नियम व शर्तें

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मुद्रा शर्तें क्या हैं

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मुद्रा और क्रेडिट

लोगों और व्यवसाइयों को अक्सर कुछ जरूरतों के लिये कर्ज लेने की जरूरत पड़ती है। किसानों को बीज, खाद, कृषि औजार, आदि खरीदने के लिये कर्ज की जरूरत पड़ती है। गाड़ी या घर जैसे महंगी चीजें लोग अक्सर कर्ज लेकर ही खरीद पाते हैं। बड़े-बड़े उद्योगपति भी व्यवसाय के लिये कर्ज लेते रहते हैं। इस प्रकार क्रेडिट हमारी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जब भी कोई व्यक्ति या संस्थान किसी बैंक से कर्ज लेता है तो उसके लिये एक लोन एग्रीमेंट बनाया जाता है। लोन एग्रीमेंट में ब्याज दर और कर्ज चुकता करने के बारे में सारे नियम और शर्तें लिखी होती हैं। अक्सर कर्ज चुकता करने के लिये बैंक एक मासिक किस्त तय करता है ताकि नियत अवधि के भीतर कर्ज चुकता हो सके।

कोलैटेरल या समर्थक ऋणाधार: अधिकतर मामलों में कर्ज लेने के लिये किसी चल या अचल सम्पत्ति को बैंक के पास गिरवी रखना होता है। इसे कोलैटरल कहते हैं। कोलैटरल के कुछ उदाहरण हैं; जमीन, घर, गाड़ी, मवेशी, बैंक में जमा राहि, बीमा पॉलिसी, सोना, आदि। यदि कोई व्यक्ति कर्ज का भुगतान समय पर नहीं कर पाता है तो कर्ज देने वाले संस्थान को यह अधिकार होता है कि वह कोलैटरल को बेचकर कर्ज की राशि वसूल ले।

कर्ज की शर्तें: कर्ज की शर्तों में ब्याज दर, कोलैटरल और भुगतान की विधि का वर्णन हो सकता है। कर्ज की शर्तें अलग अलग लोन एग्रीमेंट में अलग अलग होती हैं और यह कर्ज लेने वाले और कर्ज देने वाले की हैसियत पर भी निर्भर करता है।

source of credit in rural india

ग्रामीण इलाकों में कर्ज मुद्रा शर्तें क्या हैं के स्रोत 2003

  • औपचारिक सेक्टर: इस सेक्टर में बैंक और को-ऑपरेटिव सोसाइटी आती है।
  • अनौपचारिक सेक्टर: इस सेक्टर में साहुकार, दोस्त, रिश्तेदार, व्यापारी और जमींदार आते हैं।
  • दिये गये चित्र में ग्रामीण इलाकों में 2003 में लोन के विभिन्न स्रोतों को दिखाया गया है।

औपचारिक सेक्टर को रिजर्व बैंक द्वारा जारी नियमों और कानूनों का पालन करना पड़ता है लेकिन अनौपचारिक सेक्टर इन नियमों का पालन नहीं करते हैं। औपचारिक सेक्टर में ब्याज दर बहुत ऊँची होती है। ऊँचे ब्याज दर के कारण कर्ज लेने वाला अक्सर परेशान हो जाता है। वह अक्सर कर्ज के जाल में फंस जाता है। अक्सर यह देखा गया है कि अनौपचारिक सेक्टर से कर लेने वाला कभी भी कर्ज के कुचक्र से निकल नहीं पाता है।

गरीब लोग अक्सर औपचारिक सेक्टर द्वारा कर्ज की पात्रता पर खड़े नहीं उतरते हैं। कई लोगों के पास जरूरी कागजात नहीं होते हैं। ऐसे लोगों को अनौपचारिक सेक्टर की शरण में जाना पड़ता है।

सेल्फ हेल्प ग्रुप:

सेल्फ हेल्प ग्रुप का प्रचलन अभी नया नया है। इस प्रकार के ग्रुप में लोगों का एक छोटा समूह होता है; जैसे 15 से 20 सदस्य। सभी सदस्य अपने जमा किये हुए पैसे को इकट्ठा करते हैं। उस जमा रकम में से किसी भी सदस्य को छोटी राशि का कर्ज दिया जाता है। फिर वह सेल्फ हेल्प ग्रुप उस राशि पर ब्याज लेता है। इस तरह के कर्ज के सिस्टम को माइक्रोफिनांस कहते हैं।

सबसे पहले बंगलादेश के ग्रामीण बैंक ने माइक्रोफिनांस की परिपाटी शुरु की। ग्रामीण बैंक के संस्थापक मुहम्मद यूनुस ने इस दिशा में मुद्रा शर्तें क्या हैं काफी काम किया है और गरीबों की मदद की है। उनके प्रयासों के लिये उन्हें 2006 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सेल्फ हेल्प ग्रुप ने ग्रामीण क्षेत्रों में अनौपचारिक कर्ज दाताओं के प्रकोप को काफी हद तक कम किया है। आज मुद्रा शर्तें क्या हैं भारत में कई बड़ी कंपनियाँ सेल्फ हेल्प ग्रुप को प्रश्रय दे रही हैं।

आर.बी.आई. ने मुद्रा नोटों की पहचान करने के लिए दृष्टिबाधित भारतीयों की सुविधा के लिए 'मनि' की शुरुआत की

आर.बी.आई. ने मुद्रा नोटों की पहचान करने के लिए दृष्टिबाधित भारतीयों की सुविधा के लिए 'मनि' की शुरुआत की

  • Date : 20/01/2020
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  • Read in English: RBI introduces MANI to facilitate visually impaired Indians to identify currency notes

उपयोगकर्ता अपने मोबाइल फोन कैमरे का उपयोग करके मुद्रा नोट को स्कैन कर सकते हैं और मूल्यवर्ग जानने के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ऑडियो सुन सकते हैं।

आर.बी.आई. ने मुद्रा नोटों की पहचान करने के लिए दृष्टिबाधित भारतीयों की सुविधा के लिए 'मनि' की शुरुआत की

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकांता दास ने बुधवार को भारत में लाखों दृष्टिहीन लोगों की मदद के लिए एक नया मोबाइल ऐप- 'मनि' (मोबाइल एडेड नोट आइडेंटिफ़ायर) लॉन्च किया, जिससे विमुद्रीकरण के बाद नए मुद्रा नोटों की पहचान करने में मदद मिल सके।

नवंबर 2016 के बाद, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2,000 रुपये के मूल्यवर्ग में 'महात्मा गांधी सीरीज' के तहत नए मुद्रा नोटों की एक श्रृंखला शुरू की गई थी। हालाँकि, यह सामने आया कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों को नई मुद्रा नोटों के बीच अंतर करना मुश्किल हो रहा था। इस चुनौती के जवाब के रूप में यह ऐप लॉन्च किया गया था।

यह कैसे काम करता है?

यह ऐप एंड्रॉइड प्लेस्टोर और आई.ओ.एस. ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है और डाउनलोड मुफ्त है। उपयोगकर्ता मोबाइल ऐप से जुड़े अपने मोबाइल फोन के कैमरे मुद्रा शर्तें क्या हैं का उपयोग करके मुद्रा को स्कैन कर सकते हैं। उपयोगकर्ता को मूल्यवर्ग का पता लगाने के लिए यह ऐप हिंदी और मुद्रा शर्तें क्या हैं अंग्रेजी दोनों में एक ऑडियो आउटपुट प्रदान करता है।

एक बार इंस्टॉल होने के बाद ऐप ऑफलाइन भी काम करता है। हालांकि, यह मुद्रा के वास्तविक या नकली होने का प्रमाण नहीं कर सकता है।

ऐप की विशेषताएं क्या हैं?

ऐप न केवल सामने और पीछे , दोनों तरफ से एक बैंक नोट का पता लगाने में सक्षम होगा, बल्कि अलग-अलग तरीके से आधे मुड़े हुए नोटों को कम रोशनी सहित अलग-अलग प्रकाश परिस्थितियों में रखे जाने पर भी पहचान करने में सक्षम होगा।

हिंदी और अंग्रेजी के अलावा, यह ऐप श्रवण और दृष्टि दोष दोनों से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए एक गैर-ध्वनि या कंपन मोड में प्रतिक्रिया प्रदान करता है।
ऐप की सबसे अच्छी विशेषताओं में से एक यह है कि यदि फोन और ऑपरेटिंग सिस्टम वाणी -सक्षम नियंत्रण का समर्थन करते हैं, तो इस ऐप के वाणी कमांड से इस ऐप को खोलकर संचालन किया जा सकता है।

भारत 40 मिलियन से अधिक नेत्रहीन लोगों का घर है और यह तकनीकी प्रगति मुद्रा की पहुंच में सुधार करने में मदद करती है और उनके लिए दिन-प्रतिदिन लेनदेन की सुविधा प्रदान करती है।
आइये नज़र डालिए ऐसे ही कुछ बेहतरीन ऐप्स पर जो पैसे बचाने और ट्रैक करने में मदद कर सकते हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकांता दास ने बुधवार को भारत में लाखों दृष्टिहीन लोगों की मदद के लिए एक नया मोबाइल ऐप- 'मनि' (मोबाइल एडेड नोट आइडेंटिफ़ायर) लॉन्च किया, जिससे विमुद्रीकरण के बाद नए मुद्रा नोटों की पहचान करने में मदद मिल सके।

नवंबर 2016 के बाद, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2,000 रुपये के मूल्यवर्ग में 'महात्मा गांधी सीरीज' के तहत नए मुद्रा नोटों की एक श्रृंखला शुरू की गई थी। हालाँकि, यह सामने आया कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों को नई मुद्रा नोटों के बीच अंतर करना मुश्किल हो रहा था। इस चुनौती के जवाब के रूप में यह ऐप लॉन्च किया गया था।

यह कैसे काम करता है?

यह ऐप एंड्रॉइड प्लेस्टोर और आई.ओ.एस. ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है और डाउनलोड मुफ्त है। उपयोगकर्ता मोबाइल ऐप से जुड़े अपने मोबाइल फोन के कैमरे का उपयोग करके मुद्रा को स्कैन कर सकते हैं। उपयोगकर्ता को मूल्यवर्ग का पता लगाने के लिए यह ऐप हिंदी और अंग्रेजी दोनों में एक ऑडियो आउटपुट प्रदान करता है।

एक बार इंस्टॉल होने के बाद ऐप ऑफलाइन भी काम करता है। हालांकि, यह मुद्रा के वास्तविक या नकली होने का प्रमाण नहीं कर सकता है।

ऐप की विशेषताएं क्या हैं?

ऐप न केवल सामने और पीछे , दोनों तरफ से एक बैंक नोट का पता लगाने में सक्षम होगा, बल्कि अलग-अलग तरीके से आधे मुड़े हुए नोटों को कम रोशनी सहित अलग-अलग प्रकाश परिस्थितियों में रखे जाने पर भी पहचान करने में सक्षम होगा।

हिंदी और अंग्रेजी के अलावा, यह ऐप श्रवण और दृष्टि दोष दोनों से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए एक गैर-ध्वनि या कंपन मोड में प्रतिक्रिया प्रदान करता है।
ऐप की सबसे अच्छी विशेषताओं में से एक यह है कि यदि फोन और ऑपरेटिंग सिस्टम वाणी -सक्षम नियंत्रण का समर्थन करते हैं, तो इस ऐप के वाणी कमांड से इस ऐप को खोलकर संचालन किया जा सकता है।

भारत 40 मिलियन से अधिक नेत्रहीन लोगों का घर है और यह तकनीकी प्रगति मुद्रा की पहुंच में सुधार करने में मदद करती है और उनके लिए दिन-प्रतिदिन लेनदेन की सुविधा प्रदान करती है।
आइये नज़र डालिए ऐसे ही कुछ बेहतरीन ऐप्स पर जो पैसे बचाने और मुद्रा शर्तें क्या हैं ट्रैक करने में मदद कर सकते हैं।

जयपुर विकास प्राधिकरण

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