर तरह के स्टॉक शामिल होते हैं।

ऊपर के सवाल का जवाब इन 7 चीजों में शामिल हैं:

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Inflation

जब कीमतें बढ़ रही होती हैं तब कंपनियों का प्रॉफिट और रेवेन्यू अच्छा रहता है। प्रॉफिट और रेवेन्यू बढ़ने पर कंपनी के शेयरों की कीमतें भी बढ़ती हैं। शेयरों की कीमतों में उछाल से इनफ्लेशन की वजह से करेंसी की वैल्यू में आई गिरावट की भरपाई हो जाती है।

Population Growth

आबादी बढ़ने के साथ कंपनियों के लिए अपने प्रोडक्ट्स के लिए बाजार भी बढ़ता है। जो कंपनियां आबादी के बड़े हिस्से के लिए प्रोडक्ट्स बनाती हैं, उनकी वैल्यूएशन समय के साथ बढ़ती रहती है।

Technology

आबादी बढ़ने के साथ ही मेधावी और इनवेंशन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती है। इनोवेशन और टेक्नोलॉजी हमारी तरक्की की रफ्तार तेज कर देती है। इसका फायदा उन कंपनियों को मिलता है, जो इस मौके का फायदा उठाने के लिए तैयार होती हैं।

Natural Selection

स्टॉक मार्केट के इंडेक्स में सबसे अच्छी कंपनियां शामिल होती हैं। अगर एक कंपनी बेहतर प्रदर्शन करने में नाकाम रहती है तो उसकी जगह दूसरी कंपनी ले लेती है। इस तरह इनवेस्टर्स के सामने निवेश के लिए अच्छी कंपनियों का विकल्प मौजूद रहता है।

Risk pays in long term

छोटी अवधि में रिस्क लेने से आपको लॉस हो सकता है। लेकिन, लंबी अवधि में रिस्क का फायदा ज्यादा रिटर्न के रूप में मिलता है। रिस्क के बदले आपको प्रीमियम मिलता है, जिसे रिस्क प्रीमियम कहा जाता है। जब आप शेयर बाजार में यह रिस्क लेते हैं तो आपको इसका इनाम ज्यादा रिटर्न के रूप में मिलता है।

RBI Policy

जब महंगाई तेजी से बढ़ती है तो RBI इंटरेस्ट रेट बढ़ाता है। इससे लोग कम खर्च करते हैं। दूसरी तरह जब इकोनॉमी लड़खड़ा रही होती है और लोग खर्च नहीं करते हैं तो केंद्रीय बैंक आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए इंटरेस्ट रेट घटाता है। इससे सेविंग्स अकाउंट में रखे आपके पैसे पर मिलने वाला इंटरेस्ट घट जाता है। फिर, लोग शेयरों जैसे रिस्की एसेट्स में पैसे लगाते हैं।

Markets Bounce back after downturn

शेयर बाजार में बिकवाली और गिरावट जैसी चीजें हमेशा जारी नहीं रहती हैं। इसकी कई वजहे हैं। सरकार हालात बेहतर करने के लिए कई कदम उठाती हैं। जब-जब मार्केट में बड़ी समस्या आती है सरकार और RBI मिलकर कोशिश करते हैं। फिर, हालात बदलने लगते हैं। कंपनियों का प्रदर्शन सुधरने लगता है। इससे शेयरों की कीमतें चढ़ने लगती हैं।

आप स्टॉक मार्केट के रिटर्न का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इंडियन इक्विटी मार्केट ने शुरुआत से अब तक सालाना करीब 16 फीसदी का कंपाउंडेड एवरेज रिटर्न दिया है। सेंसेक्स का पिछले 33 साल का डेटा बताता है कि शेयर बाजार में आप जब भी इनवेस्ट करें आपको 15 फीसदी रिटर्न मिलने की संभावना हमेशा रहती है।

एक साल से दो साल की अवधि में आपके सालाना 15 फीसदी या ज्यादा रिटर्न हासिल करने की संभावना सिर्फ 50 फीसदी रहती है। सात साल के लिए निवेश करने पर यह संभावना बढ़कर 66 फीसदी हो जाती है। 15 साल की अवधि में यह बढ़कर 70 फीसदी हो जाती है।

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First Published: Oct 11, 2022 5:55 PM

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Mutual Fund: 12 साल में 12% ब्याज पर रिटायरमेंट के लिए, 5 करोड़ रुपये; क्या आपको निवेश करना चाहिए?

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। म्यूचुअल फंड कैलकुलेटर दिखाता है कि म्यूचुअल फंड निवेश में चक्रवृद्धि की शक्ति धीरे-धीरे अपना असर दिखाना शुरू कर देती है लेकिन समय बीतने के साथ यह सुपर स्पीड हासिल करता है, आश्चर्यजनक त्वरित समय में आपके धन को गुणा करता है। हालांकि कुछ जोखिम और सैकड़ों म्यूचुअल फंड निवेश विकल्प हैं, यदि आप एक विजेता फंड की पहचान करने का प्रबंधन करते हैं तो आप सभी वित्तीय लक्ष्यों तक तेजी से पहुंच सकते हैं। यह स्वयं के शोध और पेशेवर सलाह की मदद से संभव है।

अब मान लीजिए आपने पहले से ही एक अच्छे फंड की पहचान कर ली है जो 12% वार्षिक रिटर्न दे सकता है और आप सेवानिवृत्ति के लिए करोड़ों रुपये जमा करना चाहते हैं। इस सेवानिवृत्ति लक्ष्य तक पहुंचने में कितना समय लगेगा?

जबकि बैंक सावधि जमा जैसे सामान्य निवेशों में 1 करोड़ रुपये तक पहुंचने में उम्र या बहुत बड़ा प्रारंभिक निवेश हो सकता है, म्यूचुअल फंड आपको 25 साल से कम समय में 5 करोड़ रुपये तक प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं, बशर्ते आप रुपये का निवेश करने के लिए तैयार हों। 30,000 प्रति माह एसआईपी के रूप में और फंड से वार्षिक रिटर्न 12% है। दिलचस्प बात यह है कि 1 रुपये से 5 करोड़ रुपये तक के सफर में सिर्फ 12 साल लगेंगे। आप चक्रवृद्धि ब्याज गणना का उपयोग करके स्वयं गणना कर सकते हैं।

12% वार्षिक ब्याज और 30,000 रुपये/महीने के एसआईपी पर, आपको पहले करोड़ तक पहुंचने में लगभग 12 साल लगेंगे। 1 रुपये से 2 करोड़ रुपये तक की यात्रा में और 5 साल लगेंगे, और उसके बाद आपकी म्यूचुअल फंड आय चक्रवृद्धि की शक्ति के साथ टर्बोचार्ज हो जाएगी। 3 करोड़ तक पहुंचने में आपको सिर्फ 3 साल लगेंगे जबकि 3 करोड़ रुपये से 4 करोड़ रुपये तक का सफर सिर्फ 2 साल 3 महीने में खत्म हो जाएगा। इसके बाद एक बड़ा आश्चर्य होगा क्योंकि आप 2 साल से भी कम समय में 5 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएंगे।

म्यूचुअल फंड को शेयरों की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है क्योंकि वे आपको एकल फंड के माध्यम से कई कंपनियों या शेयरों में निवेश में विविधता लाने की अनुमति देते हैं।

"उचित समझ के साथ, म्यूचुअल फंड किसी भी समय सबसे सुरक्षित निवेश रणनीति है। उच्च मुद्रास्फीति और भालू बाजार के बीच भी, म्यूचुअल फंड में निवेश करना सुरक्षित है क्योंकि निवेश लंबी अवधि के लिए हैं और अल्पकालिक उतार-चढ़ाव निवेशकों क्या अब आपको करना चाहिए निवेश? के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए, "रचित चावला, सीईओ फिनवे एफएससी कहते हैं।

"हालांकि मुद्रास्फीति उन लोगों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है जिनके पास बैंक खाते में पैसा है, यह उन क्या अब आपको करना चाहिए निवेश? लोगों को प्रभावित नहीं करेगा जिन्होंने लंबे समय तक स्मार्ट निवेश किया है। हालांकि उच्च मुद्रास्फीति के परिणामस्वरूप अल्पावधि में उच्च बाजार अस्थिरता हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि में नए अवसरों को खोलना निश्चित है; यही वह जगह है जहां म्यूचुअल फंड निवेश लाभदायक हो जाता है, "उन्होंने आगे कहा।

"धन सृजन के लिए निवेश विकल्प के रूप में म्यूचुअल फंड कंपाउंडिंग, रुपये की औसत लागत, आसान तरलता, पेशेवर प्रबंधन, विविधीकरण, विविधता, सुविधा के साथ-साथ सख्त सरकारी नियमों और पूर्ण प्रकटीकरण के साथ हो सकते हैं और विशेषज्ञों द्वारा अपेक्षाकृत कम राशि की आवश्यकता होती है। एक निवेश शुरू करें, "पाल्का अरोड़ा चोपड़ा, मास्टरट्रस्ट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कहते हैं।

"मौजूदा परिदृश्य में जब केंद्रीय बैंक अपनी बैलेंस शीट को निचोड़ रहे हैं और बढ़ती मुद्रास्फीति और उच्च कमोडिटी की कीमतों के कारण दरें बढ़ा रहे हैं, निवेशकों को अपनी व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) को चालू रखना चाहिए और यदि बाजार में गिरावट जारी रहती है, तो मूल्यांकन ऐतिहासिक से नीचे गिर जाता है। औसत, उन्हें धीरे-धीरे अपने इक्विटी आवंटन को नियंत्रित तरीके से बढ़ाना चाहिए, "वह आगे कहती हैं।

चोपड़ा का सुझाव है कि एक निवेशक जो इक्विटी में कम निवेश करता है, उसे मौजूदा बाजार सुधार का लाभ उठाना चाहिए और अधिक इक्विटी को शामिल करने के लिए अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करना शुरू करना चाहिए।

NFO क्या है? क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए, जानें क्या है सही स्ट्रैटजी

NFO को बहुत सारे निवेशक IPO जैसा ही समझते हैं. उन्हें लगता है कि जिस तरह शेयरों की डिमांड बढ़ने पर फायदा होता है, वैसा ही फंड में भी होगा. लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है.

NFO क्या है? क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए, जानें क्या है सही स्ट्रैटजी

न्यू फंड ऑफर यानी NFO में निवेश से पहले इन्हेें ठीक से परख लें.

एनएफओ (NFO) यानी न्यू फंड ऑफर. जब भी कोई म्यूचुअल फंड कंपनी एनएफओ लॉन्च करती है तो इसका जबरदस्त प्रचार किया जाता है. चैनलों और अखबारों में फंड मैनेजरों के इंटरव्यू आते हैं, जिनमें न्यू फंड की निवेश स्ट्रैटजी बताई जाती है. इसकी खूबियां गिनाई जाती हैं. ऐसा माहौल बनाया जाता है कि म्यूचुअल फंड ग्राहकों ने इसमें पैसा लगाया तो जबरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन क्या यह सच है? क्या एनएफओ में फंड निवेशकों को निवेश करना चाहिए?

इस सवाल से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर न्यू फंड ऑफर यानी NFO क्या अब आपको करना चाहिए निवेश? है क्या? दरअसल, जब भी कोई एसेट मैनेजमेंट कंपनी ( AMC) कोई नया फंड लॉन्च करती है तो यह सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही खुला होता है. फंड पोर्टफोलियो के लिए शेयर खरीदना इसका मकसद होता है और इसलिए इसके जरिये पैसा जुटाया जाता है. एक तरह से एक नए फंड की शुरुआत करने के लिए पैसा जुटाया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को न्यू फंड ऑफर कहा जाता है.

कई मायनों में यह आईपीओ जैसा लगता है लेकिन यह वैसा नहीं होता. मौजूदा नियमों के मुताबिक भारत में एनएफओ की अवधि 3 से 15 दिनों तक होती है. अगर फंड ओपन एंडेड है तो इसके कुछ दिनों बाद इसमें निवेश शुरू हो जाता है. अगर क्लोज एंडेड है तो निवेशक एनएफओ पीरियड के दौरान इसे सब्सक्राइव कर सकता है लेकिन उसे इस दौरान होल्ड किए रखना होगा. अब सवाल यह है कि आपको एनएफओ में निवेश करना चाहिए या नहीं. ज्यादातर एक्सपर्ट्स आम म्यूचुअल फंड निवेशकों को इसमें निवेश करने की सलाह नहीं देते हैं. आखिर क्यों? इसकी कुछ वजहें इस तरह हैं-

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कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं

चूंकि यह फंड नया होता है इसलिए इसका कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होता है, जिसे देख कर हम निवेश का फैसला कर सकें. इसलिए ज्यादातर निवेशक फंड हाउस के पिछले प्रदर्शन को देख कर इसके एनएफओ में निवेश करते हैं. लेकिन यह सही रणनीति नहीं है. क्योंकि नई निवेश रणनीति के सामने नई चुनौतियां होती हैं और आपको पता नहीं होता कि यह फंड कामयाब होगा या नहीं. इसलिए हमेशा ऐसे फंड में निवेश करना बेहतर होता है, जिसका मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हो.

एनएफओ,आईपीओ नहीं है

एनएफओ, आईपीओ की तरह लगता है लेकिन लेकिन यह इसकी तरह नहीं होता. बहुत सारे निवेशक इसे आईपीओ जैसा समझते हैं और उन्हें लगता है कि जिस तरह शेयरों में डिमांड बढ़ने पर उन्हें फायदा होता है, वैसा ही इसमें भी ऐसा होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. म्यूचअल फंड के एनएवी पर डिमांड और सप्लाई के नियम का कोई असर नहीं होता. किसी म्यूचुअल फंड में कितने यूनिट्स होंगे यह तय नहीं होता. यूनिट्स जरूरत पड़ने पर बना ली जाती हैं.

ऊंची लागत

हर फंड का एक एक्सपेंस रेश्यो होता है. ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो का मतलब यह है कि आप अपने फंड को मैनेज करने के लिए ज्यादा पैसा दे रहे हैं. जाहिर है इससे आपका रिटर्न घटेगा. भारत में रेगुलेशन नियमों के मुताबिक छोटे एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) वाले फंड ज्यादा एक्सपेंस चार्ज वसूल कर सकते हैं. एनएफओ जब लॉन्च होता है तो आमतौर पर इसका एयूएम छोटा होता है . इसलिए इसका एक्सपेंस चार्ज ज्यादा होने की संभावना रहती है. इसलिए यह महंगा होता है.

लॉन्चिंग टाइम

अगर कोई एनएफओ किसी खास वक्त लॉन्च हुआ है तो जरूरी नहीं है कि इसमें निवेश का यही सही वक्त है. एएमसी अपने प्रोडक्ट बास्केट को बड़ा करने या पूरा करने के लिए भी एनएफओ लाते हैं. इसलिए एनएफओ लॉन्च हुआ है इसलिए इसमें निवेश करना है, यह ठीक रणनीति नहीं है.

कुल मिला कर , एनएफओ में निवेश अंधेरे में तीर चलाने जैसा है. इसलिए अनिश्चितता की बजाय ऐसे फंड्स में निवेश करें जिसका एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हो. अगर एनएफओ कुछ खास हो और आपके पोर्टफोलियो के हिसाब से यह फिट बैठ रहा है तो थोड़ा इंतजार करके देखें कि क्या इसकी थीम और निवेश रणनीति बताए गए मकसद के लिए मुफीद है.

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अगर आप म्यूचुअल फंड में करते हैं निवेश, तो जान लें ये 5 अहम बातें

Share Market में कंपनियों की हजारों म्यूचुअल फंड स्कीमें मौजूद होने के कारण काम और भी मुश्किल हो गया है, इसलिए निवेश करने से पहले इन बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी हो गया है.

अगर आप म्यूचुअल फंड में करते हैं निवेश, तो जान लें ये 5 अहम बातें

Mutual Fund अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो ये जानकारी आपके लिए बहुत ही आवश्यक हैं, नहीं तो आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. बता दें कि कोरोना काल के बाद म्यूचुअल फंड में निवेश करने को लेकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है. आमतौर पर देखा जाए तो SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. शेयर बाजार के अलावा म्यूचुअल फंड के जरिए गोल्ड और कमोडिटी में भी पैसे लगाए जा सकते हैं. अगर आप अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो सबसे बड़ा सवाल सही म्युचुअल फंड चुनने का है. शेयर बाजार (Share Market) में कंपनियों की हजारों म्यूचुअल फंड स्कीमें मौजूद होने के कारण काम और भी मुश्किल हो गया है, इसलिए निवेश करने से पहले इन बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी हो गया है.

अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो निवेश को लेकर स्पष्टता होनी चाहिए. पहले आपको तय करना होगा कि निवेश का मकसद क्या है, कितने समय के लिए और कितना निवेश करना है. इन सवालों पर अच्छी तरह से सोच विचार कर लेना चाहिए. खासकर आपको कितने समय के लिए निवेश करना है यह सवाल अहम है. क्योंकि अलग-अलग अवधि के निवेश के लिए म्यूचुअल फंड अलग-अलग होते हैं. छोटी अवधि के निवेश के लिए डेट फंड या लिक्विड फंड चुन सकते हैं. लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड अन्य की अपेक्षा सबसे बेहतर रहेंगे.

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले इस बात का आंकलन करना जरूरी है कि निवेश करने के लिए आप कितना जोखिम उठा सकते हैं. क्योंकि अधिक रिटर्न के लिए आपको ज्यादा जोखिम लेना पड़ सकता है. निवेश में सिर्फ रिटर्न ही नहीं आपकी पूंजी भी सुरक्षित होनी चाहिए. इसलिए इस तरह के फंड आपको चुनने होंगे, जिनमें रिटर्न और रिस्क में संतुलन बना रहे. नहीं तो आपको काफी नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है.

फंड हाउस और मैनेजर का रिकॉर्ड

अगर आपने निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड का चुनाव कर लिया तो इस स्कीम को लाने वाली कंपनी का रिकॉर्ड गहनता के साथ जरूर देखें. इसके साथ ही कंपनी के मैनेजर का रिकॉर्ड चेक करना भी जरूरी होता है. विशेष रूप से आपको इन बातों के लिए बारे में पता करना है कि फंड हाउस कितने समय से काम कर रहा है, उसकी दूसरी स्कीमों का परफॉर्मेंस कैसा रहा है, कंपनी की साख बाजार में कैसी है. किसी भी म्यूचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट पर ये जानकारियां मिल जाती हैं. ऐसी भी कई वेबसाइट हैं, जहां किसी भी फंड के परफॉर्मेंस, रेटिंग, पोर्टफोलियो की जानकारी मिल जाती है.

फंड का पिछला प्रदर्शन अवश्य करें चेक

अगर किसी फंड ने अब तक अच्छा परफॉर्म किया है तो आगे भी उसका प्रदर्शन अच्छा ही रहेगा, यह बिल्कुल जरूरी नहीं. सही फंड का चुनाव करते वक्त अलग-अलग फंड्स के पिछले प्रदर्शन का अध्ययन करें, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किसमें निरंतरता है. इससे आपको अपनी पसंदीदा स्कीम और म्युचुअल फंड चुनने में मदद मिलेगी. फंड चुनते वक्त आप अलग-अलग रेटिंग एजेंसियों द्वारा इन फंड्स को दी गई रेटिंग भी जरूर देखें.

खर्चों के बारे में भी करें पता

म्यूचुअल फंड का चुनाव करते वक्त आपको इसमें निवेश जुड़े खर्चों के बारे में पता होना चाहिए. एंट्री और एक्जिट लोड, एसेट मैनेजमेंट चार्ज, एक्सपेंस रेश्यो. एसेट मैनेजमेंट चार्ज और एक्सपेंस रेश्यो जैसे खर्चों को जरूर देखना चाहिए. ये सारे खर्च आपके फायदे को कम कर देते हैं. किसी म्यूचुअल फंड के लिए 1.5 फीसदी तक का एक्सपेंस रेश्यो सही माना जाता है. किसी फंड का एक्सपेंस रेश्यो इससे ज्यादा है तो उसमें निवेश से बचें.

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