by समाचार4मीडिया ब्यूरो
Published - Monday, 18 March, 2019

KeepMySeed

हर कोई जो इन पंक्तियों को पढ़ता है, उसके पास इंटरनेट पर अपने स्वयं के कई खाते हैं, जैसे कि ऑनलाइन बैंकिंग, सोशल नेटवर्क, ई-मेल, निजी कुंजियाँ, बिटकॉइन फंड को पुनः प्राप्त करने के लिए आवश्यक बीज वाक्यांश, आदि . हमारी दुनिया में कई चीजें इस डेटा के सुरक्षित भंडारण पर निर्भर करते हैं। और कई लोग गलती करते हैं और अपने सभी पासवर्ड और अन्य संवेदनशील डेटा को अपने उपकरणों पर नियमित फाइलों में संग्रहीत करते हैं। सभी डिवाइस नेटवर्क से जुड़े हुए हैं, और इस प्रकार, वे साइबर खतरों के अधीन हैं, जैसे ट्रोजन, वायरस, हैकर के हमले, आदि। इन ठीक दिनों में से एक, आप अपने ई-मेल पते तक पहुंच के बिना छोड़ सकते हैं, जो लगभग आपके सभी खाते संलग्न हैं। और आपके ई-मेल तक पहुँच खो जाने के बाद, आप अपने ई-मेल से जुड़े अपने कई खातों तक पहुँच खो देते हैं। आखिरकार, एक हमलावर को आपके ई-मेल का उपयोग करके आपके खातों से पासवर्ड बदलने में कोई परेशानी नहीं होगी। इससे क्या खतरा है? हमलावर सामाजिक नेटवर्क से आपके सभी व्यक्तिगत पत्राचार को देखेगा। और अगर आपके साथ समझौता करने वाली जानकारी है, तो आप जबरन वसूली और आत्मसमर्पण के अधीन हो सकते हैं। ऑनलाइन बैंकिंग भी असुरक्षित है, और यहां तक ​​कि एसएमएस के माध्यम से दो-कारक प्रमाणीकरण वर्तमान समय में एक संप्रभु उपाय नहीं है। 2020 में इस सुरक्षा को बायपास करने के कई तरीके हैं। दूसरे शब्दों में, आप अपना सारा पैसा खो सकते हैं। लेकिन वर्तमान में, हमलावर क्रिप्टोक्यूरेंसी पर्स में एक विशेष रुचि दिखाते हैं। आखिरकार, इस तरह के वॉलेट तक पहुंच प्राप्त करने के बाद, वे सभी धन को अपने पते पर ट्रांसफर कर सकते हैं और सामान्य बैंक खातों के विपरीत, निशान छिपाने के लिए विशेष योजनाओं के बिना।

हमारी KeepMySeed टीम ने बहुत लंबे समय के लिए संवेदनशील डेटा के सुरक्षित भंडारण के तरीकों के बारे में सोचा और एक दिलचस्प विचार आया: हम आपको NFC टैग में महत्वपूर्ण डेटा संग्रहीत करने की पेशकश करते हैं।

एनएफसी टैग क्या हैं?

एनएफसी टैग निष्क्रिय डिवाइस हैं जो बिजली की आपूर्ति के बिना काम करते हैं; उन्हें सक्रियण के लिए एक निश्चित सीमा के भीतर गिरना चाहिए। टैग स्वयं द्वारा डेटा स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं; इसके बजाय, वे उदाहरण के लिए, एक "सक्रिय" डिवाइस पर जानकारी स्थानांतरित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, उदाहरण के लिए।

हमने इस विशेष पद्धति पर निर्णय क्यों लिया?

1. एक एनएफसी टैग इंटरनेट से जुड़ा नहीं है। और इसका मतलब यह है कि यह इस तरह के खतरों के अधीन नहीं है जैसे ट्रोजन या अन्य हैकर हमले की पैठ।
2. एनएफसी टैग की कम लागत है। स्टिकर के रूप में सबसे सरल एनएफसी टैग 10 रूबल से खर्च होता है। यह लगभग हर शहर में बेचा जाता है। आप इस तरह के एक लेबल पर सबसे महत्वपूर्ण डेटा रिकॉर्ड कर सकते हैं और इसे चिपका सकते हैं, उदाहरण के लिए, अपने पासपोर्ट के कवर के तहत। जैसा कि हम जानते हैं, अधिकांश पर्याप्त लोग सुरक्षित स्थान पर अपने पासपोर्ट छिपाते हैं। इसलिए, आपके पासवर्ड सुरक्षित रूप से सुरक्षित रहेंगे।
3. एनएफसी टैग के साथ काम करना आसान है। वर्तमान में, अधिकांश स्मार्टफ़ोन में NFC टैग रिकॉर्ड करने और पढ़ने की क्षमता है।

यह कैसे काम करता है?

सबसे पहले, आपको अपने स्मार्टफ़ोन पर एप्लिकेशन इंस्टॉल करना चाहिए और इसे चलाना चाहिए। फिर स्मार्टफ़ोन को NFC टैग में लाएँ। एक संवाद बॉक्स दिखाई देता है जिसमें आपको अपना संवेदनशील डेटा दर्ज करना चाहिए। साथ ही, रिकॉर्डिंग करते समय, आप "डेटा एन्क्रिप्ट करें" निर्दिष्ट कर सकते हैं। इस मामले में, प्रोग्राम आपको डेटा एन्क्रिप्शन के लिए एक पासवर्ड दर्ज करने का प्रस्ताव देगा। और डेटा को एईएस का उपयोग करके एन्क्रिप्ट किया जाएगा - यह सबसे सुरक्षित डेटा स्टोरेज विधि है। टैग में आपके सभी संवेदनशील डेटा एन्क्रिप्ट किए जाएंगे। और यहां तक ​​कि अगर कोई हमलावर आपके टैग को अपने कब्जे में लेता है, तो वह केवल अव्यवस्थित डेटा पढ़ सकता है। इस डेटा अराजकता से आदेशित डेटा प्राप्त करने के लिए, हमलावर को डिक्रिप्शन के लिए पासवर्ड कुंजी दर्ज करनी होगी, जिसे आपने टैग रिकॉर्ड करते समय बनाया था।

नतीजतन, हमारे पास निम्नलिखित हैं: आपको केवल एक पासवर्ड कुंजी बनाने और याद रखने की आवश्यकता है। इस पासवर्ड कुंजी का उपयोग एनएफसी टैग में आपके डेटा को एन्क्रिप्ट और डिक्रिप्ट करने के लिए किया जाएगा। यह दर्जनों लॉगिन और पासवर्ड याद रखने की तुलना में बहुत आसान है।

बिना खरीदे बनिए बिटकॉइन इन्वेस्टर, जानें क्या होती है माइनिंग और किन चीजों की पड़ती है जरूरत

बिटकॉइन माइनिंग के जरिए बिना खरीदे बनिए बिटकॉइन इन्वेस्टर

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Image Credit- Wir Pixs From Pixabay

क्रिप्टो करेंसी

यह एक आभासी (imaginary) दुनिया है यह एक वित्तीय लेनदेन का जरिया है।बिल्कुल भारतीय उपयोग व अमेरिकी डॉलर या अन्य करेंसी के जैसी ही करेंसी है फर्क सिर्फ इतना सा है कि; बाकी करेंसी को हम छू और देख सकते हैं, परंतु इसे हम छू और देख नहीं सकते। यह एक आभासी मुद्रा है; जिसे डिजिटल करंसी भी कहा जाता है । इससे जुड़ा पूरा कारोबार डिजिटल तरीके से होता है । अब हम इससे जुड़ी बाकी बातों पर भी नजर डाल लेते हैं ।

क्रिप्टोकरंसी 2021 से दुनियाभर में काफी गर्म मुद्दा बनी हुई है । दुनिया भर में लोग इसे पसंद कर रहे हैं और खरीद वा इससे जुड़ रहे हैं। इसमें निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है । परंतु दुनिया की बड़ी संख्या इसमें निवेश करने से घबरा भी रही है । इसमें प्रतिपल उतार-चढ़ाव होता रहता है; जो पल में किसी को बहुत अमीर और किसी को बहुत गरीब बना सकता है । इसी कारण इसकी लोकप्रियता में इजाफा होता जा रहा है । वर्तमान समय में यह सबसे लोकप्रिय और मूल्यवान करेंसी है ।लेकिन आप इसे बिना खरीदे भी बिटकॉइन इन्वेस्टर बन सकते हैं । बिटकॉइन माइनिंग के जरिए जी हां;आप बिटकॉइन माइनिंग के जरिए बिटकॉइन खरीदे बिना मालिक बन सकते हैं।

पहले हम बिटकॉइन माइनिंग और ब्लॉकचेन के बारे में जान लेते हैं

बिटकॉइन माइनिंग

बिटकॉइन माइनिंग का मतलब है । puzzle को सॉल्व करके बिटकॉइन बनाना। जैसे हम अगर किसी को पैसे भेजते हैं डिजिटल तरीके से तो वे सीधे पैसे लेने वाले के पास नहीं पहुंचते वह पहले बैंक के पास जाते हैं। जब बैंक उसे वैलिडेट कर आगे भेजती है, तब पैसे, पैसे लेनेवाले के पास पहुंचते हैं।उसी तरह बिटकॉइन में होता है कॉइन भेजने वाले और कॉइन लेने वाले के बीच में बैंक के बजाय कंप्यूटर होते हैं ।जो लोग कंप्यूटर चलाते हैं वही कॉइन मैनेज करते हैं। उनकी मेहनत के बदले में उन्हें एक बिटकॉइन मिलता है यही बिटकॉइन माइनिंग कहलाती है।

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी

जब कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को बिटकॉइन भेजता है ।तो उसे कंप्यूटर के जरिए वैलिडेट किया जाता है और जो लोग कंप्यूटर के जरिए यह करते हैं । वह इसका डाटा पूरा एक ब्लॉक में स्टोर या जमा कर लेते हैं । यह एक ब्लॉक 1 एमबी का होता है । जब एक ब्लॉक पूरा भर जाता है; तो उसे ब्लॉक कर ,दूसरा ब्लॉक बनाया जाता है। और जब दूसरा ब्लॉक भी भर जाता है, तो उसे पहले वाले ब्लॉक से जोड़ दिया जाता है । इसी तरह धीरे-धीरे यह एक चैन बन जाती है और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कहलाती है ।

डिजिटल करेंसी को मैनेज करना काफी मुश्किल है । इस प्लेटफार्म को आसानी से हेरफेर किया जा सकता है ।इसलिए केवल – माइनर को ही ट्रांजैक्शन अपडेट करने की अनुमति है ।इसे सुरक्षित रखना माइनर की जिम्मेदारी है, इसीलिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है । जिसमें चैन से जुड़े हर कंप्यूटर पर जानकारी मौजूद होती है । इससे यह सुरक्षित रहती है। इसे सुरक्षित रखने के लिए – माइनर को नए कॉइन दिए जाते हैं ।इसके लिए कंप्यूटर ऐसे होने चाहिए जिसमें स्पेशल सॉफ्टवेयर हो जो इसमें आसानी से मदद कर सके। ऑनलाइन माइनिंग पुल का मेंबर होना क्रिप्टो माइनर के लिए बेहद जरूरी है।इसी तरह हम बिटकॉइन खरीदी बिना बिटकॉइन इन्वेस्टर बन सकते हैं।

बड़े टीवी पत्रकारों ने की अभद्र टिप्पणियां, महिला एंकर भी बीच में कूदीं

समाचार4मीडिया ब्यूरो

by समाचार4मीडिया ब्यूरो
Published - Monday, 18 March, 2019

Samachar4media

समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
ये काफी दिलचस्प मामला है और पत्रकारिता के लिए शर्मिंदगी भरा भी। एक दूसरे को पत्रकार सीधे तौर पर दलाल, सूअर जैसी गालियों से नवाज रहे हैं और ट्विटरत्ती मजे ले रहे हैं। ये वाकया टीवी9 भारतवर्ष के मैनेजिंग एडिटर विनोद कापड़ी और 2014 के चुनावी कैम्पेन में मोदी का इंटरव्यू डीडी न्यूज के लिए लेने वाले एंकर अशोक श्रीवास्तव से जुड़ा है और झगड़े की जड़ में है चौकीदार।

मामला नरेन्द्र मोदी के चौकीदार कैम्पेन से जुड़ा है। जैसे ही ये कैम्पेन शुरू हुआ विनोद कापड़ी, अजीत अंजुम और संजीव पालीवाल ने मोदी के तथाकथित हितचिंतक पत्रकारों के खिलाफ ट्वीट करे शुरू कर दिए। विनोद कापड़ी ने एक ट्वीट में लिखा, ‘इंतज़ार है कि तमाम एंकर और रिपोर्टर भी अपने ट्विटर प्रोफ़ाइल में ‘मैं भी चौकीदार’ लिख कर साफ़ साफ़ बता ही दें कि वो इस चुनाव में खुल कर एक राजनैतिक दल के साथ खड़े हैं’।

इस ट्वीट पर अशोक श्रीवास्तव ने बिना नाम लिए कमेंट करते हुए लिखा, ’पर कुछ पत्रकार कुछ भी नहीं लिख सकते। क्योंकि "दलाल पत्रकार" लिखा हुआ अच्छा नहीं लगेगा‘।’ जवाब देने मैदान में कूद गईं विनोद की पत्नी और न्यूज 24 की एंकर साक्षी जोशी, जो आजकल अपना नाम ट्विटर पर ‘जागरूक मतदाता साक्षी जोशी’ लिख रही हैं। साक्षी ने अशोक को जवाब दिया, ‘तुम्हें लिखने की ज़रूरत नहीं। सबको पता Bitcoin से जुड़ा दिलचस्प मामला है धंधा बनाकर रख दिया है’।

उसके बाद अशोक श्रीवास्तव ने कापड़ी की एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, ‘वैसे वो पत्रकार कौन था जिसे कुछ साल पहले एक फाइव स्टार होटल Bitcoin से जुड़ा दिलचस्प मामला की पार्किंग में एक महिला एंकर के साथ आपत्तिजनक अवस्था में होटल के चौकीदारों ने पकड़ लिया था और फिर खूब धुनाई की थी ’।

ये पढ़कर अब साक्षी जोशी अशोक श्रीवास्तव की वॉल पर भी आ गईं और आते ही चेतावनी भरा मैसेज लिख डाला, ‘Name with proof or face defamation ashok Shrivastava . I am waiting.’।

ऐसे में एक ट्विटरत्ती ने लिखा, ‘Madam aaj aap ki poll khul gayi। तो साक्षी ने जवाब दिया, ‘Vaise hum husband wife hain. Aapko ye poll khulna lagta hai! Go n check what r u parents doing right now!’।

इधर विनोद कापड़ी ने अशोक की इसी ट्वीट को रिट्वीट करते हुए सीधे सीधे लिख डाला, ‘तुम जैसे चारण, चाटुकार और सरकार के टुकड़ों में पलने वाले पत्रकार झूठी ख़बरें ही फैला सकते है और यही करते रहेंगे। लगे रहो। इसके बाद कोई संवाद नहीं,as George Bernard shaw said: “ I learned long ago, never to wrestle with a pig. You get dirty, and besides, the pig likes it. “।

साथ में साक्षी जोशी भी उतर आईं और विनोद की वॉल पर लिखा, ‘’ Good decision. I think u must file defamation against this pig. And he is doing services for govt in the guise of a journalist. Laga reh bhai. Par ticket nahi milegi. Tere se pehle bahot hain line mein’’।

अब अशोक श्रीवास्तव इसके बाद खामोश हैं और विनोद-साक्षी भी अपनी अपनी बात लिखकर खामोश हो गए हैं, लेकिन ट्विटरत्ती मैदान में हैं और तीनों की ही जमकर छीछालेदर कर रहे हैं।

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कई देशों में डिजिटल करेंसी की दस्तक: अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोपीय यूनियन में लॉन्च पर विचार, ई-मनी और नकद लेनदेन में लगातार गिरावट ने नई करेंसी का रास्ता आसान बनाया

कई देशों ने डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है। - Dainik Bhaskar

तकनीकी बदलाव फाइनेंस के क्षेत्र को बहुत अधिक प्रभावित कर रहे हैं। किसी समय बिटकॉइन को अराजकतावादियों की सनक समझा जाता था। लेकिन, कई फंड मैनेजर शेयर बाजार में इसका मूल्य एक खरब डॉलर एसेट क्लास में मानते हैं। अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में दिनभर डिजिटल करेंसी में दांव लगाने वाले लोगों की भीड़ रहती है। इस बीच कई देशों ने डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है। बहामा डिजिटल करेंसी लॉन्च करने वाला पहला देश है। कुछ देशों के सेंट्रल बैंक इस विषय पर रिसर्च कर रहे हैं। अमेरिका, इंग्लैंड, यूरोपियन यूनियन के देशों में नई करेंसी के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन हो रहा है। चीन ने प्रयोग के बतौर ई-युआन शुरू किया है।

गवर्नेंट कॉइंस पैसे के नया अवतार होंगे। वे फाइनेंस से जुड़ा कामकाज बेहतर बनाएंगे। लेकिन, पैसे की ताकत व्यक्तियों के हाथ से राज्य (सरकार) के पास चली जाएगी। वे दूसरे देशों में पेमेंट का नया रास्ता खोलेंगे। डॉलर का विकल्प भी खड़ा कर सकते हैं।

छोटे देशों को आशंका Bitcoin से जुड़ा दिलचस्प मामला है कि लोग स्थानीय करेंसी का उपयोग करने की बजाय विदेशी ई-करेंसी का सहारा लेंगे। नगद लेनदेन में कमी से डिजिटल करेंसी का रास्ता आसान हो रहा है। विश्व में तीन अरब से अधिक कस्टमर ई-वॉलेट और पेमेंट एप्स का इस्तेमाल करते हैं।

सरकारी डिजिटल करेंसी से कुछ फायदे सामने नजर आते हैं। मौजूदा व्यवस्था में बैंकों के धराशाई होने से जमाकर्ताओं का नुकसान होता है। इधर, बिटकॉइन को बड़े पैमाने पर स्वीकार नहीं किया गया है। क्रेडिट कार्ड खर्चीले हैं। दूसरी ओर सरकार की गारंटी के कारण सरकारी ई-करेंसी की विश्वसनीयता अधिक रहेगी। उनका इस्तेमाल सस्ता होगा। गवर्नमेंट कॉइंस वैश्विक फाइनेंशियल इंडस्ट्री के संचालन का खर्च कम करेंगे।

यह विश्व में प्रति व्यक्ति 350 डॉलर सालाना है। नई करेंसी के आने से उन 1.7 अरब लोगों के लिए पैसे का लेनदेन आसान होगा जिनके बैंक खाते नहीं हैं। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) नगद का डिजिटल रूप होगी। सीबीडीसी सेंट्रल बैंक में जमा पैसे के बराबर होगी।

चीन में पांच लाख से अधिक लोगों ने ट्रायल पर चल रहा मोबाइल एप डाउनलोड किया है। वे इसके माध्यम से सरकार से मिला डिजिटल कैश ई-युआन खर्च करते हैं। यूरोपियन यूनियन के अधिकारी चाहते हैं कि 2025 तक डिजिटल करेंसी यूरो लॉन्च कर दी जाए।

19 अप्रैल को बैंक ऑफ इंग्लैंड और ब्रिटिश कोषालय ने डिजिटल करेंसी के आइडिया पर विचार करने के लिए टास्कफोर्स बनाई है। अमेरिका में सेंट्रल बैंक-फेडरल रिजर्व भी इस पर गौर कर रहा है। इंटरनेशनल सैटलमेंट्स बैंक के एक सर्वे में पाया गया कि अधिकतर सेंट्रल बैंक सीबीडीसी पर रिसर्च कर रहे हैं या परीक्षण कर रहे हैं। अगले तीन साल में दुनिया की बीस प्रतिशत आबादी वाले देशों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हो सकता है।
कुछ समय पहले तक चंद अर्थशास्त्री डिजिटल करेंसी को दिलचस्प लेकिन अव्यावहारिक आइडिया बताते थे। फ्रांस के रिजर्व बैंक-बैंक्वे डी फ्रांस के पूर्व डिप्टी गवर्नर जीन पियरे लेंडाउ कहते हैं, हमने केवल दो साल में डिजिटल मनी के बारे में लोगों और सरकारी अधिकारियों के सोच-विचार में नाटकीय परिवर्तन देखा है। दूसरा प्रमुख कारण नगद के उपयोग में गिरावट है।
बहामा ने लॉन्च की पहली सरकारी डिजिटल करेंसी
बहामा के 700 द्वीपों के समुद्र तटों पर गोलाकर सफेद सीपियां इकट्ठी होती हैं। ये पांच पंखुड़ियों के फूल जैसी लगती हैं। इनमें छोटे समुद्री जीव- सी अर्चिन्स पलते हैं। ये चांदी के डॉलर जैसे दिखाई पड़ते हैं इसलिए इन्हें सैंड डॉलर्स कहा गया है। किवदंती है कि यह जलपरियों या लंबे समय पहले खत्म हो चुके अटलांटिस शहर के सिक्के हैं। बहामा के सेंट्रल बैंक ने सैंड डॉलर को अपना लोगो बनाया है। अक्टूबर 2020 में जब बहामा ने विश्व की पहली सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) लॉन्च की तो एप पर वैसा ही फूल बनाया गया। इसका नाम सैंड डॉलर रखा है।
अधिकतर पैसा बैंकों में जमा है

डिजिटल करेंसी से परंपरागत बैंकों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो जाएगा। इस समय अधिकतर पैसा बैंकों के मार्फत आता है। अमेरिका में प्राइवेट बैंकों में 90% पैसा जमा है। यूरोपियन यूनियन के देशों में 91 %, जापान में 93 % और ब्रिटेन में 97 % पैसा बैंकों में है।

World Television Day 2022: आज है विश्व टेलीविजन दिवस! जानें इस दिवस का इतिहास, उद्देश्य और भारत में टेलीविजन की शुरुआत! एवं जानें इससे जुड़े कुछ रोचक फैक्ट!

प्रत्येक वर्ष 21 नवंबर के दिन विश्व टेलीविजन दिवस मनाया जाता है. टेलीविजन वस्तुतः रेडियो का ही एक विकसित रूप है. टेलीविजन को शिक्षा, मनोरंजन एवं सूचना के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा सशक्त बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासंघ (UNGA) ने विश्व टेलीविजन दिवस मनाने का प्रस्ताव पास किया.

World Television Day 2022: आज है विश्व टेलीविजन दिवस! जानें इस दिवस का इतिहास, उद्देश्य और भारत में टेलीविजन की शुरुआत! एवं जानें इससे जुड़े कुछ रोचक फैक्ट!

प्रत्येक वर्ष 21 नवंबर के दिन विश्व टेलीविजन दिवस मनाया जाता है. टेलीविजन वस्तुतः रेडियो का ही एक विकसित रूप है. टेलीविजन को शिक्षा, मनोरंजन एवं सूचना के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा सशक्त बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासंघ (UNGA) ने विश्व टेलीविजन दिवस मनाने का प्रस्ताव पास किया. हमेशा की तरह इस वर्ष भी समस्त विश्व 21 नवंबर को 27वां विश्व टेलीविजन दिवस मना रहा है. आइये जानें इस दिवस विशेष का महत्व, इतिहास एवं टेलीविजन से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां

विश्व टेलीविजन दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने 17 दिसंबर 1996 को विश्व टेलीविजन दिवस मनाने की घोषणा की थी. यद्यपि इस मुद्दे का विरोध करते हुए 21 एवं 22 नवंबर को विश्व टेलीविजन फोरम में जर्मनी के प्रतिनिधि मंडल द्वारा विरोध प्रकट करते हुए कहा कि सामान्य विषयों पर पहले से ही तीन संयुक्त अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाये जा रहे हैं. ऐसे में एक और अंतरराष्ट्रीय दिवस शुरू करने का कोई मतलब नहीं है. यद्यपि उस समय ज्यादातर टीवी सेट अमीर लोग ही रखते थे, इसलिए आम लोगों को ध्यान में रखते हुए टेलीविजन की तुलना में रेडियो को प्रमुखता दिया गया. यह भी पढ़ें : Universal Children’s Day 2022 Messages: सार्वभौमिक बाल दिवस की बधाई! शेयर करें ये हिंदी Quotes, GIF Greetings और WhatsApp Wishes

जानें विश्व टेलीविजन दिवस उद्देश्य?

टेलीविजन के महत्व, और जरूरत को देखते हुए हर वर्ष 21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस मनाया जाता है. बहुत थोड़े समय में टेलीविजन ने जनसंचार के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई है, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो लोकप्रियता हासिल की है, उसे देखते हुए इस दिन की महत्ता को समझा जा सकता है. वर्तमान में टेलीविजन सूचना एवं संचार का एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जहां हमें हर छोटे-बड़े विषयों मसलन मनोरंजन, समाचार, सिनेमा, शिक्षा एवं जागरूकता तथा विज्ञान से जुड़ी गतिविधियां और इतिहास को देखा जा सकता है. तकनीकी तौर पर भी इसका गुणात्मक उपयोगिता को देखते हुए विश्व टेलीविजन दिवस की महत्ता को समझा जा सकता है.

भारत में दूरदर्शन की शुरुआत !

भारत में टीवी (दूरदर्शन) का शुभारंभ 15 सितंबर 1959 को हुआ था. यद्यपि अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत में टेलीविजन काफी देर से शुरू हुआ था, लेकिन उच्च कोटि के कार्यक्रम प्रसारित होने के कारण, बहुत जल्दी लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गया. शुरू में सप्ताह में 3 दिन आधे-आधे घंटे के कार्यक्रम प्रसारित किये जाते थे, लेकिन बहुत जल्दी इसे प्रतिदिन किया जाने लगा. शुरुआत में इसे 'टेलीविजन इंडिया' के नाम से जाना जाता था, 1975 में इसे दूरदर्शन का नाम मिला, और इसका विस्तार 7 शहरों तक किया गया. इसी समय इस पर समाचार और कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रम शुरू किया जाने लगा. साल 1980 में पूरे भारत की टीवी रंगीन हो गई. आज दूरदर्शन के साथ तमाम प्राइवेट चैनल अस्तित्व में आ गए हैं.

टेलीविजन के संदर्भ में रोचक तथ्य

* TV का आविष्कार ‘जॉन लोगी बेयर्ड‘ ने 1925 में किया था.

* भारत में TV प्रसारण की शुरुआत 15 सितंबर 1959 को दिल्ली में हुई थी.

* साल 1955 में टीवी संचालन के लिए इस्तेमाल में आने वाला टीवी रिमोट बनाया गया था.

* भारतीय खेल के इतिहास में पहला लाइव प्रसारित होने वाला खेल 1936 में आयोजित बर्लिन ओलंपिक गेम्स था.

* भारत में पहला प्राइवेट चैनल जी टीवी (Zee TV) 2 अक्तूबर 1992 में शुरू हुआ था.

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